भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अमर शहीद हेमू कालानी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए अपने जीवन का बलिदान किया। उन्होंने गले में फाँसी का फंदा पहनते हुए कहा था कि मैं फिर से जन्म लूँगा और भारत को स्वतंत्र करवाऊँगा। आज यदि हम शहीदों को नहीं पूजेंगे, तो राष्ट्र के लिए जीवन का बलिदान करने के लिए कोई आगे नहीं आएगा। नई पीढ़ी के लिए शहीदों का जीवन प्रेरक है। वीर सेनानियों के साथ ही सिंध संतों की भूमि रही है। सिंधु नदी के किनारे वेदों की ऋचाएँ रची गईं। सिंध की संस्कृति काफी प्राचीन है।
इस समाज ने अनेक समाज-सुधारक, सफल उद्यमी और अन्य प्रतिभाएँ देने का कार्य किया है। अपने धर्म, संस्कृति और सभ्यता के लिए मातृ-भूमि को छोड़ने के बाद भी पुन: स्थापित होकर दिखाने वाले सिंधी समाज ने व्यवसाय के क्षेत्र में तो बुद्धि और परिश्रम से योग्यता का संदेश दिया है। समाज की युवा पीढ़ी को कठोर परिश्रम के गुण के साथ ही अपनी संस्कृति, वेशभूषा और खान-पान को नहीं भूलना है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज भेल दशहरा मैदान पर अमर बलिदानी हेमू कालानी जन्म-शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पिछले दशक में इंदौर में बसे पाकिस्तान के सिंधु प्रांत से आए नागरिकों की वीसा अवधि समाप्त होने के बाद भी उन्हें वापसी के लिए विवश नहीं किया गया। यह समस्या संज्ञान में आते ही प्रधानमंत्री श्री मोदी ने नागरिकता संबंधी प्रावधानों को लागू करवाया। देश की स्वतंत्रता के बाद विभाजन के कारण नए भू-भाग में जाकर बसने वाले सिंधी नागरिकों सहित बाद के वर्षों में भारत आए सिंधी नागरिकों को कठिनाई उत्पन्न नहीं होने दी जाएगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ऐसे नागरिकों के लिए कहा कि पूरा देश आपका ही है। मुख्यमंत्री ने अनेक सिंधी व्यंजनों का उल्लेख करते हुए सिंधी समाज के साथ स्थापित अपनेपन के रिश्तों का उल्लेख किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सिंधी समाज के हित में अनेक घोषणाएँ भी की।
प्रमुख घोषणाएँ
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भोपाल की मनुआभान टेकरी के साथ ही प्रदेश के जबलपुर और इंदौर में भी अमर शहीद हेमू कालानी की प्रतिमा की स्थापना की जाएगी। सिंधी संस्कृति प्राचीनतम संस्कृति है। इसकी विशेषताओं को दिखाने वाले एक संग्रहालय का निर्माण राजधानी भोपाल में किया जाएगा। सिंधी विस्थापितों को कम कीमत पर पट्टे प्रदान करने के लिए मापदंड निर्धारित किए गए हैं। इसके अनुसार प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर पात्र सिंधी विस्थापितों को पट्टे प्रदान करने का कार्य किया जाएगा। विशेष शिविर लगा कर पात्र सिंधी विस्थापितों को जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लद्दाख स्थित सिंधु नदी के घाट पर प्रतिवर्ष जून माह में होने वाले सिंधु दर्शन उत्सव में प्रदेश के यात्रियों को भिजवाने की व्यवस्था राज्य सरकार ने प्रारंभ की थी। कोरोना और अन्य कारणों से इसे निरंतरता नहीं मिली। इस वर्ष मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में प्रति यात्री 25 हजार रूपए की राशि सिंधु दर्शन उत्सव में ले जाने के लिए प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सिंधी साहित्य अकादमी के बजट को बढ़ाकर पाँच करोड़ रूपए वार्षिक किया जाएगा।
