लानत है। अगर मैं अपने पिछड़े वर्ग की बात सदन में नहीं रख सकती तो मुझे सदन में रहने का अधिकार नहीं है।' यह बात बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा में कही। बता दें कि संसद का मानसून सत्र सोमवार को ही शुरू हुआ था और आज संसद का पहला कार्यदिवस है। मायावती ने कहा- उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा है, इसलिए उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा देने का फैसला किया है।
मंगलवार को मायावती ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सहारनपुर व उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ हिंसा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, सहारनपुर में साजिश के तहत हिंसा हुई। उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार हो रहा है। मायावती ने इस मुद्दे पर राज्यसभा से वॉकआउट किया और कांग्रेस ने इस काम में उनका साथ दिया। उधर भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मायावती के इस कृत्य को साल की शुरुआत में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में मिली हार की हताशा करार दिया। उन्होंने तो यहां तक कहा कि इस्तीफे की धमकी देकर उन्होंने चेयरमैन का अपमान किया और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।
मायावती के लिए आगे का रास्ता क्या?
इस्तीफे की बात कहकर मायावती ने राज्यसभा से वॉकआउट तो कर लिया, अगर वह इस्तीफा दे देती हैं तो फिर उनके लिए आगे का रास्ता क्या है? बता दें कि राज्यसभा में उनका कार्यकाल 2 अप्रैल 2018 तक है। यूपी में उनकी पार्टी के पास सिर्फ 19 सीटें हैं, इसलिए वह 2018 में भी दोबारा चुनकर राज्यसभा नहीं पहुंच सकतीं। वॉकआउट में मायावती का साथ देने वाली कांग्रेस ने अगर उन्हें समर्थन दिया तभी वह अगले साल उच्च सदन में पहुंच पाएंगी। लोकसभा में पार्टी का सूपड़ा साफ पहले ही हो चुका है। ऐसे में इस्तीफे के बाद उनके पास उत्तर प्रदेश में पार्टी के पुराने जनाधार को एक बार फिर से अपने पक्ष में लाने का ही काम रह जाएगा। ऐसे में वह 2019 लोकसभा और 2022 विधानसभा चुनाव के लिए अच्छे से तैयारी कर सकती हैं।
जानकार की राय
मायावती इस्तीफा दे देंगी। उन्होंने कहा, 'मायावती से जो दलित वोट बैंक खिसक गया है उसे वापस पाने के लिए मायावती यह कर रही हैं।' मायावती सहारनपुर का नाम लेकर राज्यसभा से इस्तीफा देने की बात कह रही हैं। लेकिन प्रदीप सिंह सवाल उठाते हैं कि इस घटना को दो महीने गुजर चुके हैं, मायावती ने दलित समाज के लिए क्या किया? क्या उन्होंने कोई आंदोलन खड़ा करने की कोशिश की? क्या उन्होंने इस मुद्दे पर दलितों के साथ बात की? नहीं! यह पूरी तरह से उनका राजनीतिक स्टंट है।
अप्रैल 2018 में यूपी के ये नेता होंगे राज्यसभा से रिटायर
नरेश अग्रवाल (सपा)
मुंजाद अली (बसपा)
जया बच्चन (सपा)
विनय कटियार (भाजपा)
मायावती (बसपा)
किरणमय नंदा (सपा)
चौधरी मुन्ववार सलीम (सपा)
आलोक तिवारी (सपा)
प्रमोद तिवारी (कांग्रेस)
दर्शन सिंह यादव (सपा)
दलित वोटों के लिए मायावती का मास्टर स्ट्रोक
मायावती का आरोप है कि यूपी में दलितों के खिलाफ अत्याचार हो रहा है। अगर वह इस मुद्दे को लेकर इस्तीफा दे देती हैं तो यह उनका मास्टर स्ट्रोक भी साबित हो सकता है। क्योंकि उनका कार्यकाल पूरा होने में अब करीब 9 महीने बचे हैं। अगर वह अपना कार्यकाल पूरा भी करती हैं तो उनके पास राज्य में इतने भी विधायक नहीं हैं कि वह दोबारा चुनकर संसद के उच्च सदन में पहुंच सकें। ऐसे में दलितों के खिलाफ अत्याचार के मुद्दे पर कुर्बानी देकर वह पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उनसे छिटके दलित वोटों को एक बार फिर से अपनी झोली में लाने की कोशिश कर सकती हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा एक भी सीट नहीं जीत पायी थी, जबकि विधानसभा चुनाव में उसकी झोली में सिर्फ 19 सीटें आयीं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिहाज से मायावती अगर दलित वोटों को एकजुट करने के लिए इस्तीफे की अपनी बात पर कायम रहती हैं तो यह उनका मास्टर स्ट्रोक भी साबित हो सकता है। वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह का कहना है कि यह मास्टरस्ट्रोक भी तभी साबित हो सकता है, जब वह दलित समाज को यह समझाने में कामयाब रहीं कि उन्होंने उनके लिए कुर्बानी दी।
