क्या है सावन माह का महत्व
सर्वप्रथम जानिए कि आखिर सावन माह का ही क्या महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन माह में ही समुद्र मंथन किया गया था। मंथन के दौरान समुद्र से विष निकला, जिसे भगवान शंकर ने अपने कंठ में उतारकर संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी। इसलिए माना जाता है कि इस माह में उनकी उपासना से विशेष कृपा प्राप्त होती है। सावन माह के विशेष दिनों में भगवान शिव का विविध रूपों में श्रृंगार होता है आैर इन दिनों में शिव भक्त उपवास रख कर शिव आराधना में लीन रहते हैं। साथ ही इसी माह में कावड़ यात्रा का दौर भी शुरू होता है। पूरे माह लोग शिव आराधना में लीन रहेंगे और पुण्य प्राप्त करेंगे, क्योंकि इसी माह भगवान विष्णु के योग निद्रा में लीन होने के बाद शिव जगत के कल्याण के लिए जाग्रत मुद्रा में आ जाते हैं। सावन मास को मासोत्तम मास कहा जाता है।
कांवड़ यात्रा का महत्व
सावन मास में लाखों भक्त विभिन्न स्थानों से गंगा आैर अन्य पवित्र नदियों आैर जलाशयों से कांवड़ में जल लेकर पदयात्रा करके शिव मंदिर आते हैं आैर जलाभिषेक करते हैं। इस परंपरा का सावन माह की शिव पूजा में अत्याधिक महत्व माना जाता है। कहते हैं कि भगवान परशुराम, शिव जी के पूजन के लिए पुरा महादेव में मंदिर की स्थापना करने के बाद कांवड़ में गंगाजल भर कर पदयात्रा करके आये आैर उस जल से शंकर जी का अभिषेक कर कांवड़ परंपरा की शुरुआत की थी। साथ ही ये भी माना जाता है कि जब समुद्र मंथन से निकले विष का पान करने से शिव जी की देह जलने लगी तो उसे शांत करने के लिए देवताआें ने विभिन्न पवित्र नदियों आैर सरोवरों के जल से उन्हें स्नान कराया। यही कारण है भगवान शिव कांवड़ के जल से अभिषेक करने पर सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं।
जल चढ़ाने का भी है विशेष महत्व
कांवड़ के रहस्य के साथ ही जुड़ी है शिव के जलाभिषेक की परंपरा जो सावन माह में शिव पूजन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है। भगवान शिव की मूर्ति व शिवलिंग पर जल चढ़ाने का महत्व भी समुद्र मंथन की कथा से ही जुड़ा हुआ है। अग्नि के समान विष पीने के बाद शिव का कंठ एकदम नीला पड़ गया था। इसी विष की उष्णता को शांत कर भगवान भोले को शीतलता प्रदान करने के लिए शिव पूजा में जल का विशेष महत्व माना जाता है। इसके साथ ही परंपरा के अनुसार शिव स्वयं जल ही माना गया है। शिवपुराण में कहा गया है कि संजीवनं समस्तस्य जगत: सलिलात्मकम्। भव इत्युच्यते रूपं भवस्य परमात्मन:॥ जो जल समस्त जगत के प्राणियों में जीवन का संचार करता है वह जल स्वयं उस परमात्मा शिव का रूप है, यानि भगवान शिव ही स्वयं जल हैं। इसीलिए जल का अपव्यय नहीं करना चाहिए बल्कि उसका महत्व समझकर उसकी पूजा करना चाहिए।
बेलपत्र और शमीपत्र का महत्व
शिव की पूजा सामान्य दिनों में हो या सावन माह में भक्त उनको प्रसन्न करने केलिए बेलपत्र और शमीपत्र अवश्य चढ़ाते हैं। इस संबंध में एक पौराणिक कथा भी प्रसिद्घ हे जिसमें बताया गया है कि जब 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि ब्रह्म जी से जाननी चाही तो उन्होंने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक शमीपत्र का महत्व होता है।
सावन सोमवार आैर श्रवण नक्षत्र का महत्व
इसी प्रकार श्रवण नक्षत्र तथा सोमवार से भगवान शिव शंकर का गहरा संबंध है। हिंदू पंचाग के अनुसार सभी मासों को किसी न किसी देवता के साथ संबंधित देखा जा सकता है, उसी प्रकार श्रवण में पड़ने वाले सावन मास को भगवान शिव जी के साथ देखा जाता है इस समय शिव आराधना का विशेष महत्व होता है। यह माह आशाओं की पूर्ति का समय होता है, आैर इस माह में पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार से शिव का सबसे करीब का रिश्ता होता है।
Hanuman Jayanti 2023 Upay : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 6 अप्रैल 2023, गुरुवार (Hanuman Jayanti 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से साधकों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सभी नौ ग्रह सही समय पर राशि चक्र में गोचर करते हैं। अन्य ग्रहों के साथ युति भी बनाते हैं। इन ग्रहों के गोचर और युति से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इस समय शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में है। कुंभ में सूर्य देव भी हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति और शुक्र मीन राशि में युति कर रहे हैं। इस प्रकार इन ग्रहों की स्थिति पंच महायोग बना रही है। 19 फरवरी से केदार योग, शंख योग, शश योग, ज्येष्ठ योग और सर्वार्थसिद्धि योग बना है। 5 महायोगों का दुर्लभ संयोग 700 साल बाद अपना प्रभाव दिखाएगा। कुछ राशियों पर इस योग का शुभ प्रभाव दिखाई देगा।
यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान है। आय से अधिक खर्च हो रहा है। कई बार प्रयास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। कारोबार को लेकर परेशान हैं या किसी रोग से पीड़ित हैं, तो हम आपको होलिका दहन के समय किए जाने वाले कुछ उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह उपाय सही दिन और सही समय पर किया जाए, तो नौकरी, शिक्षा, धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Shani Gochar 2023: शनिदेव 30 साल बाद कुंभ राशि में दोबारा से गोचर करने वाले हैं। ज्योतिष में शनि का गोचर हमेशा से ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सभी ग्रहों में शनि सबसे मंदगति से चलने वाले ग्रह हैं। ये एक से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब ढाई वर्षो का समय लेते हैं। इस वजह से किसी राशि पर इनका ज्यादा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है। 15 जनवरी को सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे फिर उसके दो दिन बाद यानी 17 जनवरी को शनिदेव भी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ये महायोग कई राशियों के जातकों के लिए जीवन में बड़े बदलाव लानेवाला है।
Surya Gochar 2023: इस महीने सूर्य और शनि का दुर्लभ संयोग होने वाला है। 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि, मकर राशि के स्वामी हैं। वहीं सूर्य को शनि का पिता माना जाता है। सूर्य के पास राज करने के अधिकार हैं, तो शनि को उनका सेवक माना जाता है। लेकिन शनि को कर्मफलदाता भी माना जाता है। ज्योतिष में इन दोनों के बीच शत्रुता कही गई है।
Astrology News: संपूर्ण ब्राह्मांड के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को गुरुवार का दिन समर्पित होता है। इस दिन यदि कोई जातक उनका व्रत रखता है एवं विशेष पूजा करता है तो उसे अपार धन लाभ होता है। विष्णु भगवान की पूजा से उसे लक्ष्मी माता की कृपा भी प्राप्त हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कुछ राशियों ऐसी भी जिन्हें भगवान विष्णु की कृपा से कभी धन की हानि का सामना नहीं करना पड़ता है। आइये जानते हैं उन राशियों के बारे में पूरी जानकारी।
Libra Yearly Horoscope 2023: इस वर्ष तुला राशि के जातकों को हर क्षेत्र में लाभ होने वाला है। साथ ही आकस्मिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। जनवरी की शुरूआत में परिवार में कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। जिसके कारण परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा। इस वर्ष आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है। पढ़िए सम्पूर्ण वार्षिक राशिफल।
अशोक के पत्तों का उपयोग धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है। अशोक के पत्ते बेहद शुभ माने जाते हैं। किसी भी शुभ अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर अशोक या आम के पत्तों से बनी माला अवश्य लटकाई जाती है। ऐसा करने के पीछे कई ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं। इसके पत्ते पूजा के कलश में भी रखे जाते हैं। ज्योतिष में अशोक के पत्तों के कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करके आप अपने जीवन की समस्त समस्याओं से पीछा छुड़ा सकते हैं।
Shani Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 17 जनवरी 2023 को स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे। मार्च 2025 तक कुंभ में ही रहेंगे। शनि के स्वराशि कुंभ में गोचर करते ही कुछ राशियों से शनि साढ़े साती और ढैय्या हट जाएगी। वहीं, कुंभ, मीन, मकर राशि के लिए कठिन समय शुरू हो जाएगा। सबसे ज्यादा मुश्किल समय 2023 से 2025 तक कुंभ राशि वालों के लिए रहेगा। इस दौरान तीनों राशि के जातकों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा और गुस्से पर नियंत्रण पाना होगा।
Garuda Purana: सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में कुछ ऐसी आदतों का जिक्र किया गया है। जिनका समय पर त्याग कर देना चाहिए। यदि इन आदतों को समय पर नहीं छोड़ा गया तो व्यक्ति कंगाल हो जाता है। कुछ ही समय में राजा से रंक बन जाता है। गरुड़ पुराण में वर्णित बातों का अनुसरण करने पर व्यक्ति अपने जीवन में सुखों का भोग करता है। जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं, जिनसे व्यक्ति को दूरी बनाने में ही भलाई है।