श्रद्धेय सुंदरलाल पटवा जी को मैंने 1974 के उपचुनाव में पहली बार देखा। उनके चेहरे पर तेज और वाणी में ओज था। उनके भाषण ने मुझे बहुत प्रभावित किया। पटवा जी कुशल संगठक, प्रभावी जननेता और अद्भुत वक्ता थे। उनकी भाषण शैली के सभी कायल थे। विधानसभा में जब वो बोलते थे तो पिन ड्राप साइलेंस हो जाता था।
पटवाजी से मैं निकट सम्पर्क में तब आया जब 1985 में वे भोजपुर से चुनाव लड़े। उस चुनाव में हमने दिन-रात काम किया और पटवाजी को पास से देखने का मौका मिला। वे असाधारण साहस रखने वाले नेता और जिंदादिल इंसान थे। भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने मुझे युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। अच्छा काम करने हेतु सदैव प्रोत्साहित करते थे। जवानों सा जोश उनमें सदैव रहता था। पार्टी के कार्यकर्ताओं के परिश्रम और पटवाजी की लोकप्रियता के कारण ही वर्ष 1990 में भाजपा की सरकार बनी थी। बस्तर से झाबुआ तक की पद यात्रा से उनकी लोकप्रियता में अपार वृद्धि हुई। पद यात्रा में वे गीत और शेरो-शायरी सुनाते हुए चलते थे। थकते हुए मैंने उन्हें कभी नहीं देखा।
पटवाजी पूरी तरह सात्विक जीवन जीते थे। वे 92 वर्ष की आयु में भी स्वयं को वृद्ध कहलाने से बहुत चिढ़ते थे। पटवाजी में नई पीढ़ी को प्रोत्साहित करने की अद्भुत प्रवृत्ति और क्षमता थी। मैं जब मुख्यमंत्री बना, तो समय-समय पर उन्होंने बहुमूल्य मार्गदर्शन और सुझाव दिये। मैं भी हर विषम परिस्थिति में उनसे मिलकर मार्गदर्शन प्राप्त करता था।
मेरे व्यक्तिगत जीवन को भी पटवाजी ने बहुत गहराई से प्रभावित किया। मैंने जीवन भर अविवाहित रहने का निर्णय किया था। परंतु पटवाजी ने मुझे गृहस्थ जीवन बिताते हुए राष्ट्र और समाज की सेवा में समर्पित रहने को प्रेरित किया।
मेरे युवा मोर्चा का अध्यक्ष रहते हुए ही अयोध्या में रामजन्म भूमि आंदोलन शुरू हो चुका था। रामभक्तों पर अयोध्या में गोलियाँ चली थी। कई रामभक्त बलिदान हो गये थे। उसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री श्री वी.पी. सिंह का भोपाल दौरा हुआ था। हमने दौरे के विरोध की ठानी। पटवाजी मुख्यमंत्री थे। प्रशासन ने विरोध न हो, इसका बहुत प्रयास किया। पुलिस ने भी श्री वी.पी. सिंह की सुरक्षा की तगड़ी व्यवस्था की थी, लेकिन युवा मोर्चे के कार्यकर्ता श्री सिंह को घेरने में सफल हो गये। काले झंडे दिखाये, विरोध प्रदर्शन हुआ, लाठी चार्ज, पथराव में दौरा अस्त-व्यस्त हो गया। श्री सिंह पटवाजी के निवास के बाहर धरने पर बैठ गये। मुझे लगा कि अब खैर नहीं। पटवाजी बहुत नाराज होंगे। परंतु पटवाजी ने बाहर आकर मीडिया को बयान दिया कि अनेकों रामभक्तों की मौत होने के कारण विरोध प्रदर्शन में यहाँ यदि चार पत्थर चल गये, तो उससे कोई पहाड़ नहीं टूट गया।
पटवाजी सही अर्थों में स्थितप्रज्ञ व्यक्ति थे। दुख और सुख में उनका समभाव रहता था। वर्ष 1992 में राम मंदिर आंदोलन के कारण सरकार भंग हुई। उनके चेहरे पर जरा भी शिकन नहीं थी। राज्य परिवहन की बस में बैठकर शाम को इंदौर चले गये। जनहित के लिये उन्होंने किसी भी लड़ाई से पीछे हटना नहीं सीखा था। बहुत अनशन किये। मुलताई में दिग्विजय सरकार द्वारा किसानों की हत्या के विरूद्ध उन्होंने लंबा अनशन किया। नेतृत्व किया। भ्रष्टाचार, किसानों पर प्रशासन के अत्याचार के विरूद्ध लड़ाई में उन्होंने अपना जीवन भी दाँव पर लगा दिया। वे भोपाल के पीरगेट पर आठ दिन तक उन्होंने अनशन किया।