सिंधी विस्थापितों को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने समारोह में कहा कि सिंधी समाज की वर्षों पुरानी मांग पूरी करते हुए पट्टे प्रदान करने के लिए विधिवत प्रीमियम की दरों में विशेष छूट का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है। इसके अनुसार 45 वर्ग मीटर तक नि:शुल्क पट्टा दिया जाएगा। वर्तमान में 150 वर्ग मीटर तक भूमि के क्षेत्र फल के लिए 5 प्रतिशत की दर लागू है, जिसे घटा कर एक प्रतिशत किया गया है। इसी तरह 150 वर्ग मीटर से 200 वर्ग मीटर तक प्रीमियम की वर्तमान 10 प्रतिशत की दर को घटा कर भी एक प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है। व्यावसायिक उपयोग के भूखंड के लिए 20 वर्ग मीटर तक वर्तमान में 25 प्रतिशत की दर प्रचलित है, इस श्रेणी में अब नई दर सिर्फ 5 प्रतिशत होगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भोपाल, सीहोर मुख्य मार्ग पर भूखंड की स्थिति में 1614 वर्गफुट आवासीय क्षेत्र फल के लिए यदि एक करोड़ 8 लाख रूपए बाजार मूल्य है, तो देय राशि एक लाख 8 हजार रूपए मात्र होगी। इसी तरह 2152 वर्गफुट आवासीय केलिए यदि एक करोड़ चवालीस लाख बाजार मूल्य होने पर, एक लाख चवालीस हजार रूपए की राशि देय होगी। इसके अलावा 215 वर्ग फुट के व्यावसायिक दुकान के लिए 14 लाख 40 हजार बाजार मूल्य की स्थिति में प्रीमियम में छूट के प्रावधान के अंतर्गत मात्र 72 हजार रूपए की राशि देनी पड़ेगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संबोधन का प्रारंभ सिंधी भाषा में उपस्थित नागरिकों, भांजे-भांजियों संबोधित कर किया। श्री चौहान ने विभिन्न सिंधी व्यंजनों की विशेषताएँ भी बताईं। मुख्यमंत्री ने गुरूवार को इंदौर में हुई बावड़ी की घटना में दिवंगत सिंधी भाषी और अन्य नागरिकों के असामयिक निधन पर दुख व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
हेमू जी का मानना था - "हम नहीं रहेंगे लेकिन भारत जरूर रहेगा" - मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि सिंधी समुदाय सब कुछ गँवा कर भी शरणार्थी नहीं बना, उसने पुरूषार्थी बन कर दिखा दिया। शहीद हेमू के नाम के साथ सिंध का नाम जुड़ा है। सिंधी समुदाय द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख कम होता है। शहीद हेमू कालानी ने बलूचिस्तान जाने वाली शस्त्रों से लदी उस रेल को पलटाने का प्रयास किया था, जो क्रांतिकारियों की हलचल को दबाने के लिए जा रही थी। शहीद हेमू अपने कार्य के परिणाम भी जानते थे।
पकड़े जाने के बाद उन्होंने अपने मित्रों के नाम उजागर नहीं किए। उनका मानना था कि जीवन की सार्थकता बलिदान देने में है। तरूण आयु में किए गए उनके बलिदान की गूँज मुम्बई रेसीडेंसी से लेकर विश्व के देशों में हुई। उन्होंने हमें जीवन की राह दिखा कर जीवन दे दिया। शहीदों ने प्रामाणिकता के साथ अपने स्व को बचाने के लिए जीवन समर्पित किया। स्वराज का अर्थ नागरिकों को समझाया। शहीद हेमू कालानी की अटूट देश-भक्ति को ध्यान में रख कर संकुचित स्वार्थ को छोड़ कर उनके जैसा होने का प्रयास और एक समाज, एक देश की भावना, हम सभी को आत्मसात करना है।
श्री भागवत ने कहा कि हेमू जी का मानना था कि हम तो चले जाएंगे, हम रहेंगे नहीं लेकिन भारत जरूर रहेगा। इसी आदर्श को लेकर संत कंवरराम जैसे देशभक्त भी बलिदान के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि सिंधी समुदाय ने भारत नहीं छोड़ा था, वे भारत से भारत में ही आए थे। सिंधु संस्कृति में वेदों के उच्चारण होते थे। हमने तो भारत बसा लिया, लेकिन वास्तव में राष्ट्र खंडित हो गया। आज भी उस विभाजन को कृत्रिम मानते हुए सिंध के साथ लोग मन से जुड़े हैं। सिंधु नदी के प्रदेश सिंध से भारत का जुड़ाव रहेगा। वहाँ के तीर्थों को कौन भूल सकता है। श्री भागवत ने कहा कि आज भी अखंड भारत को सत्य और खंडित भारत को दु:स्वप्न माना जा सकता है।
