नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित सतपुड़ा टाईगर रिजर्व जैव विविधता से संपन्न जंगल है। लुप्तप्राय पक्षियों के रहने के लिए सतपुड़ा के जंगल बेहतरीन हैं। इसी वजह से सन् 1999 में इसे मध्यप्रदेश का पहला बायोस्फियर रिजर्व घोषित कर दिया गया था।
सतपुड़ा नेशनल पार्क में वनस्पति एवं जीव-जंतु
जैव विविधता वाले इस पार्क में 1300 से अधिक वनस्पतियां पाई जाती हैं। जिनमें 30 थेलोफाइट्स, 83 ब्रायोफाइट्स और 138 टेरिडोफाइट्स खास हैं। लायकोपोडियम, असमुंडा, ओफियोग्लोजम, सायलोटम, सायथिया जैसी दुर्लभ वनस्पतियों को भी इस नेशनल पार्क में देख सकते हैं। सतपुड़ा नेशनल पार्क में बाघ, तेंदुएं के अलावा मालाबार, स्मूथ कोटेड ऑटर, पेंगोलिन, यूरेशियन ऑटर, जायंट स्क्विरल, उड़ने वाली गिलहरी जैसे कई स्तनधारी पाए जाते हैं। इनके अलावा ग्रे और रेड कलर की जंगली मुर्गियां भी मौजूद हैं। यहां पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियां, 44 प्रकार के स्तनपायी, 31 सरीसृप एवं 500 से अधिक कीटों की प्रजातियां मौजूद हैं।
आसपास घूमने वाली जगहें
पचमढ़ी
जंगलों के बीच ही है सतपुडा की रानी यानी पचमढी। पचमढी वह जगह है जहां से आप सतपुडा नेशनल पार्क और बोरी सेंचुरी तक आसानी से पहुंच सकते हैं। कान्हा और पेंच नेशनल पार्क भी यहां से बहुत ज्यादा दूर नहीं हैं। पचमढी साल और सागौन वनों से घिरा हुआ है। यहां 7 तरह के वन पाए जाते हैं।
मढ़ई
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में बहुत ही खूबसूरत और शांत जगह है मढ़ई। जहां टूरिस्टों की आवाजाही कम होने की वजह से अलग-अलग तरह के पक्षियों के कलरव को सुनने के साथ ही उन्हें देखा भी जा सकता है। डेढ़ सौ वर्ग किमी में फैला मढ़ई, सतपुड़ा नेशनल पार्क का ही हिस्सा है जो भोपाल से 130 किमी दूर है। पचमढी अगर सतपुड़ा की रानी है तो मढ़ई राजकुमारी। मढ़ई में भी आप सफारी का मजा ले सकते हैं। जिप्सी से लेकर एलीफेंट दोनों तरह की सफारी यहां मौजूद है।
तवा
होशंगाबाद में ही मध्यप्रदेश का सबसे लंबा तवा डैम है। जो दो नदियों तवा और देनवा का संगम है। मानसून के दौरान यहां अलग ही नज़ारा होता है। डैम और आसपास फैली हरियाली सुकून के पल बिताने के साथ ही एडवेंचर के लिहाज से भी काफी अच्छी जगह है।
सतपुड़ा नेशनल पार्क में इन चीज़़ों को कर सकते हैं एन्जॉय
इस नेशनल पार्क आकर आप बोट सफारी से लेकर देनवा नदी के किनारे नाइट कैंपिंग का भी मज़ा ले सकते हैं। इसके अलावा यहां फोटोसेशन के साथ ही हैंडीक्रॉफ्टेड चीज़ों की भी खरीदादारी की जा सकती है।
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग- सतपुड़ा नेशनल पार्क आने के लिए राजा भोज इंटरनेशनल एयरपोर्ट सबसे नज़दीक है जो यहां से 180 किमी दूर है। एयरपोर्ट से कैब और टैक्सी की सुविधा अवेलेबल है।
रेल मार्ग- इटारसी जंक्शन यहां का नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। वैसे होशंगाबाद और पिपरिया पहुंचकर भी यहां तक पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग- मध्यप्रदेश रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन और कई तरह की प्राइवेट बसें सतपुड़ा नेशनल पार्क तक के लिए चलती हैं।
फरवरी खत्म होते ही मौसम सुहावना होने लगता है। इस मौसम में घूमने-फिरने का अपना अलग ही मजा होता है। बीच हो या हिल स्टेशन हर एक जगह का अलग रोमांच होता है। लेकिन अगर आप सफर में बहुत ज्यादा टाइम नहीं गवाना चाहते तो दिल्ली के आसपास बसी इन जगहों पर डालें एक नजर। जहां मिलेगा एडवेंचर का भरपूर मौका।
सर्दियों का मौसम वैसे तो अच्छा लगता है लेकिन इस समय घूमने का भी एक अलग ही आनंद होता है. जी हाँ, इन दिनों अगर घूमने को कह दिया जाए तो उसके लिए कोई मना नहीं करता क्योंकि मौसम बहुत आकर्षक होता है. ऐसे में आज हम आपको उन तीन जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ ठहरने का खर्च और हवाई यात्रा का खर्च बहुत कम है. केवल इतना ही नहीं, इन जगहों पर होने वाली ऐक्टिविटी के बारे में भी जान लीजिए जिसे करने में आपको खूब मजा आएगा. आइए बताते हैं आपको आपके लिए विंटर वेकशन के लिए बेस्ट जगह.
