स्वाधीनता संग्राम के दस्तावेजीकरण और आजादी के संघर्ष के आदर्शों, बलिदानों, प्रेरक विचारों को समाज के बीच पहुँचाने एवं स्वाधीनता संग्राम में आदिवासियों की भागीदारी, जनजातीय चेतना और संघर्ष को शिद्दत के साथ रेखांकित करने में मध्यप्रदेश देश में अव्वल स्थान पर काबिज है।
प्रदेश में वर्ष 2003 तक स्वाधीनता दिवस एवं गणतंत्र दिवस पर ही मुख्यत: सीमित आयोजन राजधानी भोपाल में किये जाते थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 11 साल के कार्यकाल में स्वतंत्रता संघर्ष और शहीदों पर केन्द्रित गतिविधियों का उल्लेखनीय विस्तार हुआ। मुख्यमंत्री द्वारा लिये गये निर्णयों का नतीजा रहा कि पिछले ग्यारह वर्ष के सफर में अब प्रदेश के सभी अंचलों में लगभग 8188 आयोजन किये जा रहे हैं। शहीद स्मारक, धर्मपाल शोध पीठ, महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ तथा रेडियो आजाद हिन्द की स्थापना, स्वाधीनता संग्राम के महानायकों की स्मृति में अमर शहीद आजाद के जन्म-स्थल चन्द्रशेखर आजाद नगर (भाभरा) जिला अलीराजपुर में आजाद स्मृति मंदिर, जननायक टंटय्या भील की जन्म-स्थली ग्राम बड़ौदा अहीर (खण्डवा) एवं सेना के शहीद स्व चंपालाल मालवीय की स्मृति में ग्राम घटला (रतलाम) में स्मारक लोकार्पित किये जा चुके हैं।
इसके अलावा इसी अरसे में शुरू किये गये जननायक भीमा नायक की जन्म-स्थली ग्राम धावा बावड़ी (बड़वानी) में, शहीद स्व. ओमप्रकाश मर्दानिया की स्मृति में ग्राम शाहपुर (सीहोर) में स्मारक निर्माण तथा गौंड साम्राज्य की स्मृति में ग्राम रामनगर (मण्डला) में स्तंभ का निर्माण कार्य भी पूरा हो गया है।
26 जनवरी 2006 से आजादी के तरानों पर केन्द्रित रेडियो कार्यक्रम ' वतन का राग' का प्रसारण प्रदेश के सभी आकाशवाणी केन्द्रों से, विविध भारती तथा दिल्ली, मुम्बई, लखनऊ से किया जा रहा है। इस विषय के 565 ऐपिसोडस के माध्यम से लगभग 850 संकलित गीत प्रसारित हो चुके हैं। प्रदेश में इन सभी गतिविधियों के लिये स्थापित स्वराज संस्थान के लिए वर्ष 2003-04 में मात्र 39 लाख 50 हजार रूपये का बजट प्राप्त होता था, जो अब बढ़कर 1009.44 लाख हो गया है। इस तरह संस्थान के वार्षिक बजट में 969.94 लाख की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
शहीदों के स्मारक-स्तम्भ
वर्ष 1857 के मुक्ति संग्राम के योद्धा बखतवली शाह,बोधन दौआ, पंजाब सिंह, श्यामसिंह, धीरसिंह बघेल, खाज्या नायक, भीमा नायक, सीताराम कंवर, रघुनाथ मंडलोई, आदिल मोहम्मद, फाजिल मोहम्मद, मेहरबान सिंह लोधी, हिरदेशाह, मंदसौर के शहीद सैनिक, देसपत बुंदेला, विजयसिंह लोधी, दौलतसिंह कछवाहा, गरुलसिंह, किशोर सिंह, सदाशिवराव अमीन, सरजू प्रसाद, महादेव शास्त्री, फरजंद अली, दौलत सिंह, वारिस मोहम्मद खाँ, मोहम्मद अली खाँ, खलकसिंह दौआ, धीरजसिंह एवं उमराव सिंह सूबेदार आदि के शहीद स्मारक/स्तम्भ का निर्माण करवाया जा रहा है।
शहीदों के प्राणोत्सर्ग स्थल एवं वीरगाथा से आमजन को परिचित करवाने के साथ ही सदभावना जागरण के उद्देश्य से टुरिया जिला सिवनी, जननायक टंट्या भील की स्मृति में पातालपानी जिला इंदौर तथा बड़ौदा अहीर की स्मृति में जिला खण्डवा में, बिरसा मुण्डा की स्मृति में डगडौआ जिला उमरिया में, रानी दुर्गावती एवं राजा शंकर शाह एवं रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर मण्डला,राजा सरजूप्रसाद की स्मृति में विजयराघवगढ़ जिला कटनी में, अमरशहीद चन्द्रशेखर आजाद की स्मृति में भाभरा जिला अलीराजपुर में और रानी अवंतीबाई बलिदान दिवस पर बालपुर जिला डिन्डौरी में मेले लगवाये गये।
