शिल्पी, बुनकर, कारीगर उत्थान और प्रदेश के हस्तशिल्प-हथकरघा वस्त्रों को नयी पहचान

  • सुनीता दुबे

प्रचीन काल से ही भारत में कुटीर उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सहिष्णु भारत की संस्कृति में विदेशी शासकों के हस्तक्षेप ने इसको धूमिल तो किया, परंतु यह नष्ट नहीं हो पायी। स्वदेशी आंदोलन के प्रभाव से पुन: इनको बल मिला और अपनी मजबूत जड़ों के चलते आज कुटीर उद्योग आधुनिक तकनीकी के समानांतर भूमिका निभा रहे हैं। मध्यप्रदेश की चंदेरी, महेश्वरी, बाघ प्रिंट की साड़ियाँ तो सात समुन्दर पार अपनी लोकप्रियता स्थापित कर रही हैं। यहाँ के कुटीर उद्योगों में परम्परा, कुशलता, परिश्रम के साथ छोटे पैमाने पर मशीन का भी उपयोग होने लगा है। राज्य शासन ने पिछले एक दशक में कारीगर, बुनकर, शिल्पियों के सामाजिक-आर्थिक सुदृढ़ीकरण के हर-संभव प्रयास किये हैं। वर्तमान में हाथकरघा उद्योग से प्रदेश में लगभग 45 हजार बुनकर को रोजगार मिल रहा है। जुलाई 2014 से लागू मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना और इसके पूर्व की स्व-रोजगार योजनाओं से विगत 11 साल में 64 हजार 438 हितग्राही को 151 करोड़ 38 लाख 22 हजार की सहायता दी गई।

प्रयास : वर्ष 2005-06

बुनकर एवं शिल्पियों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार की जानकारी देने के लिये ब्रिटिश काउंसिल के सहयोग से अप्रैल, 2005 में दस-दिवसीय ग्लोबल लोकल प्रदर्शनी की गयी। इसमें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विशेषज्ञों ने बुनकर और शिल्पियों से सीधा संवाद कर उन्हें लोगों की बदलती हुई रुचि और मूल्य संवर्धन के बारे में समझाया। बालाघाट जिले के बुनकर बहुल क्षेत्र मेहंदीवाड़ा क्लस्टर में बुनकरों के आवास और सड़कों पर 17 लाख से ज्यादा की राशि से सोलर लाइट लगायी गयी। सीहोर जिले के ग्राम मैना में कर्मशाला से बुनकरों के आवास तक जाने वाले पहुँच मार्ग को 10 लाख की लागत से सीमेंट-कांक्रीट रोड में बदला गया। दिसम्बर, 2005 में चंदेरी हाथकरघा क्लस्टर में केन्द्रीय कपड़ा मंत्री ने दो करोड़ की परियोजना क्रियान्वयन का शुभारंभ किया।

प्रयास : वर्ष 2006-07

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कबीर बुनकर पुरस्कार योजना में चंदेरी के शाकिर मोहम्मद को चंदेरी साड़ी (मेहंदी रचे हाथ) के लिये एक लाख रुपये का पुरस्कार, महेश्वर के अनिल खरे को महेश्वरी साड़ी के लिये 50 हजार का द्वितीय और चंदेरी के श्री छोटेलाल कोली को नालफेरवा साड़ी के लिये 25 हजार रुपये का तृतीय पुरस्कार दिया। रंगाई व्यवस्था को पुख्ता बनाने के लिये प्रदेश के दो प्रमुख क्लस्टर चंदेरी और महेश्वर को रंगाई घर उपलब्ध करवाये गये। सारंगपुर एवं सौंसर क्लस्टर के हाथकरघा उत्पादन को बाजार योग्य बनाने के लिये एनआईएफटी, नई दिल्ली के जरिये 23 लाख की परियोजनाएँ स्वीकृत की गयी। साथ ही राज्य लघु वनोपज संघ के सहयोग से शीसल फाइबर उत्पाद विकास के लिये छिन्दवाड़ा, बालाघाट और सिवनी जिले के हाथकरघा बुनकरों के लिये 34 लाख से ज्यादा राशि की संयुक्त परियोजना लागू की गयी।

प्रयास : वर्ष 2007-08
मध्यप्रदेश स्थापना की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में प्रदेश के प्रमुख हाथकरघा एवं हस्तशिल्प क्लस्टरों के उत्पादों के विपणन के लिये दिल्ली हॉट में 'हुनर द्वितीय'' का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री निवास पर 17 सितम्बर, 2007 को हुई शिल्पी-कारीगर पंचायत में चंदेरी के शकील अहमद को प्रथम, महेश्वर के वसंत कुमार श्रवणेकर को द्वितीय और चंदेरी की श्रीमती गीताबाई कोहली को तीसरा पुरस्कार दिया गया।

