शिवराज सिंह चौहान के विश्वस्त मध्यप्रदेश के एक वरिष्ठ बीजेपी नेता को फोन मिलाया तो उन्होंने कहा- बागियों से थोड़ा नुकसान हो रहा है, लेकिन सरकार बना लेंगे हम लोग, थोड़े कम भी हुए भी तो हो जाएगी व्यवस्था।
फिर कांग्रेस खेमे का हाल जानने के लिए कांग्रेस की राजनीति की नब्ज रखने के साथ कमलनाथ को नजदीक से जानने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार को फोन मिलाया तो उन्होंने कहा - बीजेपी के कुछ नेताओं को मालूम नहीं है कि उनका पाला इस बार कमलनाथ से पड़ा है, अगर बीजेपी अपने दम पर बहुमत से कम हुई तो सरकार नहीं बना पाएगी।
पहले देर रात राज्यपाल को भेजे ईमेल और आदमी के हाथ से भेजे गए सरकार बनाने के दावे (ध्यान रहे कि कमलनाथ ने फैक्स करने का विकल्प चुना ही नहीं, जिसके चलते महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाते बनाते रह गई थीं) और अगली सुबह राज्यपाल को भेजे गए कुल 121 विधायकों के समर्थन ने साफ कर दिया कि 71 साल की उम्र के कमलनाथ हर उस रणनीति के मास्टर हैं जिसकी झलक पिछले कुछ सालों से कांग्रेस में नहीं दिख रही थी।
राज्यपाल को भेजे गए समर्थन वाले पत्र से साफ है कि बीजेपी के 109 विधायकों को छोड़ दें तो बाकी सब के सब कमलनाथ के साथ हैं। इससे पहले बीजेपी विधायक दल की बैठक भी हुई जिसमें हर जोर आजमाइश के बाद यही नतीजा निकला कि मैजिक नंबर नहीं मिल पाएगा।
सात महीने में कमल का कमाल
मध्यप्रदेश की राजनीति को नजदीक से देखने वाले कई विश्लेषक ये दावा करने में जुट गए हैं कि ये करिश्मा मौजूदा समय में मध्यप्रदेश में केवल और केवल कमलनाथ के बूते की बात थी, जो उन्होंने कर दिखाया।
महज सात महीने पहले उन्होंने मध्यप्रदेश कांग्रेस का प्रभार संभाला और इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक के गढ़ और हिंदुत्व की राजनीति के केंद्र रहे मध्यप्रदेश में नरेंद्र मोदी-अमित शाह की रणनीति के साथ साथ लोकलुभावन नीतियों के चलते बेहद लोकप्रिय शिवराज सिंह चौहान की हवा निकाल दी।
ये काम उन्होंने तब किया जब मध्यप्रदेश कांग्रेस बीते कई दशकों से गुटबाजी के चलते एक दूसरे की टांग खींचने की परिपाटी रही है। कमलनाथ को नजदीक से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता कहते हैं- कमलनाथ की यही खासियत रही है, वो सबको साथ लेकर चलना जानते हैं, रिजल्ट देना जानते हैं। चाहे दिग्विजय सिंह रहे हों या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों के बीच कमलनाथ ने तालमेल बनाते हुए सबको एकजुट रखा और नतीजा सामने है, 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौट आई है।
कमलनाथ की काबिलियत पर विरोधी को भी संदेह नहीं
26 अप्रैल, 2018 को मध्य प्रदेश का प्रभार संभालने के बाद जब कमलनाथ ने भोपाल में अपना डेरा डाला तो सबसे पहले उन्होंने पार्टी कार्यालय की सूरत संवारी। नए सिरे से इमारत का रंग रोगन हुआ और साथ में संजय गांधी की तस्वीर भी लगवाई। मोटा आकलन ये भी लगाया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के चुनाव में करीब तीन चौथाई संसाधनों की व्यवस्था कमलनाथ ने ही जुटाई।
ये भी एक बड़ी वजह है कि उन्हें प्रदेश की कमान सौंपने की तैयारी हो रही है ताकि 2019 के निर्णायक चुनाव के लिए तैयारियों के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं रह जाए। हालांकि आलोक मेहता के मुताबिक कमलनाथ का केंद्र की राजनीति में मुख्यमंत्री पद के लिहाज से बड़ा कद रहा है लेकिन एनडी तिवारी या शरद पवार जैसे लोग पहले भी राज्यों में जाकर कमान संभालते रहे हैं।
