महात्मा गांधी की 150वीं जयंती उन्हें याद करने और उन जगहों का भ्रमण करने का अवसर है जिनकी गांधी जी ने यात्राएं कीं, जहां अपना आवास बनाया और जहां से आंदोलनों की शुरुआत की। गांधी जी की कर्मस्थलियों पर जाकर उन्हें और अच्छी तरह से जाना जा सकता है। आज हम आपको लेकर चलते हैं उन कुछ पर्यटन स्थलों के सफर पर जो गांधी को इतिहास से जोड़ते हैं और देते हैं उन्हें करीब से जानने का मौका ..
पोरबंदर
पर्यटन के लिहाज से पोरबंदर एक खास जगह है। मोहनदास करमचंद गांधी को जानने की शुरुआत आप पोरबंदर से कर सकते हैं। इसका आधुनिक इतिहास महात्मा गांधी से जुड़ा है। इस स्थान को बापू की जन्मस्थली रहा है। पोरबंदर में महात्मा गांधी का बचपन बीता। यहां पर उनसे जुड़ी बहुत सी चीजें हैं। पोरबंदर स्थित कीर्ति मंदिर महात्मा गांधी को समर्पित एक खास स्मारक है। यह मंदिर तीन मंजिला है जिसे एक हवेली के रूप में बनाकर तैयार किया गया है। मंदिर की दिवारों को महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी के जीवन को चित्रों के माध्यम से देखा जा सकता है। इससे यह मंदिर एक तरह से संग्रहालय का काम करता है। यहां महात्मा गांधी के जन्म स्थान को स्वास्तिका के साथ चिन्हित किया गया है। शहर में स्थित श्री हरि मंदिर का लगभग 85 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। यह मंदिर 105 फीट ऊंचा बना हुआ है और इसमें 65 स्तंभ हैं। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं और कुदरत की खूबसूरती को करीब से देखना चाहते हैं तो आप पोरबंदर पक्षी अभयारण्य की सैर का प्लान बना सकते हैं। एक वर्ग किमी में फैले यह अभ्यारण्य में फ्लेमिंगो, आईबीएस, कर्ल, फवल्स और टील्स जैसी पक्षी प्रजातियों को देख सकते हैं। पोरबंदर में भी चौपाटी नाम का खूबसूरत तटीय स्थल है।
साबरमती आश्रम
अहमदाबाद से गांधी का खास जुड़ाव रहा है। अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे गांधी जी का आश्रम बनाया था जिसे साबरमती आश्रम कहते हैं। इसे देखकर आप गांधी के रहन-सहन के बारे में काफी अच्छी तरह से जान सकते हैं। यहां पर महात्मा गांधी जी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी ने करीब 12 साल बिताए थे। गांधी जी को साबरमती संत नाम से भी बुलाते हैं। बापू ने आश्रम में 1915 से 1933 तक निवास किया। जब वे साबरमती में होते थे, तो एक छोटी सी कुटिया में रहते थे जिसे आज हृदय कुंज कहा जाता है। यहां आज भी उनका डेस्क, खादी का कुर्ता, उनके पत्र आदि मौजूद हैं। हृदय कुंज के पास नन्दिनी है। जो उनका अतिथि-कक्ष था। यहां पं. जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सी.राजगोपालाचारी, दीनबंधु एंड्रयूज और रवींद्रनाथ टैगोर आदि ठहरते थे। वहीं विनोबा कुटीर है जहां आचार्य विनोबा भावे ठहरे थे। आश्रम में एक उद्योग मंदिर है जहां से चरखे द्वारा सूत कातकर खादी के वस्त्र बनाने की शुरुआत की गई थी। यह 17 जून, 1917 को बन कर तैयार हुआ था। मार्च 1930 में दांडी यात्रा की शुरुआत साबरमती आश्रम से हुई थी।
दांडी
दांडी वह जगह है जहां गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ नमक सत्याग्रह किया था। गांधी जी ने साबरमती से दांडी तक की करीब 268 किलोमीटर की यात्रा की थी। इस यात्रा को उन्होंने करीब 24 दिनों में पूरा किया गया। दांडी अरब सागर के तट पर स्थित गुजरात राज्य का छोटा सा गांव है। गांधी जी द्वारा 12 मार्च, 1930 को चलाए गए नमक सत्याग्रह आंदोलन का इस स्थान से सीधा जुड़ाव है। जहां गांधी जी ने नमक कानून तोड़ा था आज वह एक परिसर की तरह है। उसमें एक ऊंची पट्टिका बनी हुई है, पास में काले रंग से पेंट की हुई गांधी जी की नमक उठाने की मुद्रा में मूर्ति खड़ी है। यहां ऊंचे चबूतरे पर बनी सैफी विला नामक एक इमारत है, जिसमें गांधी जी आकर रुके थे। अब यह म्यूजियम है, जिसमें गांधी से जुड़ी तस्वीरों का संग्रह है। इसमें चंपारण की मिट्टी से भरा एक कलश रखा है। म्यूजियम में लगी ऐतिहासिक तस्वीरों से होकर गुजरते हुए गांधी को जानने का मौका मिलता है।
