संवत 2076 की भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक इस साल ये 2 सितंबर यानी सोमवार को है। विनायक चतुर्थी अथवा गणेश चौथ के नामों से भी जाने जानी वाली गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी पर गणपति को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। सभी के प्रिय देवता गणेश शुभ आरंभ यानी श्रीगणेश के भी प्रतिरूप है। 10 दिनों के गणेश चतुर्थी से अनंत चौदस तक चलने वाला महोत्सव हर प्रदेश में, विशेषकर महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है।
वर्ष 2019 में 2 सितंबर से 12 सितंबर तक चलने वाले इस उत्सव में हरेक व्यक्ति भगवान गणपति की कृपा पाने का इच्छुक रहता है। किसी भी कार्य को यदि सही मुहूर्त पर सम्पन्न किया जाता है तो कार्य की सफलता व सुख-शांति निश्चित हो जाती है। गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर सोमवार यानी 2 सितंबर को सुबह स्नान कर द्विस्वभाव लग्न कन्या में प्रात: 7:10 बजे से सुबह 9:26 तक, चर लग्न तुला मे 9:26 से 11:44 तक या फिर धनु द्विस्वभाव लग्न दोपहर 2:03 से 4:07 बजे तक अथवा चर लगन मकर में शाम 4:08 बजे से 5:50 बजे तक के बीच में इको फ्रेंडली गणेश जी की स्थापना घर, पार्क, पंडाल में करेंगे तो अतिशुभ फल मिलेगी।
लग्न मुहूर्त के अतिरिक्त विशेष मुहूर्त के रूप में देखें तो ऐसा माना जाता है कि गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के मध्यांह् के समय हुआ था। इस बार अतिशुभ मध्यांह् काल मुहूर्त दिन में 11:05 से दोपहर 1:38 मिनट रहेगा।
आप गाय के गोबर, मिट्टी, तांबे, चांदी आदि की मूर्ति या प्रतिमा अपनी श्रद्धानुसार स्थापित कर सकते हैं। मूर्ति स्थापने के पश्चात भगवान गणेश को दूध, दही, घी, चीनी, शहद के पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराने से बाद तिलक करे। इत्र, कुंडल, माला पहनाकार आभूषण से सजायें। धूप या घी की जोत जलाकर मंत्र उच्चारण के बाद आरती कर भोग लगाकर प्रसाद लोगों के बीच बांटे। मोदक भगवान गणेश को बहुत प्रिय है।
ऐसा माना जाता है कि शाम को नजरें नीची कर अर्घ्य देना चाहिए। गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन की मनाही होती है। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। परिवार की परंपरा के अनुसार एक दिन, डेढ़ दिन, तीसरे दिन, पांचवे दिन, सांतवे दिन, नौंवे दिन या आखिरीदिन गणेश स्थापना की जाती है। 10वें दिन अनंत चतर्दशी का उत्सव गणेश विसर्जन का होता है। गणपति को धूमधाम से अगले साल आने के स्वागत निमंत्रण के साथ विदा किया जाता है।
आचार्य डॉ.ज्योति वर्धन साहनी
(ज्योतिषाचार्य व महावास्तु विशेषज्ञ)
Hanuman Jayanti 2023 Upay : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 6 अप्रैल 2023, गुरुवार (Hanuman Jayanti 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से साधकों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सभी नौ ग्रह सही समय पर राशि चक्र में गोचर करते हैं। अन्य ग्रहों के साथ युति भी बनाते हैं। इन ग्रहों के गोचर और युति से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इस समय शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में है। कुंभ में सूर्य देव भी हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति और शुक्र मीन राशि में युति कर रहे हैं। इस प्रकार इन ग्रहों की स्थिति पंच महायोग बना रही है। 19 फरवरी से केदार योग, शंख योग, शश योग, ज्येष्ठ योग और सर्वार्थसिद्धि योग बना है। 5 महायोगों का दुर्लभ संयोग 700 साल बाद अपना प्रभाव दिखाएगा। कुछ राशियों पर इस योग का शुभ प्रभाव दिखाई देगा।
यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान है। आय से अधिक खर्च हो रहा है। कई बार प्रयास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। कारोबार को लेकर परेशान हैं या किसी रोग से पीड़ित हैं, तो हम आपको होलिका दहन के समय किए जाने वाले कुछ उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह उपाय सही दिन और सही समय पर किया जाए, तो नौकरी, शिक्षा, धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Shani Gochar 2023: शनिदेव 30 साल बाद कुंभ राशि में दोबारा से गोचर करने वाले हैं। ज्योतिष में शनि का गोचर हमेशा से ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सभी ग्रहों में शनि सबसे मंदगति से चलने वाले ग्रह हैं। ये एक से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब ढाई वर्षो का समय लेते हैं। इस वजह से किसी राशि पर इनका ज्यादा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है। 15 जनवरी को सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे फिर उसके दो दिन बाद यानी 17 जनवरी को शनिदेव भी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ये महायोग कई राशियों के जातकों के लिए जीवन में बड़े बदलाव लानेवाला है।
Surya Gochar 2023: इस महीने सूर्य और शनि का दुर्लभ संयोग होने वाला है। 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि, मकर राशि के स्वामी हैं। वहीं सूर्य को शनि का पिता माना जाता है। सूर्य के पास राज करने के अधिकार हैं, तो शनि को उनका सेवक माना जाता है। लेकिन शनि को कर्मफलदाता भी माना जाता है। ज्योतिष में इन दोनों के बीच शत्रुता कही गई है।
Astrology News: संपूर्ण ब्राह्मांड के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को गुरुवार का दिन समर्पित होता है। इस दिन यदि कोई जातक उनका व्रत रखता है एवं विशेष पूजा करता है तो उसे अपार धन लाभ होता है। विष्णु भगवान की पूजा से उसे लक्ष्मी माता की कृपा भी प्राप्त हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कुछ राशियों ऐसी भी जिन्हें भगवान विष्णु की कृपा से कभी धन की हानि का सामना नहीं करना पड़ता है। आइये जानते हैं उन राशियों के बारे में पूरी जानकारी।
Libra Yearly Horoscope 2023: इस वर्ष तुला राशि के जातकों को हर क्षेत्र में लाभ होने वाला है। साथ ही आकस्मिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। जनवरी की शुरूआत में परिवार में कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। जिसके कारण परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा। इस वर्ष आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है। पढ़िए सम्पूर्ण वार्षिक राशिफल।
अशोक के पत्तों का उपयोग धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है। अशोक के पत्ते बेहद शुभ माने जाते हैं। किसी भी शुभ अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर अशोक या आम के पत्तों से बनी माला अवश्य लटकाई जाती है। ऐसा करने के पीछे कई ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं। इसके पत्ते पूजा के कलश में भी रखे जाते हैं। ज्योतिष में अशोक के पत्तों के कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करके आप अपने जीवन की समस्त समस्याओं से पीछा छुड़ा सकते हैं।
Shani Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 17 जनवरी 2023 को स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे। मार्च 2025 तक कुंभ में ही रहेंगे। शनि के स्वराशि कुंभ में गोचर करते ही कुछ राशियों से शनि साढ़े साती और ढैय्या हट जाएगी। वहीं, कुंभ, मीन, मकर राशि के लिए कठिन समय शुरू हो जाएगा। सबसे ज्यादा मुश्किल समय 2023 से 2025 तक कुंभ राशि वालों के लिए रहेगा। इस दौरान तीनों राशि के जातकों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा और गुस्से पर नियंत्रण पाना होगा।
Garuda Purana: सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में कुछ ऐसी आदतों का जिक्र किया गया है। जिनका समय पर त्याग कर देना चाहिए। यदि इन आदतों को समय पर नहीं छोड़ा गया तो व्यक्ति कंगाल हो जाता है। कुछ ही समय में राजा से रंक बन जाता है। गरुड़ पुराण में वर्णित बातों का अनुसरण करने पर व्यक्ति अपने जीवन में सुखों का भोग करता है। जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं, जिनसे व्यक्ति को दूरी बनाने में ही भलाई है।