वैसे कमलनाथ की क्षमता और काबिलियत को लेकर उनके विरोधी भी संदेह नहीं रखते, ये बात दूसरी है कि कमलनाथ खुद को बड़ा ही लो प्रोफाइल रखते आए हैं। वरना गांधी परिवार से निकटता, पूरे पचास साल का राजनीतिक जीवन और खुद का अरबों का कारोबारी साम्राज्य, उन्हें हरवक्त चर्चा में बनाए रखने के लिए कम नहीं हैं।
दरअसल, कमलनाथ संजय गांधी के स्कूली दोस्त थे, दून स्कूल से शुरू हुई दोस्ती, मारुति कार बनाने के सपने के साथ-साथ युवा कांग्रेस की राजनीति तक जा पहुंची थी। पत्रकार विनोद मेहता ने अपनी किताब संजय गांधी - अनटोल्ड स्टोरी में लिखा है कि यूथ कांग्रेस के दिनों में संजय गांधी ने पश्चिम बंगाल में कमलनाथ को सिद्धार्थ शंकर रे और प्रिय रंजन दासमुंशी को टक्कर देने के लिए उतारा था।
इतना ही नहीं जब इमरजेंसी के बाद संजय गांधी गिरफ्तार किए गए तो उनको कोई मुश्किल नहीं हो, इसका ख्याल रखने के लिए जज के साथ बदतमीजी करके कमलनाथ तिहाड़ जेल भी पहुंच गए थे। इन वजहों से वे इंदिरा गांधी की गुड बुक्स में आ गए थे, 1980 में जब पहली बार कांग्रेस ने उन्हें मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से टिकट दिया था।
उनके चुनाव प्रचार में इंदिरा गांधी ने अपने भाषण में कहा था,- मैं नहीं चाहती कि आप लोग कांग्रेस नेता कमलनाथ को वोट दीजिए। मैं चाहती हूं कि आप मेरे तीसरे बेटे कमलनाथ को वोट दें।
पहली बार कहां से जीते थे कमलनाथ?
आदिवासी और नामालूम इलाक़े से 1980 में पहली बार जीतने वाले कमलनाथ ने छिंदवाड़ा की तस्वीर पूरी तरह से बदल दी। इलाके से नौ बार सांसद बनने के साथ उन्होंने यहां स्कूल-कॉलेज और आईटी पार्क तक बनवाए हैं. इतना ही नहीं स्थानीय लोगों को रोजगार और काम धंधा मिले, इसके लिए उन्होंने वेस्टर्न कोलफील्ड्स और हिंदुस्तान यूनीलिवर जैसी कंपनियां खुलवाई हैं। साथ में क्लॉथ मेकिंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, ड्राइवर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी उन्होंने इलाके में खुलवाए।
वैसे पहले संजय गांधी की मौत और उसके बाद इंदिरा गांधी की हत्या ने कमलनाथ के राजनीतिक करियर के उठान पर असर जरूर डाला लेकिन वे कांग्रेस और गांधी परिवार के प्रति प्रतिबद्ध बने रहे। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगों में उनका नाम भी आया था लेकिन उनकी भूमिका सज्जन कुमार या जगदीश टाइटलर जैसे नेताओं की तरह स्पष्ट नहीं हो सकी।
1984 के सिख दंगों और 1996 के हवाला कांड को अगर अपवाद मान लें तो सालों साल तक अहम मंत्रालयों के मंत्री रहने के बाद भी कमलनाथ का नाम किसी विवादों में नहीं आया है और ना ही उन पर भ्रष्टाचार के कोई दूसरे संगीन आरोप लगे। वे पर्यावरण, अर्बन डेवलपमेंट, कामर्स एंड इंडस्ट्री जैसे अहम महकमों के मंत्री रह चुके हैं।
हवाला कांड के लगे थे आरोप
1996 में जब कमलनाथ पर हवाला कांड के आरोप लगे थे तब पार्टी ने छिंदवाड़ा से उनकी पत्नी अलकानाथ को टिकट देकर उतारा था, वो जीत गई थीं लेकिन अगले साल हुए उपचुनाव में कमलनाथ को हार का मुंह देखना पड़ा था। वे छिंदवाड़ा से केवल एक ही बार हारे हैं।
इंदिरा गांधी की मौत के बाद कमलनाथ राजीव गांधी के विश्वस्त भी रहे और आज की तारीख में राहुल गांधी भी उन पर पूरा भरोसा करते हैं। मनोरंजन भारती बताते हैं, - कमलनाथ तेजी से संसाधनों को जुटाने में माहिर हैं। हर पार्टी में उनके अच्छे दोस्त हैं, कारोबारी होने के चलते कारोबार की दुनिया में उनके दोस्त हैं, तो इस लिहाज से भी पार्टी की जरूरतों के मुताबिक कमलनाथ मुफ़ीद बैठते हैं।
