DevUthani Ekadashi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इस साल देवउठनी एकादशी 04 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी तिथि को पूरे भक्ति भाव से मनाने पर व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
नई दिल्ली। लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath Puja) 28 अक्टूबर 2022 शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो रहा है। दीपावली के छह दिन के उपरांत कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। शनिवार को खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा। चार दिनों तक चलने वाला यह कठिन व्रत 31 अक्टूबर, सोमवार को प्रातः सूर्य देव को अर्घ्य देकर पूर्ण किया जायेगा। व्रती संतान की प्राप्ति, सुख-समृद्धि, संतान की दीघार्यु और आरोग्य की कामना के लिए साक्षात सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करती हैं।
रुद्रप्रयाग। विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ के कपाट भैया दूज यानी आज शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने की पूर्व संध्या पर हजारों की संख्या में भक्त बाबा केदार के दर्शन करने पहुंचे थे। कपाट बंद होने की प्रक्रिया में बुधवार को भगवान केदार की पंचमुखी डोली को विधी-विधान से पूजा-अर्चना के बाद मंदिर परिसर में लाया गया था।
Chandra Grahan 8 November 2022: साल का आखिरी ग्रहण और दूसरा खंडग्रास चंद्रग्रहण 8 नवंबर 2022, कार्तिक पूर्णिमा पर पड़ने जा रहा है। यह चंद्रग्रहण लोगों के मन में चिंता बढ़ा रहा है क्योंकि 25 अक्टूबर 2022 को सूर्यग्रहण होने के 15 दिन के भीतर ही यह दूसरा ग्रहण पड़ने जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, एक पक्ष या 15 दिन के भीतर दो ग्रहण होना किसी बड़े अशुभ का संकेत माना गया है। इसी को देखते हुए लोगों के मन में आशंका है कि अब देश व समाज के सामने कोई बड़ी कठिनाई आने वाली है।
रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड में स्थित विश्व प्रसिद्ध बाबा केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को सोने से सजाने का काम पूरा हो गया है। मंदिर के गर्भगृह की दीवारों और छतों को 550 सोने की परतों से सजाकर एक भव्य रूप दिया गया। श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष ने बताया कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने का काम पिछले तीन दिनों से चल रहा था।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि जब सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2022) लगता है तो इस दौरान भोजन नहीं करना चाहिए। देवी भागवत् 9/35 के अनुसार सूर्य ग्रहण या चन्द्र ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितना अन्न का दाना खाता है, उतने वर्षो तक 'अरन्तुद' नरक में रहता है। पूर्वजों की बरसी ग्रहण काल में आती हो तो भोजन करने की व्यवस्था भी अलग होती है। सनातन धर्म में सूर्य और चंद्र ग्रहण के विषय पर जितना अधिक शोध हुआ है वैसा किसी अन्य धर्म व सभ्यता में नहीं किया गया है।
दिवाली के पावन दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी की विधि- विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार दिवाली के पावन दिन कुछ राशियों पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसेगी।
इस साल 24 अक्टूबर सोमवार को दिवाली है और इसके अगले दिन यानी 25 अक्टूबर को साल का आखिरी सूर्यग्रहण, फिर गोवर्धन पूजा है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक अमावस्या तिथि पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हुए दिवाली का त्योहार मनाया जाता है और अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लेकिन इस बार दिवाली के फौरन बाद ही आंशिक सूर्यग्रहण लगेगा।
कई वर्षों बाद दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा न होकर एक दिन का अंतर है।
दिवाली का त्योहार हमाने जीवन में नई खुशियां लेकर आता है। इस पर्व पर प्रकाश ही प्रकाश दिखाई देता है। जहां नजर पड़े वहां रंग-बिरंगी लाइट और दीपक दिखाई देते हैं। दीपावली का त्योहार धन प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम माना गया है। हालांकि दिवाली का पर्व अकेले नहीं आता है। साथ आते हैं पांच महान त्योहार, जिन्हें हम पंचपर्व के रूप में मनाते हैं। इन पंच पर्वों का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इनमें सबसे पहले धनतेरस मनाया जाता है।
दिवाली से पहले धनतेरस (Dhanteras) मनाने की परंपरा है। इस साल धनतेरस का त्योहार 22 और 23 अक्टूबर दो दिन मनाया जाएगा। त्रयोदशी तिथि दोनों दिन रहेगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी को धनतेरस या धन त्रयोदशी का त्योहार मनाया जाता है। इस खास दिन लोग जमकर खरीददारी करते हैं। मान्यता है कि धनतेरस पर सोना, चांदी, बर्तन और अन्या चीजें खरीदने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।