नई दिल्ली: तीन तलाक को पूरी तरह खत्म करने के लिए मोदी सरकार अब कड़ा कदम उठाने वाली है. सूत्रों के मुताबिक दिसंबर में तीन तलाक खत्म करने के लिए संसद के शीत सत्र में बिल लाया जाएगा. बिल तैयार करने के लिए एक मंत्रिमंडलीय समिति बनाई गई है.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 22 अगस्त को एक बार तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को अवैध घोषित कर दिया था. लेकिन अभी भी कई ऐसी खबरें आई हैं जहां एक झटके में तीन तलाक दिया गया था. ऐसा एक मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से आया था.
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने कहा है कि हम पहले बिल दिखेंगे, उसके बाद ही समर्थन का फैसला करेंगे.
शादी खत्म करने के क्या तरीके हैं?
इस्लाम में शादी खत्म करने के चार तरीके हैं. तलाक, तफवीज़-ए-तलाक़, खुलअ और फ़स्ख़-ए-निकाह. शादी तोड़ने के लिए तलाक का अधिकार मर्दों को है तो इसी तरह शादी को खत्म करने के लिए तफवीज़-ए-तलाक़, खुलअ और फ़स्ख़-ए-निकाह का अधिकार औरतों को है. तलाक की बात विस्तार से बाद में करते हैं उससे पहले तफवीज़-ए-तलाक़, खुलअ और फ़स्ख़-ए-निकाह के बारे में जानते हैं.
तफवीज़-ए-तलाक़
मियां-बीवी के जुदा होने का ये एक तरीका है. इस तरीके के तहत शादी तोड़ने का अधिकार औरत को है. इसमें मर्द तलाक देने का अपना अधिकार बीवी के सुपुर्द कर देता है. लेकिन इसमें एक पेंच है. ये तभी मुमकिन है जब मर्द ने औरत को ये अधिकार दिए हों. मर्द कभी भी ये हक औरत को दे सकता है. निकाह के वक़्त या निकाह के बाद इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट है ऐसे में निकाह के वक़्त कॉन्ट्रैक्ट पेपर में भी इस अधिकार को दर्ज किया जा सकता है. जिन मर्दों ने अभी तक अपनी बीवी को ये अधिकार नहीं दिया है वो अब भी दे सकते हैं. चाहे शादी कितनी पुरानी क्यों न हो?
ख़ुलअ
शादी तोड़ने का ये भी एक तरीका है और इसका भी हक महिलाओं को है. अगर औरत को लगता है कि वो शादीशुदा जिंदगी की जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर सकती है या मर्द के साथ उसका निबाह नहीं हो सकता है तो वो अलग होने का फैसला कर सकती है. इसके लिए औरत को महर (निकाह के वक़्त शौहर की तरफ से दी गई रक़म) वापस देनी होगी. और उसके बदले मर्द उसे तलाक दे देगा. यहां भी एक पेंच है अगर मर्द राजी नहीं हुआ तो खुलअ नहीं हो पाएगा. अगर खुलअ की मदद से औरत शादी तोड़ने में नाकाम रह जाती है तो फ़स्ख़-ए-निकाह का रास्ता अख्तियार कर सकती है.
फ़स्ख़-ए-निकाह
इसके लिए औरत को इस्लामी अदालत या मुस्लिम काज़ी की मदद लेनी होगी. इस तरीके में औरत को काजी के सामने निकाह तोड़ने की मुनासिब वजहें साबित करने होगी. जैसे मर्द नामर्द है, खाना खर्चा नहीं देता. बुरा बर्ताव करता है, शौहर लापता है, पागल हो गया है आदि… काज़ी मामले की जांच पड़ताल करेगा. अगर काज़ी को लगता है कि वजहें सही हैं तो वो खुद ही औरत का निकाह खत्म कर देगा.
तलाक़
तलाक़ का अधिकार मर्द को है और सारा झगड़ा इसी को लेकर है. हालांकि, तलाक देने का तरीका बहुत ही साफ है. तलाक के तीन स्टेज हैं. तलाक-ए-रजई, तलाक-ए-बाइन और तलाक-ए-मुगल्लज़ा.