सिंधी समुदाय दोनों तरफ के भारत को जानता है। आदिकाल से सिंध की परम्पराओं को अपनाया गया। भारत ऐसा हो जो संपूर्ण विश्व को सुख-शांति देने का कार्य करें। तमाम उतार-चढ़ाव होंगे, लेकिन हम मिटेंगे नहीं। हम विश्व के नेतृत्व के लिए सक्षम हैं। सारे समाज के साथ कदम से कदम मिला कर चलना है। यह चिंतन आज की पीढ़ी को भी करना चाहिए कि हम कौन हैं और हमें क्या बनना है। विविधता में एकता को देखें और स्व के सच्चे अर्थ को समझ कर जीवन की दिशा तय करें।
श्री भागवत ने डॉ. हेडगेवार और अन्य विचारकों के माध्यम से संपूर्ण दुनिया को दिखाए गए कल्याण के मार्ग का भी उल्लेख किया। उन्होंने सिंधी समुदाय द्वारा सनातनी परम्परा में रहने और अपने रीति-रिवाजों को कायम रख कर अपनी खुदी को बनाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि ऐसे तत्वों को असफल करना है, जो लोगों को झगड़ों के लिए उकसाते हैं। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सद्गुणों को उजागर करने की जरूरत है। श्री भागवत ने इंदौर में कल हुई दुर्घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें गंगाजी के दर्शन के समय यह खबर मिली और तभी गंगाजी को प्रणाम कर दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि भी दी।
कार्यक्रम को महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन और भारतीय सिंधु सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लधाराम नागवानी ने भी संबोधित किया। समारोह के संयोजक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री श्री भगवानदास सबनानी ने स्वागत उद्बोधनदिया। युवा कलाकारों ने शहीदों के बलिदान पर केन्द्रित नृत्य नाटिका प्रस्तुत की।
मंच पर शदाणी दरबार रायपुर के प्रमुख युद्धिष्ठिर लालजी, अशोक सोहनी, साधु समाज के प्रियादास, सांसद शंकर लालवानी, विधायक अशोक रोहाणी, प्रख्यात गायक घनश्याम वासवानी, बालक मंडली कटनी के वरिष्ठ गायक कलाकार गोवर्धन उदासी, दिलीप उदासी, राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद के उपाध्यक्ष मोहन मंगनानी बैंगलुरु, निदेशक डॉ. रवि टेकचंदानी नई दिल्ली, अखिल भारतीय सिंधी बोली साहित्य सभा की महासचिव अंजलि तुलसियानी, मध्यप्रदेश सहित छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश आदि से आए सिंधी पंचायतों के पदाधिकारी, भोपाल के विभिन्न संगठन के सदस्य और बड़ी संख्या में सिंधी समाज के नागरिक उपस्थित थे।
प्रदर्शनी का अवलोकन
मुख्यमंत्री श्री चौहान और मोहन भागवत ने समारोह स्थल पर लगी स्वतंत्रता संग्राम में सिंधी समाज के योगदान पर केंद्रित प्रदर्शनी देखी। प्रदर्शनी में सिंधी संतों, महापुरूषों, स्वतंत्रता सेनानियों, साहित्यकारों, सेना के अधिकारियों और समाज सुधारकों के चित्रों के साथ सिंध की परम्पराओं पर केन्द्रित चित्र भी प्रदर्शित किए गए।
प्रमुख सिंधी भाषी विभूतियों का हुआ सम्मान