भारतीय स्वाधीनता संग्राम के प्रखर हस्ताक्षर अमरशहीद चन्द्रशेखर आजाद का जन्म शती वर्ष समारोह, इतिहास के सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटनाक्रम 1857 मुक्ति संग्राम के पक्ष को समाज के सामने लाने की दृष्टि से 1857 मुक्ति संग्राम के 150 वर्ष समारोह, राजा भोज के राज्यारोहण का 1000 वर्षवाँ समारोह, प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी पं. उद्धवदास मेहता जन्म शताब्दी समारोह एवं राष्ट्र अभ्युदय और स्वाभिमान के प्रतीक अद्धितीय विद्धान स्वामी विवेकानंद के जन्म के 150 वर्ष समारोह मनाया गया। इन समारोह में प्रदेश में लोकव्यापी एवं जन आधारित आयोजन, चित्र प्रदर्शनी, संगोष्ठी के आयोजन के साथ पुस्तकों का प्रकाशन करवाया गया।
स्वाधीनता फैलोशिप
स्वाधीनता संग्राम के बहु-विध पहलुओं पर शोध कार्य, जिला स्तरीय फैलोशिप में 1857 मुक्ति संग्राम को लेकर जिलों का विशद शोध कार्य, अक्षय निधि एवं स्वराज पुस्तक माला में प्राचीन भारतीय संस्कृति, आजादी के संघर्ष एवं महापुरुषों की 80 से अधिक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैं।
स्वाधीनता संघर्ष के स्मृति-चिन्हों को एकत्रकर उनका प्रदर्शन, भारत और दुनिया भर में हुए स्वाधीनता संघर्ष पर केन्द्रित फिल्म, समाचार-पत्रों, पुस्तकों, चित्रों और अन्य रचनाओं के संग्रहण, निर्माण- प्रदर्शन, व्याख्यान, गोष्ठी, अध्ययन-शोध आदि कार्यक्रम किये गये। प्रदेश में पिछले ग्यारह वर्ष से दुर्लभ प्रामाणिक ऐतिहासिक एवं अन्य विविध ग्रन्थों का संग्रह कर प्रकाशन और स्वाधीनता संग्राम सेनानियों /शहीदों को समर्पित शताब्दी/ जयन्ती समारोह तथा बहुआयामी स्तरीय गतिविधियों का संचालन सतत रूप से किया जा रहा है।
देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
राज्य सरकार की 03 साल की प्रमुख उपलब्धियां - एक नजर में
भोपाल। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
भोपाल। देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।इस बार 9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती इंदौर में होने जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर सभी प्रवासी भारतीयों का स्वागत करने के लिए आतुर है।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं।
भोपाल। पशुपालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में प्रदेश में 2 करोड़ 92 लाख 51 हजार गौ-भैंस वंशीय पशु पंजीकृत हैं। इन पशुओं को यूआईडी टैग लगा कर इनॉफ पोर्टल पर दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।
मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
मध्यप्रदेश के इन्द्रधनुषी जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ पहाड़ी झरने की तरह गतिमान है। मध्यप्रदेश सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ विन्ध्याचल, सतपुड़ा और अन्य पर्वत-श्रेणियों के उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हवाएँ और उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती नर्मदा, ताप्ती, तवा, पुनासा, बेतवा, चंबल, दूधी आदि नदियों की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो,वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ।
धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।