परमाणु डील से अमेरिका के अलग होने के बाद और ईरान पर लगने वाले प्रतिबंधों की आशंका के मद्देनजर भारत ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी है। वहीं दूसरी तरफ ईरान से भी इस ओर कवायद शुरू हो गई है। आपको बता दें कि भारत और ईरान दोनों ही एक दूसरे के लिए काफी अहम हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत ईरान से तेल का सबसे बड़ा खरीददार है। तेल ईरान की अर्थव्यवस्था का प्रमुख हिस्सा है। ईरान-अमेरिका परमाणु डील के टूटने और बदलते माहौल के बीच ईरान के विदेश मंत्री जावेद जारीफ के भी भारत आने का कार्यक्रम है। इसके अलावा वह फ्रांस, जर्मनी, चीन और ब्रिटेन भी जा सकते हैं।
अमेरिका पर बात करना वक्त बर्बाद करने जैसा
इस बीच ईरान के वरिष्ठ नेता अयातुल्लाह अली खमेनी का कहना है कि अमेरिका पर बात करना सिर्फ समय बर्बाद करने जैसा है। उनका यह भी कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दरअसल इस्लाम से ही नफरत है परमाणु डील तो महज एक दिखावा है। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप लगातार ईरान पर झूठे आरोप लगाकर उनके देश को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं। खमेनी के मुताबिक ईरान से परमाणु डील खत्म करने के मुद्दे पर ट्रंप के ही अधिकारी उनमें दिमागी पिछड़ापन बता रहे हैं। लिहाजा उस पर बात करना ही बेमानी हो जाता है।
ईरानी राष्ट्रपति की भारत यात्रा
गौरतलब है कि फरवरी, 2018 में जब ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी भारत आए थे उस वक्त दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर बातचीत हुई थी। अमेरिकी प्रतिबंध की आशंका से ही भारतीय तेल कंपनियों ने ईरान से आयातित तेल के एक बड़े हिस्से का भुगतान यूरो (यूरोपीय संघ की मुद्रा) में करना शुरू किया था। इसी दौरान दोनों देशों के बीच एक-दूसरे के यहां बैंक शाखा खोलने का समझौता हुआ है, जिसे अब अमलीजामा पहनाया जा सकता है। इससे भारत के लिए ईरान में भुगतान करना आसान हो जाएगा।
इस बार बदल गया है माहौल
यहां पर ये बताना बेहद जरूरी होगा कि अमेरिका ने ईरान पर डील से पहले भी प्रतिबंध लगाए थे। लेकिन उस वक्त माहौल कुछ दूसरा था और अमेरिका का साथ यूरोप के दूसरे देश भी दे रहे थे। लेकिन इस बार माहौल पूरी तरह से बदला हुआ है। इस बार यूरोप के देश फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन इस डील के समर्थन में हैं जबकि अमेरिका इसको लेकर अलग-थलग पड़ गया है। उसके साथ महज वो देश हैं जो इस डील से नहीं जुड़े हुए थे। इनमें इजरायल समेत सऊदी अरब शामिल है।
संकट से उबरने की कवायद
बहरहाल, प्रतिबंधों के बाद होने वाले संकट से उबरने के लिए भारत की कवायद जो कवायद हो रही है उसका एक सकारात्मक पहलू भी यही है कि इस बार यूरापीय देश अमेरिका के साथ नहीं हैं। लिहाजा माना जा रहा है कि भारत को तेल खरीद में शायद पहले जैसी परेशानी से न जूझना पड़े। इसके अलावा भारत ने ट्रंप के फैसले से नाराज यूरोपीय देशों के साथ कूटनीतिक विचार-विमर्श भी शुरू कर दिया है ताकि अमेरिकी प्रतिबंध से बचने की काट खोजी जा सके।
हर हाल में हितों की रक्षा
इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा है कि भारत पूरे हालात पर गहरी नजर रखे हुए है। हम वह हरसंभव कदम उठाएंगे जिससे हमारे हितों की रक्षा हो सके। हम चाबहार में भी अपने हितों को सुरक्षित करने के लिए सतर्क और सजग हैं। विदेश मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने बताया, ‘यह नहीं भूलना चाहिए कि जब पूर्व में अमेरिका ने ईरान पर भारी आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे तब भी हमने ईरान के साथ कारोबार को बंद नहीं किया था। ईरान के साथ तेल खरीदना भी जारी था। उस वक्त अमेरिका की नाराजगी के बावजूद पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने ईरान की यात्रा की थी।
ज्यादा कड़े प्रतिबंधों की तैयारी में यूएस
हालांकि माना यह भी जा रहा है कि अमेरिका इस बार ईरान पर पहले से कहीं ज्यादा कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ यदि भारत को फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन का साथ मिल जाए तो भारत के लिए ईरान के साथ कारोबार करने या उससे तेल खरीदने में या वहां अपनी औद्योगिक परियोजनाओं को लगाने में खास दिक्कत नहीं आएगी। गौरतलब है कि भारत जिन देशों से तेल की आपूर्ति पर सबसे अधिक निर्भर है उनमें ईरान का नंबर तीसरे स्थान पर आता है। इराक और सऊदी अरब से तेल की आपूर्ति सबसे अधिक होती है। जाहिर है, भारत के लिए तेहरान खासा महत्व रखता है।
प्रतिबंध के बाद क्यों आती है दिक्कत
