DevUthani Ekadashi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इस साल देवउठनी एकादशी 04 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी तिथि को पूरे भक्ति भाव से मनाने पर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु चार माह बाद योग निद्रा से जागते हैं। इससे पहले वो क्षीर सागर में योग निद्रा में रहते हैं और तब सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में रहता है। विष्णु जी के जागते ही देवउठनी एकादशी से शुभ और सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी होती है। इस वर्ष देवउठनी एकादशी 04 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मांगलिक कार्यों पुन: आरंभ हो जाते हैं।
देवउठनी एकादशी की तिथि
देवउठनी एकादशी कार्तिक शुक्ल एकादशी को मनाई जाती है और इस वर्ष यह तिथि गुरुवार, 03 नवंबर को शाम 7 बजकर 30 मिनट से प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी शुक्रवार, 04 नवंबर को शाम 06 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी। उदिया तिथि के चलते एकादशी का व्रत 04 नवंबर को ही रखा जाएगा और 05 नवंबर की सुबह व्रत का पारण होगा।
शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 10 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 04 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 37 मिनट तक
इसके अलावा 04 नवंबर को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहने वाला है।
देवउठनी एकादशी की पूजन विधि
शास्त्रों में देवउठनी एकादशी का बड़ा महत्व बताया गया है। इसलिए साधक को दशमी तिथि से ही लहसुन, प्याज, तामसिक भोजन या मांस-मदिरा का सेवन बंद कर देना चाहिए। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें। सफेद या पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें। उन्हें फल, मिठाई फूल, धूप, दीप, कपूर, आदि अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु जी की आरती करें।
व्रत का पारण
देवउठनी एकादशी का व्रत करने वाले लोग दिन में केवल एक बार फल और जल ग्रहण कर सकते हैं। शाम के समय पुन: भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें और उनके मंत्रों का उच्चारण करें। इसके बाद शनिवार, 05 नवंबर को सुबह व्रत का पारण कर सकते हैं। पारण के बाद गरीबों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
Hanuman Jayanti 2023 Upay : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 6 अप्रैल 2023, गुरुवार (Hanuman Jayanti 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से साधकों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सभी नौ ग्रह सही समय पर राशि चक्र में गोचर करते हैं। अन्य ग्रहों के साथ युति भी बनाते हैं। इन ग्रहों के गोचर और युति से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इस समय शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में है। कुंभ में सूर्य देव भी हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति और शुक्र मीन राशि में युति कर रहे हैं। इस प्रकार इन ग्रहों की स्थिति पंच महायोग बना रही है। 19 फरवरी से केदार योग, शंख योग, शश योग, ज्येष्ठ योग और सर्वार्थसिद्धि योग बना है। 5 महायोगों का दुर्लभ संयोग 700 साल बाद अपना प्रभाव दिखाएगा। कुछ राशियों पर इस योग का शुभ प्रभाव दिखाई देगा।
यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान है। आय से अधिक खर्च हो रहा है। कई बार प्रयास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। कारोबार को लेकर परेशान हैं या किसी रोग से पीड़ित हैं, तो हम आपको होलिका दहन के समय किए जाने वाले कुछ उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह उपाय सही दिन और सही समय पर किया जाए, तो नौकरी, शिक्षा, धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Shani Gochar 2023: शनिदेव 30 साल बाद कुंभ राशि में दोबारा से गोचर करने वाले हैं। ज्योतिष में शनि का गोचर हमेशा से ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सभी ग्रहों में शनि सबसे मंदगति से चलने वाले ग्रह हैं। ये एक से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब ढाई वर्षो का समय लेते हैं। इस वजह से किसी राशि पर इनका ज्यादा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है। 15 जनवरी को सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे फिर उसके दो दिन बाद यानी 17 जनवरी को शनिदेव भी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ये महायोग कई राशियों के जातकों के लिए जीवन में बड़े बदलाव लानेवाला है।
Surya Gochar 2023: इस महीने सूर्य और शनि का दुर्लभ संयोग होने वाला है। 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि, मकर राशि के स्वामी हैं। वहीं सूर्य को शनि का पिता माना जाता है। सूर्य के पास राज करने के अधिकार हैं, तो शनि को उनका सेवक माना जाता है। लेकिन शनि को कर्मफलदाता भी माना जाता है। ज्योतिष में इन दोनों के बीच शत्रुता कही गई है।
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Libra Yearly Horoscope 2023: इस वर्ष तुला राशि के जातकों को हर क्षेत्र में लाभ होने वाला है। साथ ही आकस्मिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। जनवरी की शुरूआत में परिवार में कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। जिसके कारण परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा। इस वर्ष आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है। पढ़िए सम्पूर्ण वार्षिक राशिफल।
अशोक के पत्तों का उपयोग धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है। अशोक के पत्ते बेहद शुभ माने जाते हैं। किसी भी शुभ अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर अशोक या आम के पत्तों से बनी माला अवश्य लटकाई जाती है। ऐसा करने के पीछे कई ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं। इसके पत्ते पूजा के कलश में भी रखे जाते हैं। ज्योतिष में अशोक के पत्तों के कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करके आप अपने जीवन की समस्त समस्याओं से पीछा छुड़ा सकते हैं।
Shani Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 17 जनवरी 2023 को स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे। मार्च 2025 तक कुंभ में ही रहेंगे। शनि के स्वराशि कुंभ में गोचर करते ही कुछ राशियों से शनि साढ़े साती और ढैय्या हट जाएगी। वहीं, कुंभ, मीन, मकर राशि के लिए कठिन समय शुरू हो जाएगा। सबसे ज्यादा मुश्किल समय 2023 से 2025 तक कुंभ राशि वालों के लिए रहेगा। इस दौरान तीनों राशि के जातकों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा और गुस्से पर नियंत्रण पाना होगा।
Garuda Purana: सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में कुछ ऐसी आदतों का जिक्र किया गया है। जिनका समय पर त्याग कर देना चाहिए। यदि इन आदतों को समय पर नहीं छोड़ा गया तो व्यक्ति कंगाल हो जाता है। कुछ ही समय में राजा से रंक बन जाता है। गरुड़ पुराण में वर्णित बातों का अनुसरण करने पर व्यक्ति अपने जीवन में सुखों का भोग करता है। जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं, जिनसे व्यक्ति को दूरी बनाने में ही भलाई है।