नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे तो बीजेपी देश भर में गुजरात के विकास मॉडल की दुहाई देते नहीं थकती थी. इसी गुजरात विकास मॉडल के रथ पर सवार होकर नरेंद्र मोदी ने 2014 में दिल्ली की गद्दी को फतह कर लिया. साथ ही मोदी का कद इतना बड़ा हो गया कि उसकी छाया के नीचे पूरी बीजेपी ही दब कर रह गई. इसे राजनीतिक विडंबना ही कहा जाएगा कि चुनावी राजपथ पर जो विकास का घोड़ा 2014 में मोदी के लिए सरपट दौड़ा था, अब उसी के लिए गुजरात में ही कहा जा रहा है- ‘विकास गांडो थायो छे’ यानी ‘विकास पागल हो गया है’. गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले ‘विकास गांडो थायो छे’ की गूंज इतनी जोर से सुनाई देने लगी कि मोदी को खुद ही गुजरात में आकर कहना पड़ा- ‘हूं विकास छुं, हूं गुजरात छुं’ यानी ‘मैं विकास हूं, मैं गुजरात हूं.’
मोदी की गुजरात में मुख्यमंत्री के तौर पर ताजपोशी को पांच महीने भी पूरे नहीं हुए थे कि 2002 में गोधरा की घटना के बाद राज्य ने हिंसा का भीषण दौर देखा. यहीं से ‘हिन्दुत्व’ का ऐसा ज्वार उठा कि ‘मोदी युग’ ने मजबूती से गुजरात में पैठ बना ली. लेकिन शीघ्र ही मोदी का ‘वाइब्रेंट गुजरात’ जैसे रणनीतिक दांवों से ‘विकास पुरुष’ के तौर पर ऐसा मेकओवर हुआ कि उन्हें ‘विकास के सबसे बड़े चेहरे’ के तौर पर पेश किया जाने लगा.
मोदी ने करीब साढ़े 12 साल गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के बाद 2014 में केंद्र का रुख किया. गुजरात विधानसभा का जो आखिरी चुनाव 2012 में हुआ था वो मोदी की अगुआई में लड़ा गया. ऐसे में 2017 में गुजरात विधानसभा का चुनाव जो लड़ा जा रहा है, वो 2002 के बाद पहला मौका है, जब राज्य में मोदी के बिना बीजेपी नेतृत्व की परीक्षा है. ये बात मोदी भी अच्छी तरह जानते हैं. इसीलिए ये चुनाव उनके लिए खुद भी साख का सवाल बन गया है. इसलिए मोदी और उनके मास्टर रणनीतिकार अमित शाह गुजरात में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. यही वजह है कि गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार के लिए मोदी ताबड़तोड़ रैलियां करेंगे.
जहां तक मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की बात है तो वो पिछले 22 साल से गुजरात में सत्ता से बाहर है. मोदी के केंद्र की सत्ता में होने के साथ कांग्रेस ने गुजरात बीजेपी के नेताओं के अंतर्विरोधों, सत्ता विरोधी लहर, हार्दिक पटेल-अल्पेश ठाकोर-जिग्नेश मेवाणी की युवा तिकड़ी के आंदोलनों से उपजे जनाक्रोश के दम पर गुजरात की सत्ता में वापस आने की जो उम्मीदें पाली हैं, पार्टी जानती है कि मोदी-शाह की जोड़ी उन्हें आसानी से परवान नहीं चढ़ने देगी. कांग्रेस भी सारे राजनीतिक नफा-नुकसान का आकलन करने के बाद ही चुनावी चौसर पर पूरी सावधानी से अपने दांव खेल रही है.
करीब ढाई दशक से गुजरात में हाशिए पर खड़ी कांग्रेस के लिए ये चुनाव ‘करो या मरो’ की स्थिति वाला है. कांग्रेस जानती है कि इस चुनाव के भी वैसे ही नतीजे आए जैसे कि 1995 के बाद से गुजरात विधानसभा के हर चुनाव के आते रहे हैं तो कांग्रेस के राज्य में वजूद पर ही सवालिया निशान लग जाएगा.
कांग्रेस गुजरात में कैसे फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है, इसका सबूत इसी से मिलता है कि वो ऐसा कोई संदेश नहीं देना चाहती जिससे कि बीजेपी को उस पर ‘हिन्दुत्व’ का जाना-परखा ‘चुनावी रामबाण’ दागने का मौका मिल जाए. खुद को ‘सेक्युलरिज्म’ का सबसे बड़ा अलंबरदार बताती आई कांग्रेस मुंह से बेशक ना कहे लेकिन गुजरात में इस बार रणनीतिक तौर पर ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की लाइन पकड़े दिखाई दे रही है.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी बिगुल बजाने के लिए सौराष्ट्र में रोड शो शुरू किया तो पहले द्वारिकाधीश के सामने शीश नवाया. फिर चोटीला में मां चामुंडा के दर्शन किए. मध्य गुजरात के दूसरे दौरे में संतराम मंदिर, भाथीजी मंदिर जाकर माथा टेका.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस सोची-समझी रणनीति के तहत अपने वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अहमद पटेल को भी गुजरात के इस चुनाव से दूर दिखाने की कोशिश कर रही है. सब जानते हैं कि हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल ने किस तरह अमित शाह की तमाम किलेबंदी को ध्वस्त करते हुए जीत हासिल की थी. कांग्रेस बेशक अहमद पटेल को गुजरात विधानसभा चुनाव से दूर रख रही है, लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने सूरत में गिरफ्तार हुए दो कथित आतंकियों को लेकर 27 अक्टूबर को जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की, उसमें अहमद पटेल का नाम लेकर जरूर कांग्रेस को बैकफुट पर ले जाने की कोशिश की. रूपाणी ने आरोप लगाया कि गिरफ्तार किए गए दो कथित आतंकियों में से एक अंकलेश्वर के सरदार पटेल अस्पताल का कर्मचारी था, जिससे अहमद पटेल जुड़े रहे हैं. रूपाणी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से अहमद पटेल का इस्तीफा लेने की मांग भी की.