चंदेरी एवं ग्वालियर के लिये भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 2 करोड़ 5 लाख की एकीकृत हाथकरघा क्लस्टर विकास योजना में यार्न वर्कशॉप, स्व-सहायता समूहों का गठन, प्रशिक्षण एवं डाई-हाउस के लिये राशि दी गयी। प्रदेश के हाथकरघा एवं हस्तशिल्प उत्पादों के लिये फारवर्ड एवं बेकवर्ड लिंकेज उपलब्ध करवाये गये। तैयार माल की बिक्री सुनिश्चित करने के लिये वारासिवनी, भोपाल, इंदौर, मसूरी, मुम्बई, उज्जैन, मंदसौर और पचमढ़ी में मेले लगाये गये, जिनमें एक करोड़ की बिक्री हुई।
कपड़े के रंगों में विविधता एवं उत्कृष्टता लाने के लिये चंदेरी, महेश्वर, वारासिवनी, सौंसर एवं सारंगपुर में उत्कृष्ट रंगाई-घरों की स्थापना का काम इसी वर्ष से प्रारंभ किया गया। इसके अलावा बुनकरों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निदान के लिये आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के सहयोग से बुनकर स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की गयी। योजना में अब तक 85 हजार से ज्यादा बुनकर का बीमा किया जा चुका है।

प्रयास : वर्ष 2008-09
हाथकरघा एवं हस्तशिल्प उत्पादों के विपणन को सुनिश्चित करने के लिये प्रदेश-स्तर पर मेला एवं प्रदर्शनी लगायी गयी। हाथकरघा और हस्तशिल्प के 18 मेले का आयोजन प्रदेश में और 3 मेला एवं बॉयर-सेलर मीट का आयोजन केरल, नागपुर एवं मुम्बई में किया गया। इसी तरह शासकीय वस्त्र प्रदाय योजना में करीब 7 करोड़ के वस्त्र आदेश प्राप्त हुए। इससे बुनकर समितियों, लघु हाथकरघा इकाइयों और व्यक्तिगत हाथकरघा बुनकरों को 5 लाख से ज्यादा मानव दिवस का रोजगार उपलब्ध हुआ।

प्रयास : वर्ष 2009-10
करीब 500 हितग्राही को प्रशिक्षण और 398 को नवीन हाथकरघा/उपकरण दिये गये। प्रदेश के 13 हजार बुनकर का स्वास्थ्य बीमा करवाया गया। उद्यमों, समितियों, स्व-सहायता समूहों और कुटीर उद्योगों को वित्तीय सहायता मंजूर की गयी। नेशनल हेण्डलूम एक्सपो भोपाल, स्पेशल हेण्डलूम मुम्बई एवं गोवा में प्रदेश के बुनकरों ने भागीदारी की। केन्द्र शासन ने प्रदेश के प्रमुख हाथकरघा क्लस्टर चंदेरी के समस्त विकास के लिये 2780.45 लाख और राज्यांश की राशि 749.99 लाख में से पहली किस्त जारी की।

प्रयास : वर्ष 2010-11
मध्यप्रदेश को टसर एव मलबरी सिल्क में अग्रणी राज्य बनाने के लिये पूर्व में जनता साड़ी बनाने वाले बुनकरों से 5 क्लस्टर में टसर एवं मलबरी वस्त्र बुनाई कार्य शुरू किया गया। टसर रीलिंग क्षमता बढ़ाने के लिये बुनकर परिवार के युवक-युवतियों को टेक्सटाइल ट्रेड से संबंधित गतिविधियों एवं स्व-रोजगार उपलब्ध करवाने के लिये भारत सरकार की संस्था अपेरल डिजाइन एवं ट्रेनिंग में सीटों का आरक्षण करवाया गया। मंथन की निवेश वृद्धि समूह की अनुशंसा में ग्रामोद्योग को प्रोत्साहित करने के लिये कुटीर एवं ग्रामोद्योग संवर्धन नीति को अंतिम रूप दिया गया। कॉमनवेल्थ गेम्स-2010 के लिये चंदेरी से 'अंगवस्त्रम्'' उपलब्ध करवाया गया। नेशनल एक्सपो-2010 में लगभग 5 करोड़ रुपये के हाथकरघा वस्त्रों का विक्रय किया गया।

प्रयास : वर्ष 2011-12
ग्वालियर में 40 हाथकरघा बुनकर को सोलर लाइट वितरित की गयी। सीधी जिले के 50 और अलीराजपुर जिले के 40 आदिवासी वर्ग के बुनकरों को सोलर लाइट के लिये सहायता स्वीकृत की गयी। खादी के उत्पादन केन्द्रों पारडसिंगा (छिन्दवाड़ा) और मंदसौर में कम्बल बुनाई की नयी डिजाइन विकसित करने, डिजाइनर की सेवाएँ लेने, आदिवासी बुनकरों को कार्य में संलग्न करने के लिये साढ़े 17 लाख रुपये की सहायता खादी ग्रामोद्योग बोर्ड को दी गयी। महेश्वर में सिल्क उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये तीन नई उन्नत मशीन एवं 80 करघों के लिये साढ़े सात लाख स्वीकृत किये गये।

