नई दिल्ली। आयरन लेडी ऑफ इंडिया, ये पहचान है इंदिरा गांधी के उस व्यक्तित्व की, जिसने देश ही नहीं दुनिया में भारत की अलग छवि तैयार की। आज ही के दिन वर्ष 1917 में उनका जन्म हुआ था। उनकी छवि एक ऐसी महिला प्रधानमंत्री की थी, जिसने कड़े फैसले लेने से कभी परहेज नहीं किया। उनके ही कड़े फैसलों की बदौलत आज बांग्लादेश का अस्तित्व भी मौजूद है। बात चाहे बांग्लादेश की हो या फिर खालिस्तान की कमर तोड़ने के लिए चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार। ये फैसले उनकी दमदार छवि का एक झलक मात्र हैं। वहीं आपातकाल के तौर पर लिए गए उनके सख्त फैसले ने लोगों को उनके विरोध में भी कर दिया था।
इंदिरा ने 30 अक्टूबर को अपने आखिरी भाषण में कहा था कि "मैं आज यहां हूं। कल शायद यहां न रहूं। मुझे चिंता नहीं, मैं रहूं या न रहूं। मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है। मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूँगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा।"
हमले को लेकर था अंदेशा
उन्होंने यह भाषण ओडिशा में दिया था। कहा जा सकता है कि उन्हें शायद इस बात का अंदेशा रहा होगा कि उनके ऊपर हमला किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद खुफिया एजेंसियों की तरफ से इस बात का संकेत आया था कि इंदिरा गांधी को अपनी सुरक्षा में लगे सिख सुरक्षाकर्मियों को हटा देना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक यह सुरक्षाकर्मी ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला ले सकते थे। 31 अक्टूबर को जब उनके सुरक्षाकर्मियों ने उन पर दनादन गोलियां चलाकर उनका शरीर छलनी कर दिया तब यह बात हकीकत बनकर सभी के सामने आ चुकी थी। एम्स में खून की करीब 80 बोतल चढ़ाने के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका था।
शेख से जताई थी चिंता
जब 1975 में इंदिरा गांधी की बंगबंधु शेख मुजीबुर्र रहमान के साथ जमैका में मुलाकात हुई तब उन्होंने शेख को उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की। हालांकि उन्होंने भी इसको इतना गंभीरता से नहीं लिया और 15 अगस्त 1975 को वह खतरनाक साजिश का शिकार बन गए। बांग्लादेश की आजादी के लिए वहां पर भारतीय सेना भेजने का फैसला उन्होंने रातों रात नहीं लिया था। इसके लिए उन्होंने स्थिति का पूरा जायजा लिया और तब सेना भेजने का निर्णय लिया था। इतना ही नहीं भारतीय फौज की तैयारियों को लेकर भी उन्होंने तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल मानिकशॉ की बातों को नजरअंदाज नहीं किया था।
परमाणु परीक्षण
वहीं जब परमाणु परीक्षण की बात आई तब भी उन्होंने पूरी दुनिया को अपना लोहा मनवाया था। उन्होंने साफ कर दिया था कि यह परीक्षण परमाणु बम के लिए नहीं बल्कि शांति के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए किया गया है। इंदिरा गांधी वह शक्सियत थीं जिन्हें लोगों ने सिरमाथे पर बिठाया था। हालांकि आपातकाल को लेकर उनकी तीखी निंदा जरूर की जाती है। लेकिन उन्हें जानने वाले इस बात से इंकार नहीं करते हैं कि यह आपातकाल पूरी तरह से उनका लगाया हुआ नहीं था। इन जानकारों का यह भी कहना है कि उन्होंने बेहद कम समय के लिए इसको लगाया था।
आपातकाल की आलोचना
भारतीय गणतंत्र की स्थापना के बाद तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को लगने लगा कि अब उनकी प्रजा उनके विरोध में उतर चुकी है। लिहाजा उन्होंने लोगों के विरोध को दबाने के लिए आपातकाल की मदद ली। आपातकाल के समय देवकांत बरुआ कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा था कि इंडिया इज इंदिरा और इंदिरा इज इंडिया। दरअसल, 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद देश चलाने के लिए कुछ संवैधानिक व्यवस्थाएं बनाई गईं। उन्हीं व्यवस्थाओं में से एक खंड आपातकाल से संबंधित था। संविधान सभा में इस खंड को लेकर मतभेद थे, लेकिन बाद में सहमति बनी कि सरकार, शासन और प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ निषेधात्मक उपाय होने चाहिए। डॉ भीम राव अंबेडकर का मानना था कि कानून का उपयोग और दुरुपयोग शासन में बैठे लोगों की नीयत पर निर्भर करता है। अंबेडकर की कही बात उस वक्त सच साबित हुई, जब रातों-रात इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की।
