मध्यप्रदेश में भूमि, खनिज, मेन पावर की उपलब्धता और आवागमन की सुविधा से निवेश का माहौल न केवल बना है बल्कि युवाओं को रोजगार के नये अवसर सुलभ करवाने में सफलता हासिल हुई है। बड़े के साथ छोटे और मध्यम उद्योगों को समान रूप से बढ़ावा मिला है। एक तरह से कुटीर और घरेलू उद्योगों का जाल बिछाने की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा फलीभूत हो रही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले ग्यारह साल में प्रदेश में छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए तेजी से प्रभावी कदम उठाये हैं। वर्ष 2003-04 में मात्र 15 हजार 360 उद्यम पंजीकृत थे। इनमें 5171 करोड़ रूपये की पूँजी निवेश और 1 लाख 94 हजार 761 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया। इसकी तुलना में प्रदेश में पिछले ग्यारह वर्ष में 2 लाख 76 हजार 522 सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यम स्थापित किये जाने के साथ ही स्व-रोजगार योजनाओं में 1 लाख 27 हजार 427 हितग्राहियों को लाभान्वित कर रुपये 559 करोड़ से ज्यादा की राशि अनुदान के रूप में उपलब्ध करवाई गई। चालू माली साल में एक लाख उद्यमों के पंजीयन का लक्ष्य है।
इसी का प्रतिफल है कि भारत सरकार की इंटीग्रेटेड स्किल डेवलपमेंट स्कीम में वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में प्रशिक्षण एवं रोजगार उपलब्ध करवाने में और टूल रूम की स्थापना में मध्यप्रदेश देश में अव्वल है। चर्म उद्योग की सहायता के लिए प्रशिक्षण सहायता केन्द्र स्थापित करने में प्रदेश दूसरे स्थान पर है तथा वर्ष 2015-16 में एम.एस.एम.ई के पंजीयन में छठवें स्थान पर है।
वेण्डर डेव्हलपमेन्ट विपणन समर्थन कार्य-योजना लागू
प्रदेश को पूरी तरह से विकसित एवं औद्योगिक प्रदेश बनाये जाने के उद्देश्य से वेण्डर डेवलपमेंट विपणन समर्थन तथा तकनीकी उन्नयन कार्य योजना क्रियान्वित की जा रही है। इसमें 500 स्थानीय इकाईं को 70 शासकीय उपक्रम, वृहद इकाइयों से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश के छोटे उद्यमियों को बड़ी कंपनियों तक पहुँचाने के लिए ऑनलाईन पद्धति का उपयोग करने के लिए टोलेक्सो डॉट कॉम के साथ अनुबंध किया गया है।
प्रदेश की लघु, सूक्ष्म और मध्यम इकाइयों, निर्यातकों एवं निर्यातोन्मुखी इकाइयों को प्रदेश के भीतर ही विदेशी बाजार उपलब्ध करवाने तथा निर्यात की संभावनाएँ तलाशने के लिए रिवर्स-बायर सेलर मीट जाती है। मीट के जरिए विदेशी खरीददार के साथ उद्यमियों को मिलने का अवसर जनवरी 2016 में दिलाया गया। लघु उद्योग निगम द्वारा अब तक ग्वालियर में 5, इंदौर तथा भोपाल में 2-2 मीट की गई हैं।
एमएसएमई सेक्टर को प्रोत्साहन
राज्य सरकार सूक्ष्म,लघु और मध्यम श्रेणी के उद्योगों को प्रोत्साहन नीति पर आगे बढ़ रही है। प्रदेश की इस स्तर की इकाइयों के उत्पादों के प्रदर्शन एवं निर्यात के लिए ई-एक्सपोर्ट पोर्टल www.mpsme.in तैयार किया गया है। पोर्टल विभिन्न देश की 11 भाषाओं में मल्टीलिंगुअल पोर्टल है, जो 177 देश में देखा जा सकता है। पोर्टल पर इकाइयाँ अपना पंजीयन एवं अपनी वेबसाईट तैयार कराकर देश और विदेश में अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर निर्यात कर रही हैं। पोर्टल से प्रदेश की लगभग 550 ओद्योगिक इकाइयाँ जुड़ चुकी हैं और यह सिलसिला जारी है। जिन औद्योगिक इकाइयों की स्वयं की वेबसाईट है वे उसे इस पोर्टल से लिंक कर सकती है। पोर्टल पर पंजीकरण शुल्क न्यूनतम है। पंजीकरण इकाइयों द्वारा चयन के आधार पर दो-तीन वर्ष के लिए किया जाता है। बाद में नवीनीकरण किया जाता है।
युवाओं के लिए तीन महत्वपूर्ण योजना संचालित
