शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक चलने वाले चातुर्मास को शत्रु नाश की अवधि भी कहते हैं इसमें श्रद्घालुआें को व्रत आैर पूजन से भगवान को प्रसन्न करने की सलाह दी जाती है। इस बार देवशयनी एकादशी या आषाढ़ी एकादशी यानि 23 जुलाई 2018 से हरिप्रबोधनी एवं देवउत्थान एकादशी तक यानि 19 नवम्बर 2018 तक चातुर्मास रहेगा। इस अवधि में प्रतिदिन सूर्योदय के समय स्नान आदि से निवृत होकर भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। पंडित दीपक पांडे के अनुसार इस व्रत में कुछ खाद्य पदार्थों को पूर्ण रूप से त्यागने का सिद्धांत है। जैसे सावन मास में साग-सब्जी, भाद्रपद मास में दही, अश्वनी मास में दूध और कार्तिक मास में दालें नहीं ग्रहण करनी चाहिए। चातुर्मास का व्रत करने वाले व्यक्ति को चारपाई पर सोना, मांस मदिरा का सेवन करना, शहर आदि का त्याग करना भी वर्जित होता है। इस अवधि में जमीन पर शयन करना चाहिए आैर पूर्णत शाकाहारी भोजन करना चाहिए। कहते हैं इस अवधि में गुड़, तेल, दूध, दही, बैंगन, आैर हरी सब्जी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
किस खाद्य पदार्थ के त्याग का क्या है अर्थ
ज्ञानियों के अनुसार चातुर्मास में हर खाद्य पदार्थ के त्याग में एक निहित अर्थ होता है, जैसे गुड़ का त्याग करने से मधुर स्वर प्राप्त होता है, तिल का त्याग करने से संतान की प्राप्त होती है और अंग-प्रत्यंग सुंदर हो जाते हैं, कड़वे तेल के त्याग से शत्रु का नाश होता है जी के त्याग से सौंदर्य मिलता है हरी सब्जी के त्याग से बुद्धि एवं संतान प्राप्त होती है, आैर वंश वृद्धि होती है। चातुर्मास में जो व्यक्ति उपवास करते हुए नमक का त्याग करता है उसके सभी पूर्व कर्म सफल होते हैं।
चातुर्मास में ध्यान रखने योग्य बातें
चातुर्मास में प्रभु की आराधना में पुरुष सूक्त, विष्णु सहस्रनाम अधिकार का नित्य पाठ करना चाहिए और ओम नमो भगवते वासुदेवाय या विष्णु गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार चातुर्मास में जो भर्ती विष्णु सूक्त की आरतियां तिल और चावल के साथ करता है वह निरोगी हो जाता है, जो व्यक्ति पुरुष सूक्त का पाठ करता है उसकी बुद्धि में वृद्धि होती है। इस अवधि में व्रत का भी बड़ा महत्व है आैर उसके भिन्न-भिन्न स्वरुप है। दिन में 1 बार भोजन करने से, लगातार उपवास कर के चौथे दिन भोजन करने से, आैर सप्ताह में एक दिन भोजन करने से अलग-अलग लाभ होता है। जो व्यक्ति प्रतिदिन नक्षत्रों का दर्शन करके एक ही बार भोजन करता है वह धनवान, रूपवान एवं माननीय होता है आैर उसे अपने भाई-बहन, बंधुओ से कभी वियोग योग नहीं होता। चातुर्मास में जो व्यक्ति एक दिन के अंतर में भोजन करता है वह सदा बैकुंठ धाम में निवास करता है। जो व्यक्ति छठे दिन भोजन करता है वह एवं अश्वमेघ यज्ञ आैर राज सूर्य यज्ञ का संपूर्ण फल प्राप्त करता है। जबकि 38 उपवास करके चौथे दिन भोजन करते हुए पूजन करता है वह व्यक्ति इस संसार में पुनर्जन्म नहीं लेता। चतुर्दशी व्रत समाप्त होने पर ब्राह्मण भोज करने की बात भी कही जाती है।
हर महीने में होती है अलग देवी देवता की पूजा
चातुर्मास के हर माह में अलग अलग देवी देवता की पूजा का विधान है। जैसे आषाढ़ के महीने में अंतिम समय में भगवान वामन और गुरु पूजा का विशेष महत्व होता है। वहीं सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना होती है। जबकि भाद्रपद में भगवान कृष्ण का जन्म होता है और उनकी पूजा की जाती है। आश्विन के महीने में देवी के शक्ति रूप की उपासना की जाती है, इसके बाद अंत में चौथे माह में यानि कार्तिक में देवउत्थान एकादशी को पुनः भगवान विष्णु का जागरण होता है और सृष्टि में मंगल कार्य आरम्भ हो जाते हैं, इसलिए इस माह में विष्णु जी की ही पूजा होती है।
Hanuman Jayanti 2023 Upay : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 6 अप्रैल 2023, गुरुवार (Hanuman Jayanti 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से साधकों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सभी नौ ग्रह सही समय पर राशि चक्र में गोचर करते हैं। अन्य ग्रहों के साथ युति भी बनाते हैं। इन ग्रहों के गोचर और युति से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इस समय शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में है। कुंभ में सूर्य देव भी हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति और शुक्र मीन राशि में युति कर रहे हैं। इस प्रकार इन ग्रहों की स्थिति पंच महायोग बना रही है। 19 फरवरी से केदार योग, शंख योग, शश योग, ज्येष्ठ योग और सर्वार्थसिद्धि योग बना है। 5 महायोगों का दुर्लभ संयोग 700 साल बाद अपना प्रभाव दिखाएगा। कुछ राशियों पर इस योग का शुभ प्रभाव दिखाई देगा।
यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान है। आय से अधिक खर्च हो रहा है। कई बार प्रयास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। कारोबार को लेकर परेशान हैं या किसी रोग से पीड़ित हैं, तो हम आपको होलिका दहन के समय किए जाने वाले कुछ उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह उपाय सही दिन और सही समय पर किया जाए, तो नौकरी, शिक्षा, धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Shani Gochar 2023: शनिदेव 30 साल बाद कुंभ राशि में दोबारा से गोचर करने वाले हैं। ज्योतिष में शनि का गोचर हमेशा से ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सभी ग्रहों में शनि सबसे मंदगति से चलने वाले ग्रह हैं। ये एक से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब ढाई वर्षो का समय लेते हैं। इस वजह से किसी राशि पर इनका ज्यादा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है। 15 जनवरी को सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे फिर उसके दो दिन बाद यानी 17 जनवरी को शनिदेव भी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ये महायोग कई राशियों के जातकों के लिए जीवन में बड़े बदलाव लानेवाला है।
Surya Gochar 2023: इस महीने सूर्य और शनि का दुर्लभ संयोग होने वाला है। 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि, मकर राशि के स्वामी हैं। वहीं सूर्य को शनि का पिता माना जाता है। सूर्य के पास राज करने के अधिकार हैं, तो शनि को उनका सेवक माना जाता है। लेकिन शनि को कर्मफलदाता भी माना जाता है। ज्योतिष में इन दोनों के बीच शत्रुता कही गई है।
Astrology News: संपूर्ण ब्राह्मांड के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को गुरुवार का दिन समर्पित होता है। इस दिन यदि कोई जातक उनका व्रत रखता है एवं विशेष पूजा करता है तो उसे अपार धन लाभ होता है। विष्णु भगवान की पूजा से उसे लक्ष्मी माता की कृपा भी प्राप्त हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कुछ राशियों ऐसी भी जिन्हें भगवान विष्णु की कृपा से कभी धन की हानि का सामना नहीं करना पड़ता है। आइये जानते हैं उन राशियों के बारे में पूरी जानकारी।
Libra Yearly Horoscope 2023: इस वर्ष तुला राशि के जातकों को हर क्षेत्र में लाभ होने वाला है। साथ ही आकस्मिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। जनवरी की शुरूआत में परिवार में कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। जिसके कारण परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा। इस वर्ष आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है। पढ़िए सम्पूर्ण वार्षिक राशिफल।
अशोक के पत्तों का उपयोग धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है। अशोक के पत्ते बेहद शुभ माने जाते हैं। किसी भी शुभ अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर अशोक या आम के पत्तों से बनी माला अवश्य लटकाई जाती है। ऐसा करने के पीछे कई ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं। इसके पत्ते पूजा के कलश में भी रखे जाते हैं। ज्योतिष में अशोक के पत्तों के कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करके आप अपने जीवन की समस्त समस्याओं से पीछा छुड़ा सकते हैं।
Shani Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 17 जनवरी 2023 को स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे। मार्च 2025 तक कुंभ में ही रहेंगे। शनि के स्वराशि कुंभ में गोचर करते ही कुछ राशियों से शनि साढ़े साती और ढैय्या हट जाएगी। वहीं, कुंभ, मीन, मकर राशि के लिए कठिन समय शुरू हो जाएगा। सबसे ज्यादा मुश्किल समय 2023 से 2025 तक कुंभ राशि वालों के लिए रहेगा। इस दौरान तीनों राशि के जातकों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा और गुस्से पर नियंत्रण पाना होगा।
Garuda Purana: सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में कुछ ऐसी आदतों का जिक्र किया गया है। जिनका समय पर त्याग कर देना चाहिए। यदि इन आदतों को समय पर नहीं छोड़ा गया तो व्यक्ति कंगाल हो जाता है। कुछ ही समय में राजा से रंक बन जाता है। गरुड़ पुराण में वर्णित बातों का अनुसरण करने पर व्यक्ति अपने जीवन में सुखों का भोग करता है। जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं, जिनसे व्यक्ति को दूरी बनाने में ही भलाई है।