दरअसल, अमेरिकी प्रतिबंध के बाद ईरान में परियोजनाओं के लिए फंड जुटाने या फिर उन परियोजनाओं के लिए बीमा करवाने या अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग व्यवस्था के जरिए फंड भेजना मुश्किल हो जाता है। पिछली बार भी ऐसा ही हुआ था। लेकिन अगर यूरोपीय देशों ने ईरान के साथ अपने संबंध बनाए रखे तो भारत इनकी बैंकिंग व्यवस्था और वित्तीय एजेंसियों के जरिए अपना कारोबार सामान्य तौर पर कर सकता है। भारत इस समय ईरान के चाबहार में बंदरगाह बना रहा है। साथ ही चाबहार से अफगानिस्तान के बीच राजमार्ग और रेलवे लाइन का भी निर्माण कर रहा है। इसके अलावा भारत ईरान से तेल भी खरीदता है जिसके भुगतान के लिए उसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियों की दरकार होती है।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को देवास के सोनकच्छ के ग्राम पीपलरांवा से एक करोड़ 27 लाख लाड़ली बहनों के खाते में 1553 करोड़ रूपए, 56 लाख सामाजिक सुरक्षा पेंशन हितग्राहियों के खाते में 337 करोड़ रूपए और 81 लाख किसानों के खाते में 1624 करोड़ रूपये सिंगल क्लिक से अंतरित किये। उन्होंने कार्यक्रम में 144.84 करोड़ रूपये लागत के 53 कार्यों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण भी किया।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास के नए दौर में प्रवेश कर रहा है और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 इस बदलाव का सबसे बड़ा प्रमाण बनेगी। पहली बार राजधानी भोपाल में हो रहे इस आयोजन को लेकर यह न सिर्फ एक निवेश सम्मेलन है, अपितु भोपाल को औद्योगिक राजधानी के रूप में स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राजधानी के पास पहले से ही औद्योगिक विकास के लिए मजबूत आधार मौजूद है। जीआईएस-2025 से भोपाल का प्रमुख औद्योगिक केंद्र बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ेगा।
नई दिल्ली। चंद्रयान-3 ने बुधवार को चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफल लैंडिंग के साथ ही भारत (India) ने इतिहास रच दिया है। चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान उतारने वाला भारत पूरी दुनिया में पहला देश बन गया है। अब तक किसी भी देश ने ऐसा नहीं किया था।
भोपाल। केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इंदौर जिले के जानापाव में भगवान श्री परशुरामजी जन्म-स्थली में दर्शन और पूजन-अर्चन किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, इंदौर जिले के प्रभारी तथा प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, सांसद वी.डी. शर्मा, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, धार सांसद छतर सिंह दरबार ने भी दर्शन और पूजन-अर्चन किया।
भोपाल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि आयुष्मान कार्ड हर भारतीय के लिये अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी है। इस कार्ड में गरीबों के नि:शुल्क 5 लाख रूपये तक के इलाज की गारंटी है। हिन्दुस्तान में आपका कहीं भी स्वास्थ्य खराब हो, अस्पताल में जाकर यह कार्ड दिखा देना आपको 5 लाख रूपये तक का नि:शुल्क इलाज मिल जायेगा। गरीब की सबसे बड़ी चिंता बीमारी होती है और यह कार्ड आपके इलाज की गारंटी है।
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज शहडोल जिले के ग्राम पकरिया पहुँचे। प्रधानमंत्री ने ग्राम पकरिया में जनजातीय मुखियाओं, पेसा समितियों के सदस्यों, स्व-सहायता समूहों की लखपति दीदियों और फुटबॉल खिलाड़ियों से संवाद किया।
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से 5 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रधानमंत्री ने इनमें से तीन वंदे भारत ट्रेन को वर्चुअल माध्यम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रेन में यात्रा कर रहे बच्चों के साथ संवाद भी किया। बच्चों ने अपने प्रिय प्रधानमंत्री से खुलकर बातचीत की।
भोपाल। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि किसान अन्नदाता ही नहीं, भारत का भाग्य विधाता भी है। किसान के बेटों ने सीमाओं की रक्षा की है। भारत को ताकतवर बनाने के लिए किसानों को ताकतवर बनाना होगा। चाहे स्वतंत्रता की लड़ाई हो, वर्ष 1857 का संग्राम हो, चम्पारण का सत्याग्रह हो या गुजरात के बारडोली का आंदोलन, किसानों ने अंग्रेजों की चूल्हें हिला दी थीं। आज मध्यप्रदेश में इस किसान-कल्याण महाकुंभ में किसानों की बड़ी संख्या में उपस्थिति हर्षित करने वाली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में विकास और किसान, गरीब, बेटियों आदि सभी के लिये करिश्माई कार्य कर रहे हैं। वे जनता के लिये तहे दिल से कार्य कर रहे हैं। जनता उन्हें कितना अधिक प्यार करती है, यह आज मैं देख रहा हूँ।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना का लाभ लेकर बहनें मजबूत होंगी, वे अब मजबूर नहीं रहेंगी। योजना में प्रति माह 1000 रूपये की राशि देने के प्रावधान में संशोधन कर बहनों को क्रमश: बढ़ी हुई राशि का भुगतान किया जाएगा। आवश्यक वित्त व्यवस्था के फलस्वरूप योजना में 1000 रूपये के स्थान पर क्रमश: 1250 रुपए, इसके बाद 1500 रूपए, फिर 1750 रूपए, फिर 2 हजार रूपए और इसके बाद 2250 रुपए, 2500 रूपए और 2750 रूपए करते हुए राशि को 3 हजार रूपए तक बढ़ाया जाएगा।
इसी तरह योजना के लिए विवाहित पात्र बहन की आयु न्यूनतम 23 वर्ष के स्थान पर 21 वर्ष की जाएगी।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित सम्मेलन केंद्र में 'विकसित भारत @ 2047: टीम इंडिया की भूमिका' पर नीति आयोग की शासी परिषद की 8वीं बैठक में शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक की अध्यक्षता की। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, पदेन सदस्य के रूप में केंद्रीय मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।