भोपाल। इस बार चैत्र पूर्णिमा और हनुमान जयंती 31 मार्च 2018 (शनिवार) को है। यह पूर्णिमा हिन्दू कैलेंडर (पंचांग) के पहले माह चैत्र की पूर्णिमा है। हिन्दू शास्त्रों में दान-धर्म और पूजा के लिए पूर्णिमा को अत्यंत शुभ माना गया है।
शास्त्रों में चैत्र पूर्णिमा को तुलसी-स्नान का विधान है।
माना जाता है कि इस दिन जल में तुलसी दल डालकर स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है। पूर्णिमा को लोग पूर्णमासी भी कहते हैं। इस संबंध पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि इस दिन आप श्री हनुमान व भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, इसके लिए आपको कुछ आसान कार्य करने होंगे।
भगवान विष्णु की करें पूजा
वैष्णव लोग चैत्र पूर्णिमा को भगवान सत्यनारायण की पूजा कर सकते हैं। माना जाता है कि आज के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने और व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
चैत्र पूर्णिमा 2018 तिथि व मुहूर्त ...
चैत्र पूर्णिमा का उपवास और पूजा आज यानी 31 मार्च को होगी।
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 19:35 बजे (30 मार्च 2018)
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 18:06 बजे (31 मार्च 2018)
9 साल बाद बना अत्यंत शुभ संयोग-
ऐसा संयोग 9 साल बाद बन रहा है कि हनुमान जयंती शनिवार को है। शनिवार का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए होता लेकिन जब इस दिन पूर्णिमा हो तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। आमतौर पर हनुमान जयंती अप्रैल में आती है लेकिन इस बार यह मार्च में है। इससे पहले 2008 में भी हनुमान जयंती 31 मार्च को पड़ी थी। हनुमान जंयती को हनुमान जी की पूजा कर, सुंदरकांड का पाठ करके भक्त हनुमान जी की कृपा आसानी से पा सकते हैं।
शनिवार को ही मंगल और शनि धनु राशि में हैं। शनि और मंगल का विशेष द्विग्रही योग बन रहा है। हस्त नक्षत्र भी है। काफी समय बाद मार्च के माह में ही हनुमान जयंती पड़ रही है। चूंकि इस नवसंवत्सर के राजा सूर्य और मंत्री शनि हैं, इसलिए भी हनुमान जयंती खास है। ग्रहों की पीड़ा शांत करने का विशेष अवसर है।
प्रात: 4 बजे हुआ था हनुमान जी का जन्म...
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार मान्यता है कि चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त यानी प्रात: 4 बजे अंजनी के गर्भ से हनुमान जी का जन्म हुआ था। इनके पिता हैं वानरराज केसरी। इसलिए, इनको केसरीनंदन भी कहते हैं। रामभक्त के रूप में हनुमानजी को तो सभी जानते हैं। लेकिन उनकी अन्य भी विशेषताएं हैं। वह समस्त वेदों के ज्ञाता, नाना पुराण आख्याता, ज्योतिषी, संगीतज्ञ, वानरराज, यंत्र-मंत्र और तँत्र के सिद्धहस्त होने के साथ-साथ संकटमोचन भी हैं। अकेले उनको ही यह वरदान प्राप्त है कि वह समस्त संकट हर सकते हैं। सर्व कार्य सिद्ध कर सकते हैं। वह सूर्य के शिष्य हैं।
सूर्य भगवान का जप-तप-ध्यान करने से ही उनको असाधारण सिद्धियां और निधियां प्राप्त हुईं। अणिमा,( आकार बढ़ा सकते हैं) लघिमा ( आकार छोटा कर सकते हैं) गरिमा ( भारी कर सकते हैं), प्राप्ति ( कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं), प्राकाम्य ( सर्व प्रदाता), महिमा( यश-कीर्ति), ईशित्व (ईशरत्व) और वशित्व( वशीकरण) का अधिकार केवल हनुमानजी को ही प्राप्त है। तभी उनको अष्ट सिद्धि-नौ निधियों के दाता भी कहा जाता है।
शनि से है गहरा संबंध
शनि महाराज से भले ही सब कांपते हों लेकिन शनि हनुमान जी से डरते हैं। शनि महाराज को अपनी पूंछ में बांधकर हनुमान जी ने उनको रामसेतू की परिक्रमा करा दी थी। शनि घायल हो गए थे। अपनी पीड़ा को शांत करने के लिए शनि महाराज ने अपने शरीर पर सरसो का तेल लगाया था।
इसलिए, शनि महाराज को सरसो का तेल चढ़ाया जाता है। हनुमान जी ने उनको इस शर्त परछोड़ा कि तुम मेरे भक्तों को कष्ट नहीं दोगे। इस बार शनिवार को हनुमान जयंती होने से शनि शांति का अवसर मिल रहा है।
