मेवाड़ फेस्टिवल हर साल उदयपुर, राजस्थान में जोश और उमंग के साथ मनाया जाता है। उदयपुर में वार्षिक रुप से मनाया जाने वाला यह फेस्टिवल तीन दिनों तक चलता है जिसमें कई सारी एक्टिविटीज देखने को मिलती है। उदयपुर में भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपरा का नेतृत्व के साथ ही राजस्थान में मेवाड़ की सभी जीवित विरासतों की रक्षा करने के लिए मनाया जाता है।
उदयपुर का मेवाड़ फेस्टिवल
उदयपुर में हर साल मनाया जाने वाला मेवाड़ फेस्टिवल यहां के लोगों द्वारा वसंत ऋतु का स्वागत है। जो भारत के विश्व विरासत में शामिल सांस्कृतिक फेस्टिवल है। तीन दिनों तक चलने वाले इस फेस्टिवल में कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम देखने को मिलते हैं। उदयपुर में भारत की पुरानी परंपरा और संस्कृति के साथ ही मेवाड़ की भी सभी जीवित विरासतों के संरक्षण के लिए मनाया जाता है यह फेस्टिवल।
फेस्टिवल में क्या होता है खास
कला, पारंपरिक गायन, नृत्य के अलावा सांस्कृतिक विविधता भी इस फेस्टिवल में शामिल होकर देख सकते हैं। इसका आयोजन पचोला झील के किनारे होता है। जो बहुत ही खूबसूरत जगह है। गनगौर के साथ मनाए जाने इस फेस्टिवल को लेकर महिलाओं में अलग ही उत्साह और उमंग देखने को मिलता है। पारंपरिक परिधानों में तैयार हुई महिलाओं को लोकनृत्य करते हुए देखना बहुत ही मजेदार होता है। पेशेवर कलाकारों तरह-तरह की अनोखी कलाओं का प्रदर्शन करते हुए देखे जा सकते हैं। जिनसे स्थानीय कलाओं का सीखा जा सकता है। मेवाड़ की पुरानी ट्रेडिशनल हस्तकला को आगे बढ़ाने के मकसद से सेमिनार आयोजित किए जाते हैं।
कैसे मनाते हैं इसे
इस त्यौहार में यहां की रस्में और परंपरागत गतिविधियों की भागीदारी होती है। लोग भगवान ईसार (भगवान शिव) और माता पार्वती की मूर्ति को कपड़े पहनाते हैं और एक शोभा यात्रा निकालते हैं, जो शहर के अलग-अलग जगहों से होती हुई गनगौर घाट, पिचोला पर पहुंचती है। जहां मूर्ति को विशेष नाव में झील के बीच में पानी में विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। गनगौर का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती की जोड़ी को आदर्श जोड़ी मानते हुए, जोड़ियों (पति-पत्नी या प्रेमियों) की मजबूती की मान्यता के साथ मनाया जाता है।
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग
उदयपुर शहर से 22 किमी की दूरी पर महाराणा प्रताप एयरपोर्ट है। जहां के लिए लगभग हर शहर से फ्लाइट्स की सुविधा मौजूद है। एयरपोर्ट के बाहर टैक्सी, कैब और बसें अवेलेबल रहती हैं जहां से आप अपने डेस्टिनेशंस तक पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग
उदयपुर के लिए लगभग हर बड़े शहर से ट्रेन की सुविधा मौजूद है। अगर आप लक्ज़री ट्रैवल का एक्सपीरियंस लेना चाहते हैं तो महाराजा एक्सप्रेस और पैलेस ऑन व्हील्स आपके स्वागत में हाज़िर है।
सड़क मार्ग
प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह की बसें उदयपुर की सड़कों पर दौड़ती हैं। जो काफी कम्फर्टेबल और साफ-सुथरी होती हैं। तो फ्लाइट और ट्रेन के अलावा बस से भी उदयपुर की यात्रा बहुत ही शानदार होगी।
फरवरी खत्म होते ही मौसम सुहावना होने लगता है। इस मौसम में घूमने-फिरने का अपना अलग ही मजा होता है। बीच हो या हिल स्टेशन हर एक जगह का अलग रोमांच होता है। लेकिन अगर आप सफर में बहुत ज्यादा टाइम नहीं गवाना चाहते तो दिल्ली के आसपास बसी इन जगहों पर डालें एक नजर। जहां मिलेगा एडवेंचर का भरपूर मौका।
सर्दियों का मौसम वैसे तो अच्छा लगता है लेकिन इस समय घूमने का भी एक अलग ही आनंद होता है. जी हाँ, इन दिनों अगर घूमने को कह दिया जाए तो उसके लिए कोई मना नहीं करता क्योंकि मौसम बहुत आकर्षक होता है. ऐसे में आज हम आपको उन तीन जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ ठहरने का खर्च और हवाई यात्रा का खर्च बहुत कम है. केवल इतना ही नहीं, इन जगहों पर होने वाली ऐक्टिविटी के बारे में भी जान लीजिए जिसे करने में आपको खूब मजा आएगा. आइए बताते हैं आपको आपके लिए विंटर वेकशन के लिए बेस्ट जगह.