मायावती की राजनीति
मायावती की राजनीति के केंद्र में हमेशा दलित ही रहे हैं। दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों को लंबे वक्त तक मायावती के रूप में अपना एक प्रतिनिधि दिखता रहा। लेकिन जिस तरह से मायावती ने उत्तर प्रदेश की सत्ता में रहते हुए खुद के, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, कांशीराम और हाथी के स्टैच्यू राज्यभर में लगवाए उससे वह आम जनता से कटती चली गईं। इसके अलावा उनके ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने भी मायावती के कद को कम किया। जिस दलित की राजनीति मायावती करती रही हैं, वह कहीं पीछे छूट गया और मायावती के लिए दलित की नहीं दौलत की देवी जैसे शब्द इस्तेमाल होने लगे। कभी दलितों के वोट हासिल करने के लिए मायावती और उनके राजनीतिक गुरु कांशीराम ने 'तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार' जैसे नारे दिए तो बाद में मायावती ने सर्व समाज को साथ जोड़ने के लिए 'हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा-विष्णु-महेश है' और 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' जैसे नारे भी बुलंद किए। लेकिन मायावती से धीरे-धीरे दलित जनाधार खिसकता चला गया और अगड़ी जातियां मायावती के पुराने तेवरों के चलते कभी उन्हें अपना नहीं पायीं।
मायावती और बसपा के दिन लद गए
वरिष्ठ प्रदीप सिंह का मानना है कि मायावती का राजनीति करियर अब ढलान पर है। 2007 में मायावती और बसपा अपने चरम पर थे, लेकिन इसके बाद उनका ढलान शुरू हो गया। वह कहते हैं कि अगर सत्ता में रहते हुए मायावती ने 2007-2012 के बीच दलितों और यूपी के लिए अच्छा काम किया होता तो जनता उनके साथ होती। 2012 में सत्ता से बाहर होने के बाद 2014 में जनता ने उन्हें बुरी तरह से हराया और पार्टी लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीती। 2017 में भी उनका वोटबैंक लौटकर नहीं आया और जिस तरह की राजनीति वह करती हैं, उसके लौटने की उम्मीद भी नहीं है।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को देवास के सोनकच्छ के ग्राम पीपलरांवा से एक करोड़ 27 लाख लाड़ली बहनों के खाते में 1553 करोड़ रूपए, 56 लाख सामाजिक सुरक्षा पेंशन हितग्राहियों के खाते में 337 करोड़ रूपए और 81 लाख किसानों के खाते में 1624 करोड़ रूपये सिंगल क्लिक से अंतरित किये। उन्होंने कार्यक्रम में 144.84 करोड़ रूपये लागत के 53 कार्यों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण भी किया।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास के नए दौर में प्रवेश कर रहा है और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 इस बदलाव का सबसे बड़ा प्रमाण बनेगी। पहली बार राजधानी भोपाल में हो रहे इस आयोजन को लेकर यह न सिर्फ एक निवेश सम्मेलन है, अपितु भोपाल को औद्योगिक राजधानी के रूप में स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राजधानी के पास पहले से ही औद्योगिक विकास के लिए मजबूत आधार मौजूद है। जीआईएस-2025 से भोपाल का प्रमुख औद्योगिक केंद्र बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ेगा।
