नई दिल्ली। लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath Puja) 28 अक्टूबर 2022 शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो रहा है। दीपावली के छह दिन के उपरांत कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। शनिवार को खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा। चार दिनों तक चलने वाला यह कठिन व्रत 31 अक्टूबर, सोमवार को प्रातः सूर्य देव को अर्घ्य देकर पूर्ण किया जायेगा। व्रती संतान की प्राप्ति, सुख-समृद्धि, संतान की दीघार्यु और आरोग्य की कामना के लिए साक्षात सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करती हैं।
छठ पूजा की तिथि
कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि प्रारंभ: 30 अक्टूबर 2022, सुबह 05:49
कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर 2022, सुबह 03:27
सूर्यास्त का समय: सायं 5:37 पर
30 को अस्ताचलगामी और 31 अक्टूबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य
हिंदू पंचांग के अनुसार, 29 अक्टूबर, शनिवार को खरना है। इस दिन व्रती संध्या में आम की लकड़ी से मिट्टी के बने चूल्हे पर गुड़ का खीर बना कर भोग अर्पण करती हैं और प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करती है। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। इससे एक दिन पूर्व सोमवार को नहाय खाय के दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा करने के उपरांत चने की दाल कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण करेंगी।
खरना के दूसरे दिन अर्थात 30 अक्टूबर, रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे। इस दिन छठ घाट पहुंचने से पूर्व घर में सभी सदस्य मिलजुल कर साफ-सफाई से शुद्ध देसी घी में ठेकुआ बनाते हैं। इसी ठेकुआ, चावल के आटा और घी से बने लड्डू, पांच प्रकार के फल व दीए के साथ पूजा का सूप सजाया जाता है। दौरा सिर पर रखकर लोग छठ गीत की धुन पर श्रद्धा भाव के साथ घाट पहुंचते हैं।
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य कब
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर शाम में व्रती अस्ताचलगामी सूर्यदेव को प्रथम अर्घ्य अर्पित करेंगे। अर्घ्य अर्पित करने से पूर्व व्रती जल में खड़े होकर आदिदेव भुवन भास्कर को नमन कर एवं परिवार, समाज की सुख-शांति के लिए मंगल कामना करेंगे। इस साल छठ महापर्व में सूर्यदेव को पहला अर्घ्य 30 अक्टूबर, रविवार को दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय समय छठ पूजा के दिन - 06:31 ए एम व सूर्यास्त समय छठ पूजा के दिन - 05:38 पी एम रहेगा।
सुबह 06:32 बजे उदीयमान सूर्य को अर्घ्य
इस वर्ष 31 अक्टूबर 2022, सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। पंचांग के अनुसार इस वर्ष 31 अक्टूबर को सुबह 06.32 बजे सूर्योदय हो रहा है। सभी छठ घाटों पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर से सुख समृद्धि और आरोग्यता की कामना की जाएगी। उदयीमान सूर्य को अर्घ्य के साथ ही चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था का यह महापर्व छठ संपन्न हो जाएगा।
छठ पूजा का पहला दिन
नहाय- खाए- 28 अक्टूबर 2022
दीवाली के चौथे दिन यानी कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय खाए की परंपरा निभाई जाती है। इस दिन कुछ विशेष रीति रिवाजों का पालन करना होता है। 28 अक्टूबर 2022 से छठ पूजा का आरंभ होगा. इस दिन घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाता है। इसके बाद छठव्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करती हैं। व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।
छठ पूजा का दूसरा दिन
खरना- 29 अक्टूबर 2022
दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं। इस दिन को खरना कहा जाता है. इस दिन सुबह व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखते हैं। अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाता है। शाम को पूजा के लिए गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है।
छठ पूजा का तीसरा दिन
डूबते सूर्य को अर्घ्य- 30 अक्टूबर 2022
कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठ पूजा की मुख्य तिथि होती है। व्रती इस दिन शाम के समय पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की तैयारी करते हैं। बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है। इस दिन व्रती अपने पूरे परिवार के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर जाती हैं।
सूर्यास्त का समय: शाम 5 बजकर 37 मिनट.
