साउथ इंडिया में केरल का नेरियामंगलम बहुत ही खूबसूरत जगह है जो चारों ओर से जंगलों से घिरा हुआ है। जिसकी वजह से यहां जंगली-जानवरों को देखना बहुत ही आम है। मुन्नार, सूर्यनेली और मरायूर का रास्ता नेरियामंगलम से ही होकर गुजरता है। तो अगर आप वाइल्डलाइफ को जानने में थोड़ी-बहुत भी रूचि रखते हैं तो ये जगह आपको बहुत पसंद आएगी।
प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डॉक्टर सलीम अली के नाम पर बर्ड सेंचुरी
थाटाकड में लगभग 25 वर्ग किलोमीटर में फैले सलीम अली पक्षी विहार की स्थापना वर्ष 1983 में हुई थी। प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सलीम अली यहां पर दो बार पधारे थे। इस स्थान पर 250 प्रकार के पक्षी देखे जा सकते हैं। इनमें एमराल्ड डव, सदर्न हिल मैना, हॉर्नबिल, कई प्रकार की किंगफिशर, बुलबुल, कोयल, ड्रोंगो, महालत और कई तरह के कैरेबियन पक्षी प्रमुख हैं। सलीम अली के शब्दों में, थाटाकड भारत के सबसे समृद्धतम जैव विविधता वाले स्थानों में से है। केरल सरकार की ओर से यहां पक्षियों को सुरक्षा देने तथा उन्हें करीब से देखने की व्यवस्था की गई है। इस क्षेत्र में इंस्पेक्शन बंगले और दो-तीन अन्य सरकारी होटल हैं, जहां रहकर पक्षियों और अन्य जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास में देखा जा सकता है। केरल सरकार के पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर इस स्थान पर ठहरने संबंधी जानकारी उपलब्ध है। तट्टेकाइ के जंगल में 40 रुपये के टिकट पर दिन भर घूमा जा सकता है। इस पक्षी विहार में प्रवासी पक्षी भी आते हैं। जिनमें फ्लेमिंगो का झुंड हमेशा ही आकर्षण का केंद्र रहता है। सरकारी पक्षी विहार के अतिरिक्त आसपास के पूरे इलाके में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी नजर आ जाते हैं।
तितलियों की निराली दुनिया
तट्टेकाइ पक्षी विहार के एक हिस्से में तितलियों का संवर्धन केंद्र है। यह स्थान तितली प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, वहां पर तितलियों को बढ़ते और आनंद से सराबोर होकर उड़ते-फिरते देखकर हर किसी का मन आनंद से भर जाता है। उस केंद्र के क्यूरेटर कुंजापू हैं। तितलियों के व्यवहार के संबंध में उनका ज्ञान अद्भुत है। वे केवल मलयालम बोलते हैं और आप भाग्यशाली हुए तो वे आपको अपनी नोटबुक दिखा सकते हैं, जिसमें वे हर तितली के बारे में कुछ न कुछ दर्ज करते जाते हैं। वे तितलियों के लार्वा तक से आपकी पहचान करा सकते हैं।
लोमड़ी के आकार की गिलहरी
नेरियामंगलम आने वाले लोग नेरियामंगलम पुल को पारकर इसके दोनों ओर पसरे जंगल में उतर सकते हैं। जंगल के इन हिस्सों में बड़े जानवर तो नहीं, लेकिन भांति-भांति के पक्षी और खास दक्षिण भारत में पाई जाने वाली बड़ी गिलहरी देखी जा सकती है। आप यह जानकर हैरान हो सकते हैं कि इन गिलहरियों का आकार लोमड़ी के बराबर होता है, लेकिन वे आम गिलहरियों की तरह ही पेड़ों पर कूदती-फांदती या पत्ते कुतरती रहती हैं। इन्हें यहां की स्थानीय भाषा में 'वले अन्नान' कहा जाता है।
वालरा वॉटरफॉल और हाथी जंगल
नेरियामंगलम और उसके आसपास अकर्षणों की कमी नहीं है। केरल के ऊंचे झरनों में से एक चियापारा नेरियामंगलम से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मुन्नार जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित होने के कारण यह पर्यटकों में खासा लोकप्रिय है। इसी के पास वालरा जलप्रपात है। इस झरने के पास की शामें बहुत खूबसूरत होती हैं। सूर्यास्त के समय ऊंचाई से गिर रहे पानी के कणों पर पड़ते नारंगी प्रकाश से बहुत ही सुंदर दृश्य उपस्थित होता है। उधर ही मामलकंडम नामक स्थान भी है, जो 'हाथी वाले जंगल' के रूप में जाना जाता है। जंगल के इस हिस्से में अक्सर हाथी देखे जा सकते हैं, विशेषकर जनवरी से लेकर अप्रैल के दिनों में। दरअसल, इन दिनों पानी की खोज में हाथी नीचे नदी की ओर भी चले जाते हैं। हथियों के अतिरिक्त बहुत से अन्य पशु-पक्षी भी सहज रूप से देखे जा सकते हैं।
कैसे जाएं?
सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन आलुवा 45 किलोमीटर दूर है, जो देश के सभी स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। करीबी हवाई अड्डे की बात करें तो कोचीन हवाई अड्डा 51 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कोच्चि-धनुषकोटि मार्ग पर स्थित होने के कारण सड़क मार्ग की सारी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
फरवरी खत्म होते ही मौसम सुहावना होने लगता है। इस मौसम में घूमने-फिरने का अपना अलग ही मजा होता है। बीच हो या हिल स्टेशन हर एक जगह का अलग रोमांच होता है। लेकिन अगर आप सफर में बहुत ज्यादा टाइम नहीं गवाना चाहते तो दिल्ली के आसपास बसी इन जगहों पर डालें एक नजर। जहां मिलेगा एडवेंचर का भरपूर मौका।
सर्दियों का मौसम वैसे तो अच्छा लगता है लेकिन इस समय घूमने का भी एक अलग ही आनंद होता है. जी हाँ, इन दिनों अगर घूमने को कह दिया जाए तो उसके लिए कोई मना नहीं करता क्योंकि मौसम बहुत आकर्षक होता है. ऐसे में आज हम आपको उन तीन जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ ठहरने का खर्च और हवाई यात्रा का खर्च बहुत कम है. केवल इतना ही नहीं, इन जगहों पर होने वाली ऐक्टिविटी के बारे में भी जान लीजिए जिसे करने में आपको खूब मजा आएगा. आइए बताते हैं आपको आपके लिए विंटर वेकशन के लिए बेस्ट जगह.
12वीं शताब्दी के अंकोरवाट मंदिर को चूना पत्थर की विशाल चट्टानों से कुछ ही दशकों में बना लिया गया था। डेढ़ टन से ज्यादा वजन वाली ये चट्टानें बहुत दूर से लाई जाती थीं। सैकड़ों किलोमीटर दूर से विशाल चट्टानों को लाना तब असंभव सा था। तत्कालीन हिंदू राजा ने मंदिर के लिए करीब स्थित माउंट कुलेन से चट्टानें लाने में भूमिगत नहरों की मदद ली। नावों में लादकरक ये चट्टानें पहुंचाई गई।
यह तो हम सभी जानते है कि नव वर्ष की शुरूआत हो चुकी है. ऐसे में अपने परिवार और दोस्तों के साथ बाहर घूमने फिरने जाने का मन तो हर किसी का होता है.अगर समय की कमी के चलते 31 दिसंबर की रात पार्टी नहीं कर पाए हैं तो कोई बात नहीं. दिल्ली में बहुत सी ऐसी शानदार जगहें हैं जहां पर परिवार और दोस्तों के साथ सैर सपाटे के लिए जाना अच्छा लगेगा. तो चलिए जानें ऐसी ही कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में जहां पर नए साल के मौके पर घूमने के लिए जाया जा सकता है. दिल्ली और दिल्ली के आसपास कई ऐसी जगहें हैं, जहां हरियाली के बीच आप अपनों के साथ पिकनिक मनाने जा सकते हैं. इन जगहों पर जाने के लिए किसी विेशेष अवसर या खास दिन की जरूरत नहीं, बल्कि आप वीकेंड पर भी दोस्तों या परिवार के साथ जा सकते हैं.
