80 हजार करोड़ से 8 हजार करोड़ तक, ऐसे बर्बादी की ओर बढ़ा YES बैंक

कुछ साल पहले जब भी देश के चर्चित निजी बैंकों की बात होती थी तो उसमें यस बैंक का भी नाम आता था. करीब 15 साल पहले शुरू हुआ यह बैंक आज संकट के दौर से गुजर रहा है. यस बैंक की बदहाली इतनी बढ़ गई है कि सिर्फ एक साल में इसके निवेशकों को 90 फीसदी से अधिक का नुकसान हो गया है.

अगस्‍त 2018 में यस बैंक का जो शेयर 400 रुपये से अधिक के भाव पर बिक रहा था वो आज लुढ़क कर 32 रुपये के स्‍तर पर है. इसका असर बैंक की मार्केट वैल्‍यू पर भी पड़ा है और यस बैंक का मार्केट कैप आज 8,161 करोड़ रुपये पर ठहर गया है. वहीं सितंबर 2018 में यस बैंक का मार्केट कैप करीब 80 हजार करोड़ रुपये था. यानी बैंक के मार्केट कैप में 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कमी आई है.

उदाहरण से समझें

मान लीजिए कि अगस्‍त 2018 में सुधीर ने यस बैंक के तब के भाव 404 रुपये पर 10 शेयर खरीद लिए. यानी इन 10 शेयर के लिए सुधीर ने 4040 रुपये निवेश किए. अब 13 महीने बाद आज ये 10 शेयर लुढ़क कर 320 रुपये के हो गए हैं. इसका मतलब यह हुआ कि सुधीर को सिर्फ 13 महीने में 3,720 रुपये का नुकसान हुआ है.‬ वहीं प्रति शेयर उसने 372 रुपये गंवा दिए हैं. कहने का मतलब ये है कि जिस निवेशक ने यस बैंक में 1 लाख रुपये भी निवेश किए होंगे उनकी करीब 90 फीसदी पूंजी डूब चुकी है.

बैंक का मुनाफा और एनपीए

यस बैंक के नेट प्रॉफिट यानी मुनाफे की बात करें तो बीते एक वित्त वर्ष में ‭2,505‬ करोड़ रुपये कम हुआ है. वित्त वर्ष 2019 में यस बैंक का नेट प्रॉफिट 1720 करोड़ रुपये का था.

इससे पहले बैंक का वित्त वर्ष 2018 में नेट प्रॉफिट 4,225 करोड़ रुपये था. वहीं अगर नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए की बात करें तो नेट और ग्रॉस दोनों में ही इजाफा हुआ है.

क्‍यों यस बैंक की हुई ये हालत?

- बीते कुछ सालों में यस बैंक को एक के बाद एक झटके लगे हैं. इसमें सबसे बड़ा झटका रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई की ओर से दिया गया. दरअसल, बीते साल आरबीआई को लगा कि यस बैंक अपने डूबे हुए कर्ज (एनपीए) और बैलेंसशीट में कुछ गड़बड़ी कर रहा है. आरोप के मुताबिक आरबीआई को यस बैंक सही-सही जानकारी नहीं दे रहा था.

- इसका नतीजा ये हुआ कि आरबीआई ने यस बैंक के चेयरमैन राणा कपूर को पद से जबरन हटा दिया. बैंक के इतिहास में पहली बार था जब किसी चेयरमैन को इस तरह से चेयरमैन पद से हटाया गया. इसके अलावा आरबीआई ने बैंक पर कई पाबंदियां लगा दी हैं.

- हाल ही में आरबीआई ने एक अन्‍य कार्रवाई में बैंक पर स्विफ्ट मैसेजिंग सॉफ्टवेयर से जुड़े दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं करने को लेकर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.

- यस बैंक को क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के मोर्चे पर भी झटका लगा. दरअसल, क्‍यूआईपी के जरिए बैंक का जो फंड जुटाने का लक्ष्‍य रखा था वो पूरा नहीं हो सका. बैंक ने क्यूआईपी के जरिए 1,930 करोड़ रुपये जुटाए थे. बता दें कि क्‍यूआईपी, कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने का एक जरिया होता है.  

- इस माहौल में दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियां बैंक को संदिग्‍ध नजर से देख रही हैं और निगेटिव मार्किंग कर रही हैं. इसी के तहत बीते अगस्‍त में रेटिंग्स एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने यस बैंक को डाउनग्रेड करके जंक वर्ग में डाल दिया. इसके साथ ही एजेंसी ने बैंक के उम्मीद से कम पूंजी जुटाने और आने वाले समय में पूंजी जुटाने की उसकी क्षमता को लेकर चिंता जताई है.

-  यस बैंक के मैनेजमेंट में उठा-पटक का असर भी बैंक के शेयर पर पड़ा है. इस वजह से लंबे समय से अनिश्चिचता का माहौल बना हुआ है. हालांकि बैंक की ओर से समय-समय पर मैनेजमेंट में किसी तरह के गतिरोध की आशंका खारिज की जाती रही है.

- यस बैंक की बदहाली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले दुनिया के टॉप-10 बैंकों की सूची में शामिल हो गया है. बीते अगस्‍त महीने में ब्‍लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया कि टॉप 10 बैंकों में 7 सिर्फ भारत के बैंक हैं. इनमें एक यस बैंक है.

बैंक के प्रमोटर बेच रहे हिस्‍सेदारी

यस बैंक की इस बदहाली के बीच बैंक के प्रमोटर लगातार अपनी हिस्‍सेदारी बेच रहे हैं. हाल ही में राणा कपूर और उसकी समूह इकाइयों ने अपनी 2.16 फीसदी हिस्सेदारी 510 करोड़ रुपये में बेच दी है. बैंक की ओर से शेयर बाजार को दी गई जानकारी के मुताबिक राणा कपूर और उनके परिवार के मालिकाना हक वाली इकाइयों -- यस कैपिटल (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड और मॉर्गन क्रेडिट्स प्राइवेट लिमिटेड ने इन शेयरों की बिक्री कर 510.06 करोड़ रुपये हासिल किये. इस बिक्री के बाद कपूर और उनके समूह इकाइयों की यस बैंक में हिस्सेदारी घटकर 4.72 फीसदी रह गई.

इससे पहले यस कैपिटल ने पिछले सप्ताह 1.8 फीसदी हिस्सेदारी बेची थी. बैंक के मुताबिक इस हिस्सेदारी बिक्री से उसे 240 करोड़ रुपये मिले. इससे पहले पिछले महीने मोर्गन क्रेडिट्स ने बैंक में अपनी 2.3 फीसदी हिस्सेदारी 337 करोड़ रुपये में बेची थी. इस हिस्‍सेदारी की बिक्री से हासिल राशि से रिलायंस निप्पॉन लाइफ एएमसी के बकाये के एक हिस्से का भुगतान किया गया.

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