पिछले 11 वर्ष के दौरान पशु-पालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश ने राष्ट्रीय-स्तर पर अपनी सशक्त उन्नति दर्ज करवायी है। प्रदेश ने न केवल दुग्ध उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि की है, बल्कि पशु-पालन, आहार, चिकित्सा, अनुसंधान, नस्ल-सुधार की अत्याधुनिक तकनीकों में भी अग्रणी बना है। प्रदेश में कुल 3 करोड़ 63 लाख पशु हैं। इनमें एक करोड़ 96 लाख गौ-वंशीय, 81 लाख भैंसवंशीय और 60 लाख बकरा-बकरी हैं। शासकीय प्रोत्साहन से ग्रामीण क्षेत्रों सहित शहरी क्षेत्रों में भी डेयरी उद्योग काफी उन्नति कर रहा है।
दुग्ध उत्पादन में लम्बी छलांग
वर्ष 2005 में प्रदेश का दुग्ध उत्पादन 5.50 मिलियन टन था, जो वर्ष 2016 में बढ़कर 12.14 मिलियन हो गया। वर्ष 2004-05 से वर्ष 2011-12 तक प्रदेश सातवें स्थान पर रहा। वर्ष 2012-13 में महाराष्ट्र से आगे निकलकर छठवें स्थान पर और वर्ष 2014-15 में आंध्रप्रदेश एवं पंजाब से आगे निकलकर देश में चौथे स्थान पर आ गया।
राष्ट्रीय औसत से अधिक है प्रदेश में दूध उपलब्धता
जनसंख्या वृद्धि के बावजूद मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। वर्ष 2005 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता 233 ग्राम थी, जो वर्ष 2016 में बढ़कर 428 ग्राम हो गयी। वर्तमान में प्रदेश की प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता राष्ट्रीय औसत 337 ग्राम प्रतिदिन से अधिक है। वर्ष 2005 में दुग्ध संकलन करीब 4 लाख किलोग्राम था, जो वर्ष 2016 में बढ़कर सवा 10 लाख किलोग्राम प्रतिदिन हो गया। औसत कुल दुग्ध विक्रय भी करीब 4 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़कर साढ़े 8 लाख लीटर और टर्न-ओव्हर 265 करोड़ से बढ़कर 1740 करोड़ हो गया।
दोगुने हुए पशु-चिकित्सालय
वर्ष 2005 में प्रदेश में 565 पशु-चिकित्सालय थे, जो अब बढ़कर 1063 हो गये हैं। पिछले दस साल में 498 पशु औषधालयों का पशु चिकित्सालयों में उन्नयन तथा 314 नवीन पशु औषधालयों की स्थापना की गयी है। पशु-पालकों को एक ही भवन में आधुनिकतम जाँच एवं उपचार की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिये पचास जिला-स्तरीय पशु-चिकित्सालयों को पॉली क्लीनिक का रूप दिया गया है। दूरस्थ आदिवासी बहुल ग्रामीण अंचलों में ग्राम पहुँच पशु चिकित्सा सुविधा सभी 89 आदिवासी विकासखण्ड में उपलब्ध करवा दी गयी है। नई चिकित्सीय संस्थाओं को खोलने, पुरानी संस्थाओं के उन्नयन और नई तकनीक यथा- ई-वेट प्रोजेक्ट के प्रयोग से पशु-चिकित्सा सेवाओं का कव्हरेज जो वर्ष 2005 में 82 प्रतिशत था, वर्ष 2015 में बढ़कर 65.50 प्रतिशत हो गया।
पशु उपचार और टीकाकरण में अभूतपूर्व वृद्धि
वर्ष 2005 में साढ़े 38 लाख पशु उपचार एवं करीब 80 लाख टीकाकरण के विरुद्ध वर्ष 2015-16 में 117 लाख से ज्यादा पशु उपचार और 249 लाख से ज्यादा टीकाकरण किया गया। प्रदेश के टीका द्रव्य कार्यक्रम को सुदृढ़ करने और पशु स्वास्थ्य रक्षा को बेहतर बनाने के लिये महू के पशु स्वास्थ्य एवं जैविक उत्पाद संस्थान का सुदृढ़ीकरण जीएमपी के मानकों के अनुरूप किया गया है।
नस्ल सुधार
पशुओं की नस्ल सुधार के लिये प्रदेश में पशु प्रजनन कार्यक्रम का सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार किया जा रहा है। कृत्रिम गर्भाधान कव्हरेज, जो वर्ष 2005 में 24 प्रतिशत था, वह वर्ष 2016 में बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया। वर्ष 2005 में जहाँ 4 लाख 73 हजार कृत्रिम गर्भाधान होता था, वह वर्ष 2016 में बढ़कर सवा 27 लाख हो गया है। भोपाल में पहला राज्य-स्तरीय पशु-पालन प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों की स्थानीय, अवर्णित, श्रेणीकृत गौ-वंशीय नस्ल सुधार के लिये महत्वाकांक्षी नन्दी-शाला योजना आरंभ की गयी। पशु-पालकों के लिये डेयरी एवं बकरी-पालन योजना भी पिछले 11 साल में ही शुरू की गई।
गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड का गठन
भारतीय गौ-वंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये मध्यप्रदेश गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड का गठन किया गया। बोर्ड में वर्तमान में पूरे प्रदेश में 588 गौ-शालाएँ पंजीकृत होकर क्रियाशील हैं। स्थानीय नस्ल को बढ़ावा देने एवं उच्च आनुवांशिक एवं उत्पादन वाले पशुओं का डाटाबेस एकत्रित करने के लिये एवं भारतीय देशी गौ-वंश को प्रोत्साहित करने के लिये वर्ष 2011-12 में गोपाल पुरस्कार योजना और अगले वर्ष वत्स-पालन प्रोत्साहन योजना शुरू की गयी।
