भोपाल। मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
लम्बे समय तक प्रदेश का जनजातीय समुदाय अपनी इन तमाम विशिष्टताओं के बावजूद विकास की मुख्य-धारा से लगभग अलग-थलग रहा, पर अब यह स्थिति बदल रही है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पिछले अठारह वर्षों में प्रदेश की जनजातियों की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति में व्यापक बदलाव आया है। अब वे अपनी गौरवशाली परम्पराओं के साथ आधुनिक समय के साथ कदमताल करते हुए अपने संवैधानिक अधिकारों के साथ मुख्य धारा में है और सरकारी सर्वोच्च प्राथमिकता में।
इन 18 वर्ष में प्रदेश में जनजातीय वर्गों के कल्याण के लिये सबसे बड़ा काम जनजातीय वर्गों की आबादी के अनुपात में बजट में राशि के प्रावधान का हुआ। वर्ष 2003-04 में जनजातीय कार्य विभाग का बजट 746.60 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2022-23 में 10 हजार 353 करोड़ रुपये का हो गया है। इस प्रकार बजट में 948 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
प्रदेश के सभी 89 जनजातीय विकासखण्डों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में ग्राम स्तर तक राशन पहुँचाने के लिए "मुख्यमंत्री राशन आपके ग्राम" योजना लागू की गई है। अब तक 472 जनजातीय युवाओं को योजना के राशन वाहन हेतु 10 करोड़ 80 लाख रूपये की मार्जिन मनी की वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी गई है।
सभी 89 जनजातीय विकासखण्ड में गर्भवती महिलाओं एवं 6 माह के बच्चों से 25 वर्ष तक के युवाओं में सिकलसेल रोग की रोकथाम के लिए हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन लागू कर सिकल सेल स्क्रीनिंग, रोकथाम, प्रबंधन, जैनेटिक काउंसलिंग एवं जन-जागरूकता का कार्य किया जा रहा है।
प्रदेश में प्रतिवर्ष 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है। जनजातीय जननायकों की स्मृतियों को चिरस्थायी बनाने के लिए स्मारक और संग्रहालय बन रहे हैं। हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति, पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम टंट्या मामा के नाम पर किया गया है। इन्दौर में भंवरकुआँ चौराहे पर टंट्या मामा की मूर्ति स्थापित की गई। छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय का नामकरण राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय और मंडला मेडिकल कॉलेज का नामकरण राजा ह्दयशाह मेडिकल कॉलेज किया गया है। क्रान्तिसूर्य टंट्या मामा के बलिदानों का स्मरण करते हुए इस वर्ष गौरव कलश यात्रा का आयोजन किया गया।
जनजातीय युवाओं को स्व-रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाने के लिये प्रदेश में इसी वर्ष से तीन नयी योजनाएँ - भगवान बिरसा मुण्डा स्व-रोज़गार योजना, टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना और मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति विशेष परियोजना वित्त पोषण योजना लागू की गई है। साथ ही सरकारी नौकरियों में बेकलॉग के पदों पर भर्ती की कार्रवाई भी की जा रही है।
अंग्रेजों के समय से सरकार के पास जंगलों का स्वामित्व था। अब मध्यप्रदेश में कीमती सागवान लकड़ी के साथ ही अन्य वन संपदा की 20 प्रतिशत राशि के मालिक वनवासी होंगे। प्रदेश में गौण वनोपजों के प्रबंधन का अधिकार अब ग्राम सभा को है। वनाधिकार कानून के अंतर्गत भी कुल 2 लाख 70 हजार 815 व्यक्तिगत और करीब 30 हजार सामुदायिक दावे मान्य किये गये हैं। जनजातीय बहुल क्षेत्रों में औषधीय और सुंगधित पौधों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए "देवारण्य योजना'' लागू की गई है।
मध्यप्रदेश के 26 जिलों के 827 वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित करने की शुरूआत कर दी गई है। वन ग्रामों के राजस्व ग्राम बन जाने से बँटवारा और नामांतरण होने के साथ फसलों की गिरदावरी भी हो सकेगी।
मेडिकल, इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक की पढ़ाई हिन्दी भाषा में प्रारंभ होने से जनजातीय वर्ग के उन विद्यार्थियों को सीधा लाभ मिलेगा जो दूरस्थ अंचलों में मातृभाषा में पढ़ाई कर बड़े हुए हैं।