मुख्यमंत्री चौहान और अतिथियों ने भारत में रक्त कैंसर के उपचार में अस्थिमज्जा प्रत्यारोपण के क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉ. सुरेश एच. आडवाणी मुम्बई सहित खेल, साहित्य, समाज सेवा, चिकित्सा, सिनेमा और कला क्षेत्र की प्रमुख विभूतियों को सम्मानित किया। इनमें सी.पी. गुरनानी, इंदर जयसिंघानी, राम बख्शानी, गायक महेश चंदर, लेखक राम जवाहरानी, प्रसिद्ध अधिवक्ता महेश राम जेठमलानी, अनीता गुरनानी, सतराम रामानी और मनोहर तेजवानी शामिल हैं। अतिथियों ने डॉ. सुधीर आजाद की नाट्य कृति "शेरे सिंध हेमू कालानी", राजेश वाधवानी के संपादन में प्रकाशित "हेमू कालानी की गौरव गाथा" और राजेन्द्र प्रेमचंदानी की पुस्तक "सिंध के क्रांतिकारी : कही-अनकही गौरव गाथा" का विमोचन किया। संचालन राजेश कुमार वाधवानी और कविता ईसरानी ने किया।
भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने गोपाल भार्गव को राजभवन में विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह का गरिमामय आयोजन राजभवन के दरबार हॉल में किया गया था। समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उप-मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, उप-मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल भी मौजूद थे।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र को साकार कर जनता की जिन्दगी बदलना ही हमारी सरकार का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में जन-सामान्य ने अपना विश्वास व्यक्त किया है, उनके नेतृत्व में विकास की प्रक्रिया जारी है। विकास और जनकल्याण के लक्ष्य को संकल्प पत्र-2023 के अनुरूप धरातल पर उतारना हमारा उद्देश्य है। सभी विभाग संकल्प पत्र के सभी वादों, संकल्पों और घोषणाओं की पूर्ति का काम मिशन मोड में आरंभ कर समय-सीमा में लक्ष्य प्राप्ति सुनिश्चित करें।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में 16 दिसम्बर से आरंभ हो रही "विकसित भारत संकल्प यात्रा" के संबंध में कमिश्नर-कलेक्टर्स को मंत्रालय में हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुरूप जनहित और जनकल्याण के लिए आरंभ की गई यात्रा का क्रियान्वयन मोदी की गारंटी की साख और गरिमा के अनुरूप हो। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार की जनहितैषी योजनाओं, लाभों और सुविधाओं के बारे में जागरूकता सुनिश्चित करने और समाज के अंतिम व्यक्ति तक योजना की पहुंच को सुगम बनाने के उद्देश्य से "विकसित भारत संकल्प यात्रा" आरंभ की जा रही है। प्रमुख योजनाओं का लाभ लक्षित लाभार्थियों, विशेष तौर से वंचित व आकांक्षी लोगों तक समयबद्ध तरीके से पहुंचाना, योजनाओं का प्रचार-प्रसार और जागरूकता, लाभार्थियों के अनुभव साझा करना और संभावित लाभार्थियों का चयन तथा नामांकन सुनिश्चित करना यात्रा का उद्देश्य है। 26 जनवरी 2024 को यात्रा का समापन गणतंत्र दिवस पर होगा।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने करुणा धाम आश्रम में 4 दिसंबर से आरंभ शतचंडी यज्ञ में पत्नी श्रीमती साधना सिंह के साथ पूर्णाहुति अर्पित की।
भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि विजय दिवस के बहादुर वीरों के प्रति पूरा देश नत मस्तक है। राष्ट्र आजीवन उन परिवारों का ऋणी है जिन्होंने अपने सपूतों को मातृभूमि के लिए कुर्बान कर दिया। अंतिम साँस तक लड़ते हुए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले हर जवान को मैं नमन करता हूँ। उन्होंने विकसित भारत @2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों में आगे बढ़कर सहयोग का प्रदेशवासियों से आह्वान किया है।