12वीं शताब्दी के अंकोरवाट मंदिर को चूना पत्थर की विशाल चट्टानों से कुछ ही दशकों में बना लिया गया था। डेढ़ टन से ज्यादा वजन वाली ये चट्टानें बहुत दूर से लाई जाती थीं। सैकड़ों किलोमीटर दूर से विशाल चट्टानों को लाना तब असंभव सा था। तत्कालीन हिंदू राजा ने मंदिर के लिए करीब स्थित माउंट कुलेन से चट्टानें लाने में भूमिगत नहरों की मदद ली। नावों में लादकरक ये चट्टानें पहुंचाई गई।
यह तो हम सभी जानते है कि नव वर्ष की शुरूआत हो चुकी है. ऐसे में अपने परिवार और दोस्तों के साथ बाहर घूमने फिरने जाने का मन तो हर किसी का होता है.अगर समय की कमी के चलते 31 दिसंबर की रात पार्टी नहीं कर पाए हैं तो कोई बात नहीं. दिल्ली में बहुत सी ऐसी शानदार जगहें हैं जहां पर परिवार और दोस्तों के साथ सैर सपाटे के लिए जाना अच्छा लगेगा. तो चलिए जानें ऐसी ही कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में जहां पर नए साल के मौके पर घूमने के लिए जाया जा सकता है. दिल्ली और दिल्ली के आसपास कई ऐसी जगहें हैं, जहां हरियाली के बीच आप अपनों के साथ पिकनिक मनाने जा सकते हैं. इन जगहों पर जाने के लिए किसी विेशेष अवसर या खास दिन की जरूरत नहीं, बल्कि आप वीकेंड पर भी दोस्तों या परिवार के साथ जा सकते हैं.
मॉनसून में घूमने की प्लानिंग करना थोड़ा रिस्की होता है लेकिन इंडिया में कुछ जगहें ऐसी हैं जहां की खूबसूरती मॉनसून में अपने चरम पर होती है। ऐसी ही जगहों में शामि है पुणे, जिसके आसपास बिखरी है बेशुमार खूबसूरती। वीकेंड में दोस्तों के साथ मस्ती करना चाह रहे हैं या सोलो ट्रिप पर जाना हो, बिंदास होकर इन जगहों का बना सकते हैं प्लान।
घूमने का मतलब सिर्फ डेस्टिनेशन कवर करना नहीं होता बल्कि उस जगह के खानपान, कल्चर और अलग-अलग तरह के एडवेंचर से भी रूबरू होना होता है। ग्रूप और सोलो जैसे ही रोड ट्रिप का भी अपना अलग ही मज़ा होता है और वो भी जब आपकी सवारी साइकिल हो। जी हां, साइकिलिंग करते हुए आराम से उस जगह की हर एक चीज़ के बारे में जानना। हालांकि, इसके साथ डेस्टिनेशन तक पहुंचना इतना आसान नहीं होता लेकिन एडवेंचर के शौकीन इसे बहुत एन्जॉय करते हैं। तो अगर आप भी उनमें से एक है तो इंडिया में साइकिलिंग के लिए कौन से जगहें बेस्ट हैं, इसके बारे में जानेंगे।
इंडिया में सर्फिंग का क्रेज रीवर रॉफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, स्कूबा डाइविंग और बंजी-जंपिग जितना नहीं, बाहर से आने वाले टूरिस्ट्स के बीच ये एडवेंचर बहुत पॉप्युलर है। लेकिन अब इंडिया में भी धीरे-धीरे लोग इस एडवेंचर को न सिर्फ ट्राय कर रहे हैं बल्कि एन्जॉय भी। तो इस एडवेंचर को एन्जॉय करने के लिए इंडिया में कौन सी जगहें हैं बेस्ट, जानते हैं यहां।
बिहू की शुरूआत होते ही असम का नज़ारा देखने लायक होता है। चारों ओर खेतों में लहलहाती फसल, झूमते-नाचते लोग और तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोज़न इसकी रौनक में चार चांद लगाने का काम करते हैं। असम में रहने वाले ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर हैं इसलिए यहां इस त्योहार का खासा महत्व है। कोई भी फेस्टिवल वहां के पारंपरिक खान-पान के बिना अधूरा है। खानपान के साथ ही लोकगीत और नृत्य का तालमेल बिहू को बनाता है लोकप्रिय। फेस्टिवल में बनाए जाने वाले अलग-अलग तरह के पकवानों में चावल, नारियल, गुड़, तिल और दूध का खासतौर से इस्तेमाल किया जाता है। तो आइए जानते हैं इन व्यंजनों के बारे में...
शक्ति का अवतार मां दुर्गा को ब्रम्हांड के रक्षक के रूप में जाना जाता है। शक्ति और मनोकामना की पूर्ति के लिए मां दुर्गा को पूजा जाता है खासतौर से नवरात्रि के दौरान। चैत्र हो या शरद नवरात्रि, दोनों ही हिंदुओं के लिए बहुत मायने रखता है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु नौ दिनों का उपवास रखते हैं और देवी की पूजा-अराधना करते हैं। भारत में अलग-अलग जगहों पर मां दुर्गा के अनेक मंदिर स्थित हैं जिनकी अलग मान्यताएं और कहानियां हैं। कहते हैं इन जगहों के दर्शन मात्र से बिगड़े हुए काम बन जाते हैं। तो आज इन्हीं मंदिरों के बारे में जानेंगे।
भारत के सबसे करीब स्थित थाईलैंड सालभर सैलानियों से भरा रहता है। खासतौर पर फुकेत यहां आकर्षण का केंद्र है। यह दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों के लिए लोकप्रिय स्थान है, जहां का रेतीला समुद्री तट उन्हें आकर्षित करता है।