अनुसूचित जनजातियों के एक हेक्टेयर तक की भूमि वाले एवं 5 हार्स पावर भार के कृषि उपभोक्ताओं को नि:शुल्क विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। विमुक्त जनजातियों के कल्याण के लिए राज्य सरकार ने प्रतिवर्ष 31 अगस्त को "विमुक्त जाति दिवस'' मनाने का निर्णय भी लिया है।
वर्ष 2003-04 से सितम्बर 2022 तक मुख्य विभागीय संस्थाओं एवं योजनाओं में वृद्धि:
संस्था वर्ष 2003-04 सितम्बर 2022
• प्राथमिक शाला 12643 22913
• माध्यमिक शाला 4369 6788
• हाई स्कूल 510 1109
• उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 476 898
• आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 08 08
• कन्या शिक्षा परिसर/मॉडल स्कूल 03 89
• एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय 00 63
• सी.एम. राईज विद्यालय 00 95
• विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति 10 (प्रतिवर्ष) 50 (प्रतिवर्ष)
• खेल परिसर 14 26
• छात्रावास/आश्रम 1166 2672
(पहली कक्षा से महाविद्यालयीन शिक्षा तक)
• शिष्यवृत्ति की दरें (प्रतिमाह) बालक-350 बालक-1460
बालिका-360 बालिका-1500
• राज्य छात्रवृत्ति 8.42 लाख 24.62 लाख
(प्री और पोस्ट मेट्रिक) विद्यार्थी विद्यार्थी
• प्री-पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति राशि 49.06 करोड़ 435.62 करोड़
आवास सहायता योजना
ऐसे महाविद्यालयीन विद्यार्थियों, जिन्हें छात्रावास की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है, के लिए वर्ष 2013-14 से आवास सहायता योजना प्रारंभ की गई है। विद्यार्थियों को मध्यप्रदेश में होने वाली आवास सहायता इस प्रकार है- संभागीय मुख्यालय पर 2,000 रुपये प्रतिमाह, जिला मुख्यालय पर 1,250 रुपये प्रतिमाह और विकासखंड/ तहसील मुख्यालय पर 1,000 रुपये प्रतिमाह। इस वर्ष अब तक 1 लाख 01 हजार विद्यार्थियों को आवास सहायता दी गई है।
छात्रवृत्ति योजनाओं में नवाचार
प्रदेश के अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के लिए कक्षा 01 से पी.एच.डी. तक अध्ययनरत रहने पर प्रत्येक स्तर पर छात्रवृत्ति योजनाएँ संचालित हैं। इन योजनाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन कर उन्हें सरल एवं लाभकारी बनाया गया है। कक्षा 01 से 05 में अध्ययनरत अनुसूचित जनजाति वर्ग की बालिकाओं (एवं विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह PVGT के बालकों को भी देय) को देय 15 रुपये प्रतिमाह के मान से 10 माह हेतु 150 रुपये की राशि को वर्ष 2017-18 से बढ़ाकर 25 रुपये प्रति विद्यार्थी प्रतिमाह अर्थात 10 माह हेतु 250 रुपये प्रति वर्ष कर दिया गया है। इसी प्रकार कक्षा 5 में अध्ययनरत बालिकाओं की 50 रुपये प्रतिमाह की छात्रवृत्ति को बढ़ाकर 60 रुपये प्रतिमाह किया गया है। अब यह छात्रवृत्ति 10 माह हेतु 600 रुपये देय है।
महाविद्यालयीन छात्रवृत्ति योजना में शासकीय एवं शासकीय स्ववित्तपोषी संस्थाओं में अध्ययनरत अनुसूचित जनजाति विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति की पात्रता के लिये आय सीमा के बंधन को वर्ष 2017-18 से समाप्त कर दिया गया है। पहले यह सीमा प्रतिवर्ष अधिकतम 3 लाख रुपये तक थी। योजना में अशासकीय संस्थाओं के अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति की पात्रता हेतु आय सीमा का बंधन वर्ष 2017-18 से 6 लाख वार्षिक कर दिया गया है। पहले यह सीमा प्रतिवर्ष अधिकतम 3 लाख तक थी। इस निर्णय से लगभग 1 लाख 30 हजार विद्यार्थी प्रति वर्ष लाभान्वित हो रहे हैं। इसी तरह वर्ष 2017-18 से ही अशासकीय संस्थाओं में अध्ययनरत अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति और विश्वविद्यालय फीस विनियामक आयोग द्वारा निर्धारित शुल्क दिए जाने का प्रावधान किया गया है। पहले यह प्रावधान मात्र 7 पाठ्यक्रम तक सीमित था।
आकांक्षा योजना