पशु-पालन में शिक्षा और अनुसंधान
पशु-पालन में शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2007 में रीवा में नवीन पशु-चिकित्सा महाविद्यालय और वर्ष 2009 में जबलपुर में पशु-चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी। वर्ष 2011-12 में पशु-पालन विज्ञान में दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स पशु-चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के तहत जबलपुर, महू, रीवा, भोपाल एवं मुरैना में शुरू किया गया।
नस्ल-सुधार कार्यक्रम के सुदृढ़ीकरण, विस्तारीकरण एवं आधुनिकीकरण के उद्देश्य से वर्ष 2012-13 में भोपाल में उच्च आनुवांशिक गुण वाले बछड़ों के उत्पादन के लिये भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक प्रयोगशाला की स्थापना की गयी। प्रयोगशाला में सफल प्रयोग से अप्रैल, 2015 को प्रदेश का पहला बछ़ड़ा और 'श्यामा' प्रदेश की पहली सेरोगेटेड गाय बनी। केन्द्रीय वीर्य संस्थान, भदभदा, भोपाल का सुदृढ़ीकरण कर फ्रोजन सीमन डोजेज की उत्पादन क्षमता पिछले वित्त वर्ष तक करीब 5 लाख से बढ़कर 25 लाख 62 हजार हो गयी।
कीरतपुर में पहला स्व-चलित पशु-आहार संयंत्र स्थापित
पशु प्रजनन प्रक्षेत्र कीरतपुर में प्रदेश के प्रथम स्व-चलित पशु-आहार संयंत्र की स्थापना इस वर्ष की गयी है। संयंत्र की क्षमता 100 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। यहाँ यूरिया मोलिसिस मिनरल ब्लॉक संयंत्र की स्थापना वर्ष 2013-14 में की गयी थी। देश के दो ब्रीडिंग सेंटर में से एक नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर की स्वीकृति कीरतपुर के लिये जारी की गयी है।
वर्ष 2006-07 में प्रदेश में दुधारु पशु बीमा योजना प्रारंभ की गयी। चुने हुए 7 जिलों से प्रारंभ हुई यह योजना अन्य सभी जिलों में क्रियान्वित की जा रही है।
दोगुनी हुई सहकारी समितियाँ
प्रदेश में वर्ष 2005 में कार्यशील सहकारी समितियों की संख्या 3202 थी, जो वर्ष 2016 में बढ़कर 6315 हो गयी। इसी तरह सदस्य संख्या भी करीब डेढ़ लाख से बढ़कर ढाई लाख हो गयी है। इनमें 73 प्रतिशत पिछड़े, अनुसूचित जाति-जनजाति के सदस्य शामिल हैं। महिला सदस्यों की संख्या भी 35 हजार से बढ़कर करीब 93 हजार हो गयी है।
प्रदेश में आचार्य विद्यासागर गौ-संवर्धन योजना आरंभ कर सहकारी डेयरी कार्यक्रम में महिला सशक्तिकरण और महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने के विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।
जुलाई, 2015 से प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों और आँगनवाड़ी के लगभग 94 लाख बच्चों को मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में सप्ताह में तीन दिन सुगंधित मीठा दूध प्रदाय के लिये दुग्ध संघ दुग्ध चूर्ण प्रदाय कर रहे हैं।
देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
राज्य सरकार की 03 साल की प्रमुख उपलब्धियां - एक नजर में
भोपाल। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
भोपाल। देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।इस बार 9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती इंदौर में होने जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर सभी प्रवासी भारतीयों का स्वागत करने के लिए आतुर है।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं।
भोपाल। पशुपालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में प्रदेश में 2 करोड़ 92 लाख 51 हजार गौ-भैंस वंशीय पशु पंजीकृत हैं। इन पशुओं को यूआईडी टैग लगा कर इनॉफ पोर्टल पर दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।
मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
मध्यप्रदेश के इन्द्रधनुषी जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ पहाड़ी झरने की तरह गतिमान है। मध्यप्रदेश सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ विन्ध्याचल, सतपुड़ा और अन्य पर्वत-श्रेणियों के उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हवाएँ और उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती नर्मदा, ताप्ती, तवा, पुनासा, बेतवा, चंबल, दूधी आदि नदियों की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो,वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ।
धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।