भोपाल। इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
सम्मेलन में आई बहनें भी अपने शिवराज भईया के स्वागत में तख्तियों पर आत्मीय बेनर लगा कर अभिवादन कर रही हैं। तख्तियों पर लिखी भावनाएँ कुछ इस प्रकार की हैं - शिवराज भईया की नई सौगात-आधी आबादी रहे खुशहाल, हम बहनों को मिला सम्मान - शिवराज भईया बड़े महान, लाड़ली बहना योजना के लिये शिवराज भईया को धन्यवाद। प्रदेश की बहनों द्वारा अपने मुख्यमंत्री भईया को योजना शुरू करने के लिये लाखों की संख्या में खत लिखे जा रहे हैं। हर सम्मेलन में बहनें शिवराज भईया को रक्षा-सूत्र और राखी भी बांध रही हैं।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के दिल से निकली लाड़ली बहना योजना प्रदेश में 5 मार्च को लांच की गई है। गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार की बहनों को सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये गहन चिंतन के बाद मुख्यमंत्री ने योजना को अमलीजामा पहनाया। एक अप्रैल से योजना में आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्रदेश में योजना का प्रचार-प्रसार करने अनेक माध्यमों को अपनाया जा रहा है। इसी बीच मुख्यमंत्री श्री चौहान स्वयं संभागीय और जिला मुख्यालयों में लाड़ली बहना योजना को समझाने बहनों का महा सम्मेलन भी कर रहे हैं। इन सम्मेलनों में बड़ी संख्या में बहनें शामिल हो रही है।
पिछली 5 मार्च को भोपाल के जंबूरी मैदान में हुए बहनों के सम्मेलन में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने स्टेप बाय स्टेप योजना की प्रक्रिया बहनों के साथ साझा की और एक बहन का आवेदन भी भरवाया। मुख्यमंत्री का बहनों के साथ यह संवाद निरंतर जारी है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान का शुरू से मानना है कि परिवार, समाज, प्रदेश और देश तभी सशक्त होगा, जब महिलाएँ सशक्त और आत्म-निर्भर होंगी। उनके जीवन का ध्येय है कि प्रदेश की सभी बहनों का जीवन सरल, सुखद और आंनदमय बनाया जाये। बहनें अपनी छोटी-मोटी जरूरतों और पैसों की आवश्यकता के लिए परेशान न हों। इसी उद्देश्य से प्रदेश में उन्होंने अभिनव मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना को शुरू किया है। योजना में ऐसे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार की बहनें जिनकी वार्षिक आय ढाई लाख रूपये से कम है, जिनके पास 5 एकड़ से कम भूमि है और जिन परिवारों में कोई आयकर दाता नहीं है, ऐसे परिवारों की 23 से 60 आयु वर्ग की बहनों को योजना में पात्र माना जाकर हर महीने एक-एक हजार रूपये उनके खातों में अंतरित किये जायेंगे।
योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये सभी गाँव और वार्ड में शिविर लगा कर बहनों के आवेदन भरवाये जा रहे हैं। इस कार्य में सरकारी मशीनरी के साथ जन अभियान परिषद एवं अन्य समाजिक संस्थाएँ भी सहयोग कर रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान स्वयं इन शिविरों में पहुँच कर प्रक्रिया का अवलोकन भी कर रहे है। बहनों को ई-केवायसी कराने में परेशानी न हो इसके लिये संबंधित संस्थाओं को प्रति केवायसी 15 रूपये की राशि भी राज्य सरकार दे रही है। इन सभी व्यवस्थाओं और मुख्यमंत्री श्री चौहान की संवेदनशीलता से प्रदेश की सभी बहनें आनंदित है और उन्हें अब इंतजार है अपने जीवन में एक नई सुबह का, जिसका उदय 10 जून 2023 को होगा। यह दिन प्रदेश की बहनों के लिये ऐतिहासिक बन जायेगा, जब उनके खातों में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की 1000 रूपये की प्रथम किस्त आयेगी।
देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
राज्य सरकार की 03 साल की प्रमुख उपलब्धियां - एक नजर में
भोपाल। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
भोपाल। देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।इस बार 9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती इंदौर में होने जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर सभी प्रवासी भारतीयों का स्वागत करने के लिए आतुर है।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं।
भोपाल। पशुपालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में प्रदेश में 2 करोड़ 92 लाख 51 हजार गौ-भैंस वंशीय पशु पंजीकृत हैं। इन पशुओं को यूआईडी टैग लगा कर इनॉफ पोर्टल पर दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।
मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
मध्यप्रदेश के इन्द्रधनुषी जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ पहाड़ी झरने की तरह गतिमान है। मध्यप्रदेश सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ विन्ध्याचल, सतपुड़ा और अन्य पर्वत-श्रेणियों के उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हवाएँ और उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती नर्मदा, ताप्ती, तवा, पुनासा, बेतवा, चंबल, दूधी आदि नदियों की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो,वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ।
धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।