घूमने-फिरने वाली खूबसूरत जगहों की लिस्ट में राजस्थान हमेशा से ही लोगों का फेवरेट रहा है। जहां आप धार्मिक से लेकर एडवेंचरस और कल्चरल अलग-अलग तरह के ट्रिप को एक साथ कवर कर सकते हैं। यही वजह है कि ये शहर ज्यादातर देश-विदेश से आने वाले सैलानियों से गुलजार रहता है। तो अगर आप भी इस जगह की करीब से देखना और जानना चाहते हैं तो रोड ट्रिप का प्लान करें। वरना किसी एक जगह घूमकर आपको ऐसा आभास होगा जैसे आपने बहुत कुछ मिस कर दिया।
पिंक सिटी जयपुर से गोल्डेन सिटी जैसलमेर तक का रोड ट्रिप बहुत ही एक्साइटिंग होता है जिसमें आपको कई सारे खूबसूरत नजारे देखने को मिलेंगे। जयपुर से जैसलमेर की दूरी 558 किमी है लेकिन यकीन मानिए ये आपके बेस्ट ट्रैवल एक्सपीरियंस में से एक होगा।
जयपुर से जैसलमेर का सुहाना सफर
जयपुर से जैसलमेर के रोड ट्रिप को खूबसूरत और यादगार बनाने का काम करते हैं रास्ते में मिलने वाले रेत के पहाड़ और उन्हें अपने लंबे-लंबे पैरों से नापते ऊंट, मंदिर, किले और आलीशान महल। जहां आप कुछ देर रूक कर इन जगहों को अपनी आंखों और कैमरे में कैद कर सकते हैं। ट्रिप को अच्छे से एन्जॉय करने के लिए 3 से 4 दिन का वक्त लेकर आएं।
जयपुर से जैसलमेर जाने का रास्ता अजमेर, पुष्कर और जोधपुर से होकर गुजरता है जहां एक्सप्लोर करने के लिए इतनी सारी चीज़ें हैं जिसके लिए 3 से 4 दिन का वक्त बहुत कम लगता है। अजमेर आकर दरगाह शरीफ जरूर जाएं। इस जगह की बहुत मान्यता है। कहते हैं यहां दिल से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। यहां बॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ भी देखने को मिल जाएंगे।
अजमेर से NH58 होते हुए 15.6 किमी की दूरी तय करके आप पुष्कर पहुंचेंगे। जिसमें लगभग 35 मिनट का समय लगता है। ये शहर बहुत ही रंग-बिरंगा है। कल्चर से लेकर खानपान हर एक चीज़ में ये शहर आपको लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा। अजमेर और पुष्कर घूमने के लिए एक दिन का समय काफी रहेगा।
पुष्कर से 214 किमी की ड्राइव करके आप पहुंचेंगे जोधपुर। जिसकी अपनी ही ठाट-बाट है। जिसका नमूना आप मेहरानगढ़ किला में आकर देख सकते हैं जो अब म्यूज़ियम बन चुका है। यहां की ज्यादातर बिल्डिंग्स नीले रंग से रंगी हुई हैं जो देखने में बहुत ही खूबसूरत लगती हैं। इसके अलावा मशहूर थार रेगिस्तान भी जोधपुर में ही है। तो इस जगह को तो बिल्कुल भी मिस न करें खासतौर से जब आप रोड ट्रिप पर निकले हैं।;
जोधपुर शहर को एक्सप्लोर करने के बाद आप पहुंचेंगे अपने अगले पड़ाव यानि जैसलमेर। जोधपुर से जैसलमेर की दूरी 282 किमी है। NH125 और NH11 से होते हुए 4 घंटे में यहां तक पहुंचा जा सकता है। जैसलमेर में घूमने के लिए कई सारे ऑप्शन्स हैं। 3000 स्क्वेयर किमी में फैले डेजर्ट नेशनल पार्क जरूर जाएं।
