रुपये में मजबूती के चलते विदेशियों के बीच कॉरपोरेट बॉन्ड्स की मांग बढ़ी

मुंबई विदेशी निवेशकों के लिए भारत पसंदीदा ठिकाना बना हुआ है, लेकिन वे सिर्फ यहां के शेयर बाजार पर ही फिदा नहीं हैं। भारतीय कंपनियों के बॉन्ड्स में भी वे काफी रकम लगा रहे हैं क्योंकि इससे उन्हें अच्छा रिटर्न मिल रहा है। भारतीय करंसी मजबूत हो रही है। इससे उन्हें कॉरपोरेट बॉन्ड्स से आगे चलकर अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद है। इस साल बॉन्ड और शेयर बाजार दोनों का ही प्रदर्शन अच्छा रहा है क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपये में 5 पर्सेंट की मजबूती आई है। इससे पता चलता है कि दुनिया के बड़े देशों में सबसे तेजी से बढ़ रही इकनॉमी के फाइनेंशियल एसेट्स में विदेशी निवेशकों की कितनी दिलचस्पी है।

विदेशी फंड्स ने पिछले कुछ हफ्तों में 17,654 करोड़ रुपये भारतीय बॉन्ड्स में लगाए हैं। इनमें एचडीएफसी, टाटा ग्रुप की कंपनियों, बजाज ग्रुप की कंपनियों और कई सरकारी बैंक और वित्तीय संस्थान के बॉन्ड्स शामिल हैं। विदेशी निवेशकों को कॉरपोरेट बॉन्ड्स में जितना निवेश करने की इजाजत है, वे उसकी 80 पर्सेंट लिमिट का इस्तेमाल कर चुके हैं। महीना भर पहले यह 72 पर्सेंट थी। 18 अप्रैल तक के नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के डेटा से पता चलता है कि निवेश में 11 मार्च के बाद अच्छी बढ़ोतरी हुई है। इस दिन विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे।

डीलरों ने बताया कि सरकारी बॉन्ड्स की तुलना में कॉर्पोरेट बॉन्ड्स से इनवेस्टर्स को 0.30-0.40 पर्सेंट अधिक रिटर्न मिलता है। इस बारे में आईडीएफसी बैंक में रेट्स ट्रेडिंग के हेड पीयूष वाधवा ने कहा, 'महीना भर पहले विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद निवेशकों की दिलचस्पी इस बाजार में बहुत बढ़ी है।' उन्होंने बताया, 'भारत में राजनीतिक स्थिरता से फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स कंफर्टेबल महसूस कर रहे हैं। वहीं, रुपये की स्टेबिलिटी भी उन्हें लुभा रही है। उन्होंने कॉरपोरेट बॉन्ड्स में निवेश शुरू कर दिया है और वे कम रेटिंग वाले ऐसे बॉन्ड्स में भी पैसे लगा रहे हैं। सरकारी बॉन्ड्स में फॉरेन इनवेस्टर्स की निवेश की लिमिट खत्म होने को है। इसलिए वे आगे भी कॉरपोरेट बॉन्ड्स में पैसे लगाना जारी रख सकते हैं।'

इस साल देश के डेट और इक्विटी मार्केट में फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स ने 87,465 करोड़ रुपये लगाए हैं। डेट में 46,028 करोड़ रुपये और इक्विटी में उनका नेट इनवेस्टमेंट 41,437 करोड़ रुपये रहा है। एफपीआई भारतीय कॉरपोरेट बॉन्ड्स में 2,44,323 करोड़ रुपये लगा सकते हैं। इनमें विदेशी बाजार में बेचे जाने वाले रुपी बॉन्ड्स भी शामिल हैं। आमतौर पर सरकारी कंपनियों के बॉन्ड्स में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी ज्यादा रहती है क्योंकि उनकी रेटिंग अच्छी होती है और उन्हें अर्ध-सरकारी माना जाता है। प्राइवेट कंपनियों के बॉन्ड्स की रेटिंग कम होती है।

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