महिला श्रमिकों को 12 सप्ताह के बजाय अब मिलेगा 26 सप्ताह का मेटरनिटी बेनीफिट

  • श्रमिकों के हितों की सुरक्षा और कल्याण के लिये किये प्रावधान-केन्द्रीय श्रम राज्य मंत्री दत्तात्रेय
  • मजदूरों के हित में राज्य सरकार ने किये श्रम कानूनों में सुधार-मंत्री धुर्वे
  • उत्तर-मध्य राज्यों के श्रम मंत्रियों और सचिवों का सम्मेलन संपन्न

भोपाल (एमपी मिरर)। केन्द्र सरकार द्वारा श्रमिकों के हितों की सुरक्षा और उनके कल्याण के लिये अनेक प्रावधान किये हैं। केन्द्रीय श्रम राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बण्डारू दत्तात्रेय ने यह बात यहाँ उत्तर-मध्य राज्यों के श्रम मंत्रियों और सचिवों के सम्मेलन के उदघाटन सत्र में कही।

मंत्री दत्तात्रेय ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा श्रमिकों के लिये कई योजनाओं को शुरू कर उनके कल्याण के लिये कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा श्रमिकों के कल्याण और विकास के लिये किये गये कार्य सराहनीय हैं।
मंत्री श्री दत्तात्रेय ने कहा कि देश में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के वेतन, स्वास्थ्य और बच्चों की शिक्षा के लिये सरकार ने ठोस कदम उठाये हैं। असंगठित क्षेत्र में लगभग 40 करोड़ श्रमिक हैं। मजदूरों को बोनस दिलाने के लिये सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार द्वारा महिलाओं को मिलने वाले मेटरनिटी बेनिफिट में वृद्धि की गयी है। महिला श्रमिकों को 12 सप्ताह के स्थान पर अब 26 सप्ताह का मेटरनिटी बेनीफिट का लाभ का प्रावधान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने बाल-श्रम पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया है। सोलह वर्ष से कम आयु के बाल-श्रमिकों को प्रतिबंधित किया गया है।

प्रदेश के श्रम मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने कहा कि राज्य सरकार ने श्रम कानूनों में सुधार किया है। श्रम कानूनों में सुधार से मजदूरों के हितों की सुरक्षा के साथ अनावश्यक औपचारिकताओं से कारखाना, उद्योग आदि के नियोजकों को मुक्ति मिली है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में किये गये श्रम कानूनों में सुधार का परिणाम है कि राज्य का देश के पाँच अग्रणी राज्यों में 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस'' के अंतर्गत चयन किया गया है। श्रम विभाग की स्व-प्रमाणीकरण योजना की सराहना वर्ल्ड बैंक ने भी की है। इसे 'गुड प्रेक्टिसेज'' के रूप में अपनी रिपोर्ट में शामिल किया गया है।

मंत्री श्री धुर्वे ने कहा‍कि राज्य के तीन श्रम कानून और 15 केन्द्रीय श्रम कानून में आवश्यक संशोधन किये गये हैं। लायसेंस और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी तरह श्रम विभाग के वेब पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन की जा चुकी है। श्रम कानूनों में संधारित किये जाने वाले अनेक रजिस्टरों और रिटर्न के स्थान पर मात्र दो रिटर्न और एक रजिस्टर का प्रावधान किया गया है। औद्योगिक विवाद अधिनियम में विभिन्न अनुमतियों जैसे बंदीकरण, छँटनी, लेऑफ आदि के लिये श्रमिक संख्या की सीमा 100 से बढ़ाकर 300 कर दी गयी है। श्रमिकों की सेवानिवृत्ति आयु को 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष की गयी है। मंत्री श्री धुर्वे ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के कल्याण के लिये भी ठोस कदम उठाये गये हैं। मध्यप्रदेश भवन एवं संन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल में राज्य के 25 लाख श्रमिक पंजीकृत किये गये हैं। इनमें 32 लाख 50 हजार से अधिक परिवारों को 20 से अधिक योजनाओं में अब तक 687 करोड़ का लाभ वितरित किया गया है। निर्माण श्रमिकों का हित-लाभ का वितरण ऑनलाइन प्रणाली से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में आवासीय श्रमोदय विद्यालयों तथा भोपाल में श्रमिक आई.टी.आई. का कार्य पूरा होने को है। मंत्री श्री धुर्वे ने कहा‍कि श्रम विभाग की सेवाओं को गारंटी अधिनियम में शामिल किया गया है।

हरियाणा राज्य के श्रम मंत्री नायब सिंह सैनी ने हरियाणा राज्य में श्रम विभाग की गतिविधियों की जानकारी दी। भारत सरकार की श्रम सचिव श्रीमती एम. सत्यवती ने सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। ए.सी.एस. श्रम बी.आर. नायडू, संयुक्त सचिव श्रम भारत सरकार मनीष गुप्ता और हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, पंजाब, उत्तरप्रदेश, चण्डीगढ़ और उत्तराखण्ड के प्रतिनिधि अधिकारी मौजूद थे। श्रम कानूनों के सुधारों पर चर्चा करने के लिये उत्तर-मध्य के नौ राज्यों का एक-दिवसीय सम्मेलन श्रम मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आज भोपाल में किया गया।

 

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