नई दिल्ली
देश की राजधानी दिल्ली भी गांधी स्मृति से जुड़े स्थानों में से एक है। यहां गांधी जी को करीब से जानने के लिए कई बड़े स्थल है। बिड़ला हाउस के रूप महात्मा गांधी को समर्पित एक ऐतिहासिक संग्रहालय है। इसी संग्रहालय में गांधी जी ने अपने जीवन के अंतिम दौर के करीब 144 दिन बिताए थे। मृत्यु के बाद राजघाट में ही महात्मा गांधी का समाधि स्थल बनाया गया जहां देश-विदेश के लोग श्रद्धा-सुमन अर्पित करने आते हैं।
दक्षिण अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका में आज भी गांधी के नाम के आगे लोगों के सर झुक जाते हैं। गांधीजी ने सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी और उन्हें कई काले कानूनों से मुक्ति दिलाई। जोहान्सबर्ग में उन्होंने एक आदर्श कॉलोनी की स्थापना की, जो कि शहर से बीस मील की दूरी पर थी। उन्होंने इसका नाम टालस्टाय फार्म' रखा। यहां उन्होंने बुनियादी शिक्षा प्रणाली को बड़ी मेहनत से विकसित किया था। दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी के सत्याग्रह का ही परिणाम था कि 'भारतीय राहत विधेयक' पास हुआ। इसके अनुसार यहां जन्मे भारतीयों को केप कॉलोनी में रहने का अधिकार मिला और भारतीय पद्धति के विवाहों को वैध घोषित किया गया। गांधी जी ने साउथ अफ्रीका के डरबन, प्रिटोरिया और जोहांसबर्ग में तीन फुटबॉल क्लब स्थापित करने में भी मदद की थी। गांधी जी की याद में जोहांसबर्ग में सत्याग्रह सदन या सत्याग्रह हाउस बनाया गया है, जिसे आमतौर पर गांधी हाउस के रूप में जाना जाता है।
फरवरी खत्म होते ही मौसम सुहावना होने लगता है। इस मौसम में घूमने-फिरने का अपना अलग ही मजा होता है। बीच हो या हिल स्टेशन हर एक जगह का अलग रोमांच होता है। लेकिन अगर आप सफर में बहुत ज्यादा टाइम नहीं गवाना चाहते तो दिल्ली के आसपास बसी इन जगहों पर डालें एक नजर। जहां मिलेगा एडवेंचर का भरपूर मौका।
सर्दियों का मौसम वैसे तो अच्छा लगता है लेकिन इस समय घूमने का भी एक अलग ही आनंद होता है. जी हाँ, इन दिनों अगर घूमने को कह दिया जाए तो उसके लिए कोई मना नहीं करता क्योंकि मौसम बहुत आकर्षक होता है. ऐसे में आज हम आपको उन तीन जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ ठहरने का खर्च और हवाई यात्रा का खर्च बहुत कम है. केवल इतना ही नहीं, इन जगहों पर होने वाली ऐक्टिविटी के बारे में भी जान लीजिए जिसे करने में आपको खूब मजा आएगा. आइए बताते हैं आपको आपके लिए विंटर वेकशन के लिए बेस्ट जगह.
12वीं शताब्दी के अंकोरवाट मंदिर को चूना पत्थर की विशाल चट्टानों से कुछ ही दशकों में बना लिया गया था। डेढ़ टन से ज्यादा वजन वाली ये चट्टानें बहुत दूर से लाई जाती थीं। सैकड़ों किलोमीटर दूर से विशाल चट्टानों को लाना तब असंभव सा था। तत्कालीन हिंदू राजा ने मंदिर के लिए करीब स्थित माउंट कुलेन से चट्टानें लाने में भूमिगत नहरों की मदद ली। नावों में लादकरक ये चट्टानें पहुंचाई गई।
यह तो हम सभी जानते है कि नव वर्ष की शुरूआत हो चुकी है. ऐसे में अपने परिवार और दोस्तों के साथ बाहर घूमने फिरने जाने का मन तो हर किसी का होता है.अगर समय की कमी के चलते 31 दिसंबर की रात पार्टी नहीं कर पाए हैं तो कोई बात नहीं. दिल्ली में बहुत सी ऐसी शानदार जगहें हैं जहां पर परिवार और दोस्तों के साथ सैर सपाटे के लिए जाना अच्छा लगेगा. तो चलिए जानें ऐसी ही कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में जहां पर नए साल के मौके पर घूमने के लिए जाया जा सकता है. दिल्ली और दिल्ली के आसपास कई ऐसी जगहें हैं, जहां हरियाली के बीच आप अपनों के साथ पिकनिक मनाने जा सकते हैं. इन जगहों पर जाने के लिए किसी विेशेष अवसर या खास दिन की जरूरत नहीं, बल्कि आप वीकेंड पर भी दोस्तों या परिवार के साथ जा सकते हैं.
