भोपाल। प्रदेश के साढ़े 4 लाख परिवारों का दीपावली के पहले अपने आवास का सपना साकार होने जा रहा है। इन ग्रामीण परिवारों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी धनतेरस के दिन प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास की सौगात देते हुए वर्चुअल गृह-प्रवेश करवायेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गृह-प्रवेशम के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में सतना से शामिल होंगे। कार्यक्रम का शुभारंभ 22 अक्टूबर को अपरान्ह 3 बजे होगा।
प्रधानमंत्री आवास (ग्रामीण) निर्माण में मध्यप्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। प्रदेश में न केवल आवास निर्माण का कार्य तेजी से हो रहा है, बल्कि निर्माण गुणवत्ता का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। पहले प्रतिमाह 20 से 25 हजार आवास ही पूर्ण हो पाते थे, अब प्रतिमाह आवास निर्माण की संख्या एक लाख तक पहुँच गई है। पिछले वित्त वर्ष में 2 लाख 60 हजार आवास पूर्ण किए गए थे। इस वित्त वर्ष के शुरूआती 6 माह में ही 4 लाख 30 हजार से अधिक आवास पूर्ण कर लिए गए हैं।
प्रदेश में योजना में अब तक 48 लाख ग्रामीण आवास स्वीकृत हुए हैं, जिनमें से 29 लाख आवास पूर्ण हो गये हैं। इन आवासों पर 35 हजार करोड़ से अधिक व्यय हुआ है। विशेष परियोजना में गुना एवं श्योपुर जिलों में 18 हजार 342 आवास स्वीकृत हुए हैं।
बजट में 400 प्रतिशत की वृद्धि
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के बजट में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस वर्ष के बजट में 400 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि की गई है। इस वित्त वर्ष में योजना पर अमल के लिए प्रदेश के लिये 10 हजार करोड़ रूपये का बजट प्रावधान है जिसमें 6 हजार करोड़ रूपये केन्द्र सरकार और 4 हजार करोड़ रूपये राज्य सरकार देगी।
आवास सामग्री एप
योजना में हितग्राहियों को आवास निर्माण सामग्री रेत, लोहा, ईंट, गिट्टी, सीमेंट, लकड़ी आदि किफायती दरों पर आसानी से उपलब्ध कराने के लिये आवास सामग्री एप बनाया गया है। इस एप पर 14 हजार 850 सामग्री विक्रेता और 32 हजार सेवा-प्रदाता मिस्त्री, बढ़ई, इलेक्ट्रिशियन, प्लम्बर, पुताई वाला आदि का पंजीयन किया गया है। जिलों में सामग्री की दरों को प्रशासन द्वारा भी नियंत्रित किया गया है।
51 हजार राजमिस्त्री प्रशिक्षित
योजना में उत्तम गुणवत्ता के आवास निर्माण के लिये 51 हजार से अधिक राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें 9 हजार महिला राजमिस्त्री हैं। वर्तमान में 8 हजार राजमिस्त्रियों का प्रशिक्षण चल रहा है।
फ्लाई ऐश ईंटों का प्रयोग
आवासों के निर्माण में फ्लाई ऐश ईंटों का प्रयोग भी किया जा रहा है। विद्युत संयंत्र वाले जिलों में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में फ्लाई ऐश ईंटों की निर्माण इकाइयों की स्थापना की गई है। इससे 37 महिला स्व-सहायता समूहों के 324 सदस्यों को 30 मशीनें उपलब्ध करा कर रोजगार भी दिलवाया गया है। प्रतिमाह लगभग 13 लाख 68 हजार फ्लाई ऐश ईंटों का विक्रय किया जा रहा है।
सेंट्रिंग सामग्री
आवास निर्माण के लिये 9 हजार 995 स्व-सहायता समूहों के 18 हजार 776 सदस्यों को बैंकों से ऋण दिलवा कर सेंट्रिंग सामग्री उपलब्ध कराई गई है। इससे निर्माण के लिये अच्छी सामग्री तो मिली ही, बड़ी संख्या में व्यक्तियों को रोजगार भी मिला है।
अन्य योजनाओं से कन्वर्जेंस का लाभ
योजना में 20 लाख 83 हजार हितग्राहियों को अन्य योजनाओं से कन्वर्जेंस का लाभ भी दिया गया है। मनरेगा से मजदूरी, उज्ज्वला योजना से गैस कनेक्शन, स्वच्छ भारत मिशन से शौचालय और आयुष्मान योजना से स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं।
सहायता के लिये टोल-फ्री नम्बर
हितग्राहियों को आसानी से योजना का लाभ मिल सके और उनकी किसी भी तरह की परेशानी का आसानी से निदान करने के उद्देश्य से टोल-फ्री नम्बर 155237 स्थापित किया गया है।
देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
राज्य सरकार की 03 साल की प्रमुख उपलब्धियां - एक नजर में
भोपाल। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
भोपाल। देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।इस बार 9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती इंदौर में होने जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर सभी प्रवासी भारतीयों का स्वागत करने के लिए आतुर है।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं।
भोपाल। पशुपालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में प्रदेश में 2 करोड़ 92 लाख 51 हजार गौ-भैंस वंशीय पशु पंजीकृत हैं। इन पशुओं को यूआईडी टैग लगा कर इनॉफ पोर्टल पर दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।
मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
मध्यप्रदेश के इन्द्रधनुषी जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ पहाड़ी झरने की तरह गतिमान है। मध्यप्रदेश सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ विन्ध्याचल, सतपुड़ा और अन्य पर्वत-श्रेणियों के उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हवाएँ और उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती नर्मदा, ताप्ती, तवा, पुनासा, बेतवा, चंबल, दूधी आदि नदियों की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो,वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ।
धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।