राज्यसभा के उपसभापति चुनाव में एनडीए की जीत के राजनैतिक मायने बेहद अहम हैं। एक ओर बीजेपी रणनीतिकारों ने अपने गठबंधन के साथी जदयू को आगे करके राजग के पुराने सहयोगियों को पटा लिया वहीं दूसरी ओर कांग्रेसी रणनीतिकार कुछ एक महागठबंधन साथियों के साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार करके और कुछ अन्य दलों के साथ रणनीतिक लापरवाही प्रदर्शित करके जीती हुई बाजी भी हार गए। शुरू में इस चुनाव का सियासी समीकरण कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दे रहा था, लेकिन अमित शाह और नीतीश कुमार ने इसे अपने पक्ष में भुना लिया।
राज्यसभा में बीजेपी और कांग्रेस में से किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त है, जबकि क्षेत्रीय दल यहां हावी हैं। ऐसे में जिधर अधिकांश क्षेत्रीय दलों का झुकाव होता है, उसी पार्टी या गठबंधन को बढ़त मिलती है। बीजेपी के पास मात्र 73 सीटें हैं, जबकि उसके सहयोगी दलों जदयू के पास छह, शिवसेना के पास तीन, अकाली दल के पास तीन और अन्य दलों के पास 11 सीटें हैं। इस प्रकार एनडीए के पास 96 सीटें हैं। इस बार अन्ना द्रमुक के 11 और टीआरएस के छह सदस्यों का साथ भी एनडीए को मिला है। बीजेडी ने भी एनडीए का साथ दिया है, जिससे उसका आंकड़ा 125 तक पहुंच गया।
नीतीश कुमार ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और अरविंद केजरीवाल से खुद बात की, जबकि समाजवादियों के साथ हरिवंश के पुराने संबंध काम आए। राज्यसभा में कांग्रेस के पास 50 सीटें हैं। उसके महागठबंधन सहयोगियों- टीएमसी के पास 13, सपा के पास 13, राजद के पास पांच, बीएसपी के पास चार और अन्य दलों के पास 28 सीटें हैं। इस प्रकार कांग्रेस महागठबंधन के पास 113 सीटें हैं, जो बीजेपी गठबंधन से कहीं अधिक है। आम आदमी पार्टी के पास तीन, पीडीपी के पास तीन, वाइएसआर के पास दो और अन्य नौ सीटों को भी कांग्रेस रणनीतिकार मैनेज कर सकते थे। लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस महागठबंधन प्रत्याशी को मात्र 105 वोट मिले हैं, जिससे साफ है कि उनसे बड़ी रणनीतिक चूक हुई है। हो सकता है कि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों की मनमानी के चलते एक सीमा से अधिक उनके सामने नहीं झुकना चाहती हो।
खैर, कांग्रेस की रणनीतिक भूल की वजह चाहे जो भी हो, इससे बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को मिशन 2019 के मद्देनजर रणनीतिक मजबूती तो मिल ही चुकी है, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्षी महागठबंधन एक बार फिर चित्त हो गया है। खासकर आम आदमी पार्टी ने जिस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सियासी क्षमता पर निशाना साधा है, उससे एक बात साफ है कि मोदी विरोधी विपक्षी एकता की सफलता पर सवालिया निशान हमेशा लगा रहेगा? वाइएसआर और पीडीपी को अपने खेमे में नहीं खींच पाना भी कांग्रेस रणनीतिकारों की विफलता समझी जा सकती है।
भोपाल। मध्यप्रदेश के नशामुक्ति अभियान में दिव्यांग किशोर सिंह डोडिया अपनी क्षमता का दर्शन करा रहे हैं। उन्होंने अपनी 3 पहिया गाड़ी को नशामुक्ति रथ के रूप में तैयार किया है। इसके माध्यम से वह सेक्टर के लगभग सभी गांवों में जाकर प्रचार-प्रसार करते हैं। उन्होंने लोगों को नशे के दुष्प्रभावों से अवगत कराने के साथ ही नशा ना करने की शपथ भी दिलवाने का कार्य किया है। वह 60 प्रतिशत दिव्यांग हैं और जिला मुख्यालय से 100 कि.मी दूर आलोट विकासखंड के ग्राम नारायणी में रहते हैं।