नई दिल्ली। चंद्रयान-3 ने बुधवार को चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफल लैंडिंग के साथ ही भारत (India) ने इतिहास रच दिया है। चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान उतारने वाला भारत पूरी दुनिया में पहला देश बन गया है। अब तक किसी भी देश ने ऐसा नहीं किया था।
भोपाल। केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इंदौर जिले के जानापाव में भगवान श्री परशुरामजी जन्म-स्थली में दर्शन और पूजन-अर्चन किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, इंदौर जिले के प्रभारी तथा प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, सांसद वी.डी. शर्मा, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, धार सांसद छतर सिंह दरबार ने भी दर्शन और पूजन-अर्चन किया।
भोपाल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि आयुष्मान कार्ड हर भारतीय के लिये अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी है। इस कार्ड में गरीबों के नि:शुल्क 5 लाख रूपये तक के इलाज की गारंटी है। हिन्दुस्तान में आपका कहीं भी स्वास्थ्य खराब हो, अस्पताल में जाकर यह कार्ड दिखा देना आपको 5 लाख रूपये तक का नि:शुल्क इलाज मिल जायेगा। गरीब की सबसे बड़ी चिंता बीमारी होती है और यह कार्ड आपके इलाज की गारंटी है।
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज शहडोल जिले के ग्राम पकरिया पहुँचे। प्रधानमंत्री ने ग्राम पकरिया में जनजातीय मुखियाओं, पेसा समितियों के सदस्यों, स्व-सहायता समूहों की लखपति दीदियों और फुटबॉल खिलाड़ियों से संवाद किया।
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से 5 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रधानमंत्री ने इनमें से तीन वंदे भारत ट्रेन को वर्चुअल माध्यम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रेन में यात्रा कर रहे बच्चों के साथ संवाद भी किया। बच्चों ने अपने प्रिय प्रधानमंत्री से खुलकर बातचीत की।
भोपाल। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि किसान अन्नदाता ही नहीं, भारत का भाग्य विधाता भी है। किसान के बेटों ने सीमाओं की रक्षा की है। भारत को ताकतवर बनाने के लिए किसानों को ताकतवर बनाना होगा। चाहे स्वतंत्रता की लड़ाई हो, वर्ष 1857 का संग्राम हो, चम्पारण का सत्याग्रह हो या गुजरात के बारडोली का आंदोलन, किसानों ने अंग्रेजों की चूल्हें हिला दी थीं। आज मध्यप्रदेश में इस किसान-कल्याण महाकुंभ में किसानों की बड़ी संख्या में उपस्थिति हर्षित करने वाली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में विकास और किसान, गरीब, बेटियों आदि सभी के लिये करिश्माई कार्य कर रहे हैं। वे जनता के लिये तहे दिल से कार्य कर रहे हैं। जनता उन्हें कितना अधिक प्यार करती है, यह आज मैं देख रहा हूँ।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना का लाभ लेकर बहनें मजबूत होंगी, वे अब मजबूर नहीं रहेंगी। योजना में प्रति माह 1000 रूपये की राशि देने के प्रावधान में संशोधन कर बहनों को क्रमश: बढ़ी हुई राशि का भुगतान किया जाएगा। आवश्यक वित्त व्यवस्था के फलस्वरूप योजना में 1000 रूपये के स्थान पर क्रमश: 1250 रुपए, इसके बाद 1500 रूपए, फिर 1750 रूपए, फिर 2 हजार रूपए और इसके बाद 2250 रुपए, 2500 रूपए और 2750 रूपए करते हुए राशि को 3 हजार रूपए तक बढ़ाया जाएगा।
इसी तरह योजना के लिए विवाहित पात्र बहन की आयु न्यूनतम 23 वर्ष के स्थान पर 21 वर्ष की जाएगी।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित सम्मेलन केंद्र में 'विकसित भारत @ 2047: टीम इंडिया की भूमिका' पर नीति आयोग की शासी परिषद की 8वीं बैठक में शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक की अध्यक्षता की। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, पदेन सदस्य के रूप में केंद्रीय मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।