कब होती है स्कंद षष्ठी
वैसे तो प्रत्येक मास में दो षष्ठी होती हैं पर परंतु साल में तीन बार इनका सर्वाधिक महत्व होता है। पहला चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को 'स्कन्द षष्ठी' कहा है, फिर कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि, आैर अब आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भी स्कन्द षष्ठी होती है। इसे 'संतान षष्ठी' के नाम से भी जाना जाता है। स्कंदपुराण के नारद-नारायण संवाद में संतान प्राप्ति और संतान से जुड़ी पीड़ाओं को दूर करने वाले इस व्रत का विधान बताया गया है। एक दिन उपवास करके कुमार कार्तिकेय की पूजा की जाती है। यह तिथि भगवान स्कन्द को समर्पित हैं। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन श्रद्धालु उपवास करते हैं। स्कन्द षष्ठी को कन्द षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार ये पूजा 17 जुलार्इ मंगलवार के दिन की जायेगी।
शिव पुत्र कार्तिकेय की पूजा
'स्कन्द षष्ठी' के व्रत में शिव पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय का पूजन किया जाता है। कहते हैं कार्तिकेय के पूजन से रोग, राग, दुःख और दरिद्रता का निवारण होता है। स्कन्द षष्ठी पूजा की परम्परा काफी प्राचीन है। इन कथाआें के अनुसार भगवान शिव के तेज से उत्पन्न छह मुख वाले बालक स्कन्द की छह कृतिकाओं ने स्तनपान करा कर रक्षा की थी, इसीलिए कार्तिकेय' नाम से पुकारा जाने लगा। पुराण व उपनिषद में इनकी महिमा का उल्लेख मिलता है।
एेसे करें पूजा
इस दिन पूजा करने के लिए सवर्प्रथम ये सामग्री एकत्रित करें। भगवान शालिग्राम जी का विग्रह, कार्तिकेय का चित्र, तुलसी का पौधा एक गमले में लगा हुआ, तांबे का लोटा, नारियल, कुंकुम, अक्षत, हल्दी, चंदन अबीर, गुलाल, दीपक, घी, इत्र, पुष्प, दूध, जल, मौसमी फल, मेवा, मौलि यानि कलावा आैर आसन आदि। कहते हैं कि यह व्रत विधिपूर्वक करने से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही व्रत करने वालों की संतान की सभी प्रकार के कष्ट आैर रोग से बचाता है। स्कंद षष्ठी के अवसर पर शिव-पार्वती की भी पूजा होती है। इसके बाद इसमें स्कंद देव अर्थात कार्तिकेय की स्थापना करें, आैर अखंड दीपक जलायें। स्कंद षष्ठी महात्म्य का पाठ करें। अंत फल मिष्ठान का भोग लगायें। इस दिन कुछ भक्त तंत्र साधना भी करते हैं।
स्कंद षष्ठी का महातम्य
इस दिन पूजे जाने वाले भगवान स्कंद शक्ति के देव हैं, देवताओं ने इन्हें अपना सेनापती बनाया था। मयूर की सवारी करने वाले कुमार कार्तिक की पूजा मुख्य रूप से दक्षिण भारत मे होती है। दक्षिण में यह 'मुरुगन' नाम से प्रसिद्घ हैं। स्कन्दपुराण के मूल में कुमार कार्तिकेय ही हैं तथा यह पुराण सभी पुराणों में सबसे बड़ा है। स्कंद भगवान हिंदू धर्म के प्रमुख देवों मे से एक हैं। स्कंद को कार्तिकेय और मुरुगन नामों से भी पुकारा जाता है। दक्षिण भारत में पूजे जाने वाले प्रमुख देवताओं में से एक भगवान कार्तिकेय शिव पार्वती के पुत्र है। कार्तिकेय भगवान के अधिकतर भक्त तमिल हिन्दू हैं, इसीलिए इनकी पूजा रूप से भारत के तमिलनाडु में विशेष तौर पर होती है। भगवान स्कंद का सबसे प्रसिद्ध मंदिर भी तमिलनाडु में ही है।
Hanuman Jayanti 2023 Upay : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 6 अप्रैल 2023, गुरुवार (Hanuman Jayanti 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से साधकों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सभी नौ ग्रह सही समय पर राशि चक्र में गोचर करते हैं। अन्य ग्रहों के साथ युति भी बनाते हैं। इन ग्रहों के गोचर और युति से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इस समय शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में है। कुंभ में सूर्य देव भी हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति और शुक्र मीन राशि में युति कर रहे हैं। इस प्रकार इन ग्रहों की स्थिति पंच महायोग बना रही है। 19 फरवरी से केदार योग, शंख योग, शश योग, ज्येष्ठ योग और सर्वार्थसिद्धि योग बना है। 5 महायोगों का दुर्लभ संयोग 700 साल बाद अपना प्रभाव दिखाएगा। कुछ राशियों पर इस योग का शुभ प्रभाव दिखाई देगा।
यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान है। आय से अधिक खर्च हो रहा है। कई बार प्रयास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। कारोबार को लेकर परेशान हैं या किसी रोग से पीड़ित हैं, तो हम आपको होलिका दहन के समय किए जाने वाले कुछ उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह उपाय सही दिन और सही समय पर किया जाए, तो नौकरी, शिक्षा, धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Shani Gochar 2023: शनिदेव 30 साल बाद कुंभ राशि में दोबारा से गोचर करने वाले हैं। ज्योतिष में शनि का गोचर हमेशा से ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सभी ग्रहों में शनि सबसे मंदगति से चलने वाले ग्रह हैं। ये एक से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब ढाई वर्षो का समय लेते हैं। इस वजह से किसी राशि पर इनका ज्यादा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है। 15 जनवरी को सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे फिर उसके दो दिन बाद यानी 17 जनवरी को शनिदेव भी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ये महायोग कई राशियों के जातकों के लिए जीवन में बड़े बदलाव लानेवाला है।
Surya Gochar 2023: इस महीने सूर्य और शनि का दुर्लभ संयोग होने वाला है। 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि, मकर राशि के स्वामी हैं। वहीं सूर्य को शनि का पिता माना जाता है। सूर्य के पास राज करने के अधिकार हैं, तो शनि को उनका सेवक माना जाता है। लेकिन शनि को कर्मफलदाता भी माना जाता है। ज्योतिष में इन दोनों के बीच शत्रुता कही गई है।
Astrology News: संपूर्ण ब्राह्मांड के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को गुरुवार का दिन समर्पित होता है। इस दिन यदि कोई जातक उनका व्रत रखता है एवं विशेष पूजा करता है तो उसे अपार धन लाभ होता है। विष्णु भगवान की पूजा से उसे लक्ष्मी माता की कृपा भी प्राप्त हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कुछ राशियों ऐसी भी जिन्हें भगवान विष्णु की कृपा से कभी धन की हानि का सामना नहीं करना पड़ता है। आइये जानते हैं उन राशियों के बारे में पूरी जानकारी।
Libra Yearly Horoscope 2023: इस वर्ष तुला राशि के जातकों को हर क्षेत्र में लाभ होने वाला है। साथ ही आकस्मिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। जनवरी की शुरूआत में परिवार में कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। जिसके कारण परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा। इस वर्ष आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है। पढ़िए सम्पूर्ण वार्षिक राशिफल।
अशोक के पत्तों का उपयोग धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है। अशोक के पत्ते बेहद शुभ माने जाते हैं। किसी भी शुभ अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर अशोक या आम के पत्तों से बनी माला अवश्य लटकाई जाती है। ऐसा करने के पीछे कई ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं। इसके पत्ते पूजा के कलश में भी रखे जाते हैं। ज्योतिष में अशोक के पत्तों के कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करके आप अपने जीवन की समस्त समस्याओं से पीछा छुड़ा सकते हैं।
Shani Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 17 जनवरी 2023 को स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे। मार्च 2025 तक कुंभ में ही रहेंगे। शनि के स्वराशि कुंभ में गोचर करते ही कुछ राशियों से शनि साढ़े साती और ढैय्या हट जाएगी। वहीं, कुंभ, मीन, मकर राशि के लिए कठिन समय शुरू हो जाएगा। सबसे ज्यादा मुश्किल समय 2023 से 2025 तक कुंभ राशि वालों के लिए रहेगा। इस दौरान तीनों राशि के जातकों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा और गुस्से पर नियंत्रण पाना होगा।
Garuda Purana: सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में कुछ ऐसी आदतों का जिक्र किया गया है। जिनका समय पर त्याग कर देना चाहिए। यदि इन आदतों को समय पर नहीं छोड़ा गया तो व्यक्ति कंगाल हो जाता है। कुछ ही समय में राजा से रंक बन जाता है। गरुड़ पुराण में वर्णित बातों का अनुसरण करने पर व्यक्ति अपने जीवन में सुखों का भोग करता है। जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं, जिनसे व्यक्ति को दूरी बनाने में ही भलाई है।