 प्रयास : वर्ष 2012-13
भारत सरकार की ऋण माफी योजना में प्रदेश के 210 बुनकर के 37 लाख 53 हजार के बैंक ऋण माफ किये गये। पात्र 28 बुनकर समिति का 52 लाख दो हजार रुपये का ऋण माफ किया गया। एकीकृत क्लस्टर विकास योजना में ऊर्जा विकास निगम के जरिये चंदेरी एवं इंदौर जिले में सोलर प्वाइंट स्थापित करने और महेश्वर के 50 बुनकर, रायसेन के 52, अलीराजपुर के 70 और सीहोर के 42 अनुसूचित जनजाति के बुनकरों के लिये आवास और सड़क सोलर लाइट उपलब्ध करवायी गयी।
छिन्दवाड़ा जिले के ग्राम मोहपानी एवं पंथवाड़ी में करीब 16 लाख की लागत से आरसीसी रोड, बोरवेल एवं बुनकरों के लिये वर्कशेड का निर्माण हुआ। सीहोर के ग्राम ढाकनी में बुनकरों के वर्कशेड निर्माण के लिये करीब पाँच लाख रुपये स्वीकृत किये गये। चंदेरी, इंदौर एवं महेश्वर के विभागीय प्रशिक्षण केन्द्र के जीर्णोद्धार के लिये सवा तेरह लाख की सहायता दी गयी। ग्वालियर में 20 और खरगोन में 25 बुनकर के कौशल उन्नयन प्रशिक्षण के लिये 7 लाख 35 हजार की स्वीकृति दी गयी। इंदौर के अपेरल ट्रेनिंग एवं डिजाइन सेंटर में 44 युवा बुनकर के प्रशिक्षण के लिये 20 लाख रुपये की मंजूर किये गये।
सारंगपुर के बुनकरों के लिये वर्कशेड निर्माण तथा महेश्वर के 11 उद्यमी के लिये करघे एवं सहायता उपकरण खरीदने के लिये 12 लाख से अधिक की स्वीकृति दी गयी। महेश्वर साड़ी एवं वस्त्रों के संरक्षण के लिये जी.आई. पंजीयन भारत सरकार के पंजीयक, भौगोलिक उपदर्शन चैन्नई से करवाया गया।

प्रयास : वर्ष 2013-14
ऋण माफी योजना में बुनकरों के करीब साढ़े पाँच लाख के और 33 बुनकर समिति के 24 लाख से ज्यादा राशि के बैंक ऋण माफ किये गये। 219 बुनकर को कौशल उन्नयन प्रशिक्षण दिया गया। कुटीर उद्योग स्थापना योजना में नाबार्ड द्वारा चिन्हित 4,900 हितग्राही को करीब पाँच करोड़ की सहायता दी गयी। बुनकर बीमा योजना में 5,141 बुनकर का बीमा नवीनीकरण हुआ और दो स्वास्थ्य शिविर में लगभग 400 हितग्राही का स्वास्थ्य परीक्षण करवाया गया।

प्रयास : वर्ष 2014-15
हाथकरघा वस्त्रों की आधुनिक उत्पादन तकनीकी अध्ययन के लिये 11 बुनकर को तमिलनाडु के सेलम स्थित हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान (IIHT) में बारह दिवसीय तकनीकी प्रशिक्षण दिलवाया गया। वारासिवनी, सौंसर एवं सारंगपुर के हाथकरघा क्लस्टर में पीने के साफ पानी की सुविधा के लिये करीब 20 लाख रुपये की स्वीकृति दी गयी। रुपये 6 करोड़ से ज्यादा राशि के वस्त्र प्रदाय आदेश प्राप्त कर बुनकरों को विपणन सहयोग किया गया। मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में 658 हितग्राही के प्रकरण स्वीकृत किये गये। लगभग 400 बुनकर को आधारभूत एवं कौशल प्रशिक्षण दिया गया।

प्रयास : वर्ष 2015-16
एकीकृत हाथकरघा विकास योजना में 445 बुनकरों को प्रशिक्षित किया गया। चंदेरी एवं महेश्वर में डिजाइन स्टूडियो की स्थापना के लिये 18 लाख से ज्यादा की राशि स्वीकृत की गई। चंदेरी में वर्ष 1930 की डिजाइन केटेलॉग से 144 साड़ियों के पुनर्निर्माण के लिये साढ़े 9 लाख की स्वीकृति जारी कर पुनर्निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। मंदसौर जिले की महिला बुनकर सह समिति खिलचीपुरा में कूप गहरीकरण, पेयजल टंकी, स्नानागार एवं शौचालय निर्माण के लिये 11 लाख की स्वीकृति दी गई। मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में 1685 हितग्राही को करीब 55 करोड़ के प्रकरण बैंकों से स्वीकृत करवाये जाकर 10 करोड़ से ज्यादा की अनुदान सहायता वितरित की गई।

 

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