हर साल यहां मनाए जाने वाले डेजर्ट फेस्टिवल का हिस्सा बनने के लिए जनवरी से फरवरी के बीच आएं। उस दौरान पूरा शहर सैलानियों से भरा रहता है। राजस्थान का खानपान उन लोगों को बहुत पसंद आता है जो तीखा, चटपटा और मसालेदार खाने के शौकिन होते हैं क्योंकि दाल-बाटी से लेकर लाल मास तक का स्वाद बिना मसालों के फीका और अधूरा है। बाकी प्याज कचौड़ी, मावा कचौड़ी, केर सांगरी का स्वाद एक बारगी जरूर चखें।
कब जाएं
वैसे तो अगस्त के बाद यहां कभी भी जाने का प्लान किया जा सकता है। लेकिन नवंबर से मार्च के बीच का महीना सबसे बेस्ट माना जाता है जब आप हल्के-फुल्के कपड़ों में भी यहां घूम सकते हैं।
किन चीज़ों की करें पैकिंग
जयपुर से जैसलमेर के रोड ट्रिप पर अपने साथ गॉगल्स, स्टोल, लाइट जैकेट, जरूरी दवाएं, पानी की बोतलें और जूते जरूर साथ रखें।
फरवरी खत्म होते ही मौसम सुहावना होने लगता है। इस मौसम में घूमने-फिरने का अपना अलग ही मजा होता है। बीच हो या हिल स्टेशन हर एक जगह का अलग रोमांच होता है। लेकिन अगर आप सफर में बहुत ज्यादा टाइम नहीं गवाना चाहते तो दिल्ली के आसपास बसी इन जगहों पर डालें एक नजर। जहां मिलेगा एडवेंचर का भरपूर मौका।
सर्दियों का मौसम वैसे तो अच्छा लगता है लेकिन इस समय घूमने का भी एक अलग ही आनंद होता है. जी हाँ, इन दिनों अगर घूमने को कह दिया जाए तो उसके लिए कोई मना नहीं करता क्योंकि मौसम बहुत आकर्षक होता है. ऐसे में आज हम आपको उन तीन जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ ठहरने का खर्च और हवाई यात्रा का खर्च बहुत कम है. केवल इतना ही नहीं, इन जगहों पर होने वाली ऐक्टिविटी के बारे में भी जान लीजिए जिसे करने में आपको खूब मजा आएगा. आइए बताते हैं आपको आपके लिए विंटर वेकशन के लिए बेस्ट जगह.
12वीं शताब्दी के अंकोरवाट मंदिर को चूना पत्थर की विशाल चट्टानों से कुछ ही दशकों में बना लिया गया था। डेढ़ टन से ज्यादा वजन वाली ये चट्टानें बहुत दूर से लाई जाती थीं। सैकड़ों किलोमीटर दूर से विशाल चट्टानों को लाना तब असंभव सा था। तत्कालीन हिंदू राजा ने मंदिर के लिए करीब स्थित माउंट कुलेन से चट्टानें लाने में भूमिगत नहरों की मदद ली। नावों में लादकरक ये चट्टानें पहुंचाई गई।
यह तो हम सभी जानते है कि नव वर्ष की शुरूआत हो चुकी है. ऐसे में अपने परिवार और दोस्तों के साथ बाहर घूमने फिरने जाने का मन तो हर किसी का होता है.अगर समय की कमी के चलते 31 दिसंबर की रात पार्टी नहीं कर पाए हैं तो कोई बात नहीं. दिल्ली में बहुत सी ऐसी शानदार जगहें हैं जहां पर परिवार और दोस्तों के साथ सैर सपाटे के लिए जाना अच्छा लगेगा. तो चलिए जानें ऐसी ही कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में जहां पर नए साल के मौके पर घूमने के लिए जाया जा सकता है. दिल्ली और दिल्ली के आसपास कई ऐसी जगहें हैं, जहां हरियाली के बीच आप अपनों के साथ पिकनिक मनाने जा सकते हैं. इन जगहों पर जाने के लिए किसी विेशेष अवसर या खास दिन की जरूरत नहीं, बल्कि आप वीकेंड पर भी दोस्तों या परिवार के साथ जा सकते हैं.