रूपाणी के इस बाउंसर का जवाब देने के लिए अहमद पटेल के साथ कांग्रेस को भी सामने आना पड़ा. अहमद पटेल ने ट्वीट में कहा कि बीजेपी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति नहीं करे. साथ ही कहा कि आतंकवाद से लड़ते हुए बीजेपी गुजरात के शांतिप्रिय लोगों को ना बांटे. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी अहमद पटेल का जोरदार बचाव करते हुए कहा कि जिस अस्पताल की बात बीजेपी कर रही है, उससे अहमद पटेल ने 2014 में ही इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उनका इस अस्पताल से कोई जुड़ाव नहीं रहा. ऐसे में अगर कोई किसी आरोप में पकड़ा जाता है तो उसके लिए साल 2014 के अस्पताल के ट्रस्टी को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एम्स भोपाल में हुए मध्य भारत के पहले हार्ट ट्रांसप्लांट से पुनर्जीवन प्राप्त करने वाले मरीज दिनेश मालवीय से उनकी कुशलक्षेम पूछी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस उपलब्धि के लिए एम्स भोपाल की टीम को बधाई दी।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सिहंस्थ: 2028 का व्यवस्थित और सफल आयोजन राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सिंहस्थ की व्यवस्थाओं का विस्तार उज्जैन जिले के ग्रामीण क्षेत्रों तक होगा, अत: इसमें पंचायत प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। सिंहस्थ के आयोजन में श्रद्धालुओं के आवागमन की दृष्टि से उज्जैन जनपद विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, इंडस्ट्रियल बेल्ट भी इसी क्षेत्र में विद्यमान है।
भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकारी यात्री बस सेवा का संचालन कंपनियों के माध्यम से किया जाएगा। इसको लेकर परिवहन विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसको कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। इससे पहले परिवहन विभाग ने संबंधित अन्य विभागों से यात्री परिवहन बस संचालन को लेकर राय ली। इसमें शहरी विकास विभागऔर विधि विभाग ने अपनी राय दे दी है। इसके तहत एक राज्य स्तर की कंपनी बनाई जाएगी।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार निरंतर किसानों के कल्याण के लिये कृत संपल्पित होकर कार्य कर रही है। सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ज्ञान (GYAN) से ध्यान पर फोकस करते हुए 4 मिशन के क्रियान्वयन पर जोर दिया है। जल्द ही प्रदेश में किसान कल्याण के लिये मिशन भी प्रारंभ होने वाला है। वर्तमान में किसानों के कल्याण की विभिन्न योजनाएँ संचालित हो रही है।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने माँ नर्मदा जयंती की समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि माँ नर्मदा के अविरल प्रवाह ने मध्यप्रदेश को समृद्ध और खुशहाल बनाया है। मध्यप्रदेश की जीवन रेखा माँ नर्मदा का आशीर्वाद ऐसे ही अनवरत बरसता रहे, यही कामना है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नर्मदा जयंती पर प्रदेशवासियों से जल और संस्कृति के संरक्षण के लिए संकल्पित होने का आव्हान किया है।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि युवा वर्ग अपने सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़े। राज्य सरकार हरसंभव सहयोग प्रदान करने के लिए तत्पर है। इस क्रम में कल 5 फरवरी को सभी पात्र निर्धारित विद्यार्थियों को स्कूटी प्रदान की जाएगी। युवा वर्ग अपनी प्रावीण्यता का लाभ ले और अपने साथियों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बनें, इस उद्देश्य से यह उपक्रम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि युवा न केवल उद्यमी बनें अपितु सब प्रकार से सक्षम भी बनें और अपने लक्ष्य प्राप्ति में सफल हों।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पूर्वोत्तर राज्यों से भारत एकात्मता यात्रा पर आए विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश केवल भौगोलिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी देश की एकता और अखंडता को दर्शाता है। उन्होंने प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रप्रेम की भावना को रेखांकित करते हुए विद्यार्थियों को इस विविधता का सम्मान करने और भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने की प्रेरणा दी।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में पेश केन्द्रीय बजट में मध्यप्रदेश के लिए रेलवे सुविधाओं के लिए 14 हजार 745 करोड़ रुपए के बजट आवंटन के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का आभार व्यक्त कर मध्यप्रदेश के नागरिकों की ओर से धन्यवाद दिया है।
भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने गोपाल भार्गव को राजभवन में विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह का गरिमामय आयोजन राजभवन के दरबार हॉल में किया गया था। समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उप-मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, उप-मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल भी मौजूद थे।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र को साकार कर जनता की जिन्दगी बदलना ही हमारी सरकार का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में जन-सामान्य ने अपना विश्वास व्यक्त किया है, उनके नेतृत्व में विकास की प्रक्रिया जारी है। विकास और जनकल्याण के लक्ष्य को संकल्प पत्र-2023 के अनुरूप धरातल पर उतारना हमारा उद्देश्य है। सभी विभाग संकल्प पत्र के सभी वादों, संकल्पों और घोषणाओं की पूर्ति का काम मिशन मोड में आरंभ कर समय-सीमा में लक्ष्य प्राप्ति सुनिश्चित करें।