एससी/एसटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ 6 सितंबर को देशभर में सवर्णों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए भारत बंद किया. देश के सवर्णों का जातिगत मामले में मंडल आंदोलन के बाद यह इस तरह का दूसरा सबसे बड़ा प्रदर्शन था, जिसमें वे सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे.
एक समय वो था जब पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह द्वारा मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करने के विरोध में सवर्ण उग्र हुए थे. आज उसकी पुनरावृत्ति होती दिख रही है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए एससी/एसटी एक्ट में संशोधन कर इसे मूल स्वरूप में बहाल कर दिया. मोदी सरकार के इस फैसले से बीजेपी का मूल वोट बैंक (सवर्ण) आक्रोशित होकर सड़कों पर आ गया.
वीपी सिंह: वो राजा जो फकीर हो गया
'राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है', यह नारा जब प्रधानमंत्री कार्यलय में बैठे मांडा नरेश और पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के कानों में गूंजा होगा तो उन्हें एक बार जरूर लगा होगा कि देश के आर्थिक और सामाजिक तौर पर पिछड़ों के लिए अवसर के जो द्वार उन्होंने खोले हैं, वह उन्हें भविष्य में फिर से सत्ता के शिखर पर बैठा देगा.
वीपी सिंह सामाजिक न्याय के मामले में सकारात्मक कार्रवाई (Affirmative action) के पैरोकार थे. कम लोगों को पता होगा कि भूदान आंदोलन में हिस्सा लेते हुए उन्होंने अपनी ज्यादातर जमीन दान में दे दी थी. जिसके लिए उनके परिवार वालों ने उनसे नाता तोड़ लिया था.
मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करने को लेकर भाजपा व अन्य विपक्षी दलों का अभिजात्य वर्ग वीपी सिंह से इस कदर नाराज हुआ कि उन्हें सत्ता से बेदखल करने को लेकर सब एक हो गए. यहां तक वीपी सिंह के खिलाफ उनके ही समुदाय के चंद्रशेखर उनके लिए चुनौती बन गए.
उस समय वीपी सिंह की संयुक्त मोर्चा सरकार बीजेपी की बैसाखी पर चल रही थी. देश में मंडल कमीशन की चर्चा थी. लेकिन उस वक्त मंडल आंदोलन को खरमंडल करने के लिए बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कमंडल उठा लिया. लालू यादव ने आडवाणी का रथ रोकते हुए उन्हें गिरफ्तार किया. बीजेपी ने संयुक्त मोर्चा की सरकार से समर्थन वापस ले लिया और संसद में विश्वास मत के दौरान उनकी सरकार गिर गई. इसके बाद जो हुआ वो इतिहास है.
सामाजिक न्याय के लिए इतना प्रतिबद्ध होने के बावजूद उन्हें एक खलनायक की तरह याद करने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है. उनका विरोध करने वाले मानते हैं कि उन्होंने अपने राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए मंडल कमिशन की सिफारिशों को लागू किया था. राम मंदिर आंदोलन के बाद की जातीय पहचान की राजनीति यह हिंदुत्व की गोद में बैठी हुई मिली. आज भाजपा को लेकर पिछड़े वर्ग में जो उत्साह दिखता है, वैसा वीपी सिंह का इरादा बिलकुल नहीं था.
वीपी सिंह के निधन के लगभग 10 साल बाद एक और 'फकीर' देश की कमान संभाल रहा है. याद करिए दिसंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुरादाबाद में दिया वो भाषण जिसमें उन्होंने कहा कि 'हम तो फकीर आदमी हैं, झोला लेकर चल पड़ेंगे'. इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में देश ने जाति से ऊपर उठकर उन्हें इतनी ज्यादा सीटें दीं. लेकिन यह भी असत्य नहीं है कि जातीय संघर्ष की आग कहीं न कहीं उस राख के नीचे अब भी धधक रही थी, जिसे मंडल आंदोलन के दौरान कमंडल ने शांत कर दिया था.
बहरहाल एससी/एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, उसके बाद दलितों का देशव्यापी आंदोलन और फिर दबाव में सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय का आदेश पलटते हुए एक्ट में संशोधन कर उसे मूल रूप में लागू करना. इन सब घटनाक्रमों ने फिर से उस आग को हवा दे दी है जो कहीं दबी हुई थी.
सवर्ण, भारतीय जनता पार्टी का मूल वोट बैंक हैं, जिनकी अनदेखी बीजेपी नहीं कर सकती. तो वहीं जिन पिछड़ी और अनुसूचित जाति/जनजातियों ने प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा किया उनकी अनदेखी भी नहीं की जा सकती. यह सवाल हाल ही में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह संग भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में जोर शोर से उठा था.
तमाम मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री को इस फैसले को लेकर सवर्णों की नाराजगी से अवगत भी कराया. इस बैठक में यह भी जिक्र हुआ कि किस तरह से फेसबुक, व्हाट्स एप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक संगठित अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें सवर्णों द्वारा आगामी चुनावों में नोटा का विकल्प अपनाने की अपील की जा रही है.
देश और प्रदेश के हालात पर चर्चा के बाद सवर्णों के आंदोलन ने मोदी सरकार और बीजेपी को धर्मसंकट में डाल दिया है. धर्म के नाम पर जातियों में बंटे हिंदू समाज को इकट्ठा करने की रणनीति एक बार फिर जाति के नाम पर टूटती दिख रही है.
