श्राद्ध पक्ष में अमावस्या का बड़ा महत्व है। आश्विन मास की अमावस्या पितरों की शांति का सबसे अच्छा मुहूर्त है। पितरों के शाप से मुक्ति और भविष्य में भी इससे पूरी तरह मुक्त रहने के लिए पितृश्राद्ध किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या अर्थात श्राद्ध-पक्ष के आखिरी दिन किया गया श्राद्ध कर्म हर प्रकार के पितृदोषों से मुक्ति दिलाता है।
कहा जाता है कि जिन लोगों ने अपने पूर्वजों का तीन वर्ष तक श्राद्ध न किया हो, उनके पितर पितृ योनि से वापस प्रेत योनि में आ जाते हैं अत: उनकी शांति के लिए तीर्थस्थान में त्रिपिण्डी श्राद्ध किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन यदि किसी कारण से पितरों का श्राद्ध करने से भूल गए है तो इस तिथि पर पितरों का एक साथ श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जिन पितरों की तिथि का हमें पता नहीं होता है, अमावस्या के दिन एक साथ सभी पितरों का श्राद्ध एक साथ किया जा सकता है। श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को श्राद्ध का पहला भोग कौओं को अर्पित किया जाना चाहिए। कौएं को पितर पक्ष में भोजन खिलाने से पितृदोष का नाश होता है इसलिए पितृपक्ष में कौएं को भोजन अवश्य खिलाएं।
मान्यता है कि पीपल में पितरों का वास माना जाता है। इसलिए सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या में पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। इस अमावस्या पर नदी या किसी जलाशय पर जाकर काले तिल के साथ पितरों को जल अर्पित करें इससे घर में हमेशा पितरों का आशीर्वाद बना रहता है और घर में खुशहाली और शांति आती है।
संकल्प का मंत्र
पितरों के लिए जो भी दान करना चाहते हैं उससे पहले संकल्प मंत्र पढ़ना चाहिए। यह मंत्र इस प्रकार है- ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु नम: परमात्मने पुरुषोत्तमाय ॐ तत्सत् अद्य ब्रह्मणो द्वितीय परार्धे श्री श्वेत वराह कल्पे वैवस्वत मन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलि प्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भारतवर्षे भरत खण्डे... क्षेत्रे... पराभव नाम संवत्सरे उत्तरायणे/ दक्षिणायने,---- ऋतौ, --- मासे, ---पक्षे, ---तिथौ (तिथि),---वासरे (दिन) ---गौत्र: शर्मा/ वर्मा/ गुप्तोअहं। शास्त्रोक्त फल प्राप्ति द्वारा मम समस्त पितृ शान्त्यर्थे श्री परमेश्वर प्रीत्यर्थं... दान (या गौ/ भूमि इत्यादि) निष्क्रय द्रव्यं चाहं करिष्ये।' ॐ तत्सत्।
ये चीजें दान कर सकते हैं
पितरों की शांति के निमित्त तर्पण, ब्राह्मण भोजन, साधा (कच्चा अन्न), वस्त्र, भूमि, गोदान, स्वर्ण दान इत्यादि कर्म किए जाते हैं।
गोदान पांच प्रकार का होता है। प्रथम- ऋण धेनु, द्वितीय- पापापनोदधेनु, तृतीय- उत्क्रांति धेनु, चतुर्थ- वैतरणी धेनु, पंचम- मोक्ष धेनु
जो भी दान करना हो, हाथ में त्रिकुश, जल, अक्षत, पुष्प तथा कुछ द्रव्य (धन) लेकर संकल्प कर जल छोड़ें। दक्षिणा का संकल्प भी करें। इसके साथ ही ब्राह्मण भोज भी कराना चाहिए।
Hanuman Jayanti 2023 Upay : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 6 अप्रैल 2023, गुरुवार (Hanuman Jayanti 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से साधकों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सभी नौ ग्रह सही समय पर राशि चक्र में गोचर करते हैं। अन्य ग्रहों के साथ युति भी बनाते हैं। इन ग्रहों के गोचर और युति से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इस समय शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में है। कुंभ में सूर्य देव भी हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति और शुक्र मीन राशि में युति कर रहे हैं। इस प्रकार इन ग्रहों की स्थिति पंच महायोग बना रही है। 19 फरवरी से केदार योग, शंख योग, शश योग, ज्येष्ठ योग और सर्वार्थसिद्धि योग बना है। 5 महायोगों का दुर्लभ संयोग 700 साल बाद अपना प्रभाव दिखाएगा। कुछ राशियों पर इस योग का शुभ प्रभाव दिखाई देगा।
यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान है। आय से अधिक खर्च हो रहा है। कई बार प्रयास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। कारोबार को लेकर परेशान हैं या किसी रोग से पीड़ित हैं, तो हम आपको होलिका दहन के समय किए जाने वाले कुछ उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह उपाय सही दिन और सही समय पर किया जाए, तो नौकरी, शिक्षा, धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Shani Gochar 2023: शनिदेव 30 साल बाद कुंभ राशि में दोबारा से गोचर करने वाले हैं। ज्योतिष में शनि का गोचर हमेशा से ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सभी ग्रहों में शनि सबसे मंदगति से चलने वाले ग्रह हैं। ये एक से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब ढाई वर्षो का समय लेते हैं। इस वजह से किसी राशि पर इनका ज्यादा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है। 15 जनवरी को सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे फिर उसके दो दिन बाद यानी 17 जनवरी को शनिदेव भी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ये महायोग कई राशियों के जातकों के लिए जीवन में बड़े बदलाव लानेवाला है।
Surya Gochar 2023: इस महीने सूर्य और शनि का दुर्लभ संयोग होने वाला है। 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि, मकर राशि के स्वामी हैं। वहीं सूर्य को शनि का पिता माना जाता है। सूर्य के पास राज करने के अधिकार हैं, तो शनि को उनका सेवक माना जाता है। लेकिन शनि को कर्मफलदाता भी माना जाता है। ज्योतिष में इन दोनों के बीच शत्रुता कही गई है।
Astrology News: संपूर्ण ब्राह्मांड के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को गुरुवार का दिन समर्पित होता है। इस दिन यदि कोई जातक उनका व्रत रखता है एवं विशेष पूजा करता है तो उसे अपार धन लाभ होता है। विष्णु भगवान की पूजा से उसे लक्ष्मी माता की कृपा भी प्राप्त हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कुछ राशियों ऐसी भी जिन्हें भगवान विष्णु की कृपा से कभी धन की हानि का सामना नहीं करना पड़ता है। आइये जानते हैं उन राशियों के बारे में पूरी जानकारी।
Libra Yearly Horoscope 2023: इस वर्ष तुला राशि के जातकों को हर क्षेत्र में लाभ होने वाला है। साथ ही आकस्मिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। जनवरी की शुरूआत में परिवार में कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। जिसके कारण परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा। इस वर्ष आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है। पढ़िए सम्पूर्ण वार्षिक राशिफल।
अशोक के पत्तों का उपयोग धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है। अशोक के पत्ते बेहद शुभ माने जाते हैं। किसी भी शुभ अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर अशोक या आम के पत्तों से बनी माला अवश्य लटकाई जाती है। ऐसा करने के पीछे कई ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं। इसके पत्ते पूजा के कलश में भी रखे जाते हैं। ज्योतिष में अशोक के पत्तों के कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करके आप अपने जीवन की समस्त समस्याओं से पीछा छुड़ा सकते हैं।
Shani Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 17 जनवरी 2023 को स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे। मार्च 2025 तक कुंभ में ही रहेंगे। शनि के स्वराशि कुंभ में गोचर करते ही कुछ राशियों से शनि साढ़े साती और ढैय्या हट जाएगी। वहीं, कुंभ, मीन, मकर राशि के लिए कठिन समय शुरू हो जाएगा। सबसे ज्यादा मुश्किल समय 2023 से 2025 तक कुंभ राशि वालों के लिए रहेगा। इस दौरान तीनों राशि के जातकों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा और गुस्से पर नियंत्रण पाना होगा।
Garuda Purana: सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में कुछ ऐसी आदतों का जिक्र किया गया है। जिनका समय पर त्याग कर देना चाहिए। यदि इन आदतों को समय पर नहीं छोड़ा गया तो व्यक्ति कंगाल हो जाता है। कुछ ही समय में राजा से रंक बन जाता है। गरुड़ पुराण में वर्णित बातों का अनुसरण करने पर व्यक्ति अपने जीवन में सुखों का भोग करता है। जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं, जिनसे व्यक्ति को दूरी बनाने में ही भलाई है।