मध्यप्रदेश के संसाधनों और कौशल से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के सुनियोजित विकास की दिशा अब आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश की ओर तेजी से कदम बड़ा रही है। इसी साल 8 अप्रैल को लगभग 1891 उद्यमों की शुरूआत इसकी एक बानगी है। प्रदेश में आगामी एक–दो माह में ही 3000 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम शुरू किए जाने पर काम चल रहा है।
मध्यप्रदेश सरकार के हाल ही में लागू औद्योगिक भूमि तथा आवंटन एवं प्रबंधन नियम-2021 ने प्रदेश में छोटे-छोटे उद्योगों को लगाने में नव-उद्यमियों के लिए नए द्वार खोले हैं। अब नव-उद्यमी औद्योगिक क्षेत्रों के अविकसित भूखंड भी ले सकेंगे और अपनी तरह से अपने उद्यम की जरूरत के हिसाब से भूखंडों का विकास और आवश्यक निर्माण कर सकेंगे। सरकार की सोच है कि नव-उद्यमी को विकसित भूखंडों में व्यय होने वाली अत्यधिक पूँजी में राहत मिले और वे इस राशि का उपयोग अपने उद्यम की मशीनरी तथा कच्चे माल आदि में कर सकें।
मध्यप्रदेश ने क्लस्टर आधारित उद्योगों में बड़ी छलांग लगाई है और यह क्रम अनवरत है। मध्यप्रदेश के अकूत प्राकृतिक संसाधन और कौशल के व्यापक तथा वास्तविक उपयोग के माध्यम से रोजगार सृजन की दिशा में सतत प्रयास जारी है। मध्यप्रदेश के विभिन्न अंचलों की खासियत और कौशल के समन्वय से कलस्टर आधारित उद्यमों में बड़ा निवेश और रोजगार सम्भावित है। इंदौर में खिलौना और फर्नीचर कलस्टर, जबलपुर में टेक्सटाइल कलस्टर, सागर में नए फर्नीचर हब, बैतूल में बाँस कलस्टर जैसे अनेक कलस्टर के साथ नव उद्यमी आगे आए हैं। भारत सरकार ने भी कलस्टर आधारित मध्यप्रदेश के प्रस्तावों को बड़े पैमाने पर मंजूरी दी है।
इसी दिशा में भारत सरकार के क्लस्टर विकास कार्यक्रम अंतर्गत कॉमन फेसिलिटेशन सेंटर का एक प्रस्ताव एवं अधोसंरचना विकास के 11 प्रस्ताव स्वीकृत हुए हैं। भारत सरकार के क्लस्टर विकास कार्यक्रम अंतर्गत बैतूल जिले में गुड़ निर्माण करने वाली इकाइयों के लिये कॉमन फेसिलिटेशन सेंटर का प्रस्ताव और गुना जिले में बहुमंजिला औद्योगिक कॉम्प्लेक्स का प्रस्ताव भी है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम विभाग द्वारा नये विभागीय औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम-2021 से अब नवीन नियमों में पहली बार अविकसित शासकीय भूमि को निजी विकासकों को आवंटित करने की योजना बनाई गई है। योजना में 6 विकासकों द्वारा क्लस्टर विकसित करने पर भी भूमि का आवंटन हो सकेगा। बुरहानपुर में टेक्सटाइल क्लस्टर विकसित करने की भी भारत सरकाए से सैद्धांतिक सहमति मिल गई है।
वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत निर्धारित लक्ष्य 7680.65 लाख रूपये के विरूद्ध 8881.80 लाख रूपये मार्जिन मनी अनुदान भी वितरित किया गया है, जो लक्ष्य का 116 प्रतिशत है। इस वर्ष अब तक 2090.44 लाख रूपये मार्जिन मनी अनुदान वितरित कर उद्योगों को संजीवनी दी गई है।
विभाग ने वृहद स्तर पर प्रयास कर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से अप्रैल में 1891 एमएसएमई इकाइयों का एक साथ शुभारंभ करवाया था। इन 1891 इकाइयों में से 776 इकाइयाँ स्थापित की जा चुकी हैं और इनमें रूपये 1160.90 करोड़ रूपये का पूँजी निवेश एवं 14 हजार 15 व्यक्तियों को रोजगार सृजित हुआ है। कोरोना काल में भी एमएसएमई विभाग के जिला कार्यालयों द्वारा मेडिकल ऑक्सीजन की सतत आपूर्ति के लिये निरंतर सहयोग प्रदान किया गया।
