रोगों को दूर करने की क्षमता
वैसे तो ये माना ही जाता है कि देवी कुष्मांडा का पूजन करने से अनेक रोग दूर होते हैैं, जिनमें नेत्र रोग भी शामिल हैं, पर उत्तर प्रदेश के कानपुर के निकट घाटमपुर कस्बे में स्थित माता कुष्मांडा के मंदिर के जल से वास्तव में नेत्र विकार दूर होने की मान्यता है। पंडित दीपक पांडे का भी कहना है कि मंदिर में रहस्यमयी रूप से रिस रहे जल को यदि आंखों पर लगाया जाए तो अनेक रोग दूर हो सकते हैं। इस मंदिर में ये चमत्कारी जल माता की पिंड रूपी मूर्ति से लगातार रिसता रहता है। हर वर्ष नवरात्रि की चतुर्थी तिथि पर हजारों भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं आैर अपनी मनोकामना पूरी होने पर उनको चुनर, ध्वजा, नारियल और घंटे के अलावा भीगे चने भी चढ़ाते हैं।
इकलौता मंदिर
बताते हैं कि घाटमपुर स्थित ये मां कूष्मांडा का मंदिर इकलौता है। इतिहासकारों की माने तो मराठा शैली में बने मंदिर में स्थापित मूर्तियां संभवत: दूसरी से दसवीं शताब्दी के मध्य की हैं। कहा जाता है कि एक ग्वाले ने सपने में देवी के दर्शन कर उनके इस स्थान पर मौजूद होने की बात बतार्इ थी। जिसके बाद मंदिर का निर्माण 1890 में चंदनराम भुर्जी नाम के एक व्यवसायी ने करवाया था। इतिहासकारों के अनुसार वास्तव में पहली बार १३८० में स्थानीय राजा घाटमपुर दर्शन ने इसकी नींव रखी थी। देवी की मूर्ति खोजने वाले ग्वाले के नाम पर इस मंदिर को कुड़हा देवी मंदिर भी कहा जाता है।
संसार की निर्माता
पौराणिक कथाआें के अनसार ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण ही इन देवी को कूष्मांडा कहा जाता है। इसी कारण यह सृष्टि की आदि स्वरूपा आदि शक्ति मानी जाती हैं। बलियों में इन्हें कुम्हड़े की बलि सर्वाधिक प्रिय है। कहते हैं कि इस मंदिर में माता पिंडी के रूप में विराजित हैं। इनका आदि आैर अंत नहीं मिलता इसी कारण ये लेटी मुद्रा में प्रतीत होती है। एेसी भी मान्यता है कि किसी अज्ञात स्रोत से माता कुष्मांडा के इस मंदिर में लगातार जल आता रहता है आैर कभी समाप्त नहीं होता। इसी जल को आखों पर लगाने से कर्इ प्रकार के नेत्र रोगों से छुटकारा मिल जाता है। सितंबर 1988 से मंदिर में मां की एक अखंड ज्योति भी निरंतर प्रज्ज्वलित हो रही है।
पुस्तकों में भी की चर्चा
कर्इ पुस्तकों में मंदिर निर्माण आैर महत्व का जिक्र किया गया है। भदरस गांव के एक कवि उम्मेदराय खरे ने सन 1783 में फारसी में ऐश आफ्जा नाम की पांडुलिपि लिखी थी, जिसमें माता कुष्मांडा और भदरस की माता भद्रकाली का वर्णन किया है। इसी तरह कानपुर के इतिहासकार लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और नारायण प्रसाद अरोड़ा ने भी कुष्मांडा देवी मंदिर का उल्लेख किया है।
Hanuman Jayanti 2023 Upay : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 6 अप्रैल 2023, गुरुवार (Hanuman Jayanti 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से साधकों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सभी नौ ग्रह सही समय पर राशि चक्र में गोचर करते हैं। अन्य ग्रहों के साथ युति भी बनाते हैं। इन ग्रहों के गोचर और युति से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इस समय शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में है। कुंभ में सूर्य देव भी हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति और शुक्र मीन राशि में युति कर रहे हैं। इस प्रकार इन ग्रहों की स्थिति पंच महायोग बना रही है। 19 फरवरी से केदार योग, शंख योग, शश योग, ज्येष्ठ योग और सर्वार्थसिद्धि योग बना है। 5 महायोगों का दुर्लभ संयोग 700 साल बाद अपना प्रभाव दिखाएगा। कुछ राशियों पर इस योग का शुभ प्रभाव दिखाई देगा।
यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान है। आय से अधिक खर्च हो रहा है। कई बार प्रयास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। कारोबार को लेकर परेशान हैं या किसी रोग से पीड़ित हैं, तो हम आपको होलिका दहन के समय किए जाने वाले कुछ उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह उपाय सही दिन और सही समय पर किया जाए, तो नौकरी, शिक्षा, धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Shani Gochar 2023: शनिदेव 30 साल बाद कुंभ राशि में दोबारा से गोचर करने वाले हैं। ज्योतिष में शनि का गोचर हमेशा से ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सभी ग्रहों में शनि सबसे मंदगति से चलने वाले ग्रह हैं। ये एक से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब ढाई वर्षो का समय लेते हैं। इस वजह से किसी राशि पर इनका ज्यादा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है। 15 जनवरी को सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे फिर उसके दो दिन बाद यानी 17 जनवरी को शनिदेव भी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ये महायोग कई राशियों के जातकों के लिए जीवन में बड़े बदलाव लानेवाला है।
Surya Gochar 2023: इस महीने सूर्य और शनि का दुर्लभ संयोग होने वाला है। 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि, मकर राशि के स्वामी हैं। वहीं सूर्य को शनि का पिता माना जाता है। सूर्य के पास राज करने के अधिकार हैं, तो शनि को उनका सेवक माना जाता है। लेकिन शनि को कर्मफलदाता भी माना जाता है। ज्योतिष में इन दोनों के बीच शत्रुता कही गई है।
Astrology News: संपूर्ण ब्राह्मांड के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को गुरुवार का दिन समर्पित होता है। इस दिन यदि कोई जातक उनका व्रत रखता है एवं विशेष पूजा करता है तो उसे अपार धन लाभ होता है। विष्णु भगवान की पूजा से उसे लक्ष्मी माता की कृपा भी प्राप्त हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कुछ राशियों ऐसी भी जिन्हें भगवान विष्णु की कृपा से कभी धन की हानि का सामना नहीं करना पड़ता है। आइये जानते हैं उन राशियों के बारे में पूरी जानकारी।
Libra Yearly Horoscope 2023: इस वर्ष तुला राशि के जातकों को हर क्षेत्र में लाभ होने वाला है। साथ ही आकस्मिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। जनवरी की शुरूआत में परिवार में कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। जिसके कारण परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा। इस वर्ष आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है। पढ़िए सम्पूर्ण वार्षिक राशिफल।
अशोक के पत्तों का उपयोग धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है। अशोक के पत्ते बेहद शुभ माने जाते हैं। किसी भी शुभ अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर अशोक या आम के पत्तों से बनी माला अवश्य लटकाई जाती है। ऐसा करने के पीछे कई ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं। इसके पत्ते पूजा के कलश में भी रखे जाते हैं। ज्योतिष में अशोक के पत्तों के कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करके आप अपने जीवन की समस्त समस्याओं से पीछा छुड़ा सकते हैं।
Shani Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 17 जनवरी 2023 को स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे। मार्च 2025 तक कुंभ में ही रहेंगे। शनि के स्वराशि कुंभ में गोचर करते ही कुछ राशियों से शनि साढ़े साती और ढैय्या हट जाएगी। वहीं, कुंभ, मीन, मकर राशि के लिए कठिन समय शुरू हो जाएगा। सबसे ज्यादा मुश्किल समय 2023 से 2025 तक कुंभ राशि वालों के लिए रहेगा। इस दौरान तीनों राशि के जातकों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा और गुस्से पर नियंत्रण पाना होगा।
Garuda Purana: सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में कुछ ऐसी आदतों का जिक्र किया गया है। जिनका समय पर त्याग कर देना चाहिए। यदि इन आदतों को समय पर नहीं छोड़ा गया तो व्यक्ति कंगाल हो जाता है। कुछ ही समय में राजा से रंक बन जाता है। गरुड़ पुराण में वर्णित बातों का अनुसरण करने पर व्यक्ति अपने जीवन में सुखों का भोग करता है। जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं, जिनसे व्यक्ति को दूरी बनाने में ही भलाई है।