दरअसल, कानपुर में जन्मे और पश्चिम बंगाल में कारोबार करने वाले व्यापारी परिवार से आने वाले कमलनाथ खुद में एक बिजनेस टायकून हैं, उनका कारोबार रियल एस्टेटस, एविएशन, हॉस्पिटलिटी और शिक्षा तक फैला है। देश के शीर्ष प्रबंधन संस्थान आईएमटी गाजियाबाद के डायरेक्टर सहित करीब 23 कंपनियों के बोर्ड में कमलनाथ शामिल हैं। ये कारोबार उनके दो बेटे नकुलनाथ और बकुल नाथ संभालते हैं।
आलोक मेहता कहते हैं- कारोबारी पृष्ठभूमि होने से कमलनाथ हर किसी की मदद करते हैं। उनके घर पर हमेशा ऐसे लोगों की भीड़ लगी रहती है। साथ ही आप ये भी देखिए कि आईएमटी गाजियाबाद के जरिए उन्होंने कितनों परिवार को समृद्ध किया है। ये उनका सामाजिक योगदान जैसा ही है।
कार्यकर्ताओं के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं कमलनाथ
दिल्ली में ये भी बड़ा मशहूर है कि कमलनाथ का घर और दफ्तर चौबीस घंटे पार्टी कार्यकर्ता के लिए खुला रहता है।
आलोक मेहता कहते हैं- अगर किसी नामालूम कार्यकर्ता के छोटे से काम के लिए भी कमलनाथ को चार बार किसी से कहना पड़े तो वो कहते हैं, उनकी ये सहजता भी उनकी बड़ी ताकत है। कमलनाथ के व्यवहार के बारे में लोग ये भी मानते हैं कि वे इतने शार्प हैं कि उनका बायां हाथ क्या कर रहा होता है, इसकी भनक वे दाएं हाथ तक को नहीं लगने देते हैं।
हालांकि उनकी आलोचना इस बात के लिए भी होती रही है कि वो एकदम से कोई स्टैंड नहीं ले सकते हैं और हर किसी से अच्छा संबंध बनाकर रखना चाहते हैं।मसलन, मध्यप्रदेश की राजनीति में ही बीते 15 सालों के दौरान उन्होंने कभी शिवराज सिंह चौहान का कोई मुखर विरोध नहीं किया।
मनोरंजन भारती कहते हैं- ये कमलनाथ की अपनी शैली है, वे काम करना और कराना जानते हैं। ये भी तो देखिए जब उन्हें मिशन दिया गया तो उन्होंने बेहद मुश्किल जाने वाले लक्ष्य को पूरा कर दिखाया। वैसे कमलनाथ की पूरी सक्रियता के लिए उनके सलाहकार और सहयोगी आरके मिगलानी को भी श्रेय देना होगा जो बीते 38 साल से कमलनाथ के सहायक बने हुए हैं। मिगलानी के मुताबिक कमलनाथ अपने वादे कभी भूलते नहीं हैं। तो उम्मीद की जानी चाहिए कि मध्यप्रदेश की जनता से किए वादों को कमलनाथ जरूर पूरा करेंगे।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश की बेटियों को शिक्षा में सहयोग के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में विकास और सामाजिक नेतृत्व के लिए सक्षम बनाया जाएगा। लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 का क्रियान्वयन इसी उद्देश्य से ही प्रारंभ किया गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज रविन्द्र भवन भोपाल में योजना के अंतर्गत 1477 लाड़ली लक्ष्मी बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए 1 करोड़ 85 लाख रूपये की राशि अंतरित कर संबोधित कर रहे थे।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि विकास कार्य गुणवत्ता के साथ समय-सीमा में पूर्ण करें। यह हमारा कर्त्तव्य और धर्म है कि योजनाओं का लाभ प्रत्येक पात्र व्यक्ति कोमिले, लोगों की कठिनाईयाँ दूर हों और उनका जीवन सुगम हों। शासन-प्रशासन के माध्यम से हमें जन-सेवा का मौका मिला है। हम ईमानदारी के साथ मिशन मोड में अपने कर्त्तव्यों को निभाएँ। इससे प्रदेश प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा।
