सीजन सही हो तो गोवा जाने के लिए किसी बहाने की जरूरत नहीं। अकेले हों या ग्रूप के साथ गोवा में मस्ती के ढेरों ऑप्शन्स मौजूद हैं। हर थोड़ी दूर पर खूबसूरत बीच बांहें फैलाकर आपका स्वागत करते नजर आएंगे लेकिन अगर आप इससे अलग कुछ एक्सप्लोर करने के मूड में हैं तो नजर डालेें इन जगहों पर, जो आज भी गोवा आने वाले पर्यटकों की नज़रों से है दूर। शायद इसलिए यहां की खूबसूरती आज भी बरकरार है।
नेत्रावली बबल लेक
नेत्रावली गांव में देखने की मिलेगी ये झील, जो है बहुत ही खूबसूरत। जिसे एक या दो नहीं बल्कि बबल पॉन्ड, बुड़बुड़, बुड़बुड़याची तली जैसे कई नामों से जाना जाता है क्योंकि झील में लगातार बुलबुले निकलते रहते हैं। आसपास के प्राकृतिक नजारे और शांत वातावरण इस जगह को बनाते हैं और भी मनमोहक। इसके किनारे स्थित है गोपीनाथ मंदिर। झील में उठने वाले बुलबुले कुछ खास आवाजों जैसे ताली बजाने से और तेज हो जाते हैं। जो वाकई बहुत अद्भुत है। झील में उठने वाले बुलबुलों के बारे में सबकी अलग-अलग राय है कुछ लोगों का मानना है कि ये चमत्कारिक शक्ति है तो वही कुछ इसके पीछे कार्बन और सल्फर डाई ऑक्साइड गैस का असर बताते हैं। खैर वजह जो भी है गोवा जाकर इसे देखना तो बनता है।
सलीम अली बर्ड सेंचुरी
ज्यादातर लोगों की ट्रिप गोवा के बीचों तक ही सीमित रह जाती है लेकिन अगर आप गोवा को अच्छे से एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो सलीम अली बर्ड सेंचुरी जरूर आएं। मैंग्रोव जंगलों से घिरी इस सेंचुरी में आप एक साथ कई तरह के पक्षियों को चहलकदमी करते हुए देख सकते हैं। ब्लैक बिटरन, रेड नॉट, पाइड एवोकेट के साथ सेंचुरी में घड़ियालों की भी अच्छी खासी संख्या मौजूद है। पूरी सेंचुरी घूमने के लिए फेरी राइड बेहतरीन ऑप्शन है।
मायम लेक
गोवा के बीच से मन भर जाए तो मायम लेक देखने आएं जो है बेहतरीन जगह। नार्थ गोवा में स्थित मायम लेक की खूबसूरती को निहारते कैसे वक्त निकल जाता है इसका पता ही नहीं लगता। प्रकृति के हर एक नज़ारे को आप करीब से देख सकते हैं। मायम लेक पर बोट राइड की भी सुविधा है जिससे आप आसपास मौजूद दूसरे नज़ारों को भी एन्जॉय कर सकते हैं।
बमनबुडो वॉटरफॉल
पणजी से लगभग 60 किमी की दूरी पर स्थित है कोटीगाओ वाइल्डलाइफ सेंचुरी। जहां आकर आप बायसन, पेंगोलिन, काला चीता जैसे कई जगंली जानवरों को देख सकते हैं। इसके अलावा एक दूसरी जगह है बमनबुडो वॉटरफॉल जो अभी भी ट्रैवलर्स की पहुंच से दूर है। मौज-मस्ती करने वालों को शायद ये जगह उतनी पसंद न आए लेकिन अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं तो यकीनन आपको यहां काफी कुछ देखने को मिलेगा।
अर्वलेम गुफा
इसे पांडव गुफा के नाम से भी जाना जाता है। लोगों का मानना है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां के जंगलों में रुके थे। गुफा काफी पुरानी 6 या 7वीं सदी की है। तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि गुफा बौद्ध धर्मावलंबी संयासियों ने बनवाया था जब वो यहां की जंगल यात्रा पर थे। गुफा के करीब ही अर्वलेम झरना भी है। जिसे हरवलम, अरवालम या हर्वाले के नाम से भी जाना जाता है। आसपास फैली हरियाली झरने की खूबसूरती को दोगुना करते हैं।
फरवरी खत्म होते ही मौसम सुहावना होने लगता है। इस मौसम में घूमने-फिरने का अपना अलग ही मजा होता है। बीच हो या हिल स्टेशन हर एक जगह का अलग रोमांच होता है। लेकिन अगर आप सफर में बहुत ज्यादा टाइम नहीं गवाना चाहते तो दिल्ली के आसपास बसी इन जगहों पर डालें एक नजर। जहां मिलेगा एडवेंचर का भरपूर मौका।
सर्दियों का मौसम वैसे तो अच्छा लगता है लेकिन इस समय घूमने का भी एक अलग ही आनंद होता है. जी हाँ, इन दिनों अगर घूमने को कह दिया जाए तो उसके लिए कोई मना नहीं करता क्योंकि मौसम बहुत आकर्षक होता है. ऐसे में आज हम आपको उन तीन जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ ठहरने का खर्च और हवाई यात्रा का खर्च बहुत कम है. केवल इतना ही नहीं, इन जगहों पर होने वाली ऐक्टिविटी के बारे में भी जान लीजिए जिसे करने में आपको खूब मजा आएगा. आइए बताते हैं आपको आपके लिए विंटर वेकशन के लिए बेस्ट जगह.