मॉनसून में घूमने की प्लानिंग करना थोड़ा रिस्की होता है लेकिन इंडिया में कुछ जगहें ऐसी हैं जहां की खूबसूरती मॉनसून में अपने चरम पर होती है। ऐसी ही जगहों में शामि है पुणे, जिसके आसपास बिखरी है बेशुमार खूबसूरती। वीकेंड में दोस्तों के साथ मस्ती करना चाह रहे हैं या सोलो ट्रिप पर जाना हो, बिंदास होकर इन जगहों का बना सकते हैं प्लान।
घूमने का मतलब सिर्फ डेस्टिनेशन कवर करना नहीं होता बल्कि उस जगह के खानपान, कल्चर और अलग-अलग तरह के एडवेंचर से भी रूबरू होना होता है। ग्रूप और सोलो जैसे ही रोड ट्रिप का भी अपना अलग ही मज़ा होता है और वो भी जब आपकी सवारी साइकिल हो। जी हां, साइकिलिंग करते हुए आराम से उस जगह की हर एक चीज़ के बारे में जानना। हालांकि, इसके साथ डेस्टिनेशन तक पहुंचना इतना आसान नहीं होता लेकिन एडवेंचर के शौकीन इसे बहुत एन्जॉय करते हैं। तो अगर आप भी उनमें से एक है तो इंडिया में साइकिलिंग के लिए कौन से जगहें बेस्ट हैं, इसके बारे में जानेंगे।
इंडिया में सर्फिंग का क्रेज रीवर रॉफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, स्कूबा डाइविंग और बंजी-जंपिग जितना नहीं, बाहर से आने वाले टूरिस्ट्स के बीच ये एडवेंचर बहुत पॉप्युलर है। लेकिन अब इंडिया में भी धीरे-धीरे लोग इस एडवेंचर को न सिर्फ ट्राय कर रहे हैं बल्कि एन्जॉय भी। तो इस एडवेंचर को एन्जॉय करने के लिए इंडिया में कौन सी जगहें हैं बेस्ट, जानते हैं यहां।
बिहू की शुरूआत होते ही असम का नज़ारा देखने लायक होता है। चारों ओर खेतों में लहलहाती फसल, झूमते-नाचते लोग और तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोज़न इसकी रौनक में चार चांद लगाने का काम करते हैं। असम में रहने वाले ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर हैं इसलिए यहां इस त्योहार का खासा महत्व है। कोई भी फेस्टिवल वहां के पारंपरिक खान-पान के बिना अधूरा है। खानपान के साथ ही लोकगीत और नृत्य का तालमेल बिहू को बनाता है लोकप्रिय। फेस्टिवल में बनाए जाने वाले अलग-अलग तरह के पकवानों में चावल, नारियल, गुड़, तिल और दूध का खासतौर से इस्तेमाल किया जाता है। तो आइए जानते हैं इन व्यंजनों के बारे में...
शक्ति का अवतार मां दुर्गा को ब्रम्हांड के रक्षक के रूप में जाना जाता है। शक्ति और मनोकामना की पूर्ति के लिए मां दुर्गा को पूजा जाता है खासतौर से नवरात्रि के दौरान। चैत्र हो या शरद नवरात्रि, दोनों ही हिंदुओं के लिए बहुत मायने रखता है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु नौ दिनों का उपवास रखते हैं और देवी की पूजा-अराधना करते हैं। भारत में अलग-अलग जगहों पर मां दुर्गा के अनेक मंदिर स्थित हैं जिनकी अलग मान्यताएं और कहानियां हैं। कहते हैं इन जगहों के दर्शन मात्र से बिगड़े हुए काम बन जाते हैं। तो आज इन्हीं मंदिरों के बारे में जानेंगे।
भारत के सबसे करीब स्थित थाईलैंड सालभर सैलानियों से भरा रहता है। खासतौर पर फुकेत यहां आकर्षण का केंद्र है। यह दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों के लिए लोकप्रिय स्थान है, जहां का रेतीला समुद्री तट उन्हें आकर्षित करता है।