भोपाल। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 70 हजार शिक्षकों की कमी है। ऐसे में स्कूलों में 40 हजार अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति करने की तैयारी चल रही है। शैक्षणिक सत्र 2022-23 में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में और सीएम राइज स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होने जा रही है।
विदिशा। जिले में सोमवार रात को वर्षा थमने के बावजूद बेतवा का जल स्तर बढ़ता जा रहा है। जिसके कारण बेतवा किनारे बसी बस्तियों और गांवों में पानी घुस गया है। शहर के एक दर्जन से अधिक इलाकों में तीन से चार फीट पानी होने के कारण नाव से लोगों को निकालना पड़ रहा है।
भोपाल। यातायात को सुगम बनाने और औद्योगिक विकास के लिए मध्य प्रदेश में अधोसंरचना विकास के काम तेजी के साथ किए जा रहे हैं। भोपाल, इंदौर सहित 15 स्थानों पर रोप-वे बनाए जाएंगे। इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग लाजिस्टिक मैनेजमेंट कंपनी और लोक निर्माण विभाग के बीच अनुबंध हो चुका है।
भोपाल। पार्टी मुझे दरी बिछाने को कहेगी, तो शिवराज सिंह चौहान दरी बिछाने को भी राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का काम मानकर करेगा। दिल्ली जाओगे कि वहां जाओगे। मुझे कहीं नहीं जाना। पार्टी कहेगी कि जैत में रहो, तो जैत में रहूंगा। पार्टी कहेगी भोपाल में रहो, तो भोपाल में रहूंगा। मुझे कोई अहं नहीं।
कोरोना वायरस के संक्रमण के दौर में भी बुलंदशहर में दो साधुओं की नृशंस हत्या पर प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के साथ ही कांग्रेस ने बुलंदशहर में डबल मर्डर (दो साधुओं की हत्या) के मामले में प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।
Rajya Sabha Election 2020: गुजरात के राज्यसभा चुनाव में खींचतान के बीच भाजपा के लिए एक राहत की खबर यह है कि भारतीय ट्रायबल पार्टी (बीटीपी) ने चुनाव में समर्थन करने के संकेत दिए हैं। पार्टी के विधायक महेश वसावा ने उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल से मुलाकात के बाद कहा कि 24 मार्च को कार्यकारणी की बैठक में समर्थन पर अंतिम फैसला होगा।
राज्यसभा चुनाव का प्रक्रिया जारी है और इस बीच बुधवार को 37 लोगों को राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुन लिया गया। इनमें NCP (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) प्रमुख शरद पवार, केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह शामिल हैं। बुधवार को नामांकन वापस लेने की समयसीमा बीत जाने के बाद इन प्रत्याशियों को निर्वाचित घोषित किया गया। मालूम हो की राज्यसभा की 55 सीटों के लिए 17 राज्यों में नामांकन भरे गए थे जिनमें से 37 का निर्विरोध चुनाव हो चुका है वहीं अब 26 मार्च को बची हुई 18 सीटों के लिए मतदान करावाया जाएगा। जिन सीटों के लिए मतदान होगा उनमें गुजरात और आंध्र प्रदेश में चार-चार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में तीन-तीन, झारखंड में दो और मणिपुर एवं मेघालय में एक-एक सीट शामिल है।
Three years of Yogi Sarkar : उत्तर प्रदेश में भारतीय जानता पार्टी (BJP) की योगी सरकार ने 18 मार्च को अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे कर लिये हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को बताया। लखनऊ में बुधवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि चुनौतियों और संभावनाओं के महासमर में संकल्पों और सिद्धांतों की नाव से यात्रा करते हुए आज उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार ने तीन वर्ष पूरे कर लिए हैं।