महिलाओं के पैरों में पहने जाने वाली बिछिया के हैं कई फायदे, श्रृंगार के साथ ये हैं वैज्ञानिक कारण
हिंदू धर्म में की रीति-रिवाज होते हैं। इनमें महिलाओं का सोलह श्रृंगार भी शामिल है, जो कि पूरी दुनिया में काफी प्रसिद्ध है। इस सोलह श्रृंगार में माथे की बिंदिया से लेकर पांव में पहनी जाने वाली बिछिया तक शामिल है। इनमें हर एक चीज का अपना एक अलग महत्व होता है। आज हम आपको बताने वाले हैं कि बिछिया क्यों पहनना जरूरी है और इसके पीछे के क्या वैज्ञानिक कारण होते हैं।
प्राचीन काल में स्त्रियों और लड़कियों को पायल एक संकेत मात्र के लिए पहनाया जाता था। जब घर के सदस्य मित्रों या किसी अन्य के साथ बैठे होते थे तो ऐसे में जब पायल पहने स्त्री की आवाज आती थी तो सारे लोग पहले ही सतर्क हो जाते थे। वे लोग शालीनता के साथ आने वाली महिला का स्वागत करने को तैयार हो जाते थे। पायल की खन-खन आवाज सबको सूचना देती थी कि कोई महिला उनके आस-पास है।
भारतीय संस्कृति का हिस्सा बिछिया पहनना
पायल की आवाज को सुनकर घर में उपस्थित पुरुष सदस्य सतर्क होकर हंसी मजाक छोड़कर विनम्र व शालीन व्यवहार करने लगते थे। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए लड़कियों के लिए पायल पहनने की परंपरा लागू की गई। इसके साथ ही पायल की धातु हमेशा पैरों से रगड़ खाती है जो कि स्त्रियों की हड्डियों के लिए फायदेमंद होती है। हिंदू धर्म में विवाहित स्त्रियां ही बिछिया पहनती हैं। यदि कोई स्त्री बिछिया पहने तो समझ में आ जाता है कि उसका विवाह हो चुका है।
बीपी कंट्रोल में मददगार बिछिया
कई लोग बिछिया को सिर्फ शादी का प्रतीक चिन्ह ही मानते हैं। ऐसा नहीं है इसके पीछे वैज्ञानिक और स्वास्थ्य से जुड़े कारण भी छिपे हुए हैं। विज्ञान में माना जाता है कि पैरों के अंगूठे की तरफ से दूसरी अंगुली में एक विशेष नस होती है। जिसका संबंध गर्भाशय से होता है। यह गर्भाशय को नियंत्रित करती है। साथ ही रक्तचाप को भी संतुलित रखती है। बिछिया के दबाव से रक्तचाप नियमित और नियंत्रित रहता है। गर्भाशय तक रक्त उचित मात्रा में पहुंच पाता है।
बिछिया का वैज्ञानिक कारण
बिछिया के प्रभाव से महिलाओं में मासिक चक्र नियमित हो जाता है। बिछिया महिलाओं के प्रजनन अंग को भी स्वस्थ रखने में मदद करती है। साथ ही बिछिया महिलाओं के गर्भाधान में भी सहायता करती है। इससे महिलाओं को गर्भधारण करने में आसानी होती है। चांदी विद्युत की अच्छी सुचालक मानी जाती है। यह धरती से प्राप्त होने वाली ध्रुवीय ऊर्जा को खींचकर पूरे शरीर तक पहुंचाती है। इससे महिलाएं ऊर्जावान महसूस करती हैं।
मेकअप में काजल और मॉइश्चराइजर दोनों ही आपकी खूबसूरती बढ़ाने में खास भूमिका अदा करते हैं। आप घर में बादाम और इसका तेल इस्तेमाल करके काजल व मॉइश्चराइजर दोनों कम समय में आसानी से बना सकती हैं। काजल मैक-अप का ऐसा अहम हिस्सा है जिसके बिना लुक अधूरा सा लगता है। यह न सिर्फ आपकी आखों को बड़ा बनाता है बल्कि उनकी सुंदरता को भी निखारता है। बाजार में काजल के कई ब्रैंड मौजूद हैं जिनका इस्तेमाल आपकी आंखों के लिए नुकसान दायक भी हो सकता है क्योंकि इनमें हानिकारक केमिकल्स होते हैं।
हिंदू धर्म में की रीति-रिवाज होते हैं। इनमें महिलाओं का सोलह श्रृंगार भी शामिल है, जो कि पूरी दुनिया में काफी प्रसिद्ध है। इस सोलह श्रृंगार में माथे की बिंदिया से लेकर पांव में पहनी जाने वाली बिछिया तक शामिल है। इनमें हर एक चीज का अपना एक अलग महत्व होता है। आज हम आपको बताने वाले हैं कि बिछिया क्यों पहनना जरूरी है और इसके पीछे के क्या वैज्ञानिक कारण होते हैं।
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