इतिहास देखें तो आने वाले समय में मोदी सरकार को अपने इस फैसले का खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है. क्योंकि सामाजिक न्याय को लेकर इतना बड़ा फैसला लेने के बावजूद पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह सार्वजनिक जीवन में हाशिए पर चले गए थे.
दरअसल इस देश की राजनीति का एक कटु सत्य है कि जो भी अपने जाति समूह के हितों से ऊपर उठकर काम करेगा वो सार्वजनिक जीवन में हाशिए पर चला जाएगा. क्योंकि हमारे देश का लोकतंत्र एक ऐसे चुनावी तंत्र में तब्दील हो गया है, जिसका ख्याल सभी राजनीतिक दल रखते हैं या रखने को मजबूर हैं.
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश की बेटियों को शिक्षा में सहयोग के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में विकास और सामाजिक नेतृत्व के लिए सक्षम बनाया जाएगा। लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 का क्रियान्वयन इसी उद्देश्य से ही प्रारंभ किया गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज रविन्द्र भवन भोपाल में योजना के अंतर्गत 1477 लाड़ली लक्ष्मी बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए 1 करोड़ 85 लाख रूपये की राशि अंतरित कर संबोधित कर रहे थे।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि विकास कार्य गुणवत्ता के साथ समय-सीमा में पूर्ण करें। यह हमारा कर्त्तव्य और धर्म है कि योजनाओं का लाभ प्रत्येक पात्र व्यक्ति कोमिले, लोगों की कठिनाईयाँ दूर हों और उनका जीवन सुगम हों। शासन-प्रशासन के माध्यम से हमें जन-सेवा का मौका मिला है। हम ईमानदारी के साथ मिशन मोड में अपने कर्त्तव्यों को निभाएँ। इससे प्रदेश प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा।
भोपाल। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 70 हजार शिक्षकों की कमी है। ऐसे में स्कूलों में 40 हजार अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति करने की तैयारी चल रही है। शैक्षणिक सत्र 2022-23 में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में और सीएम राइज स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होने जा रही है।
विदिशा। जिले में सोमवार रात को वर्षा थमने के बावजूद बेतवा का जल स्तर बढ़ता जा रहा है। जिसके कारण बेतवा किनारे बसी बस्तियों और गांवों में पानी घुस गया है। शहर के एक दर्जन से अधिक इलाकों में तीन से चार फीट पानी होने के कारण नाव से लोगों को निकालना पड़ रहा है।
भोपाल। यातायात को सुगम बनाने और औद्योगिक विकास के लिए मध्य प्रदेश में अधोसंरचना विकास के काम तेजी के साथ किए जा रहे हैं। भोपाल, इंदौर सहित 15 स्थानों पर रोप-वे बनाए जाएंगे। इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग लाजिस्टिक मैनेजमेंट कंपनी और लोक निर्माण विभाग के बीच अनुबंध हो चुका है।
भोपाल। पार्टी मुझे दरी बिछाने को कहेगी, तो शिवराज सिंह चौहान दरी बिछाने को भी राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का काम मानकर करेगा। दिल्ली जाओगे कि वहां जाओगे। मुझे कहीं नहीं जाना। पार्टी कहेगी कि जैत में रहो, तो जैत में रहूंगा। पार्टी कहेगी भोपाल में रहो, तो भोपाल में रहूंगा। मुझे कोई अहं नहीं।
कोरोना वायरस के संक्रमण के दौर में भी बुलंदशहर में दो साधुओं की नृशंस हत्या पर प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के साथ ही कांग्रेस ने बुलंदशहर में डबल मर्डर (दो साधुओं की हत्या) के मामले में प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।
Rajya Sabha Election 2020: गुजरात के राज्यसभा चुनाव में खींचतान के बीच भाजपा के लिए एक राहत की खबर यह है कि भारतीय ट्रायबल पार्टी (बीटीपी) ने चुनाव में समर्थन करने के संकेत दिए हैं। पार्टी के विधायक महेश वसावा ने उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल से मुलाकात के बाद कहा कि 24 मार्च को कार्यकारणी की बैठक में समर्थन पर अंतिम फैसला होगा।
राज्यसभा चुनाव का प्रक्रिया जारी है और इस बीच बुधवार को 37 लोगों को राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुन लिया गया। इनमें NCP (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) प्रमुख शरद पवार, केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह शामिल हैं। बुधवार को नामांकन वापस लेने की समयसीमा बीत जाने के बाद इन प्रत्याशियों को निर्वाचित घोषित किया गया। मालूम हो की राज्यसभा की 55 सीटों के लिए 17 राज्यों में नामांकन भरे गए थे जिनमें से 37 का निर्विरोध चुनाव हो चुका है वहीं अब 26 मार्च को बची हुई 18 सीटों के लिए मतदान करावाया जाएगा। जिन सीटों के लिए मतदान होगा उनमें गुजरात और आंध्र प्रदेश में चार-चार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में तीन-तीन, झारखंड में दो और मणिपुर एवं मेघालय में एक-एक सीट शामिल है।
Three years of Yogi Sarkar : उत्तर प्रदेश में भारतीय जानता पार्टी (BJP) की योगी सरकार ने 18 मार्च को अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे कर लिये हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को बताया। लखनऊ में बुधवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि चुनौतियों और संभावनाओं के महासमर में संकल्पों और सिद्धांतों की नाव से यात्रा करते हुए आज उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार ने तीन वर्ष पूरे कर लिए हैं।