पटवाजी किसानों के मसीहा थे। उन्होंने देश में पहली बार किसानों का 714 करोड़ का कर्ज माफ किया।
पटवाजी सख्त प्रशासक थे। किसी भी गुंडागर्दी या दहशत के सामने वे झुकते नहीं थे। इंदौर के बम्बई बाजार में माफिया को उन्होंने सख्ती से समाप्त किया। भोपाल में भी माफियाओं को नेस्तनाबूत किया।
पटवाजी का राजनीतिक साहस भी अतुलनीय है। कमलनाथ को उनके ही गढ़ छिन्दवाड़ा में उन्होंने करारी शिकस्त देकर इतिहास रचा। चुनाव के बारे में वे कहा करते थे, कि यह गाजर की पुंगी है, जब तक बजेगी बजायेंगे नहीं तो खा जायेंगे, चिंता क्या करना। आमतौर पर प्रत्याशी चुनाव की वोटिंग के दिन घूमता है परंतु पटवाजी छिन्दवाड़ा में जाकर आराम से सो गये।
पटवाजी ने ऐसी कठिन परिस्थितियों में जनसंघ का प्रचार किया जब गाँवों में जनसंघ को कोई नहीं जानता था। वे खुद ही दिन में माईक लेकर यह प्रचार करते थे कि शाम को सुंदरलाल पटवा की सभा है, जरूर आयें। और शाम को खुद ही मंच से सभा को संबोधित करते थे।
वाकपटुता में पटवाजी की जोड़ का वक्ता मुश्किल से मिलेगा। विधानसभा में उनके तीखे बाण सबको भेदते थे। उनके तर्क से विपक्ष धराशायी हो जाता था। उनके तर्कों के जवाब अर्जुनसिंह, वोराजी और दिग्विजय सिंह भी नहीं दे पाये। उनके तीखे व्यंग्य बाण अंदर तक वार करते थे।
पटवाजी का जीवन और कृतित्व वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिये एक प्रेरणा है कि राष्ट्र और समाज के प्रति समर्पित जीवन किस तरह जिया जाये। उनकी पुण्य-स्मृति को शत्-शत् नमन।
देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
राज्य सरकार की 03 साल की प्रमुख उपलब्धियां - एक नजर में
भोपाल। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
भोपाल। देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।इस बार 9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती इंदौर में होने जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर सभी प्रवासी भारतीयों का स्वागत करने के लिए आतुर है।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं।
भोपाल। पशुपालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में प्रदेश में 2 करोड़ 92 लाख 51 हजार गौ-भैंस वंशीय पशु पंजीकृत हैं। इन पशुओं को यूआईडी टैग लगा कर इनॉफ पोर्टल पर दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।
मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
मध्यप्रदेश के इन्द्रधनुषी जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ पहाड़ी झरने की तरह गतिमान है। मध्यप्रदेश सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ विन्ध्याचल, सतपुड़ा और अन्य पर्वत-श्रेणियों के उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हवाएँ और उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती नर्मदा, ताप्ती, तवा, पुनासा, बेतवा, चंबल, दूधी आदि नदियों की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो,वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ।
धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।