प्रथम भाव में
पहले भाव मे शनि गोचर की गति और दशा मे शोक पैदा करते हैं। प्रथम भाव में शनि अपने स्थान से तीसरे भाव को भी देखता है। प्रथम भाव का शनि सुनने में कमी कर देता है, और सामने वाले को जोर से बोलने पर ही सुनायी देता है, या वह कुछ का कुछ समझ लेता है। कर्इ बार इसीलिये जीवन साथी के साथ कुछ सुनने और कुछ समझने के कारण सम्बन्धों मे कडुवाहट घुल जाती है, और सम्बन्ध टूट भी जाते हैं। प्रथम भाव से दसवी नजर सीधी कर्म भाव पर भी पड़ती है।
दूसरे भाव में
दूसरा भाव, धन का भाव है,यानि रुपया,पैसा,सोना,चान्दी,हीरा,मोती,जेवरात आदि। शनि देव दूसरे भाव में अपने ही परिवार वालों से झगड़ा करवा देते हैं।यहां शनि चौथे भाव आैर आठवें भाव को भी देखता है। जिनके इस भाव में शनि होता है वे कुछ करना चाहते हैं कुछ और ही समझ मे आता है।
तीसरे भाव में शनि
शनि का तीसरा भाव पराक्रम का होता है। इस भाव से शनि पंचम भाव को भी देखता है, जिनमे शिक्षा,संतान और तुरंत आने वाले धन का पता चलता है। नवें भाव को भी तीसरा शनि आहत करता है, जब शनि इस भाव में होता है तो व्यक्ति के ननिहाल खानदान को प्रताड़ित करता है।
चौथे भाव मे शनि
चौथे भाव में शनि का मुख्य प्रभाव व्यक्ति के लिये काफ़ी कष्ट देने वाला होता है।पुराणों के अनुसार इस शनि की उपस्थिति आजीवन कष्ट देने वाली बतार्इ गर्इ है। हां अगर यह शनि तुला, मकर, कुम्भ या मीन का होता है, तो इससे मिलने वाले कष्टों मे कुछ कमी आ जाती है।
पांचवे भाव का शनि
इस भाव मे शनि व्यक्ति को मन्त्र वेत्ता बना देता है जिनके चलते वो अनेक लोगों का भला करने वाला तो बन जाता है, लेकिन अपने लिये आैर जीवनसाथी, जायदाद, और नगद धन के साथ जमा पूंजी के लिये दुख ही उठाता है। इस भाव में शनि के होने से संतति मे विलंब होता है,आैर जीवनसाथी के साथ मन मुटाव होने के कारण संबंधों आैर जीवन के प्रति उदासीनता आ जाती है।
छठे भाव में शनि
इस भाव मे शनि सभी प्रकार के दैहिक, दैविक और भौतिक रोगों का कारण बन जाता है, लेकिन ये पारिवारिक शत्रुता को समाप्त कर देता है। ,जिस व्यक्ति के छठे भाव में शनि होता है वह नौकरी में सफ़ल होता रहता है, लेकिन अगर वो स्वयं को काम करना चाहता है तो असफ़ल हो जाता है। इस भाव का शनि कही आने जाने पर रास्तों मे भटकाव भी देता है, और अक्सर लोग जानी पहचानी जगह को भी भूल जाते है।
सातवें भाव मे शनि
शनि का सातवां भाव पत्नी और मन्त्रणा करने वाले लोगो से संबंधित होता है। इससे ग्रसित व्यक्ति दूसरों की अपेक्षा अपने को हमेशा हर बात में छोटा ही समझता रहता है, आैर कुंठा का शिकार हो जाता है। पेट और जनन अंगो मे सूजन और महिलाआें की बच्चेदानी आदि की बीमारियां इसी शनि के कारण से मिलती है।
आठवें भाव में शनि
मान्यता है कि इस भाव का शनि खाने-पीने और मौज-मस्ती करने के चक्कर में जेब हमेशा खाली रखता है। किस काम को कब करना है इसका अन्दाज नही होने के कारण इससे ग्रस्त व्यक्ति अक्सर आवारागीरी चक्कर में पड़ जाता है। वैसे आठवें भाव में उच्च का शनि अत्तीन्द्रीय ज्ञान की क्षमता भी देता हैं आैर गुप्त ज्ञान का कारक भी बनता है।
नौवें भाव का शनि
नवां भाव भाग्य का माना गया है, इस भाव में शनि होने पर कठिन और दुखदायी यात्रायें करने की संभावना होती है। इससे जुड़ा व्यक्ति सेल्स या दूसरे ट्रैवलिंग वाले कामों से जुड़ा होता है। हालांकि अगर यह भाव सकारात्मक हो तो व्यक्ति मजाकिया आैर हंसने हंसाने वाला हो सकता है परंतु विपरीत होने पर वो गंभीर आैर एकांतप्रिय हो जाता है। नवें शनि वालों को जानवर पालना बहुत अच्छा लगता है आैर वो प्रकाशन के काम से भी जुड़े हो सकते हैं।
दसवें भाव का शनि
शनि का दसवां भाव व्यक्ति के मन को कठिन कामो की तरफ़ ले जाता है, इसीलिए मेहनत वाले, जैसे लकडी, पत्थर, लोहे आदि के काम सब दसवें शनि के क्षेत्र मे आते हैं। एेसे व्यक्ति की नजर बहुत ही तेज होती है वह किसी भी रखी चीज को नही भूलता है, मेहनत की कमाकर खाना जानता है, पर अपने रहने के मकान का केवल ढांचा ही बना पाता है, कभी भी बढ़िया आलीशान मकान नहीं तैयार पाता है।
ग्यारहवें भाव का शनि
शनि दवाइयों का कारक भी है, और इस घर मे वह व्यक्ति को साइंटिस्ट भी बना सकता है। जरा भी प्रखर बुद्घि वाला बुध का साथ पा जाए तो गणित के फ़ार्मूले और नई खोज भी कर सकता है। इस भाव से ग्रस्त अक्सर परिवार आैर रिश्तों के प्रति उदासीन होता है।
बारहवें भाव का शनि
बारहवां भाव धर्म का घर होता है, परंतु ये व्यक्ति को जन्म के बाद अपने जन्म स्थान से दूर कर देता है। यह दूरी शनि के अंशों पर निर्भर करती है। एेसे व्यक्ति का रुझान हमेशा धन के प्रति होता है। कर्जा, दुश्मनी आैर बीमारियों से उसे नफ़रत होती है।
