"सेवा और वसुधैव कुटुम्बकम्" के भाव से होगा जीवन सार्थक : मुख्यमंत्री

  • 16 सेवा योगी उत्कृष्ट कार्यों के लिए हुए सम्मानित
  • जी-20 अंतर्गत सी-20 सेवा समिट का हुआ समापन

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भारतीय समाज और भारत के मूल में सेवा का भाव समाहित है। एक ही चेतना सभी प्राणियों में व्याप्त है। यह भारतीय संस्कृति का मूल विचार है। संत कबीर ने भी कहा कि " साहिब तेरी साहिबी, सब घट रही समाय, जो मेहंदी के पात में, लाली लखी न जाय।" अर्थात् परमात्मा प्रत्येक मनुष्य में हैं लेकिन दिखाई नहीं देता। जिस तरह लाल रंग, हरी मेहंदी के पत्ते में समाहित है, लेकिन दिखता नहीं है। सेवा और साधना से मनुष्य का योगदान दिखाई देता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन हॉल में जी-20 के सेवा समिट के समापन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने अनेक समाजसेवियों को भी सम्मानित किया। कार्यक्रम में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे सहित अनेक अतिथि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम, मनुष्यों के साथ ही पशु-पक्षियों और पर्यावरण की रक्षा के लिए भी सजग रहते हैं। जन्म से ही सेवा की घुट्टी पिलाई जाती है। जियो और जीने दो का भाव मन में होता है। बिना संवेदना और अपनत्व भाव के सेवा नहीं हो सकती । देश के हर गाँव और कस्बे में कथाएँ होती हैं, तो कहा जाता है धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो। यह मंत्र भारत ने ही दिया है। हमारे संतों ने हजारों साल पहले कहा कि सभी प्राणी सुखी हों, इसके लिए हम मन में बंधुत्व का भाव रखें। यह सेवा समिट विश्व मानवता, विश्व बंधुत्व और सेवा के भाव को सशक्त बनाएगा। यह भाव जीवन को सार्थक बनाता है।

 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भारत का दृष्टिकोण, अपने आप में दुनिया की तमाम समस्याओं का समाधान भी है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी "वसुधैव कुटुम्बकम्" के भाव को सशक्त बना रहे हैं। पेड़ लगाने का कार्य आचरण में हो, भाषण में नहीं, तभी हमारी भूमिका सार्थक होगी। अन्य लोग भी ऐसे कार्यों से प्रेरित होते हैं। मुझे संतोष है कि मैं ढाई वर्ष से निरंतर प्रतिदिन पौधा लगा रहा हूँ। धरती की सेवा के लिए और कम से कम अपनी आवश्यकता की आक्सीजन को ध्यान में रखते हुए हर व्यक्ति को पेड़ लगाना चाहिए। दीन-दुखियों और दरिद्रों की सेवा से भी जीवन सार्थक होता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन सेवा के भाव को एक नया अर्थ देगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सिविल : 20 सेवा समिट में देश-विदेश से आए समस्त प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति मन का और आत्मा का सुख प्राप्त करना चाहता है। यदि कोई नागरिक आपराधिक प्रवृत्ति का है तो भी उसमें दया का भाव विद्यमान होता है। आत्मा के सुख के लिए व्यक्ति सेवा कार्य में संलग्न हो जाता है। मन और आत्मा के सुख को प्राप्त करने का भाव परोपकार और सेवा कार्य की प्रेरणा प्रदान करता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इससे जुड़े व्यवहारिक जीवन के अनुभव साझा करते हुए उदाहरण भी दिए।

 

मुख्यमंत्री श्री चौहान मूलतः सेवा योगी- डॉ. सहस्रबुद्धे

डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान मूलतः सेवा योगी है। उन्होंने दो दशक से प्रदेश की सेवा करते हुए जनता के साथ अपनत्व का रिश्ता बनाया है। जनता को अपने साथ जोड़ते हैं इसलिए प्रदेश के मामा कहलाते हैं। सेवा करना हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। जी 20 में सेवा का विषय शामिल किया जाना अपने आप में गर्व की बात है। भारत में हुए सेवा सम्मेलन में "वसुधैव कुटुंबकम्" का संदेश पूरे विश्व को प्रेरणा देगा।

 

सेवा को समर्पित दो पुस्तक का विमोचन

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 2 पुस्तक - "सेवा, सुशासन और सहभागिता के 2 दशक" और "सेवा-सेंस ऑफ़ सर्विस : कॅम्पेंडियम ऑफ़ प्रेक्टिसेज अक्रॉस जी -20 कन्ट्रीज" का विमोचन किया।

 

उत्कृष्ट कार्य करने वाले सेवा योगी हुए सम्मानित

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सेवा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 16 सेवा योगियों को शाल और स्मृति-चिन्ह देकर सम्मानित किया। इन सेवा योगियों में डॉ. अंबर पारे, जीशान निज़, प्रमांशु शुक्ला, मोहन सोनी, सैयद शाहिद मीर, मनीष भावसार, सुनीता भुविस्टाले, शिवराज ख़ुशवा, पद्मश्री उमाशंकर पांडे, पूनम चंद गुप्ता, पराग दीवान, जयराम मीना, रीतेश क्षोत्रिय, विनोद तिवारी, डॉ. सपन कुमार (पत्रलेख) और दीप माला पांडे शामिल हैं।