तलाक-ए-रजई
ये तलाक का पहला स्टेज है. इस्लाम का हुक्म है कि अगर कोई मर्द अपनी बीवी को छोड़ना चाहता है तो पहले वो एक तलाक दे. ये तलाक भी माहवारी के समय न दे, बल्कि महिला अगर माहवारी में है तो उसके खत्म होने का इंतजार करे. पहला तलाक देने के बाद अगले एक महीना तक दोनों सोचते रहें. और इस दौरान राय बदल गई तो मर्द अपने तलाक को वापस लेकर अपनी बीवी के साथ रह सकता है और अगर तलाक वापस नहीं लिया तो दूसरे महीने पति को दूसरा तलाक देना होगा. दूसरे महीने भी मर्द को ये अख्तियार है कि वो तलाक को वापस ले सकता है. इसिलए इसे तलाक-ए-रजई यानी लौटा लेने के हैं.
तलाक-ए-बाइन
ये तलाक का दूसरा स्टेज है. अगर शुरुआती दो महीनों में मर्द ने तलाक वापस नहीं लिया और तीसरा महीना शुरू हो गया तो अब तलाक पड़ गई. इसको तलाक-ए-बाइन कहा जाता है. इस तलाक के बाद भी पति-पत्नी साथ आ सकते हैं, लेकिन इसके लिए पति के चाहने के बावजूद अब पत्नी का राजी होना जरूरी है. अगर दोनों राजी होंगे तो दोबारा निकाह होगा और फिर शौहर-बीवी बने रह सकते हैं.
तलाक-ए-मुगल्लज़ा
ये तलाक का आखिरी स्टेज है. तीसरे महीने में अगर मर्द ने ये कहा कि मैं तुमको तीसरी बार तलाक देता हूं, ऐसा कहने के बाद आखिरी तलाक भी पड़ गई. इसे तलाक-ए-मुगल्लज़ा कहते हैं. अब इसके बाद दोनों के बीच निकाह नहीं हो सकता है.
क्या तलाक देने का सिर्फ यही तरीका है?
जवाब है, जी नहीं. इस्लामी समाज में तलाक देने के तीन तरीके चलन में हैं. तलाक-ए-हसन, तलाक-ए-अहसन और तलाक-ए-बिद्अत. और यहीं से झगड़ें की वजहें पनपती हैं. दरअसल एक साथ तलाक, तलाक, तलाक का मामला तलाक-ए-बिद्अत की पैदावार है. मुसलमानों के बीच तलाक-ए-बिद्अत का ये झगड़ा 1400 साल पुराना है, जबकि भारत में मुस्लिम पर्सनल के झगड़े की नींव 1765 में पड़ी.
तीन तलाक यानि तलाक-ए-बिद्अत क्या है?
तलाक-ए-हसन और तलाक-ए-अहसन यानी तलाक देने के सही तरीके पर सबको शिया-सुन्नी को इत्तेफाक है. तकरार तलाक-ए-बिद्अत पर है. शिया और सुन्नी का वहाबी समूह अहल-ए-हदीस तलाक-ए-बिद्अत को नहीं मानता. तलाक-ए-बिद्अत ये है कि अगर कोई मर्द तलाक के सही तरीके की नाफरमानी करते हुए भी एक ही बार में तलाक, तलाक और तलाक कह देता है तो तीन तलाक मान लिया जाएगा, यानि तलाक-ए-मुगल्लज़ा हो गई. अब पति-पत्नी साथ नहीं रह सकते. दोबारा शादी नहीं हो सकती, समझौता नहीं हो सकता. तलाक वापस नहीं लिया जा सकता… चाहे मर्द ने गुस्से में ही तीन तलाक क्यों नहीं दिया हो.
दुनिया में सुन्नी मुसलमानों के चार स्कूल ऑफ थॉट हैं और ये चारों स्कूल तलाक-ए-बिद्अत पर अमल करते हैं. भारत सबसे बड़े स्कूल ऑफ थॉट हनफी स्कूल का केंद्र है. यहां मुसलमानों की करीब 90 फीसदी आबादी सुन्नी है और वो चाहें सूफी हों या देवबंदी या बरेलवी.. ये सभी हनफी स्कूल को फॉलो करते हैं यानि तीन तलाक को मानते हैं. भारत में अहल-ए-हदीस नमक में आटे के बराबर हैं.