श्रीलंका का मुद्दा
श्रीलंका में वर्षों से चले आ रहे तमिल संकट को देखते हुए इंदिरा गांधी ने एक बार फिर से ठोस कदम उठाया था। वह ब्रिटिश सेना द्वारा श्रीलंकाई सैनिकों को प्रशिक्षण देने के खिलाफ थीं। यही वजह थी कि इंदिरा ने अपने ब्रिटिश समकक्ष मार्गरेट थैचर से गुजारिश की थी कि श्रीलंका सेना को ब्रिटेन प्रशिक्षण देना बंद कर दे। थैचर को लिखे पत्र में इंदिरा गांधी ने कहा था कि यदि ब्रिटेन को श्रीलंका की मदद करनी है तो वह राष्ट्रपति जेआर जयवर्द्धने से अपील करें कि वे सभी राजनीतिक दलों को साथ लेकर लिट्टे की समस्या का हल निकालें। दरअसल, भारत को संदेह था कि ब्रिटिश वायुसेना का विशेष दस्ता एसएएस श्रीलंकाई सेना को गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण दे रहा है।
ऑपरेशन ब्लूस्टार
वो इंदिरा गांधी ही थी जिन्होंने स्वर्ण मंदिर में वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार की इजाजत दी थी। यह कड़ा फैसला उन्होंने पवित्र स्थल से उग्रवादियों को बाहर निकालना था। जरनैल सिंह भिंडरावाला, कोर्ट मार्शल किए गए मेजर जनरल सुभेग सिंह और सिख सटूडेंट्स फ़ेडरेशन ने स्वर्ण मंदिर परिसर के चारों तरफ़ ख़ासी मोर्चाबंदी कर ली थी। उन्होंने भारी मात्रा में आधुनिक हथियार औ्र गोला-बारूद भी जमा कर लिया था। 1985 ई. में होने वाले आम चुनाव से ठीक पहले इंदिरा गाँधी इस समस्या को सुलझाना चाहती थीं। अंततः उन्होंने सिक्खों की धार्मिक भावनाएं आहत करने के जोखिम को उठाकर भी इस समस्या का अंत करने का निश्चय किया औ्र सेना को ऑपरेशन ब्लू स्टार करने का आदेश दिया। दो जून को हर मंदिर साहिब परिसर में हज़ारों श्रद्धालुओं ने आना शुरु कर दिया था क्योंकि तीन जून को गुरु अरजुन देव का शहीदी दिवस था।
उधर जब प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने देश को संबोधित किया तो ये स्पष्ट था कि सरकार स्थिति को ख़ासी गंभीरता से देख रही है और भारत सरकार कोई भी कार्रवाई कर सकती है। पंजाब से आने-जाने वाली रेलगाड़ियों और बस सेवाओं पर रोक लग गई, फ़ोन कनेक्शन काट दिए गए और विदेशी मीडिया को राज्य से बाहर कर दिया गया। तीन जून को भारतीय सेना ने अमृतसर पहुँचकर स्वर्ण मंदिर परिसर को घेर लिया। शाम में शहर में कर्फ़्यू लगा दिया गया। चार जून को सेना ने गोलीबारी शुरु कर दी ताकि मंदिर में मौजूद मोर्चाबंद चरमपंथियों के हथियारों और असलहों का अंदाज़ा लगाया जा सके। चरमपंथियों की ओर से इसका इतना तीखा जवाब मिला कि पांच जून को बख़तरबंद गाड़ियों और टैंकों को इस्तेमाल करने का निर्णय किया गया। पांच जून की रात को सेना और सिख लड़ाकों के बीच असली भिड़ंत शुरु हुई और जरनैल सिंह भिंडरावाला की मौत से खत्म हुआ। ब्रिटेन की तत्कालीन प्रधानमंत्री मारग्रेट थैचर ने इंदिरा गांधी को ब्रिटेन का पूरा समर्थन दिया था।
भोपाल। मध्यप्रदेश के नशामुक्ति अभियान में दिव्यांग किशोर सिंह डोडिया अपनी क्षमता का दर्शन करा रहे हैं। उन्होंने अपनी 3 पहिया गाड़ी को नशामुक्ति रथ के रूप में तैयार किया है। इसके माध्यम से वह सेक्टर के लगभग सभी गांवों में जाकर प्रचार-प्रसार करते हैं। उन्होंने लोगों को नशे के दुष्प्रभावों से अवगत कराने के साथ ही नशा ना करने की शपथ भी दिलवाने का कार्य किया है। वह 60 प्रतिशत दिव्यांग हैं और जिला मुख्यालय से 100 कि.मी दूर आलोट विकासखंड के ग्राम नारायणी में रहते हैं।