छठ पूजा का चौथा दिन
उगते सूर्य को अर्घ्य- 31 अक्टूबर 2022
चौथे दिन यानी कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले ही भक्त सूर्य देव की दर्शन के लिए पानी में खड़े हो जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।
सूर्योदय का समय: सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर
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सभी नौ ग्रह सही समय पर राशि चक्र में गोचर करते हैं। अन्य ग्रहों के साथ युति भी बनाते हैं। इन ग्रहों के गोचर और युति से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इस समय शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में है। कुंभ में सूर्य देव भी हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति और शुक्र मीन राशि में युति कर रहे हैं। इस प्रकार इन ग्रहों की स्थिति पंच महायोग बना रही है। 19 फरवरी से केदार योग, शंख योग, शश योग, ज्येष्ठ योग और सर्वार्थसिद्धि योग बना है। 5 महायोगों का दुर्लभ संयोग 700 साल बाद अपना प्रभाव दिखाएगा। कुछ राशियों पर इस योग का शुभ प्रभाव दिखाई देगा।
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Shani Gochar 2023: शनिदेव 30 साल बाद कुंभ राशि में दोबारा से गोचर करने वाले हैं। ज्योतिष में शनि का गोचर हमेशा से ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सभी ग्रहों में शनि सबसे मंदगति से चलने वाले ग्रह हैं। ये एक से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब ढाई वर्षो का समय लेते हैं। इस वजह से किसी राशि पर इनका ज्यादा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है। 15 जनवरी को सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे फिर उसके दो दिन बाद यानी 17 जनवरी को शनिदेव भी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ये महायोग कई राशियों के जातकों के लिए जीवन में बड़े बदलाव लानेवाला है।
Surya Gochar 2023: इस महीने सूर्य और शनि का दुर्लभ संयोग होने वाला है। 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि, मकर राशि के स्वामी हैं। वहीं सूर्य को शनि का पिता माना जाता है। सूर्य के पास राज करने के अधिकार हैं, तो शनि को उनका सेवक माना जाता है। लेकिन शनि को कर्मफलदाता भी माना जाता है। ज्योतिष में इन दोनों के बीच शत्रुता कही गई है।
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अशोक के पत्तों का उपयोग धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है। अशोक के पत्ते बेहद शुभ माने जाते हैं। किसी भी शुभ अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर अशोक या आम के पत्तों से बनी माला अवश्य लटकाई जाती है। ऐसा करने के पीछे कई ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं। इसके पत्ते पूजा के कलश में भी रखे जाते हैं। ज्योतिष में अशोक के पत्तों के कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करके आप अपने जीवन की समस्त समस्याओं से पीछा छुड़ा सकते हैं।
Shani Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 17 जनवरी 2023 को स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे। मार्च 2025 तक कुंभ में ही रहेंगे। शनि के स्वराशि कुंभ में गोचर करते ही कुछ राशियों से शनि साढ़े साती और ढैय्या हट जाएगी। वहीं, कुंभ, मीन, मकर राशि के लिए कठिन समय शुरू हो जाएगा। सबसे ज्यादा मुश्किल समय 2023 से 2025 तक कुंभ राशि वालों के लिए रहेगा। इस दौरान तीनों राशि के जातकों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा और गुस्से पर नियंत्रण पाना होगा।
Garuda Purana: सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में कुछ ऐसी आदतों का जिक्र किया गया है। जिनका समय पर त्याग कर देना चाहिए। यदि इन आदतों को समय पर नहीं छोड़ा गया तो व्यक्ति कंगाल हो जाता है। कुछ ही समय में राजा से रंक बन जाता है। गरुड़ पुराण में वर्णित बातों का अनुसरण करने पर व्यक्ति अपने जीवन में सुखों का भोग करता है। जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं, जिनसे व्यक्ति को दूरी बनाने में ही भलाई है।