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को देवास के सोनकच्छ के ग्राम पीपलरांवा से एक करोड़ 27 लाख लाड़ली बहनों के खाते में 1553 करोड़ रूपए, 56 लाख सामाजिक सुरक्षा पेंशन हितग्राहियों के खाते में 337 करोड़ रूपए और 81 लाख किसानों के खाते में 1624 करोड़ रूपये सिंगल क्लिक से अंतरित किये। उन्होंने कार्यक्रम में 144.84 करोड़ रूपये लागत के 53 कार्यों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण भी किया।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास के नए दौर में प्रवेश कर रहा है और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 इस बदलाव का सबसे बड़ा प्रमाण बनेगी। पहली बार राजधानी भोपाल में हो रहे इस आयोजन को लेकर यह न सिर्फ एक निवेश सम्मेलन है, अपितु भोपाल को औद्योगिक राजधानी के रूप में स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राजधानी के पास पहले से ही औद्योगिक विकास के लिए मजबूत आधार मौजूद है। जीआईएस-2025 से भोपाल का प्रमुख औद्योगिक केंद्र बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ेगा।
नई दिल्ली। चंद्रयान-3 ने बुधवार को चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफल लैंडिंग के साथ ही भारत (India) ने इतिहास रच दिया है। चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान उतारने वाला भारत पूरी दुनिया में पहला देश बन गया है। अब तक किसी भी देश ने ऐसा नहीं किया था।
भोपाल। केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इंदौर जिले के जानापाव में भगवान श्री परशुरामजी जन्म-स्थली में दर्शन और पूजन-अर्चन किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, इंदौर जिले के प्रभारी तथा प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, सांसद वी.डी. शर्मा, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, धार सांसद छतर सिंह दरबार ने भी दर्शन और पूजन-अर्चन किया।
भोपाल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि आयुष्मान कार्ड हर भारतीय के लिये अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी है। इस कार्ड में गरीबों के नि:शुल्क 5 लाख रूपये तक के इलाज की गारंटी है। हिन्दुस्तान में आपका कहीं भी स्वास्थ्य खराब हो, अस्पताल में जाकर यह कार्ड दिखा देना आपको 5 लाख रूपये तक का नि:शुल्क इलाज मिल जायेगा। गरीब की सबसे बड़ी चिंता बीमारी होती है और यह कार्ड आपके इलाज की गारंटी है।
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज शहडोल जिले के ग्राम पकरिया पहुँचे। प्रधानमंत्री ने ग्राम पकरिया में जनजातीय मुखियाओं, पेसा समितियों के सदस्यों, स्व-सहायता समूहों की लखपति दीदियों और फुटबॉल खिलाड़ियों से संवाद किया।
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से 5 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रधानमंत्री ने इनमें से तीन वंदे भारत ट्रेन को वर्चुअल माध्यम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रेन में यात्रा कर रहे बच्चों के साथ संवाद भी किया। बच्चों ने अपने प्रिय प्रधानमंत्री से खुलकर बातचीत की।
भोपाल। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि किसान अन्नदाता ही नहीं, भारत का भाग्य विधाता भी है। किसान के बेटों ने सीमाओं की रक्षा की है। भारत को ताकतवर बनाने के लिए किसानों को ताकतवर बनाना होगा। चाहे स्वतंत्रता की लड़ाई हो, वर्ष 1857 का संग्राम हो, चम्पारण का सत्याग्रह हो या गुजरात के बारडोली का आंदोलन, किसानों ने अंग्रेजों की चूल्हें हिला दी थीं। आज मध्यप्रदेश में इस किसान-कल्याण महाकुंभ में किसानों की बड़ी संख्या में उपस्थिति हर्षित करने वाली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में विकास और किसान, गरीब, बेटियों आदि सभी के लिये करिश्माई कार्य कर रहे हैं। वे जनता के लिये तहे दिल से कार्य कर रहे हैं। जनता उन्हें कितना अधिक प्यार करती है, यह आज मैं देख रहा हूँ।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना का लाभ लेकर बहनें मजबूत होंगी, वे अब मजबूर नहीं रहेंगी। योजना में प्रति माह 1000 रूपये की राशि देने के प्रावधान में संशोधन कर बहनों को क्रमश: बढ़ी हुई राशि का भुगतान किया जाएगा। आवश्यक वित्त व्यवस्था के फलस्वरूप योजना में 1000 रूपये के स्थान पर क्रमश: 1250 रुपए, इसके बाद 1500 रूपए, फिर 1750 रूपए, फिर 2 हजार रूपए और इसके बाद 2250 रुपए, 2500 रूपए और 2750 रूपए करते हुए राशि को 3 हजार रूपए तक बढ़ाया जाएगा।
इसी तरह योजना के लिए विवाहित पात्र बहन की आयु न्यूनतम 23 वर्ष के स्थान पर 21 वर्ष की जाएगी।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित सम्मेलन केंद्र में 'विकसित भारत @ 2047: टीम इंडिया की भूमिका' पर नीति आयोग की शासी परिषद की 8वीं बैठक में शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक की अध्यक्षता की। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, पदेन सदस्य के रूप में केंद्रीय मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।