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मैंने सरकार नहीं परिवार चलाया है, भैया और मामा बनकर ही मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। मेरा प्रदेशवासियों से अद्भुत रिश्ता है। बहनों की जिंदगी बदलना, बच्चों की पढ़ाई के लिए बेहतर इंतजाम, युवाओं को रोजगार के लिए कौशल सिखाने और बीमारी में इलाज की व्यवस्था एवं हरसंभव सहायता, वरिष्ठजनों की तीर्थ-यात्रा का इंतजाम, किसानों को जीरो प्रतिशत पर ब्याज दिलाना, उनके लिए समय पर खाद की व्यवस्था और हर गरीब के रहने के लिए जमीन के पट्टे की व्यवस्था करना मेरे लिए महत्वपूर्ण है। मैं चैन की नींद लेने मुख्यमंत्री नहीं बना था, मैंने कभी भी 24 घंटे में 4 घंटे से ज्यादा नींद नहीं ली, जनता की जिंदगी बदलना ही मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान सीहोर जिले के ग्राम जहाजपुरा (बुधनी) में जन- संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने स्थानीय निवासी जमुना बाई को शाल, श्रीफल भेंट कर उनका सम्मान किया। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री चौहान जब पहली बार विधायक के चुनाव के लिए जनसम्पर्क कर रहे थे, तब श्रीमती जमुना बाई ने उन्हें चुनाव लड़ने में अपने योगदान और सहयोग के रूप में 2 रूपए भेंट करते हुए, सफल होने का आशीर्वाद प्रदान किया था।
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है मध्यप्रदेश को विकास में टॉप पर ले जाने की मोदी की गारंटी है। उन्होने कहा कि लंबे समय तक जो सत्ता में रहे जनजातीय बंधुओं और उनके सम्मानित वीरों, नेताओं को कभी सम्मान नहीं दिया। आजादी के बाद दशकों तक एक ही दल का शासन रहा। आजादी सिर्फ एक ही परिवार के कारण नहीं मिली। हमने सबका सम्मान किया।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक मुख्यमंत्री निवास 'समत्व भवन' में हुई। मंत्रि परिषद द्वारा 6 हजार करोड़ रूपये की 18 सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति दी गई। जिसमें चितावद - उज्जैन, मेढ़ा - बैतूल, पन्हेटी - गुना, लोनी - रीवा , खाम्हा - कटनी, डोकरीखेड़ी - नर्मदापुरम, सोनपुर - शिवपुरी, थावर-मण्डला, मुरकी-डिंडोरी, पावा-शिवपुरी, सिरमौर-रीवा, कनेरा-भिण्ड, मल्हारगढ़-मंदसौर, देवरी-नर्मदापुरम, सीतलझिरी-बैतूल, आहू-आगर मालवा, बगलीपीठ-बालाघाट और पहाड़िया-रीवा शामिल है। इन परियोजनाओं से 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि होगी।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज एक महासंकल्प पूरा हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में सिहंस्थ के वैचारिक महाकुंभ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आये थे। वैचारिक महाकुंभ में श्री महाकाल महालोक के बारे में विचार किया गया था। बाबा महाकाल के आशीर्वाद और प्रधानमंत्री श्री मोदी की प्रेरणा से श्री महाकाल महालोक निर्माण के पुनीत कार्य की शुरूआत हुई। मुझे हर्ष है कि हमने महाकाल लोक निर्माण के दोनों चरणों को पूरा कर लिया है।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहडोल-नागपुर एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इस अमूल्य सौगात से नागरिकों को आवागमन में सुविधा होगी। साथ ही इस क्षेत्र के विकास को भी गति मिलेगी। श्री चौहान ने इस सौगात के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का आभार माना। उन्होंने कहा कि इस रेल से प्रदेश का यह जनजातीय बाहुल्य जिला सीधे नागपुर से जुड़ेगा।