संवत 2076 की भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक इस साल ये 2 सितंबर यानी सोमवार को है। विनायक चतुर्थी अथवा गणेश चौथ के नामों से भी जाने जानी वाली गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को देखें तो ये 23 अगस्त को सुबह 8 बजकर 8 मिनट से 24 अगस्त को सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक है। कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, कन्हैया अष्टमी, कन्हैया आठे, श्रीकृष्ण जयंती नामों से भी जाना जाता है। पूरे देश के अतिरिक्त जन्माष्टमी बांग्लादेश के ढाकेश्वरी मंदिर व पाकिस्तान के कराची के स्वामीनारायण मंदिर में भी धूमधाम से मनाई जाती है।
श्रावण मास का आज अंतिम सोमवार है, इस दिन शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत भी है, जिससे इस दिन बेहद ही सुंदर योग बना है। श्रावण माह में सोम प्रदोष का होना भगवान शिव की प्रसन्नता का प्रतीक है। सोम प्रदोष में शिव आराधना करने से निर्धन को धन, नि:सन्तान को सन्तान की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव के प्रिय मास सावन का आज तीसरा सोमवार है, इस दिन आज नाग पंचमी का पर्व भी मनाया जा रहा है। सावन सोमवार के दिन नाग पंचमी के होने से अद्भुत योग बना है। नागराज वासुकी भगवान शिव के गले की शोभा बढ़ाते हैं, अत: इस दिन भगवान शिव की पूजा से नाग देव भी प्रसन्न होते हैं, इस दिन नागों की पूजा से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
आप सभी जानते ही हैं कि हरियाली तीज हिन्दुओं का मुख्य पर्व माना जाता है. वहीं इस दिन महिलाएं खूब खुश रहती हैं और अपने पति के लिए व्रत करती हैं. वहीं इस दिन अच्छे पति की कामना के लिए अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को रखती हैं और ऐसी मान्यता है कि हरियाली तीज का व्रत रखने से विवाहित स्त्रियों के पति की उम्र लंबी होती है, जबकि अविवाहित लड़कियों को मनचाहा जीवन साथी मिलता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं हरियाली तीज के लिए जरूरी पूजा और श्रृंगार सामग्री जो आपको आज ही ले लेना चाहिए.
श्रावण मास का यह सप्ताह अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस सप्ताह में सोम प्रदोष व्रत, सावन शिवरात्रि, मंगला गौरी व्रत, हरियाली तीज और नाग पंचमी पड़ रही है। इन तिथियों पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा होती है। आइए जानते हैं इस सप्ताह पड़ने वाले व्रत एवं त्योहार के बारे में।
आप सभी इस बात से वाकिफ ही होंगे कि हमारे सनातन धर्म में ईश्वर को समग्ररूपेण देखने की परंपरा है और इसी कारण से हमने समस्त जड़-चेतन में परमात्मा को प्रत्यक्ष मानकर उनकी आराधना की है. हम सभी जानते हैं कि जब हम ईश्वर के चैतन्यस्वरूप की बात करते हैं तो उसमें केवल मनुष्य ही नहीं, अपितु समस्त पशु-पक्षियों का भी समावेश हो जाता है. वहीं धार्मिक परंपरा के अनुसार पशु-पक्षियों के दर्शन व पूजा का विधान है और इसी क्रम में 'नाग पंचमी' का पर्व भी मनाया जाता है. आप सभी इस बात से वाकिफ ही होंगे कि नाग को शास्त्रों में काल (मृत्यु) का प्रत्यक्ष स्वरूप माना गया है, वहीं व्यावहारिक रूप में इसे वन्यजीव संरक्षण से जोड़कर देखा जा सकता है. आपको बता दें कि इस साल 'नाग पंचमी' सोमवार, 5 अगस्त को मनाई जाने वाली है तो आइए, जानते हैं कि 'नाग पंचमी' कैसी मनाई जानी चाहिए?
आषाढ़ शुक्ल एकादशी इस सप्ताह 12 जुलाई दिन शुक्रवार को है। इसे देवशयनी एकादशी या पद्मा एकादशी कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीर सागर में शयन के लिए चले जाते हैं, इस दौरान देवों के देव महादेव सृष्टि के पालनहार की जिम्मेदारी भी संभालते हैं। इस दौरान शादी जैसे 16 संस्कार वर्जित रहेंगे।
हिन्दू धर्म में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता या देवी को समर्पित है, उस दिन उस देवता या देवी की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। उस दिन खास मंत्रों, चालीसा और विशेष पाठ करने से भगवान जल्द प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के संकट दूर करते हैं तथा मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। उस विशेष दिन के लिए खास ज्योतिषीय उपाय भी होते हैं, जिनको करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
रमज़ान के पाक महीने का आज 19 वां रोज़ा है. कुरआने-पाक के पहले पारे (अध्याय-एक) की सूरह 'अलबकरह' की आयत नंबर एक सौ बावन (आयत-152) में खुद अल्लाह (ईश्वर) का इरशाद (आदेश) है- 'सो तुम मुझे याद किया करो, मैं तुम्हें याद किया करूंगा और मेरा अहसान मानते रहना और नाशुक्री नहीं करना.' इसमें उन्नीसवें रोजे की खासियत और फजीलत (महिमा) का भी बयान किया जा सकता है.