12वीं शताब्दी के अंकोरवाट मंदिर को चूना पत्थर की विशाल चट्टानों से कुछ ही दशकों में बना लिया गया था। डेढ़ टन से ज्यादा वजन वाली ये चट्टानें बहुत दूर से लाई जाती थीं। सैकड़ों किलोमीटर दूर से विशाल चट्टानों को लाना तब असंभव सा था। तत्कालीन हिंदू राजा ने मंदिर के लिए करीब स्थित माउंट कुलेन से चट्टानें लाने में भूमिगत नहरों की मदद ली। नावों में लादकरक ये चट्टानें पहुंचाई गई।
यह तो हम सभी जानते है कि नव वर्ष की शुरूआत हो चुकी है. ऐसे में अपने परिवार और दोस्तों के साथ बाहर घूमने फिरने जाने का मन तो हर किसी का होता है.अगर समय की कमी के चलते 31 दिसंबर की रात पार्टी नहीं कर पाए हैं तो कोई बात नहीं. दिल्ली में बहुत सी ऐसी शानदार जगहें हैं जहां पर परिवार और दोस्तों के साथ सैर सपाटे के लिए जाना अच्छा लगेगा. तो चलिए जानें ऐसी ही कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में जहां पर नए साल के मौके पर घूमने के लिए जाया जा सकता है. दिल्ली और दिल्ली के आसपास कई ऐसी जगहें हैं, जहां हरियाली के बीच आप अपनों के साथ पिकनिक मनाने जा सकते हैं. इन जगहों पर जाने के लिए किसी विेशेष अवसर या खास दिन की जरूरत नहीं, बल्कि आप वीकेंड पर भी दोस्तों या परिवार के साथ जा सकते हैं.
मॉनसून में घूमने की प्लानिंग करना थोड़ा रिस्की होता है लेकिन इंडिया में कुछ जगहें ऐसी हैं जहां की खूबसूरती मॉनसून में अपने चरम पर होती है। ऐसी ही जगहों में शामि है पुणे, जिसके आसपास बिखरी है बेशुमार खूबसूरती। वीकेंड में दोस्तों के साथ मस्ती करना चाह रहे हैं या सोलो ट्रिप पर जाना हो, बिंदास होकर इन जगहों का बना सकते हैं प्लान।
घूमने का मतलब सिर्फ डेस्टिनेशन कवर करना नहीं होता बल्कि उस जगह के खानपान, कल्चर और अलग-अलग तरह के एडवेंचर से भी रूबरू होना होता है। ग्रूप और सोलो जैसे ही रोड ट्रिप का भी अपना अलग ही मज़ा होता है और वो भी जब आपकी सवारी साइकिल हो। जी हां, साइकिलिंग करते हुए आराम से उस जगह की हर एक चीज़ के बारे में जानना। हालांकि, इसके साथ डेस्टिनेशन तक पहुंचना इतना आसान नहीं होता लेकिन एडवेंचर के शौकीन इसे बहुत एन्जॉय करते हैं। तो अगर आप भी उनमें से एक है तो इंडिया में साइकिलिंग के लिए कौन से जगहें बेस्ट हैं, इसके बारे में जानेंगे।
इंडिया में सर्फिंग का क्रेज रीवर रॉफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, स्कूबा डाइविंग और बंजी-जंपिग जितना नहीं, बाहर से आने वाले टूरिस्ट्स के बीच ये एडवेंचर बहुत पॉप्युलर है। लेकिन अब इंडिया में भी धीरे-धीरे लोग इस एडवेंचर को न सिर्फ ट्राय कर रहे हैं बल्कि एन्जॉय भी। तो इस एडवेंचर को एन्जॉय करने के लिए इंडिया में कौन सी जगहें हैं बेस्ट, जानते हैं यहां।
बिहू की शुरूआत होते ही असम का नज़ारा देखने लायक होता है। चारों ओर खेतों में लहलहाती फसल, झूमते-नाचते लोग और तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोज़न इसकी रौनक में चार चांद लगाने का काम करते हैं। असम में रहने वाले ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर हैं इसलिए यहां इस त्योहार का खासा महत्व है। कोई भी फेस्टिवल वहां के पारंपरिक खान-पान के बिना अधूरा है। खानपान के साथ ही लोकगीत और नृत्य का तालमेल बिहू को बनाता है लोकप्रिय। फेस्टिवल में बनाए जाने वाले अलग-अलग तरह के पकवानों में चावल, नारियल, गुड़, तिल और दूध का खासतौर से इस्तेमाल किया जाता है। तो आइए जानते हैं इन व्यंजनों के बारे में...
शक्ति का अवतार मां दुर्गा को ब्रम्हांड के रक्षक के रूप में जाना जाता है। शक्ति और मनोकामना की पूर्ति के लिए मां दुर्गा को पूजा जाता है खासतौर से नवरात्रि के दौरान। चैत्र हो या शरद नवरात्रि, दोनों ही हिंदुओं के लिए बहुत मायने रखता है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु नौ दिनों का उपवास रखते हैं और देवी की पूजा-अराधना करते हैं। भारत में अलग-अलग जगहों पर मां दुर्गा के अनेक मंदिर स्थित हैं जिनकी अलग मान्यताएं और कहानियां हैं। कहते हैं इन जगहों के दर्शन मात्र से बिगड़े हुए काम बन जाते हैं। तो आज इन्हीं मंदिरों के बारे में जानेंगे।
भारत के सबसे करीब स्थित थाईलैंड सालभर सैलानियों से भरा रहता है। खासतौर पर फुकेत यहां आकर्षण का केंद्र है। यह दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों के लिए लोकप्रिय स्थान है, जहां का रेतीला समुद्री तट उन्हें आकर्षित करता है।