भगवान शंकर के 11 वें रुद्रावतार
हनुमान जी की पूजा से सर्वग्रहों की पीड़ा शांत होती है। यह वरदान उनको भगवान शंकर से प्राप्त हुआ है। वह भगवान शंकर के 11 वें रुद्रावतार हैं। वह रुद्र भी हैं और भोले भी। जिस भाव से उनको भजा जाता है, वह उसी शक्ति में आते हैं। उनकी पूजा अग्नितत्व है। वायु तत्व है। सूर्य को सेब समझकर मुंह में रख लिया। इंद्र ने वार किया तो ठोड़ी पर लगा। संस्कृत में ठोड़ी को हनु कहते हैं। बस, नाम पड़ गया हनुमान।
हनुमान जयंती पूजा शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि शुरू: 30 मार्च 2018 शाम 7 बजकर 35 मिनट 30 सेकेंड से 31 मार्च 2018 शाम 6 बजकर 6 मिनट 40 सेकेंड तक रहेगी। शुभ मुहूर्त प्रातः 9:20 से 1:30 तक तथा सांय 3:00 से 6 बजे तक रहेगा। ग्रहों की शांति के लिए सायंकाल का पूजन श्रेष्ठ रहेगा। हनुमान जी की गुरु के रूप में पूजा का समय 9.20 से है।
इसलिए, चढ़ता है सिंदूर
हनुमान जी ने एक बार सीता जी से पूछा कि आप सिंदूर क्यों लगाती हैं ? सीता जी ने जवाब दिया कि राम की दीर्घायु के लिए। बस, रामभक्त हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर ही सिंदूर लगा लिया। हनुमान जी के जन्मदिन के मौके पर रात्रि के समय हनुमान जी की पूजा करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है. हनुमानजी के जन्मदिन पर घी में चुटकी भर सिंदूर मिलाकर हनुमान जी को लेप लगाएं। इससे शनि और राहू का दोष समाप्त होता है।
गुरु हनुमान जी की पूजा
गृहस्थजन शंकरजी के रुद्रावतार के रूप में, व्यापारियों को पवनपुत्र के रूप में, विद्यार्थियों को हनुमान के रूप में, स्त्रियों को अंजनीपुत्र के रूप में, नौकरीपेशा वालों को मंगलमूरति के रूप में, खिलाड़ियों और सैन्य सेवा में रहने वालों को बजरंगबली के रूप में पूजना चाहिए। हनुमान जी को गुरु रूप में पूजने से सर्वग्रह शांति हो जाती है।
क्या है चोला- कैसे करें पूजा
– हनुमान जी को चोला चढ़ाएं ( चोले में 16आइटम होते हैं- चोला या वस्त्र, धूप, दीप, अगरबत्ती, पान, नारियल, पंच मेवा, सिंदूर, चमेली का तेल, चांदी के बर्क, बेसन के लड्डू या बूंदी, जनेऊ, पांच सुपारी, लोंग, फूलमाला और फल)
– शनि शांति के लिए सरसो के तेल का दीपक जलाएं। सिंदूर चढ़ाएं
– पीपल के 108 पत्तों पर रामनाम लिखकर हनुमानजी को अर्पित करें। इससे पितृदोष निवारण होगा।
– कार्य सिद्धि के लिए ऊं श्री हनुमते नम: या ऊं हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट का 108 बार जाप करें
– सर्व कार्य सिद्धि के लिए 11 या 21 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें
– समस्त ग्रह पीड़ा शांति के लिए ऊं ह्रां ह्रीं ह्रूं सर्वदुष्ट ग्रह निवारणाय स्वाहा का जाप करें
– शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करें। संपूर्ण न कर सकें तो केवल मंगलाचरण ही कर लें। सुंदरकांड की पांचवीं चौपाई पढ़ें।
– समस्त प्रकार की रक्षा के लिए हनुमान कवच का पाठ करें
– व्याधियों से मुक्ति के लिए हनुमान बाहुक और अन्य संकट निवारण के लिए तीन बार बजरंगबाण पढ़ें।
Hanuman Jayanti 2023 Upay : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 6 अप्रैल 2023, गुरुवार (Hanuman Jayanti 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से साधकों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सभी नौ ग्रह सही समय पर राशि चक्र में गोचर करते हैं। अन्य ग्रहों के साथ युति भी बनाते हैं। इन ग्रहों के गोचर और युति से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इस समय शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में है। कुंभ में सूर्य देव भी हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति और शुक्र मीन राशि में युति कर रहे हैं। इस प्रकार इन ग्रहों की स्थिति पंच महायोग बना रही है। 19 फरवरी से केदार योग, शंख योग, शश योग, ज्येष्ठ योग और सर्वार्थसिद्धि योग बना है। 5 महायोगों का दुर्लभ संयोग 700 साल बाद अपना प्रभाव दिखाएगा। कुछ राशियों पर इस योग का शुभ प्रभाव दिखाई देगा।
यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान है। आय से अधिक खर्च हो रहा है। कई बार प्रयास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। कारोबार को लेकर परेशान हैं या किसी रोग से पीड़ित हैं, तो हम आपको होलिका दहन के समय किए जाने वाले कुछ उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह उपाय सही दिन और सही समय पर किया जाए, तो नौकरी, शिक्षा, धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Shani Gochar 2023: शनिदेव 30 साल बाद कुंभ राशि में दोबारा से गोचर करने वाले हैं। ज्योतिष में शनि का गोचर हमेशा से ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सभी ग्रहों में शनि सबसे मंदगति से चलने वाले ग्रह हैं। ये एक से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब ढाई वर्षो का समय लेते हैं। इस वजह से किसी राशि पर इनका ज्यादा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है। 15 जनवरी को सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे फिर उसके दो दिन बाद यानी 17 जनवरी को शनिदेव भी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ये महायोग कई राशियों के जातकों के लिए जीवन में बड़े बदलाव लानेवाला है।
Surya Gochar 2023: इस महीने सूर्य और शनि का दुर्लभ संयोग होने वाला है। 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि, मकर राशि के स्वामी हैं। वहीं सूर्य को शनि का पिता माना जाता है। सूर्य के पास राज करने के अधिकार हैं, तो शनि को उनका सेवक माना जाता है। लेकिन शनि को कर्मफलदाता भी माना जाता है। ज्योतिष में इन दोनों के बीच शत्रुता कही गई है।
Astrology News: संपूर्ण ब्राह्मांड के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को गुरुवार का दिन समर्पित होता है। इस दिन यदि कोई जातक उनका व्रत रखता है एवं विशेष पूजा करता है तो उसे अपार धन लाभ होता है। विष्णु भगवान की पूजा से उसे लक्ष्मी माता की कृपा भी प्राप्त हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कुछ राशियों ऐसी भी जिन्हें भगवान विष्णु की कृपा से कभी धन की हानि का सामना नहीं करना पड़ता है। आइये जानते हैं उन राशियों के बारे में पूरी जानकारी।
Libra Yearly Horoscope 2023: इस वर्ष तुला राशि के जातकों को हर क्षेत्र में लाभ होने वाला है। साथ ही आकस्मिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। जनवरी की शुरूआत में परिवार में कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। जिसके कारण परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा। इस वर्ष आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है। पढ़िए सम्पूर्ण वार्षिक राशिफल।
अशोक के पत्तों का उपयोग धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है। अशोक के पत्ते बेहद शुभ माने जाते हैं। किसी भी शुभ अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर अशोक या आम के पत्तों से बनी माला अवश्य लटकाई जाती है। ऐसा करने के पीछे कई ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं। इसके पत्ते पूजा के कलश में भी रखे जाते हैं। ज्योतिष में अशोक के पत्तों के कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करके आप अपने जीवन की समस्त समस्याओं से पीछा छुड़ा सकते हैं।
Shani Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 17 जनवरी 2023 को स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे। मार्च 2025 तक कुंभ में ही रहेंगे। शनि के स्वराशि कुंभ में गोचर करते ही कुछ राशियों से शनि साढ़े साती और ढैय्या हट जाएगी। वहीं, कुंभ, मीन, मकर राशि के लिए कठिन समय शुरू हो जाएगा। सबसे ज्यादा मुश्किल समय 2023 से 2025 तक कुंभ राशि वालों के लिए रहेगा। इस दौरान तीनों राशि के जातकों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा और गुस्से पर नियंत्रण पाना होगा।
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