मध्यप्रदेश में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र का विस्तार पिछले 11 वर्ष में महत्वपूर्ण रहा है। जहाँ एक ओर अस्पतालों के हालात में आमूल-चूल परिवर्तन आया है, वहीं चिकित्सा शिक्षा बेहतर हुई है। आज प्रदेश के लोगों को उपचार के लिये प्रदेश के बाहर नहीं जाना पड़ता। उन्हें अपने निकट के अस्पतालों में अत्याधुनिक संसाधनों के साथ इलाज उपलब्ध है। यही नहीं नए चिकित्सा महाविद्यालय खोले गए। पहले से संचालित चिकित्सा महाविद्यालय में सीट्स बढ़ाई गई ताकि चिकित्सकों की कमी को पूरा किया जा सके।
स्टेट कैंन्सर इंस्टीट्यूट एवं टर्सरी सेंटर
जबलपुर में राज्य कैंन्सर इंस्टीट्यूट की स्थापना होने जा रही है। इस परियोजना की लागत 120 करोड़ रुपये है। इसी तरह ग्वालियर में टर्सरी केयर-सेंटर की परियोजना पर कार्य शुरू हो गया है। इसकी लागत 45 करोड़ है। इसका तीन चौथायी भारत सरकार एवं शेष एक चौथायी भार राज्य शासन द्वारा वहन किया जाएगा। चालू वित्तीय वर्ष में इसके लिये 40 लाख और एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इन संस्थाओं की स्थापना से प्रदेश के कैंन्सर पीड़ित मरीजों को उत्कृष्ट उपचार मिल सकेगा।
नये मेडिकल कॉलेजों की स्थापना
स्वतंत्रता के बाद प्रदेश में वर्ष 2004 तक पाँच ही मेडिकल कॉलेज थे। इनमें रीवा, भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर शामिल हैं। वर्ष 2007 में सागर में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गई। इसके बाद 7 मेडिकल कॉलेज विदिशा, शहडोल, रतलाम, दतिया, खण्डवा, शिवपुरी और छिन्दवाड़ा में खोले जाना प्रस्तावित हैं। इसमें भारत सरकार एवं राज्य शासन द्वारा 60:40 के अनुपात में व्यय किया जायेगा। वर्तमान में राज्य के शासकीय मेडिकल कॉलेज में एम.बी.बी.एस. की 800 सीट्स है जिनमें लगभग 500 सीट् की वृद्धि की जायेगी। नये शासकीय मेडिकल कॉलेज प्रारंभ हो जाने से लगभग 1050 सीट्स की वृद्धि होगी, जिससे चिकित्सकों की कमी को पूरा किया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा बीमा योजना में तीन नये अस्पताल
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना में मेडिकल कॉलेज ग्वालियर, रीवा एवं जबलपुर में सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का निर्माण किया जा रहा है। जिससे प्रदेश में 42 सुपर स्पेशियलिटी डाक्टर तैयार होंगे। इनके जरिये प्रदेशवासियों को कॉर्डियोलाजी, न्यूरोलॉजी एवं न्यूनेटोलाजी की उच्चतम चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। प्रत्येक मेडिकल कॉलेज के लिये 150 करोड़ रुपये, इस तरह कुल 450 करोड़ रुपये व्यय किये जायेंगे।
हमीदिया चिकित्सालय भोपाल का पुनर्निर्माण
भोपाल मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया अस्पताल में 1200 से 1500 मरीज प्रतिदिन स्वास्थ्य परीक्षण के लिये आते हैं। करीब सौ से सवा सौ मरीज प्रतिदिन भर्ती होते हैं। हमीदिया अस्पताल एवं सुल्तानिया अस्पताल में कुल 1160 बिस्तर हैं। यहाँ के चिकित्सा महाविद्यालय में एम.बी.बी.एस. की 150 सीटें बढ़कर 250 होने जा रही हैं। सुपर स्पेशियलिटी के लिए विभाग का उन्नयन भी किया जा रहा है। इससे मरीजों को नई से नई मेडिकल टेक्नोलाजी से युक्त उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सकेगा। इस उद्देश्य से 2000 बिस्तर का सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का निर्माण चरणबद्ध तरीके से करवाया जा रहा है। इस काम के लिए इस वित्त वर्ष में 30 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में 1000 बिस्तर अस्पताल
ग्वालियर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध चिकित्सालय 400 बिस्तर का है। चिकित्सालय में इलाज करवाने प्रतिदिन 1500 मरीज ओपीडी में एवं 1200 मरीज भर्ती होने आते हैं। जयारोग्य चिकित्सालय का विस्तार कर 1000 बिस्तर का किया जा रहा है। इसके लिये इस वित्त वर्ष में डेढ़ करोड़ का प्रावधान किया गया है।
मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर
मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर में स्थापित किया जा रहा है। इस वर्ष इसके लिये 31 करोड़ 25 लाख का बजट प्रावधान किया गया है। इससे प्रदेश के सभी शासकीय एवं निजी मेडिकल कॉलेज के स्नातक, स्नातकोत्तर एवं उच्च स्नातकोत्तर डिग्रीधारी छात्रों को राष्ट्रीय मानक के आधार पर उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्त हो सकेगी। साथ ही यूनानी, होम्योपैथिक, नर्सिंग, आयुर्वेदिक, फिजियोथेरेपी एवं अन्य विभाग की परीक्षाएँ इस विश्वविद्यालय से संचालित होंगी।
