भोपाल। हिन्दू धर्म में कई त्यौहार मनाए जाते हैं, ये सभी किसी न किसी प्रकार की कथा से जुड़ें होते हैं। ऐसा ही एक त्योहार है गंगा दशहरा, जिसकी कथा पतित पावनी मां गंगा के धरती पर अवतरण से जुड़ी हुई है। इस वर्ष गंगा दशहरा Ganga Dussehra 2018 Date 24 मई को पड़ रहा है।
इस दिन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के अनेक जिलों में इस दिन नर्मदा,शिप्रा सहित अन्य नदियों में लोग स्नान करेंगे।
मां नर्मदा में करेंगे स्नान
मध्यप्रदेश में इस दिन लोग मां नर्मदा में स्नान करेंगे। माना जाता है कि नर्मदा Ganga Dussehra 2018 in bhopal मां गंगा से भी पहले से धरती पर विद्मान हैं।
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि मां गंगा स्वयं साल में एक बार स्वयं मां नर्मदा में स्नान करने आती हैं। ऐसे में मां नर्मदा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
वहीं ज्योतिषों के अनुसार इस बार गंगा दशहरा अद्भुत और महाफल दायक है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस बार 24 मई को पड़ने वाले गंगा दशहराGanga Dussehra 2018 Date में गर करण, वृषस्थ सूर्य , कन्या का चन्द्र होने से अद्भुत संयोग प्राप्त बन रहा है। जो महाफलदायक है।
ऐसे में इस बार योग ? विशेष की अधिकता होने से इस दिन स्नान, दान, जप, तप, व्रत, और उपवास आदि करने का महत्व काफी बढ़ गया है। जानकारों का कहना है कि है कि इस वर्ष गंगा दशहरा ज्येष्ठ अधिकमास में होने से पूर्वोक्त कृत्य शुद्ध की अपेक्षा मलमास में करने से अधिक फल होता है।
एक ओर जहां मध्यप्रदेश की राजधानी सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में यह त्योहार मनाया जाएगा। वहीं उत्तर प्रदेश के काशी दशाश्वमेध घाट में दस प्रकार के स्नान करके, शिवलिंग का दस संख्या के गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और फल आदि से पूजन करके रात्रि को जागरण करें तो अनन्त फल होता है। इसके अलावा देश में सर्वाधिक धूमधाम से गंगा दशहरा उत्तरांचल में मनाया जाता है।
ऐसे मनाया जाता हैं गंगा दशहरा...
पंडित शर्मा के अनुसार गंगा दशहरा के दिन गंगा में या पास के किसी भी जलाशय या घर के शुद्ध जल से स्नान करके किसी साक्षात् मूर्ति के समीप बैठ जाए और फिर 'ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः' का जाप करें।
फिर 'ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै स्वाहा' करके हवन करे। तत्पश्चात ' ऊँ नमो भगवति ऐं ह्रीं श्रीं( वाक्-काम-मायामयि) हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा।' इस मंत्र से पांच पुष्पाञ्जलि अर्पण करके गंगा को भूतल पर लाने वाले भगीरथ का और जहां से वे आयी हैं, उस हिमालय का नाम- मंत्र से पूजन करे।
फिर दस फल, दस दीपक और दस सेर तिल का 'गंगायै नमः' कहकर दान करें। साथ ही घी मिले हुए सत्तू के और गुड़ के पिण्ड जल में डालें। सामर्थ्य हो तो कच्छप, मत्स्य और मण्डूकादि भी पूजन करके जल में डाल दें। इसके अतिरिक्त 10 सेर तिल, 10 सेर जौ, 10 सेर गेहूँ 10 ब्राह्मण को दें। माना जाता है कि इतना करने से सब प्रकार के पाप समूल नष्ट हो जाते हैं और दुर्लभ- सम्पत्ति प्राप्त होती है।
इस दिन स्नान से मिलती है 10 तरह के पापों से मुक्ति...
ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा का धरती पर हस्त नक्षत्र में अवतरण हुआ था। पुराणों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। साथ ही इस दिन गंगा की विशेष पूजा अर्चना और भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है।
मान्यता है कि गंगा दशहरा पर दान और उपवास का बड़ा महत्व होता है। दस तरह के पापों को हरने के कारण इसे दशहरा कहते हैं। इन दस तरह के पापों में तीन कायिक, चार वाचिक और तीन मानसिक पाप होते हैं।
इस साल ज्येष्ठ मास अधिकमास है, इसलिए अधिकमास की शुक्लपक्ष की दशमी को गंगादशहरा मनाया जाएगा। जिस वर्ष अधिकमास हो तो उस वर्ष अधिकमास में ही गंगा दशहरा माना जाता है न कि शुद्धमास में।
इस दिन व्यक्ति गंगाजी या अपने पास में स्थिति किसी पवित्र नदी में स्नान और पूजन करने की परंपरा है। गंगा स्नान करते समय ऊं नम: शिवाय नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम: का जप करना चाहिए। मध्यप्रदेश में मुख्य रूप से इन दिन मां नर्मदा,शिप्रा,ताप्ति,पार्वति आदि नदियों में स्नान किया जाता है।
भोपाल में गंगा दशहरा Ganga Dussehra 2018 in bhopal:
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कई जगहों या यूं कहें प्रदेशों के लोग बसे हुए हैं। ऐसे में यहां कई त्योहारों की अलग अलग छटां देखने को मिलती है।
इसी के चलते जहां अधिकांश लोग इस दिन स्नान व दान कर पुण्य अर्जित करते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि गंगा दशहरा पर्व सर्वाधिक धूमधाम से उत्तरांचल में मनाया जाता है। कहा जाता है कि चुंकि मां गंगा का उसी क्षेत्र में अवतरण हुआ अत: इसी के चलते वहां के निवासी इस त्योहार को अत्यधिक धूमधाम से मनाते हैं।
ऐसे में भोपाल में भी कोलार सहित कई क्षेत्रों में उत्तरांचल Ganga Dussehra 2018 in bhopal से आए लोग रहते हैं। जिनके घरों में अभी भी गंगा दशहरा को उसी रूप में मनाया जाता है, जैसा पहाडों में... इस दौरान ये लोग द्वार पत्र बनाकर इन्हें अपने घरों के दरवाजों पर लगाते हैं।
यहां कहा जाता है कि ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को दशहरा कहते हैं। इसमें स्नान, दान, रूपात्मक व्रत होता है। स्कन्दपुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी गई है इसमें स्नान और दान तो विशेष करके करें। किसी भी नदी पर जाकर अर्घ्य (पूजादिक) एवम् तिलोदक (तीर्थ प्राप्ति निमित्तक तर्पण) अवश्य करें। ऐसा करने वाला महापातकों के बराबर के दस पापों से छूट जाता है।
उत्तरांचल से आकर यहां बसे लोगों अब भी वहीं की तरह इस त्योहार को यहां भी मनाते है। इसके तहत में "अगस्व्यश्च पुलस्व्यश्च" इत्यादि तीन श्लोक एक कागज के पर्चे में लिखकर प्रत्येक घर के द्वार पर चिपकाये जाते हैं। ब्राह्मणों को दक्षिणा देने का भी प्रचलन है,पुराने समय में हस्त निर्मित "दशहरा पत्र" का प्रचलन था पर अब प्रिंटेड पत्रों का चलन हो गया है। यह भी माना जाता है कि वज्रपात, बिजली आदि का भय इस 'दशहरे के पत्र' के लगाने से नहीं होता है।
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