भोपाल। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्य प्रदेश में बुरहानपुर के रास्ते बुधवार को प्रवेश करेगी। प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी इस यात्रा को बड़े अवसर के रूप में देख रही है। पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के पक्ष में माहौल होने का संदेश देने के लिए मेगा शो की तैयारी है।
इंदौर। विद्यार्थियों को नियमों के फेर में छात्रवृत्ति से वंचित करने के विरोध में युवा कांग्रेस ने शनिवार को इंदौर में कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। छात्र नेताओं को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हल्का लाठी चार्ज भी करना पड़ा। हालांकि, विद्यार्थियों की समस्या को लेकर हुए इस प्रदर्शन में शहर कांग्रेस के सभी बड़े नेता नदारद रहे।
जयपुर। कांग्रेस आलाकमान को अपनी ताकत दिखाने की कोशिश राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भारी पड़ रही है। एक तरफ कांग्रेस के अध्यक्ष पद की रेस से वो बाहर हो गये हैं, तो दूसरी तरफ उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी खतरा मंडरा रहा है।
नई दिल्ली। असली शिवसेना किसकी है' इस मामले में उद्धव ठाकरे गुट को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी की वो याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उद्धव ठाकरे गुट की मांग की थी कि विधायकों की अयोग्यता पर फैसले से पहले, चुनाव आयोग पार्टी सिंबल पर सुनवाई न करे।
नई दिल्ली। कांग्रेस में नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की कवायद जारी है। अब तक उम्मीदवारों को लेकर चल रही बहस पर विराम लग गया है। साफ हो गया है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उम्मीदवार होंगे। माना जा रहा है कि अशोक गहलोत के सामने कुछ और नेता भाग्य आजमा सकते हैं। इस बीच, अशोक गहलोत ने शुक्रवार सुबह बड़ा ऐलान किया। अशोक गहलोत के मुताबिक, राहुल गांधी ने उन्हें कहा है कि इस बार गांधी परिवार का कोई सदस्य पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनना चाहिए।
नई दिल्ली। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सोमवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। कैप्टन को कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और किरण रिजिजू ने पार्टी की सदस्यता दिलवाई। नरेंद्र तोमर ने कैप्टन को पार्टी सदस्यता की पर्ची दी।
भोपाल। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अब प्रदेश में 8 से 10 दिन देरी से एंट्री लेगी। तय शेड्यूल के मुताबिक मप्र में उनकी यात्रा 24 नवंबर को प्रवेश करने वाली थी और 10 दिसंबर को उज्जैन से कोटा के लिए प्रदेश से बाहर होने वाली थी। अब जो देरी हो रही है, उसका कारण यह सामने आ रहा है कि राहुल की स्पीड तो तय शेड्यूल के हिसाब से है, लेकिन उनके साथ चल रही टीम की स्पीड धीमी है।
नई दिल्ली। भाजपा ने साल 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। मंगलवार शाम दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में अमित शाह और जेपी नड्डा की अगुवाई में बड़ी बैठक हुई। केंद्रीय मंत्रियों समेत तमाम बड़े नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में अमित शाह ने पिछले चुनावों से अधिक सीटें जीतने की बात कही।
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव 17 अक्टूबर को होगा। 19 अक्टूबर को मतगणना होगी। जानकारी के मुताबिक, चुनाव के लिए 22 सितंबर को अधिसूचना जारी होगी। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 24 सितंबर से शुरू होगी। इसकी अंतिम तिथि 30 सितंबर तय की गई है।