12वीं शताब्दी के अंकोरवाट मंदिर को चूना पत्थर की विशाल चट्टानों से कुछ ही दशकों में बना लिया गया था। डेढ़ टन से ज्यादा वजन वाली ये चट्टानें बहुत दूर से लाई जाती थीं। सैकड़ों किलोमीटर दूर से विशाल चट्टानों को लाना तब असंभव सा था। तत्कालीन हिंदू राजा ने मंदिर के लिए करीब स्थित माउंट कुलेन से चट्टानें लाने में भूमिगत नहरों की मदद ली। नावों में लादकरक ये चट्टानें पहुंचाई गई।
यह तो हम सभी जानते है कि नव वर्ष की शुरूआत हो चुकी है. ऐसे में अपने परिवार और दोस्तों के साथ बाहर घूमने फिरने जाने का मन तो हर किसी का होता है.अगर समय की कमी के चलते 31 दिसंबर की रात पार्टी नहीं कर पाए हैं तो कोई बात नहीं. दिल्ली में बहुत सी ऐसी शानदार जगहें हैं जहां पर परिवार और दोस्तों के साथ सैर सपाटे के लिए जाना अच्छा लगेगा. तो चलिए जानें ऐसी ही कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में जहां पर नए साल के मौके पर घूमने के लिए जाया जा सकता है. दिल्ली और दिल्ली के आसपास कई ऐसी जगहें हैं, जहां हरियाली के बीच आप अपनों के साथ पिकनिक मनाने जा सकते हैं. इन जगहों पर जाने के लिए किसी विेशेष अवसर या खास दिन की जरूरत नहीं, बल्कि आप वीकेंड पर भी दोस्तों या परिवार के साथ जा सकते हैं.
मॉनसून में घूमने की प्लानिंग करना थोड़ा रिस्की होता है लेकिन इंडिया में कुछ जगहें ऐसी हैं जहां की खूबसूरती मॉनसून में अपने चरम पर होती है। ऐसी ही जगहों में शामि है पुणे, जिसके आसपास बिखरी है बेशुमार खूबसूरती। वीकेंड में दोस्तों के साथ मस्ती करना चाह रहे हैं या सोलो ट्रिप पर जाना हो, बिंदास होकर इन जगहों का बना सकते हैं प्लान।
घूमने का मतलब सिर्फ डेस्टिनेशन कवर करना नहीं होता बल्कि उस जगह के खानपान, कल्चर और अलग-अलग तरह के एडवेंचर से भी रूबरू होना होता है। ग्रूप और सोलो जैसे ही रोड ट्रिप का भी अपना अलग ही मज़ा होता है और वो भी जब आपकी सवारी साइकिल हो। जी हां, साइकिलिंग करते हुए आराम से उस जगह की हर एक चीज़ के बारे में जानना। हालांकि, इसके साथ डेस्टिनेशन तक पहुंचना इतना आसान नहीं होता लेकिन एडवेंचर के शौकीन इसे बहुत एन्जॉय करते हैं। तो अगर आप भी उनमें से एक है तो इंडिया में साइकिलिंग के लिए कौन से जगहें बेस्ट हैं, इसके बारे में जानेंगे।
इंडिया में सर्फिंग का क्रेज रीवर रॉफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, स्कूबा डाइविंग और बंजी-जंपिग जितना नहीं, बाहर से आने वाले टूरिस्ट्स के बीच ये एडवेंचर बहुत पॉप्युलर है। लेकिन अब इंडिया में भी धीरे-धीरे लोग इस एडवेंचर को न सिर्फ ट्राय कर रहे हैं बल्कि एन्जॉय भी। तो इस एडवेंचर को एन्जॉय करने के लिए इंडिया में कौन सी जगहें हैं बेस्ट, जानते हैं यहां।
बिहू की शुरूआत होते ही असम का नज़ारा देखने लायक होता है। चारों ओर खेतों में लहलहाती फसल, झूमते-नाचते लोग और तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोज़न इसकी रौनक में चार चांद लगाने का काम करते हैं। असम में रहने वाले ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर हैं इसलिए यहां इस त्योहार का खासा महत्व है। कोई भी फेस्टिवल वहां के पारंपरिक खान-पान के बिना अधूरा है। खानपान के साथ ही लोकगीत और नृत्य का तालमेल बिहू को बनाता है लोकप्रिय। फेस्टिवल में बनाए जाने वाले अलग-अलग तरह के पकवानों में चावल, नारियल, गुड़, तिल और दूध का खासतौर से इस्तेमाल किया जाता है। तो आइए जानते हैं इन व्यंजनों के बारे में...
शक्ति का अवतार मां दुर्गा को ब्रम्हांड के रक्षक के रूप में जाना जाता है। शक्ति और मनोकामना की पूर्ति के लिए मां दुर्गा को पूजा जाता है खासतौर से नवरात्रि के दौरान। चैत्र हो या शरद नवरात्रि, दोनों ही हिंदुओं के लिए बहुत मायने रखता है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु नौ दिनों का उपवास रखते हैं और देवी की पूजा-अराधना करते हैं। भारत में अलग-अलग जगहों पर मां दुर्गा के अनेक मंदिर स्थित हैं जिनकी अलग मान्यताएं और कहानियां हैं। कहते हैं इन जगहों के दर्शन मात्र से बिगड़े हुए काम बन जाते हैं। तो आज इन्हीं मंदिरों के बारे में जानेंगे।
भारत के सबसे करीब स्थित थाईलैंड सालभर सैलानियों से भरा रहता है। खासतौर पर फुकेत यहां आकर्षण का केंद्र है। यह दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों के लिए लोकप्रिय स्थान है, जहां का रेतीला समुद्री तट उन्हें आकर्षित करता है।