जानें क्या है शुभ मुहूर्त
इस वर्ष दशमी की शुभ तिथि 19 अक्टूबर 2018 शुक्रवार को पड़ रही है जो कि उदिया तिथि में 5 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। अश्वनि मास शुक्ल पक्ष की दशमी को विजय मुहूर्त का अत्याधिक महत्व माना जाता है। इस वर्ष विजय मुहूर्त 1 बज कर 54 मिनट से 2 बज कर 3 मिनट तक रहेगा। इस दिन सूर्योदय से रात्रि में 3 बजकर 42 मिनट तक धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। वहीं सूर्योदय काल से 10 बजकर 24 मिनट तक शूल योग होगा। दशहरे या विजया दशमी को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है आैर इस दिन सभी शुभ कार्य बिना तिथि का विचार किए किए जा सकते हैं। इस दिन नए उ़योग का आरंभ करना, संपत्ति खरीदना आैर बही पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसी दिन आयुध पूजा होती है। पांडवों से जुड़ी विराट राज्य की विजय की कथा के कारण इस दिन शमी वृक्ष की भी पूजा की जाती है।
क्यों कहते हैं दशहरा आैर विजया दशमी
इस त्योहार को देवी दुर्गा के एक नाम विजया पर विजयादशमी भी कहते हैं। राम कथा के अनुसार इसी दिन श्री राम रावण का वध करने के बाद चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या पहुचे थे। इसलिए भी इस दिन को विजयादशमी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार अश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय विजय नामक मुहूर्त होता है। इस काल सर्वकार्य सिद्धिदायक माना जाता है इस वजह से भी इसे विजयादशमी कहते हैं। इसीलिए शत्रु पर विजय पाने के लिए इसी समय प्रस्थान करने के लिए कहा जाता है। इस दिन श्रवण नक्षत्र का योग अत्यंत शुभ माना जाता है।
श्री राम आैर देवी दुर्गा को सर्मपित
दशहरा भारतीयों का एक प्रमुख त्योहार है, जो अश्विन, जिसे क्वार मास भी कहते हैं, के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को होता है। एक आेर जहां श्री राम ने इस दिन रावण का वध किया था, वहीं दूसरी आेर देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसी के चलते इसे असत्य पर सत्य की विजय के उत्सव के रूप में मनाया जाता है, आैर इसे विजयादशमी कहते हैं। दशहरे को चैत्र शुक्ल पक्ष आैर कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा की तरह वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक माना जाता है। अत इस दिन बिना विचारे पारिवारिक शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
दशहरा पूजन की विशेष बातें
दशहरे पर लोग शस्त्र-पूजा करते हैं, साथ ही नया कार्य भी प्रारम्भ कर सकते हैं। जिनमें अक्षर लेखन आरम्भ, नया उद्योग शुरू करना, आैर खेतों में बीज बोना आदि शामिल हैं। मान्यता है कि इस दिन जो कार्य शुरू किया जाता है उसमें सफलता अवश्य मिलती है। यही वजह है कि प्राचीन काल में राजा इसी दिन विजय की कामना से रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं, रामलीला का आयोजन होता है आैर रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। ये दिन चाहे श्री राम की विजय के रूप में मनाया जाए या दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही तरह से इसे शक्ति पूजा का पर्व माना जाता है आैर, इसीलिए शस्त्र पूजन किया जाता है। यह हर्ष और उल्लास आैर वीरता उत्सव होता है। दशहरा दस प्रकार के पापों काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी का नाश करता है।
Hanuman Jayanti 2023 Upay : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 6 अप्रैल 2023, गुरुवार (Hanuman Jayanti 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से साधकों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सभी नौ ग्रह सही समय पर राशि चक्र में गोचर करते हैं। अन्य ग्रहों के साथ युति भी बनाते हैं। इन ग्रहों के गोचर और युति से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इस समय शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में है। कुंभ में सूर्य देव भी हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति और शुक्र मीन राशि में युति कर रहे हैं। इस प्रकार इन ग्रहों की स्थिति पंच महायोग बना रही है। 19 फरवरी से केदार योग, शंख योग, शश योग, ज्येष्ठ योग और सर्वार्थसिद्धि योग बना है। 5 महायोगों का दुर्लभ संयोग 700 साल बाद अपना प्रभाव दिखाएगा। कुछ राशियों पर इस योग का शुभ प्रभाव दिखाई देगा।
यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान है। आय से अधिक खर्च हो रहा है। कई बार प्रयास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। कारोबार को लेकर परेशान हैं या किसी रोग से पीड़ित हैं, तो हम आपको होलिका दहन के समय किए जाने वाले कुछ उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह उपाय सही दिन और सही समय पर किया जाए, तो नौकरी, शिक्षा, धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Shani Gochar 2023: शनिदेव 30 साल बाद कुंभ राशि में दोबारा से गोचर करने वाले हैं। ज्योतिष में शनि का गोचर हमेशा से ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सभी ग्रहों में शनि सबसे मंदगति से चलने वाले ग्रह हैं। ये एक से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब ढाई वर्षो का समय लेते हैं। इस वजह से किसी राशि पर इनका ज्यादा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है। 15 जनवरी को सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे फिर उसके दो दिन बाद यानी 17 जनवरी को शनिदेव भी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ये महायोग कई राशियों के जातकों के लिए जीवन में बड़े बदलाव लानेवाला है।
Surya Gochar 2023: इस महीने सूर्य और शनि का दुर्लभ संयोग होने वाला है। 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि, मकर राशि के स्वामी हैं। वहीं सूर्य को शनि का पिता माना जाता है। सूर्य के पास राज करने के अधिकार हैं, तो शनि को उनका सेवक माना जाता है। लेकिन शनि को कर्मफलदाता भी माना जाता है। ज्योतिष में इन दोनों के बीच शत्रुता कही गई है।
Astrology News: संपूर्ण ब्राह्मांड के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को गुरुवार का दिन समर्पित होता है। इस दिन यदि कोई जातक उनका व्रत रखता है एवं विशेष पूजा करता है तो उसे अपार धन लाभ होता है। विष्णु भगवान की पूजा से उसे लक्ष्मी माता की कृपा भी प्राप्त हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कुछ राशियों ऐसी भी जिन्हें भगवान विष्णु की कृपा से कभी धन की हानि का सामना नहीं करना पड़ता है। आइये जानते हैं उन राशियों के बारे में पूरी जानकारी।
Libra Yearly Horoscope 2023: इस वर्ष तुला राशि के जातकों को हर क्षेत्र में लाभ होने वाला है। साथ ही आकस्मिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। जनवरी की शुरूआत में परिवार में कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। जिसके कारण परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा। इस वर्ष आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है। पढ़िए सम्पूर्ण वार्षिक राशिफल।
अशोक के पत्तों का उपयोग धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है। अशोक के पत्ते बेहद शुभ माने जाते हैं। किसी भी शुभ अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर अशोक या आम के पत्तों से बनी माला अवश्य लटकाई जाती है। ऐसा करने के पीछे कई ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं। इसके पत्ते पूजा के कलश में भी रखे जाते हैं। ज्योतिष में अशोक के पत्तों के कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करके आप अपने जीवन की समस्त समस्याओं से पीछा छुड़ा सकते हैं।
Shani Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 17 जनवरी 2023 को स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे। मार्च 2025 तक कुंभ में ही रहेंगे। शनि के स्वराशि कुंभ में गोचर करते ही कुछ राशियों से शनि साढ़े साती और ढैय्या हट जाएगी। वहीं, कुंभ, मीन, मकर राशि के लिए कठिन समय शुरू हो जाएगा। सबसे ज्यादा मुश्किल समय 2023 से 2025 तक कुंभ राशि वालों के लिए रहेगा। इस दौरान तीनों राशि के जातकों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा और गुस्से पर नियंत्रण पाना होगा।
Garuda Purana: सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में कुछ ऐसी आदतों का जिक्र किया गया है। जिनका समय पर त्याग कर देना चाहिए। यदि इन आदतों को समय पर नहीं छोड़ा गया तो व्यक्ति कंगाल हो जाता है। कुछ ही समय में राजा से रंक बन जाता है। गरुड़ पुराण में वर्णित बातों का अनुसरण करने पर व्यक्ति अपने जीवन में सुखों का भोग करता है। जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं, जिनसे व्यक्ति को दूरी बनाने में ही भलाई है।