वर्ष 2018-19 से अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थाओं के माध्यम से इन्दौर, जबलपुर, भोपाल एवं ग्वालियर संभाग मुख्यालय पर कोचिंग की यह योजना लागू की गई है। प्रत्येक केन्द्र पर इंजीनियरिंग के लिये 200, मेडिकल 100 एवं क्लेट के 100 कुल 400 विद्यार्थियों को कक्षा 11वीं और 12वीं में अध्ययन के साथ-साथ आवासीय सुविधायुक्त दो वर्षीय कोचिंग प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थाओं के माध्यम से दी जा रही है।
विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों को आहार अनुदान
विशेष पिछड़ी जनजातियाँ सहरिया, बैगा और भारिया के परिवार की महिला मुखिया को कुपोषण से मुक्ति के लिए आहार अनुदान के रूप में प्रतिमाह 1 हजार रुपये प्रदान किये जा रहे हैं। यह राशि सीधे उनके खाते में जमा की जा रही है। दिसम्बर 2017 से संचालित इस योजना में इस वर्ष 23 लाख 35 हजार 700 हितग्राहियों को 164 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के क्रीड़ा परिसर
अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए जिला स्तर पर 5 बालक क्रीड़ा परिसर इन्दौर, उमरिया, श्योपुर, खरगोन और शहडोल तथा 3 कन्या क्रीड़ा परिसर डिण्डोरी, धार और झाबुआ में निर्माणाधीन हैं। इन परिसर में तीरंदाजी, जिम्नोजियम, बेडमिंटन, टेबिल टेनिस, स्क्वैश, वेलोड्रोम, रॉक क्लाइम्बिंग एवं बोल्डरिंग तथा स्वीमिंग विधाओं का प्रशिक्षण दिया जाना है।
छिन्दवाड़ा, डिण्डोरी एवं श्योपुर में विशेष पिछड़ी जनजाति की कला-संस्कृति के संरक्षण के लिए सांस्कृतिक/ संग्रहालय/ स्मारक आदि की स्थापना की जा रही है। प्रत्येक की लागत 590 लाख रुपये है। छिन्दवाड़ा में प्रदेश के जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित बादल भोई राज्य आदिवासी संग्रहालय का निर्माण 30 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। राजा शंकरशाह-रघुनाथ शाह के बलिदान की स्मृति में जबलपुर में 5 करोड़ रुपये की लागत से स्मारक का निर्माण किया जा रहा है।
कम्प्यूटर कौशल विकास केन्द्र
छिन्दवाड़ा, शहडोल, मण्डला, शिवपुरी एवं श्योपुर में विशेष पिछड़ी जनजाति युवाओं के लिए कम्प्यूटर कौशल विकास केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। प्रत्येक की लागत एवं संचालन व्यय राशि 5 करोड़ 97 लाख रुपये है।
सरकार ने युवाओं को विशेष कौशल प्रशिक्षण
प्रदेश के जनजातीय वर्ग के युवक-युवतियों के कौशल विकास के लिये विभिन्न सेक्टर्स/ कोर्स में शॉर्ट टर्म निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था की है। बैगा, भारिया और सहरिया जनजाति के लिए शहडोल, डिण्डौरी, मण्डला, तामिया और शिवपुरी में कम्प्यूटर कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्र के माध्यम से दो माह का डोमेस्टिक डाटा एण्ट्री आपरेटर का निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण दिया गया। सफल प्रशिक्षार्थियों का प्लेसमेंट भी हुआ।
इसके अलावा जनजातीय गाँव में चार व्यक्तियों को ग्रामीण इंजीनियर के रूप में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे विभिन्न कार्य जैसे भवन निर्माण, उपकरणों को सुधारने जैसे तकनीकी कौशल विकास के साथ ग्रामीण युवाओं को अपने ही गाँव में अतिरिक्त आय के अवसर मिल रहे हैं।
पुलिस और फौज की भर्ती और ट्रेनिंग के लिये प्रशिक्षण
जनजातीय युवाओं को पुलिस और फौज में भर्ती और ट्रेनिंग के लिये प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। इसमें हर वर्ष लगभग 1500 युवाओं को 60 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जायेगा।
छात्रावास और आश्रम से घर से दूर पढ़ाई हुई आसान
राज्य सरकार द्वारा जनजातीय वर्ग के छात्र-छात्राओं को कक्षा एक से लेकर महाविद्यालयीन शिक्षा तक निःशुल्क आवासीय सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रदेश में 2 हजार 672 छात्रावास और आश्रम संचालित है, जिनकी क्षमता एक लाख 51 हजार है। जनजातीय वर्ग के लिये प्रदेश में 247 विशिष्ट शैक्षणिक संस्थाएँ, 63 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, 89 कन्या शिक्षा परिसर/ मॉडल स्कूल का संचालन हो रहा है और 95 सी.एम. राइज स्कूल तैयार किये जा रहे हैं।
तेन्दूपत्ता संग्राहकों का कल्याण