भोपाल। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्य प्रदेश में बुरहानपुर के रास्ते बुधवार को प्रवेश करेगी। प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी इस यात्रा को बड़े अवसर के रूप में देख रही है। पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के पक्ष में माहौल होने का संदेश देने के लिए मेगा शो की तैयारी है।
इंदौर। विद्यार्थियों को नियमों के फेर में छात्रवृत्ति से वंचित करने के विरोध में युवा कांग्रेस ने शनिवार को इंदौर में कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। छात्र नेताओं को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हल्का लाठी चार्ज भी करना पड़ा। हालांकि, विद्यार्थियों की समस्या को लेकर हुए इस प्रदर्शन में शहर कांग्रेस के सभी बड़े नेता नदारद रहे।
जयपुर। कांग्रेस आलाकमान को अपनी ताकत दिखाने की कोशिश राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भारी पड़ रही है। एक तरफ कांग्रेस के अध्यक्ष पद की रेस से वो बाहर हो गये हैं, तो दूसरी तरफ उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी खतरा मंडरा रहा है।
नई दिल्ली। असली शिवसेना किसकी है' इस मामले में उद्धव ठाकरे गुट को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी की वो याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उद्धव ठाकरे गुट की मांग की थी कि विधायकों की अयोग्यता पर फैसले से पहले, चुनाव आयोग पार्टी सिंबल पर सुनवाई न करे।
नई दिल्ली। कांग्रेस में नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की कवायद जारी है। अब तक उम्मीदवारों को लेकर चल रही बहस पर विराम लग गया है। साफ हो गया है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उम्मीदवार होंगे। माना जा रहा है कि अशोक गहलोत के सामने कुछ और नेता भाग्य आजमा सकते हैं। इस बीच, अशोक गहलोत ने शुक्रवार सुबह बड़ा ऐलान किया। अशोक गहलोत के मुताबिक, राहुल गांधी ने उन्हें कहा है कि इस बार गांधी परिवार का कोई सदस्य पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनना चाहिए।
नई दिल्ली। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सोमवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। कैप्टन को कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और किरण रिजिजू ने पार्टी की सदस्यता दिलवाई। नरेंद्र तोमर ने कैप्टन को पार्टी सदस्यता की पर्ची दी।
भोपाल। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अब प्रदेश में 8 से 10 दिन देरी से एंट्री लेगी। तय शेड्यूल के मुताबिक मप्र में उनकी यात्रा 24 नवंबर को प्रवेश करने वाली थी और 10 दिसंबर को उज्जैन से कोटा के लिए प्रदेश से बाहर होने वाली थी। अब जो देरी हो रही है, उसका कारण यह सामने आ रहा है कि राहुल की स्पीड तो तय शेड्यूल के हिसाब से है, लेकिन उनके साथ चल रही टीम की स्पीड धीमी है।
नई दिल्ली। भाजपा ने साल 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। मंगलवार शाम दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में अमित शाह और जेपी नड्डा की अगुवाई में बड़ी बैठक हुई। केंद्रीय मंत्रियों समेत तमाम बड़े नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में अमित शाह ने पिछले चुनावों से अधिक सीटें जीतने की बात कही।
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव 17 अक्टूबर को होगा। 19 अक्टूबर को मतगणना होगी। जानकारी के मुताबिक, चुनाव के लिए 22 सितंबर को अधिसूचना जारी होगी। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 24 सितंबर से शुरू होगी। इसकी अंतिम तिथि 30 सितंबर तय की गई है।