 

सिविल 20 सेवा वर्किंग ग्रुप की अनुशंसाएँ

सिविल सम्मेलन के 2 दिवसीय मंथन में सेवा वर्किंग ग्रुप की सेवा पॉलिसी, नवाचार और बेस्ट प्रेक्टिसेज पर चर्चा हुई और 7 अनुसंशाएँ प्रस्तुत की गईं।

             राष्ट्रों के बीच क्रॉस-कंट्री लर्निंग, सहयोग और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए जी 20 देशों से अनुकरणीय सेवा प्रथाओं का संकलन करना।

             सेवा "वसुधैव कुटुम्बकम्" के दर्शन को बढ़ावा देने वाले नागरिक समाजों/स्वैच्छिक संगठनों का एक वैश्विक नेटवर्क स्थापित करना, जिससे विश्व स्तर पर सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ाया जा सके।

             सरकार द्वारा सामाजिक कार्यों में बड़े पैमाने पर भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य स्तरीय सेवा अभियान करना।

             सार्थक जीवन को बढ़ावा देने के लिए एक नीति / मॉड्यूल विकसित करना और सेवा को स्वयं-सेवा और परोपकार जैसी नि:स्वार्थ सेवा के लिए एक समावेशी शब्द के रूप में स्थापित करना।

             सेवा के लिए सभी परियोजनाओं और कार्यक्रमों को एक विकास उपकरण के रूप में उपयोग कर संगठन और व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना। इसका उद्देश्य विश्व स्तर पर सेवा की सुविधा के लिए व्यक्तियों और सीएसओ का एक वैश्विक गठबंधन स्थापित करना भी है।

             सिद्धांत और व्यवहार के बीच की खाई को पाटने और स्वयंसेवी गतिविधियों में बच्चों और युवाओं को शामिल करने के लिए अकादमिक पाठ्यक्रमों में सेवा मॉड्यूल की शुरुआत करना।

             राष्ट्र-निर्माण के लिए बुजुर्गों और सेवानिवृत्त लोगों के कौशल और ज्ञान का उपयोग करके, बुजुर्ग आबादी के लिए एक मजबूत समर्थन प्रणाली स्थापित करना।

 

ट्राइबल म्यूजियम, साँची स्तूप और प्रदर्शनी से जानी प्रदेश की संस्कृति

जी-20 देशों से आए प्रतिनिधियों को प्रदेश की संस्कृति और इतिहास से परिचय कराने के लिए भोपाल के ट्राइबल म्यूजियम, रायसेन जिले में स्थित साँची स्तूप का भ्रमण करवाया गया। कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में रेस्पांसिबल टूरिज्म मिशन और सेवा क्षेत्र में कार्य करने वाले संगठनों के कार्य की प्रदर्शनी लगाई गई। जी-20 के प्रतिनिधियों का ट्राइबल म्यूजियम में स्थानीय जनजातीय संस्कृति और साँची स्तूप से प्रदेश के ऐतिहासिक वैभव से साक्षात्कार हुआ। प्रदर्शनी में एकात्म धाम, संस्कृति और पर्यटन विभाग, गोंड पेंटिंग, वनवासी कल्याण परिषद, नर्मदा समग्र, भारत विकास परिषद, शिवगंगा समग्र ग्राम विकास परिषद जैसे सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं के पदाधिकारियों ने प्रदेश में हो रहे सेवा कार्यों के बारे में जानकारी दी। साथ ही प्रदेश की कला और हस्तशिल्प से परिचय करवाया।

 

सम्मेलन का दूसरा दिन

सम्मेलन के दूसरे दिन के पहले सत्र में विकास की प्रक्रिया, सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने में सेवा के मार्गदर्शक सिद्धांतों पर चर्चा हुई। इसमें भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष श्री अरुण मिश्रा और नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.वी.आर सुब्रमण्यम ने अपने विचार रखे। नीति आयोग के सीनियर कंसलटेंट आनंद शेखर ने सत्र का संचालन किया। दूसरे सत्र में मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के डायरेक्टर जनरल बी.आर. नायडू, मध्यप्रदेश राज्य नीति और योजना आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुर्वेदी एवं समाजसेवी सुधांशु मित्तल ने सेवा और सुशासन पर विचार रखे। दूसरे सत्र का संचालन एसडीएम जावद (नीमच) शिवानी गर्ग ने किया। दूसरे दिन के अंतिम सत्र में सेवा के द्वारा सामाजिक विकास में आध्यात्मिक संगठनों की भूमिका पर वक्ताओं ने विचार रखे। सत्र में अक्षय पात्र फाउंडेशन के भारतरशभा दास, दिव्य प्रेम सेवा मिशन के फाउंडर आशीष गौतम और अर्श विद्या मंदिर के फाउंडर और हिंदू धर्म आचार्य सभा के सेक्रेटरी जनरल परमात्मा नंद सरस्वती ने अपने विचार रखे। गोवर्धन इकोविलेज के डायरेक्टर गौरंग दास ने संचालन किया।

 

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