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना - योजना एक अगस्त 2014 से प्रारंभ की गई है। इसी वर्ष से इसे स्टेण्डअप योजना के रूप में लागू किया गया है। योजना का उद्देश्य समाज के सभी वर्ग के युवाओं को स्वयं का उद्योग (विनिर्माण)/सेवा उद्यम स्थापित करने के लिए बैंक के माध्यम से ऋण उपलब्ध करवाना है। इसमें हितग्राही को मार्जिन मनी सहायता,ब्याज अनुदान, ऋण गारंटी एवं प्रशिक्षण दिया जाता है। योजना में 10 लाख से 1 करोड़ रूपये तक की ऋण-अनुदान सहायता का प्रावधान है। एमएसएमई विभाग द्वारा अब तक 2500 युवाओं को लाभान्वित किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना- योजना एक अगस्त 2014 से शुरू की गई है। योजना में प्रदेश के युवाओं को स्वयं का उद्योग/ व्यवसाय स्थापित करने के लिए बैंक के जरिये ऋण उपलब्ध करवाया जाता है। इसमें हितग्राही को मार्जिन सहायता, ब्याज अनुदान,ऋण गारंटी एवं प्रशिक्षण दिलाया जाता है। परियोजना की लागत 50 हजार से 10 लाख रूपये तक की है। योजना के लागू होने के बाद से एमएसएमई विभाग द्वारा अब तक करीब 87 हजार युवाओं को लाभान्वित करवाया जा चुका है।
मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना- योजना में सबसे गरीब वर्ग को कम लागत के उपकरण या कार्यशील पूँजी उपलब्ध करवायी जाती है। परियोजना की लागत अधिकतम 20 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रूपये कर दी गई है। शैक्षणिक योग्यता बंधनकारी नहीं है किन्तु हितग्राही की उम्र 18-35 वर्ष की होना जरूरी है। परियोजना की लागत का 50 प्रतिशत मार्जिज मनी एवं अधिकतम सहायता 10 हजार रूपये तक है।
वेण्डर विकास कार्यक्रम
प्रदेश के सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योगों के लिए प्रदायक विकास (वेण्डर डेव्हलपमेंट) कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इसके जरिये प्रदेश के लघु एवं मध्यम क्षेत्र की इकाइयों को वृहद एवं भारी उद्योगों से जोड़ा जाकर वृहद उद्योगों को लगने वाले सह उत्पाद स्थानीय स्तर पर उपलब्ध करवाये जाते हैं। कार्यक्रम से लघु एवं मध्यम इकाइयों को व्यवसाय मिलने के साथ ही बढ़ावा मिलता है। प्रदेश में इसका प्रथम चरण है। द्वितीय चरण में इन इकाइयों की सक्षमता इतनी बढ़ायी जायेगी कि वे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में OWNED BRAND NAME के रूप में स्थापित हो सकें। कार्यक्रम में वर्ष 2016-17 में अब तक 70 सूक्ष्म,लघु तथा मध्यम इकाइयों का पंजीकरण किया गया।
प्रदेश के सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से राज्य के लघु उद्योग निगम द्वारा सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को विपणन सहायता के साथ ही शासकीय विभाग, उपक्रम, निगम, मण्डल, विपणन संघ, सहकारी संस्था, मण्डी बोर्ड, कृषि उपज मण्डी, पंचायत एवं नगरीय निकायों को प्रतिस्पर्धातम गुणवत्ता से युक्त सामग्री को उपलब्ध करवायी जाती है।राज्य सरकार ने 28 जुलाई 2015 से भण्डार क्रय तथा सेवा उपार्जन नियम 2015 लागू किया है। इसमें प्रदेश के सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की 39 वस्तुएँ निगम के माध्यम से खरीदने के लिए आरक्षित की है। निगम ने 94 उत्पाद के दर अनुबंध ई- पोर्टल पर प्रदशित किये हैं। फलस्वरूप पिछले वित्त में 648 करोड़ से ज्यादा का व्यवसाय हुआ है। निविदाओं में सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को धरोहर राशि के भुगतान से छूट के साथ ही टर्न ओव्हर की शर्त हटा दी गई है। इन उद्यमों को परफार्मेंस गारंटी की राशि 25 हजार जमा करने पर निगम द्वारा आमंत्रित सभी निविदाओं में भाग लेने की सुविधा दी गई है।
सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्योग की सुदृढ़ता की अन्य योजनाएँ
भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय की वित्तीय सहायता से प्रदेश के 25 हजार बेरोजगार युवक-युवतियों, जो पाँचवीं कक्षा उत्तीर्ण हों, के लिए वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में प्रशिक्षण एवं रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए एकीकृत कौशल विकास योजना अप्रैल 2015 से प्रारंभ की गई है। योजना पूरी तरह निःशुल्क है और प्रशिक्षण दो माह का है। प्रशिक्षण के बाद दक्ष युवक/युवतियों का भारत सरकार की टेक्सटाईल कमेटी के असेसर द्वारा मूल्यांकन किया जाता है और प्रशिक्षण संस्था द्वारा रोजगार उपलब्ध करवाया जाता है। योजना में लगभग 17 हजार युवाओं को प्रशिक्षित कर 14 हजार को रोजगार उपलब्ध करवाया जा चुका है।
मघ्यप्रदेश लघु उद्योग निगम द्वारा भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की इन्डस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन स्कीम में जबलपुर में रुपये 55 करोड़ 58 लाख की लागत से रेडीमेड गारमेन्ट काम्पलेक्स की स्थापना की जा रही है। इस परियोजना के लिये लेमा गार्डन जबलपुर में साढ़े आठ एकड़ भूमि आवंटित की गई है। भारत सरकार द्वारा परियोजना लागत में लगभग 31 करोड़ की सहायता दी गई है। शेष राशि हितग्राहियों के स्वयं के अंशदान से एकत्रित की गई है। परियोजना पूरी होने पर जबलपुर को गारमेन्ट इण्डस्ट्रीज क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पहचान प्राप्त होगी। साथ ही 60 हजार व्यक्तियों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा।
देवास के औद्योगिक क्षेत्र क्रमांक-दो में लेदर इंक्यूबेशन सेन्टर की स्थापना की कार्रवाई की जा रही है। इसमें एंटरप्रेन्योरशिप तथा स्किल डेव्हलपमेंट का प्रशिक्षण दिया जायेगा। सेन्टर से पाँच वर्ष में 300 एंटरप्रेन्योर तथा 200 स्किल्ड मेनपावर को प्रशिक्षित किया जायेगा।
देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
राज्य सरकार की 03 साल की प्रमुख उपलब्धियां - एक नजर में
भोपाल। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
भोपाल। देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।इस बार 9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती इंदौर में होने जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर सभी प्रवासी भारतीयों का स्वागत करने के लिए आतुर है।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं।
भोपाल। पशुपालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में प्रदेश में 2 करोड़ 92 लाख 51 हजार गौ-भैंस वंशीय पशु पंजीकृत हैं। इन पशुओं को यूआईडी टैग लगा कर इनॉफ पोर्टल पर दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।
मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
मध्यप्रदेश के इन्द्रधनुषी जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ पहाड़ी झरने की तरह गतिमान है। मध्यप्रदेश सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ विन्ध्याचल, सतपुड़ा और अन्य पर्वत-श्रेणियों के उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हवाएँ और उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती नर्मदा, ताप्ती, तवा, पुनासा, बेतवा, चंबल, दूधी आदि नदियों की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो,वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ।
धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।