भोपाल में रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ आप्थेमोलॉजी की स्थापना
भोपाल में नेत्र से संबंधित रोग के उत्कृष्ट उपचार के लिये मध्यप्रदेश के एकमात्र रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थेमोलॉजी की स्थापना स्वतंत्र रूप से की जा रही है। इसके लिये इस वित्त वर्ष में एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
भोपाल में ट्रामा सेंटर की स्थापना
भोपाल प्रदेश के मध्य में स्थित होने से काफी संख्या में आस-पास और अन्य जिलों से घायल मरीज उपचार के लिये यहाँ आते हैं। ऐसे मरीजों की सभी तरह की जाँच पैथोलॉजी, एक्स-रे, सोनोग्राफी, सी.टी. स्केन सेंटर के संचालन के लिये इस वित्त वर्ष में 5 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है।
भोपाल मेडिकल कॉलेज में वायरोलॉजी लैब की स्थापना
भोपाल मेडिकल कॉलेज में स्टेट वायरोलॉजी लैब की स्थापना 13वें वित्त आयोग से की जा रही है। इसका सौ फीसदी वित्त पोषण भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है। इस लैब का कार्य सितम्बर, 2013 से आरंभ हुआ एवं भवन निर्माण का काम लगभग पूर्ण हो चुका है। उपकरण खरीदी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पिछले कई वर्षों से वायरल जनित बीमारियों के काफी मरीज आ रहे हैं। वायरल बीमारियाँ जैसे स्वाईन फ्लू, डेंगू, एचआईव्ही, हेपेटायटिस-बी, हेपेटायटिस-सी, जापानी इनफेलाईटिस्ट इत्यादि की जाँच तथा उच्च-स्तरीय शोध कार्य इस लैब के जरिये हो सकेगा।
दीनदयाल चिकित्सा गारंटी योजना
इस योजना में चिकित्सा महाविद्यालयों से संबद्ध चिकित्सालयों में बीपीएल मरीजों को चिकित्सा दी जाती है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले प्रति परिवार को बीस हजार रुपये की नि:शुल्क चिकित्सा उपलब्ध करवायी जा रही है। योजना के प्रारंभ में वर्ष 2009-10 में 12 करोड़ 35 लाख रुपये दिये गये। वर्ष 2016 में इसमें करीब 56 प्रतिशत की वृद्धि कर 19 करोड़ 36 लाख रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।
विक्रमादित्य और ग्रीन कार्ड योजना
इस योजना में सामान्य वर्ग के उत्कृष्ट छात्रों को शासन की ओर से शिक्षण शुल्क दिया जाता है। वर्ष 2009-10 में इसके लिये 50 लाख और वर्ष 2015-16 में 40 लाख रुपये का बजट प्रावधान किया गया। ऐसे छात्र-छात्राएँ, जिनके माता-पिता ग्रीन-कार्ड योजना में आते हैं, का प्रशिक्षण शुल्क इस योजना में राज्य शासन द्वारा दिया जाता है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल नि:शुल्क दवा वितरण योजना
राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध चिकित्सालय में सरकार वल्लभ भाई पटेल योजना में नि:शुल्क दवाइयों का वितरण, जाँच और उपचार किया जाता है। योजना प्रारंभ वर्ष 2009-10 में इसके लिये 10 करोड़ और वर्ष 2015-16 में रुपये 45 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया।
देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
राज्य सरकार की 03 साल की प्रमुख उपलब्धियां - एक नजर में
भोपाल। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
भोपाल। देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।इस बार 9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती इंदौर में होने जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर सभी प्रवासी भारतीयों का स्वागत करने के लिए आतुर है।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं।
भोपाल। पशुपालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में प्रदेश में 2 करोड़ 92 लाख 51 हजार गौ-भैंस वंशीय पशु पंजीकृत हैं। इन पशुओं को यूआईडी टैग लगा कर इनॉफ पोर्टल पर दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।
मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
मध्यप्रदेश के इन्द्रधनुषी जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ पहाड़ी झरने की तरह गतिमान है। मध्यप्रदेश सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ विन्ध्याचल, सतपुड़ा और अन्य पर्वत-श्रेणियों के उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हवाएँ और उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती नर्मदा, ताप्ती, तवा, पुनासा, बेतवा, चंबल, दूधी आदि नदियों की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो,वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ।
धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।