प्रदेश में स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों में अधोसंरचना विकास कार्यों के लिये वर्ष 2021-22 में अब तक कुल राशि 21.74 करोड़ रूपये की वित्तीय स्वीकृति विभिन्न क्रियान्वयन संस्थाओं को मंजूर की गई है। भारत सरकार, वस्त्र मंत्रालय की योजनांतर्गत ग्वालियर में एपेरल इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया गया है। राज्य में प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में योजनाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। अपनी स्थापना के बाद से विभाग ने विभिन्न पहलों के माध्यम से एमएसएमई विकास के लिए एक अनुकूल पारिस्थिति-तंत्र स्थापित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इस अवधि के दौरान सूक्ष्म और लघु उद्यम के क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति बनाई है। राज्य के एमएसएमई को एक आशाजनक वातावरण प्रदान करने के प्रयास और प्रतिबद्धता के कारण ही क्लस्टर विकास के लिए भारत सरकार की योजनाओ का लाभ प्रदेश को लगातार मिल रहा है।
यही कारण है कि प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की उत्पादकता, प्रतिस्पर्धात्मकता और क्षमता बढ़ाने के लिए कलस्टर का भरपूर उपयोग हो पा रहा है।
प्रदेश में सामान्य सुविधा केंद्र प्रस्ताव के तहत भी सामान्य उत्पादन, प्र-संस्करण केंद्र, परीक्षण सुविधाएँ, डिजाइन केंद्र, अपशिष्ट उपचार संयंत्र, प्रशिक्षण केंद्र, अनुसंधान एवं विकास केंद्र, कच्चा माल बैंक और बिक्री डिपो जैसी मूर्त "परिसंपत्तियों" को शामिल किया गया है। उत्पाद प्रदर्शन केंद्र और सूचना केंद्र स्थापना के लिए 15.31 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गए हैं।
प्रदेश में बड़ी संख्या में आईडी अपग्रेडेशन सहित इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (आईडी) प्रस्ताव भी स्वीकृत हुए हैं, जिसमें भूमि का विकास, जलापूर्ति का प्रावधान, जल निकासी, बिजली वितरण के लिए ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत, सड़कों का निर्माण, प्राथमिक चिकित्सा जैसी सामान्य सुविधाएँ शामिल हैं। केंद्र प्रवर्तित इस स्कीम से कैंटीन, नए औद्योगिक (बहु-उत्पाद) क्षेत्रों, संपदाओं या मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों, संपदाओं के समूहों में अन्य आवश्यकता आधारित आधारभूत सुविधाएँ मुहैया होंगी।
फिलहाल राज्य में एमएसएमई में 69 हजार 237 पंजीयन हुए हैं और इन इकाइयों में 15,744.50 करोड़ रुपये के निवेश के साथ ही 6.62 लाख रोजगार सृजित किये गए हैं।
मध्यप्रदेश सरकार अपनी एमएसएमई विकास नीति के माध्यम से पात्र औद्योगिक संस्थाओं को विकास सब्सिडी और रियायत भी प्रदान करता है। विभाग ने इस अवधि के दौरान 173 करोड़ रुपये की राशि से लगभग 2000 इकाइयों को सहायता प्रदान की है।
देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
राज्य सरकार की 03 साल की प्रमुख उपलब्धियां - एक नजर में
भोपाल। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
भोपाल। देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।इस बार 9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती इंदौर में होने जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर सभी प्रवासी भारतीयों का स्वागत करने के लिए आतुर है।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं।
भोपाल। पशुपालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में प्रदेश में 2 करोड़ 92 लाख 51 हजार गौ-भैंस वंशीय पशु पंजीकृत हैं। इन पशुओं को यूआईडी टैग लगा कर इनॉफ पोर्टल पर दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।
मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
मध्यप्रदेश के इन्द्रधनुषी जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ पहाड़ी झरने की तरह गतिमान है। मध्यप्रदेश सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ विन्ध्याचल, सतपुड़ा और अन्य पर्वत-श्रेणियों के उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हवाएँ और उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती नर्मदा, ताप्ती, तवा, पुनासा, बेतवा, चंबल, दूधी आदि नदियों की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो,वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ।
धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।