मॉनसून में घूमने की प्लानिंग करना थोड़ा रिस्की होता है लेकिन इंडिया में कुछ जगहें ऐसी हैं जहां की खूबसूरती मॉनसून में अपने चरम पर होती है। ऐसी ही जगहों में शामि है पुणे, जिसके आसपास बिखरी है बेशुमार खूबसूरती। वीकेंड में दोस्तों के साथ मस्ती करना चाह रहे हैं या सोलो ट्रिप पर जाना हो, बिंदास होकर इन जगहों का बना सकते हैं प्लान।
घूमने का मतलब सिर्फ डेस्टिनेशन कवर करना नहीं होता बल्कि उस जगह के खानपान, कल्चर और अलग-अलग तरह के एडवेंचर से भी रूबरू होना होता है। ग्रूप और सोलो जैसे ही रोड ट्रिप का भी अपना अलग ही मज़ा होता है और वो भी जब आपकी सवारी साइकिल हो। जी हां, साइकिलिंग करते हुए आराम से उस जगह की हर एक चीज़ के बारे में जानना। हालांकि, इसके साथ डेस्टिनेशन तक पहुंचना इतना आसान नहीं होता लेकिन एडवेंचर के शौकीन इसे बहुत एन्जॉय करते हैं। तो अगर आप भी उनमें से एक है तो इंडिया में साइकिलिंग के लिए कौन से जगहें बेस्ट हैं, इसके बारे में जानेंगे।
इंडिया में सर्फिंग का क्रेज रीवर रॉफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, स्कूबा डाइविंग और बंजी-जंपिग जितना नहीं, बाहर से आने वाले टूरिस्ट्स के बीच ये एडवेंचर बहुत पॉप्युलर है। लेकिन अब इंडिया में भी धीरे-धीरे लोग इस एडवेंचर को न सिर्फ ट्राय कर रहे हैं बल्कि एन्जॉय भी। तो इस एडवेंचर को एन्जॉय करने के लिए इंडिया में कौन सी जगहें हैं बेस्ट, जानते हैं यहां।
बिहू की शुरूआत होते ही असम का नज़ारा देखने लायक होता है। चारों ओर खेतों में लहलहाती फसल, झूमते-नाचते लोग और तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोज़न इसकी रौनक में चार चांद लगाने का काम करते हैं। असम में रहने वाले ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर हैं इसलिए यहां इस त्योहार का खासा महत्व है। कोई भी फेस्टिवल वहां के पारंपरिक खान-पान के बिना अधूरा है। खानपान के साथ ही लोकगीत और नृत्य का तालमेल बिहू को बनाता है लोकप्रिय। फेस्टिवल में बनाए जाने वाले अलग-अलग तरह के पकवानों में चावल, नारियल, गुड़, तिल और दूध का खासतौर से इस्तेमाल किया जाता है। तो आइए जानते हैं इन व्यंजनों के बारे में...
शक्ति का अवतार मां दुर्गा को ब्रम्हांड के रक्षक के रूप में जाना जाता है। शक्ति और मनोकामना की पूर्ति के लिए मां दुर्गा को पूजा जाता है खासतौर से नवरात्रि के दौरान। चैत्र हो या शरद नवरात्रि, दोनों ही हिंदुओं के लिए बहुत मायने रखता है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु नौ दिनों का उपवास रखते हैं और देवी की पूजा-अराधना करते हैं। भारत में अलग-अलग जगहों पर मां दुर्गा के अनेक मंदिर स्थित हैं जिनकी अलग मान्यताएं और कहानियां हैं। कहते हैं इन जगहों के दर्शन मात्र से बिगड़े हुए काम बन जाते हैं। तो आज इन्हीं मंदिरों के बारे में जानेंगे।
भारत के सबसे करीब स्थित थाईलैंड सालभर सैलानियों से भरा रहता है। खासतौर पर फुकेत यहां आकर्षण का केंद्र है। यह दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों के लिए लोकप्रिय स्थान है, जहां का रेतीला समुद्री तट उन्हें आकर्षित करता है।