राज्य सरकार लघु वनोपज संग्राहकों को बिचौलियों के शोषण से बचाकर उन्हें संग्रहीत लघु वनोपज का उचित लाभ दिलाने के लिये संकल्पित है। वर्ष 2007 में तेन्दूपत्ता संग्रहण दर जहाँ रुपये 450 प्रति मानक बोरा थी वहीं अब यह दर बढ़ाकर रुपये 3,000 प्रति मानक बोरा कर दी गयी है। केवल मई-जून, 2022 में ही संग्राहकों को लगभग 560 करोड़ रुपये संग्रहण पारिश्रमिक के रूप में वितरित किए गए हैं। इस वर्ष संग्रहण वर्ष 2021 के लिए 825 समितियों को रुपये 234 करोड़ की बोनस राशि वितरित की जायेगी।
संग्रहण पारिश्रमिक के साथ-साथ तेन्दूपत्ता के व्यापार से अर्जित शुद्ध लाभ भी ग्रामीणों के साथ बाँटा जाता है। वर्ष 1998 में शुद्ध लाभ का 50 प्रतिशत अंश संग्राहकों को बोनस के रूप में वितरित किया जाता था, जिसे अब बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है। विगत 10 वर्षों के संग्रहण काल का 2 हजार करोड़ रुपये संग्राहकों को बोनस के रूप में वितरित किये जा चुके हैं।
तेन्दूपत्ता संग्राहकों के लिये वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री तेन्दूपत्ता संग्राहक कल्याण सहायता योजना भी प्रारंभ की गयी। योजना में अभी तक 1,893 संग्राहकों को राशि 8 करोड़ 45 लाख की बीमा सहायता प्रदान की गयी है। इस वर्ष से तेन्दूपत्ता संग्राहकों को और अधिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से उन्हें संबल योजना में शामिल कर लिया गया है।
संग्राहकों के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, इसके लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में "एकलव्य वनवासी शिक्षा विकास योजना'' प्रारंभ की। अभी तक 12 हजार 223 मेधावी छात्रों को राशि रुपये 1,247 करोड़ की सहायता दी जा चुकी है।
लघु वनोपज संग्राहकों को वनोपज का उचित मूल्य दिलाने के लिये राज्य शासन द्वारा महुआ, चिरोंजी, अचार गुठली, हर्रा, आंवला, बहेड़ा जैसी 32 प्रमुख लघु वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी घोषित किया गया है। इस वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 31 हजार क्विंटल महुआ फूल, 248 क्विंटल शहद, 10.75 क्विंटल आचार गुठली, 15.41 क्विंटल नीम बीज, 15.66 क्विंटल ईमली बीज सहित, 1.30 क्विंटल बेलगुदा, इस प्रकार कुल राशि रुपये 12 करोड़ की वनोपज की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई है।
प्रदेश में प्रधानमंत्री वन विकास योजना के तहत 86 वन धन केन्द्रों की स्थापना की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 67 वन धन केन्द्रों द्वारा प्र-संस्करण उत्पाद निर्माण भी प्रारंभ कर दिया गया है।
देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
राज्य सरकार की 03 साल की प्रमुख उपलब्धियां - एक नजर में
भोपाल। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
भोपाल। देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।इस बार 9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती इंदौर में होने जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर सभी प्रवासी भारतीयों का स्वागत करने के लिए आतुर है।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं।
भोपाल। पशुपालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में प्रदेश में 2 करोड़ 92 लाख 51 हजार गौ-भैंस वंशीय पशु पंजीकृत हैं। इन पशुओं को यूआईडी टैग लगा कर इनॉफ पोर्टल पर दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।
मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
मध्यप्रदेश के इन्द्रधनुषी जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ पहाड़ी झरने की तरह गतिमान है। मध्यप्रदेश सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ विन्ध्याचल, सतपुड़ा और अन्य पर्वत-श्रेणियों के उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हवाएँ और उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती नर्मदा, ताप्ती, तवा, पुनासा, बेतवा, चंबल, दूधी आदि नदियों की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो,वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ।
धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।