मॉनसून में घूमने की प्लानिंग करना थोड़ा रिस्की होता है लेकिन इंडिया में कुछ जगहें ऐसी हैं जहां की खूबसूरती मॉनसून में अपने चरम पर होती है। ऐसी ही जगहों में शामि है पुणे, जिसके आसपास बिखरी है बेशुमार खूबसूरती। वीकेंड में दोस्तों के साथ मस्ती करना चाह रहे हैं या सोलो ट्रिप पर जाना हो, बिंदास होकर इन जगहों का बना सकते हैं प्लान।
घूमने का मतलब सिर्फ डेस्टिनेशन कवर करना नहीं होता बल्कि उस जगह के खानपान, कल्चर और अलग-अलग तरह के एडवेंचर से भी रूबरू होना होता है। ग्रूप और सोलो जैसे ही रोड ट्रिप का भी अपना अलग ही मज़ा होता है और वो भी जब आपकी सवारी साइकिल हो। जी हां, साइकिलिंग करते हुए आराम से उस जगह की हर एक चीज़ के बारे में जानना। हालांकि, इसके साथ डेस्टिनेशन तक पहुंचना इतना आसान नहीं होता लेकिन एडवेंचर के शौकीन इसे बहुत एन्जॉय करते हैं। तो अगर आप भी उनमें से एक है तो इंडिया में साइकिलिंग के लिए कौन से जगहें बेस्ट हैं, इसके बारे में जानेंगे।
इंडिया में सर्फिंग का क्रेज रीवर रॉफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, स्कूबा डाइविंग और बंजी-जंपिग जितना नहीं, बाहर से आने वाले टूरिस्ट्स के बीच ये एडवेंचर बहुत पॉप्युलर है। लेकिन अब इंडिया में भी धीरे-धीरे लोग इस एडवेंचर को न सिर्फ ट्राय कर रहे हैं बल्कि एन्जॉय भी। तो इस एडवेंचर को एन्जॉय करने के लिए इंडिया में कौन सी जगहें हैं बेस्ट, जानते हैं यहां।
बिहू की शुरूआत होते ही असम का नज़ारा देखने लायक होता है। चारों ओर खेतों में लहलहाती फसल, झूमते-नाचते लोग और तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोज़न इसकी रौनक में चार चांद लगाने का काम करते हैं। असम में रहने वाले ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर हैं इसलिए यहां इस त्योहार का खासा महत्व है। कोई भी फेस्टिवल वहां के पारंपरिक खान-पान के बिना अधूरा है। खानपान के साथ ही लोकगीत और नृत्य का तालमेल बिहू को बनाता है लोकप्रिय। फेस्टिवल में बनाए जाने वाले अलग-अलग तरह के पकवानों में चावल, नारियल, गुड़, तिल और दूध का खासतौर से इस्तेमाल किया जाता है। तो आइए जानते हैं इन व्यंजनों के बारे में...
शक्ति का अवतार मां दुर्गा को ब्रम्हांड के रक्षक के रूप में जाना जाता है। शक्ति और मनोकामना की पूर्ति के लिए मां दुर्गा को पूजा जाता है खासतौर से नवरात्रि के दौरान। चैत्र हो या शरद नवरात्रि, दोनों ही हिंदुओं के लिए बहुत मायने रखता है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु नौ दिनों का उपवास रखते हैं और देवी की पूजा-अराधना करते हैं। भारत में अलग-अलग जगहों पर मां दुर्गा के अनेक मंदिर स्थित हैं जिनकी अलग मान्यताएं और कहानियां हैं। कहते हैं इन जगहों के दर्शन मात्र से बिगड़े हुए काम बन जाते हैं। तो आज इन्हीं मंदिरों के बारे में जानेंगे।
भारत के सबसे करीब स्थित थाईलैंड सालभर सैलानियों से भरा रहता है। खासतौर पर फुकेत यहां आकर्षण का केंद्र है। यह दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों के लिए लोकप्रिय स्थान है, जहां का रेतीला समुद्री तट उन्हें आकर्षित करता है।