देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व में केन्द्र और राज्य की डबल इंजन सरकार ने मध्यप्रदेश को अन्य राज्यों के लिये अनुकरणीय बना दिया है। इस अरसे में सड़क, बिजली, पानी, कृषि, पर्यटन, जल-संवर्धन, सिंचाई, निवेश, स्व-रोजगार और अधो-संरचना विकास के साथ उन सभी पहलुओं पर सुविचारित एवं सर्वांगीण विकास की नवीन गाथा लिखी गई जो जन-कल्याण के साथ विकास के लिये जरूरी हैं।
बेहतर वित्तीय प्रबंधन और चौतरफा विकास से आज प्रदेश की विकास दर 19.7 प्रतिशत है, जो देश में सर्वाधिक है। देश की अर्थ-व्यवस्था में मध्यप्रदेश 4.6 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। सकल घरेलू उत्पाद में बीते दशक में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मध्यप्रदेश की आर्थिक वृद्धि दर निरंतर बढ़ रही है। वर्ष 2001-02 में 4.43 प्रतिशत की दर आज बढ़ कर 16.43 प्रतिशत हो गई है प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद 71 हजार 594 करोड़ रूपये से बढ़ कर 13 लाख 22 हजार 821 रूपये हो गया है। वर्ष 2001-02 में प्रति व्यक्ति आय 11 हजार 718 रूपये थी, जो वर्ष 2022-23 में बढ़ कर एक लाख 40 हजार 583 रूपये हो गई है। राज्य की जीएसडीपी की वृद्धि दर विगत एक दशक में राष्ट्रीय जीडीपी वृद्धि दर से अधिक रही है।
विकास प्रक्रिया में अधो-संरचना के महत्व के मद्देनजर मध्यप्रदेश में निरंतर अधो-संरचना विकास हो रहा है। अधो-संरचना बजट जो वर्ष 2002-03 में 3873 करोड़ रूपए था, वह वर्ष 2023-24 में बढ़ कर 56 हजार 256 करोड़ रुपए हो गया है। एक समय था जब बिजली आती कम थी और जाती ज्यादा थी। आज प्रदेश बिजली क्षेत्र में आत्म-निर्भर है और 24 घंटे बिजली की उपलब्धता है। वर्ष 2003 में ऊर्जा क्षमता 5173 मेगावाट थी, जो बढ़ कर 28 हजार मेगावाट हो गई है।
नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश अग्रणी है। ओंकारेश्वर में लगभग 3500 करोड़ के निवेश से 600 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर सोलर पॉवर प्लांट का कार्य प्रारंभ हो गया है। किसानों के खेतों में 50 हजार सोलर पंपों की स्थापना का लक्ष्य है। विश्वधरोहर साँची बहुत जल्द सोलर सिटी के रूप में विकसित होकर देश में अपनी अलग पहचान बनायेगा।
अच्छी सड़कें विकास की धुरी होती है। एक समय था, तब यह पता ही नहीं चलता था कि सड़क में गड्डे हैं या गड्डे में सड़क है। अब गाँव-गाँव, शहर-शहर अच्छी गुणवत्तायुक्त सड़कों का जाल बिछाया गया हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2001-02 में 44 हजार किलोमीटर सड़कें थी, अब 4 लाख 10 हजार किलोमीटर सड़कें बन गई हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना में लगभग 1500 किलोमीटर लंबाई के 40 हजार करोड़ की लागत के 35 कार्य स्वीकृत हैं। अटल, नर्मदा और विंध्य प्रगति पथ के साथ मालवा, बुंदेलखंड और मध्य विकास पथ निर्मित किए जा रहे हैं।
प्रदेश में सभी रेलवे क्रॉसिंग समाप्त करने के लिए 105 रेलवे ओवर ब्रिज के साथ 334 पुलों का निर्माण हो रहा है। साथ ही 86 हजार करोड़ से अधिक की रेल परियोजनाओं के कार्य चल रहे हैं। वर्ष 2009 से 2014 के बीच जहाँ प्रदेश को औसतन 632 करोड़ रूपए का रेलवे बजट मिलता था, वहीं वर्ष 2022-23 में 13 हजार 607 करोड़ का रेलवे बजट प्रावधान मिला है, जो इक्कीस गुना अधिक है। अमृत भारत रेलवे स्टेशन योजना में प्रदेश के 80 रेलवे स्टेशन विश्व स्तरीय बनाए जाएंगे। अत्याधुनिक रानी कमलापति स्टेशन देश में एक मॉडल बना है। एक वंदे भारत ट्रेन प्रारंभ हो चुकी है और आज प्रधानमंत्री श्री मोदी मध्यप्रदेश को 2 और वंदे भारत ट्रेन की सौगात देने वाले हैं। प्रदेश में हवाई सेवाओं का विस्तार भी निरंतर हो रहा है।
देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
राज्य सरकार की 03 साल की प्रमुख उपलब्धियां - एक नजर में
भोपाल। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
भोपाल। देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।इस बार 9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती इंदौर में होने जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर सभी प्रवासी भारतीयों का स्वागत करने के लिए आतुर है।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं।
भोपाल। पशुपालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में प्रदेश में 2 करोड़ 92 लाख 51 हजार गौ-भैंस वंशीय पशु पंजीकृत हैं। इन पशुओं को यूआईडी टैग लगा कर इनॉफ पोर्टल पर दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।
मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
मध्यप्रदेश के इन्द्रधनुषी जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ पहाड़ी झरने की तरह गतिमान है। मध्यप्रदेश सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ विन्ध्याचल, सतपुड़ा और अन्य पर्वत-श्रेणियों के उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हवाएँ और उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती नर्मदा, ताप्ती, तवा, पुनासा, बेतवा, चंबल, दूधी आदि नदियों की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो,वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ।
धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।