Hanuman Jayanti 2023 Upay : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 6 अप्रैल 2023, गुरुवार (Hanuman Jayanti 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से साधकों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सभी नौ ग्रह सही समय पर राशि चक्र में गोचर करते हैं। अन्य ग्रहों के साथ युति भी बनाते हैं। इन ग्रहों के गोचर और युति से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इस समय शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में है। कुंभ में सूर्य देव भी हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति और शुक्र मीन राशि में युति कर रहे हैं। इस प्रकार इन ग्रहों की स्थिति पंच महायोग बना रही है। 19 फरवरी से केदार योग, शंख योग, शश योग, ज्येष्ठ योग और सर्वार्थसिद्धि योग बना है। 5 महायोगों का दुर्लभ संयोग 700 साल बाद अपना प्रभाव दिखाएगा। कुछ राशियों पर इस योग का शुभ प्रभाव दिखाई देगा।
यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान है। आय से अधिक खर्च हो रहा है। कई बार प्रयास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। कारोबार को लेकर परेशान हैं या किसी रोग से पीड़ित हैं, तो हम आपको होलिका दहन के समय किए जाने वाले कुछ उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह उपाय सही दिन और सही समय पर किया जाए, तो नौकरी, शिक्षा, धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Shani Gochar 2023: शनिदेव 30 साल बाद कुंभ राशि में दोबारा से गोचर करने वाले हैं। ज्योतिष में शनि का गोचर हमेशा से ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सभी ग्रहों में शनि सबसे मंदगति से चलने वाले ग्रह हैं। ये एक से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब ढाई वर्षो का समय लेते हैं। इस वजह से किसी राशि पर इनका ज्यादा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है। 15 जनवरी को सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे फिर उसके दो दिन बाद यानी 17 जनवरी को शनिदेव भी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ये महायोग कई राशियों के जातकों के लिए जीवन में बड़े बदलाव लानेवाला है।
Surya Gochar 2023: इस महीने सूर्य और शनि का दुर्लभ संयोग होने वाला है। 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि, मकर राशि के स्वामी हैं। वहीं सूर्य को शनि का पिता माना जाता है। सूर्य के पास राज करने के अधिकार हैं, तो शनि को उनका सेवक माना जाता है। लेकिन शनि को कर्मफलदाता भी माना जाता है। ज्योतिष में इन दोनों के बीच शत्रुता कही गई है।
Astrology News: संपूर्ण ब्राह्मांड के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को गुरुवार का दिन समर्पित होता है। इस दिन यदि कोई जातक उनका व्रत रखता है एवं विशेष पूजा करता है तो उसे अपार धन लाभ होता है। विष्णु भगवान की पूजा से उसे लक्ष्मी माता की कृपा भी प्राप्त हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कुछ राशियों ऐसी भी जिन्हें भगवान विष्णु की कृपा से कभी धन की हानि का सामना नहीं करना पड़ता है। आइये जानते हैं उन राशियों के बारे में पूरी जानकारी।
Libra Yearly Horoscope 2023: इस वर्ष तुला राशि के जातकों को हर क्षेत्र में लाभ होने वाला है। साथ ही आकस्मिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। जनवरी की शुरूआत में परिवार में कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। जिसके कारण परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा। इस वर्ष आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है। पढ़िए सम्पूर्ण वार्षिक राशिफल।
अशोक के पत्तों का उपयोग धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है। अशोक के पत्ते बेहद शुभ माने जाते हैं। किसी भी शुभ अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर अशोक या आम के पत्तों से बनी माला अवश्य लटकाई जाती है। ऐसा करने के पीछे कई ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं। इसके पत्ते पूजा के कलश में भी रखे जाते हैं। ज्योतिष में अशोक के पत्तों के कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करके आप अपने जीवन की समस्त समस्याओं से पीछा छुड़ा सकते हैं।
Shani Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 17 जनवरी 2023 को स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे। मार्च 2025 तक कुंभ में ही रहेंगे। शनि के स्वराशि कुंभ में गोचर करते ही कुछ राशियों से शनि साढ़े साती और ढैय्या हट जाएगी। वहीं, कुंभ, मीन, मकर राशि के लिए कठिन समय शुरू हो जाएगा। सबसे ज्यादा मुश्किल समय 2023 से 2025 तक कुंभ राशि वालों के लिए रहेगा। इस दौरान तीनों राशि के जातकों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा और गुस्से पर नियंत्रण पाना होगा।
Garuda Purana: सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में कुछ ऐसी आदतों का जिक्र किया गया है। जिनका समय पर त्याग कर देना चाहिए। यदि इन आदतों को समय पर नहीं छोड़ा गया तो व्यक्ति कंगाल हो जाता है। कुछ ही समय में राजा से रंक बन जाता है। गरुड़ पुराण में वर्णित बातों का अनुसरण करने पर व्यक्ति अपने जीवन में सुखों का भोग करता है। जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं, जिनसे व्यक्ति को दूरी बनाने में ही भलाई है।