कैश ट्रांजैक्शन की लिमिट घटने से गोल्ड की रूरल डिमांड में कमी का डर

एक अप्रैल से कैश ट्रांजैक्शन की लिमिट 3 लाख से घटकर 2 लाख रुपये हो जाएगी, ऐसे में गोल्ड ट्रेड से जुड़े लोगों को रूरल डिमांड में गिरावट आने और अनुचित कारोबार बढ़ने का डर है क्योंकि जूलर्स का एक वर्ग अपने कामकाज को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर से बचाने के लिए 2 लाख रुपये से ज्यादा के कैश ट्रांजैक्शंस के लिए कई बिल जेनरेट कर सकता है।

ग्रामीण भारत में आमतौर पर केवल कैश के जरिए गोल्ड खरीदा जाता है। ऑल इंडिया जेम ऐंड जूलरी ट्रेड फेडरेशन (GJF) के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल ने कहा, 'इस साल खरीफ और रबी, दोनों ही फसलें अच्छी रही हैं। हम अच्छी डिमांड की उम्मीद कर रहे थे क्योंकि किसानों के पास नकदी होगी, लेकिन अब कैश ट्रांजैक्शन की लिमिट 2 लाख रुपये तय कर दी गई है, ऐसे में हम ग्रामीण भारत में बेहतर हुई आर्थिक स्थितियों का फायदा नहीं उठा पाएंगे।'

GJF कोलकाता में एक प्रेफर्ड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इंडिया (PMI) प्रोग्राम आयोजित कर रहा है, जिसका मकसद जूलर्स, रिटेलर्स और मैन्युफैक्चरर्स को आपस में बातचीत करने के लिए एक प्लेटफॉर्म मुहैया कराना है। भारत में सालाना करीब 800 टन गोल्ड की खपत होती है, इसमें से करीब 60 फीसदी की खपत ग्रामीण भारत में होती है। इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव्स का कहना है कि अगर जूलर्स कैश लेने से इनकार करते हैं तो ग्राहकों के बीच एक तरह का डर पैदा होगा। रूरल इंडिया में गोल्ड एक महत्वपूर्ण एसेट्स में से है। फिलहाल, ग्रामीण भारत में डिजिटल ट्रांजैक्शंस ने अभी तक रफ्तार नहीं पकड़ी है। नेमिचंद बामलवा ऐंड संस के डायरेक्टर बच्छराज बामलवा ने कहा, 'फिलहाल, करीब 50 फीसदी बिजनस डिजिटल प्लेटफॉर्म में शिफ्ट हो गया है।'


कैश ट्रांजैक्शन की लिमिट घटाए जाने से जहां रूरल डिमांड पर असर पड़ सकता है। वहीं, इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव और जूलर्स ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि इससे अनुचित कारोबार को बढ़ावा मिल सकता है। एक इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव ने बताया, 'उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति 5 लाख रुपये लेकर जूलरी खरीदने के लिए जूलर्स के पास जाता है तो वह उस व्यक्ति को वापस करना पसंद नहीं करेंगे। जूलर्स किसी भी तरह की समस्या से बचने के लिए अलग-अलग इनवाइसेज बना देंगे।' आने वाले महीनों में कैश ट्रांजैक्शन का मुद्दा ट्रेड पर असर डाल सकता है, लेकिन नोटबंदी के बाद डिमांड में सुधार देखने को मिला है।

बामलवा ने बताया, 'नवंबर और दिसंबर के बाद से स्थिति में काफी सुधार आया है।' ट्रेड से जुड़े लोगों का मानना है कि गोल्ड की बढ़ती कीमतें मार्केट की डिमांड पर असर नहीं डालेंगी। पिछले हफ्ते स्पॉट गोल्ड की कीमतें 1.3 फीसदी की तेजी के साथ 1,243.8 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गईं, जबकि MCX गोल्ड की कीमतें 1 फीसदी के उछाल के साथ 28,793 रुपये प्रति 10 ग्राम पर रहीं। 

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